उप राष्ट्रपति सचिवालय

14वें एआईएमए मैनेजिंग इंडिया पुरस्कार समारोह में उपराष्ट्रपति के संबोधन का पाठ

Posted On: 23 APR 2024 7:55PM by PIB Delhi

आप सभी का अभिवादन।

मुझे इस अवसर पर आमंत्रित किया गया, इसके लिए आभार। आज इस प्रतिष्ठित समारोह में उद्योग जगत के नेतृत्व और भारत के होनहार पेशेवरों के बीच आकर मुझे बेहद प्रसन्नता हो रही है।

ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) एक ऐसे विश्वसनीय मंच के तौर पर उभरा है जहां उद्योग जगत का शीर्ष नेतृत्व और पेशेवर आकर मिलते हैं और उचित मान्यता प्रदान करते हुए ज्ञान, कौशल, विशेषज्ञता के नेटवर्को का विस्तार करते हैं।

एआईएमए मैनेजिंग इंडिया पुरस्कार अपने कार्यों के चलते अनुकरणीय और प्रमाणित हैं।

तमाम पुरस्कार विजेताओं को बधाई कि उन्हें अपने कार्यों के लिए उचित मान्यता मिली है। आपकी सफलता की कहानियां कई लोगों को प्रेरित और प्रोत्साहित करेंगी। वे सामूहिक रूप से भारत के विकास की दिशा में काम करेंगी।

80 के दशक के अंत में एक मुख्य न्यायाधीश थे - जस्टिस वेंकट रमैया। वे एक महान न्यायाधीश थे। जब वे राजस्थान आए तो 80 के दशक में मुझे बार का अध्यक्ष बनने का अवसर मिला था। भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति वेंकट रमैया ने अवमानना पर बोलते हुए एक बार कहा था, "जीवन में एक अन्य नजरिया भी होता है। आपको वह नजरिया अपनाना चाहिए। आपको इसे लेकर तुरंत राय नहीं बनानी चाहिए। पल भर में ही उस नजरिए को नहीं त्याग देना चाहिए, क्योंकि अधिकतर मौकों पर वह दूसरा नजरिया ही सही नजरिया साबित होता है। और वह दूसरा नजरिया ही जीवन का अमृत होता है।"

ये पुरस्कार वाकई में बेहद खास हैं। ये सकारात्मक जन धारणा और प्रभाव को बढ़ाते हैं। इसमें मैं प्रतिष्ठित जूरी के योगदान की भी सराहना करना चाहूंगा।

जब हम इन पुरस्कार विजेताओं की सफलता की कहानियों का जश्न मना रहे हैं, तब उचित समय है कि हम सभी अपनी विराट जिम्मेदारियों पर भी विचार करें।

सुकरात से पूर्व के युग के यूनानी दार्शनिक हेराक्लिटस ने कहा था, "जीवन में परिवर्तन ही एकमात्र स्थिर चीज है।" मित्रो - हम इसी परिवर्तन की चरमता और गंभीरता के बीच आज खुद को पाते हैं।

21वीं सदी पहले से ही तीव्र परिवर्तनों से चिह्नित है। चाहे एआई, आईओटी, ब्लॉकचेन, मशीन लर्निंग, 6जी, क्वांटम कंप्यूटिंग हो या मानव गतिविधि के लगभग हर पहलू में वर्चुअल तौर पर पैठ बनाने वाली विघटनकारी प्रौद्योगिकियां हों, ये अवसर भी लाती हैं और चुनौतियां भी।

भारत इन प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करने वाले देशों की अग्रिम पंक्ति में है। 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा के आवंटन वाला नेशनल क्वांटम मिशन पहले ही सक्रिय है। ये वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास का बीजारोपण, पोषण और विस्तार करेगा। क्वांटम प्रौद्योगिकी में एक जीवंत और नवीन इकोसिस्टम का निर्माण करेगा। ये तो सिर्फ एक उदाहरण है। इसी तरह से ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, 6G का व्यावसायीकरण और ऐसी अन्य कई चीजें भी हैं।

ऐसा प्रतीत होता है कि हम एक और औद्योगिक क्रांति के होने की चौखट पर खड़े हुए हैं। पूरा विश्व इन प्रौद्योगिकियों की गति, पैमाने, जटिलता एवं परिवर्तनकारी सामर्थ्य से दो-चार हो रहा है।

अब विज्ञान की कल्पनाएं तेजी से वैज्ञानिक तथ्यों का आकार ले रही हैं और प्रौद्योगिकी सम्मिश्रण इसका प्रमुख संचालक है।

दोस्तों, तकनीकी नवाचारों को ऐतिहासिक रूप से सतत आर्थिक विकास और ज्यामितीय उत्पादकता वृद्धि के लिए मुख्य कारक माना गया है।

वर्तमान समय में धन सृजन और सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए नई-नई किस्म की प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।

इन प्रौद्योगिकियों के अंदर मौजूदा आर्थिक क्षेत्रों, कार्य करने के सिद्धांतों, उत्पादन एवं उपभोग को परिवर्तित कर व्यापक सामाजिक बदलाव लाने की क्षमता निहित है। दोस्तों, इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना और चुनौतियों को अवसरों में बदलना आपके हाथ में है।

औद्योगिक क्षेत्र के लिए कार्यबल में कौशल निर्माण बेहद जरूरी है। उद्योग जगत के कार्यबल में उपयुक्त कौशल का निर्माण करने के लिए विषयों तथा आवश्यक क्षमताओं को पहचानने और उन्हें विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है।

किसी भी व्यक्ति को आज आशा एवं संभावना के माहौल में, अधिकतम वृद्धि पाने और ऊंचाई पर पहुंचने के लिए "बुलबुले" से बाहर निकलने की आवश्यकता है।

"भारत में इस दुनिया के किसी भी अन्य बड़े देश की तुलना में कहीं अधिक संभावनाएं हैं"

पिछले कुछ वर्ष भारत के लिए युगांतकारी परिवर्तन के कालखंड साबित हुए हैं। भारत अब वैश्विक महाशक्ति बनने की दिशा में बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसका उत्थान अभूतपूर्व है और भारत अब रुकने वाला नहीं है।

मित्रो, हमारे देश भारत में वैश्विक आबादी का छठा हिस्सा रहता है, इस स्थिति में भारत अब-

सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है,

सर्वाधिक तीव्र गति से बढ़ने वाला प्रमुख शेयर बाजार है,

दुनिया का सबसे तेजी से आगे जाने वाला स्टार्टअप इकोसिस्टम है,

सबसे तेजी से बढ़ने वाला स्टार्टअप इकोसिस्टम है,

सर्वाधिक तीव्र गति से बढ़ता हुआ रियल एस्टेट बाज़ार है।

राष्ट्र के विकास के लिए, एक तरफ हम नीली अर्थव्यवस्था का अधिकतम लाभ उठाने के लिए समुद्र में गहराई तक जा रहे हैं। ज़मीन पर, हम धरातल से नीचे खनन कर रहे हैं तथा आकाश और अंतरिक्ष में, हम ऊंची उड़ान भर रहे हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत भविष्य की वैश्विक महाशक्ति और विश्व के अग्रणी देश के रूप में उभरने के लिए पूरी तरह तैयार है।

सकारात्मक शासन नीतियों और पहलों ने अवसरों का विस्तार किया है, जिससे उद्योग जगत गतिविधि के इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम हुआ है। उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों और कार्यबल ने इस बदलाव में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और हमारे देश के भविष्य को स्वरुप प्रदान किया है।

आज, मैं आप सभी से अगली पीढ़ी के नेतृत्वकर्ताओं को आकार देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका की पहचान करने का आग्रह करता हूं। युवा, ऊर्जावान व्यक्तियों की प्रतिभा को पोषित करने और उन्हें नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए तैयार करने में आपका परामर्श, मार्गदर्शन और अटूट समर्थन अपरिहार्य है।

मैं आपसे ईमानदारी से अपील करता हूं कि आप अपने क्षेत्र में उद्यमशीलता के सपनों और आकांक्षाओं में सहायता करें और उन पर ध्‍यान दें। आपका ज्ञान, अनुभव और मार्गदर्शन एक अद्वितीय सक्षम इकोसिस्‍टम बनाने में मदद कर सकता है।

भारतीय उद्योग के सामूहिक ज्ञान में प्रौद्योगिकी के महान लाभों और अवसरों के नए परिदृश्यों का लाभ उठाने की क्षमता है और हमारी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाने के लिए भारत के मैराथन मार्च से विकसित भारत@2047 में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। भले ही कुछ लोग अंतिम पंक्ति देखने के लिए जीवित न रहें, आइए यात्रा का आनंद लेने और इसकी शानदार सफलता में योगदान देने के लिए खुद को समर्पित करें।

देवियो और सज्जनो, हाल के वर्षों में भारत ने भयंकर विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एक दशक पहले पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में से पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने तक के बेहद चुनौतीपूर्ण रास्ते को सफलतापूर्वक पार कर लिया है। यदि पहले नहीं तो इस दशक के अंत तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो जाएगा।

दोस्तों ये कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। 1991 में हमारी अर्थव्यवस्था का आकार लंदन और पेरिस जैसे शहरों से भी कम था। तब हमारा सोना भौतिक रूप से दो स्विस बैंकों के पास गिरवी रखना पड़ा। अब यह देश 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था होने के स्थान पर कब्ज़ा कर रहा है, यह कितनी सराहनीय यात्रा है।

भारत अच्छे कारणों से आशा और संभावना, निवेश और अवसर की भूमि के रूप में उभरा है। हमारे आर्थिक विकास और डिजिटलीकरण की पहुंच के लिए आईएमएफ, डब्ल्यूबी और डब्ल्यूईएफ की प्रशंसा वास्तव में अच्छी तरह से तैयार, योग्य और अर्जित है।

समान विकास, पारदर्शी और जवाबदेह शासन और भ्रष्टाचार के लिए शून्य समायोजन नए मानदंड हैं। प्रौद्योगिकी को अपनाने, डिजिटलीकरण के प्रवेश, प्रत्यक्ष हस्तांतरण आदि ने भ्रष्टाचार को खत्म करने में योगदान दिया है। यह इकोसिस्‍टम सभी को अपनी प्रतिभा का दोहन करने और आकांक्षाओं को साकार करने के लिए अपनी क्षमता का विस्तार करने की उचित अनुमति देता है। अब सफल अर्थव्‍यवस्‍था या सफल लोग किसी भी अन्य चीज़ पर हावी है।

आकांक्षी जिलों, स्मार्ट शहरों और जीवंत गांवों की अवधारणा शासन की दिशा और भविष्य के दृष्टिकोण को परिभाषित करती है। हमारे शहरी केन्‍द्रों ने उल्लेखनीय प्रगति और विकास का अनुभव किया है, क्योंकि विकास ने देश के सभी कोनों में जीवन को प्रभावित किया है। हालाँकि, ग्रामीण भारत में और प्रगति की संभावना है।

विकास के इस अवसर का अंगीकार करने से न केवल समावेशिता को बढ़ावा मिलता है, अपितु हमारे देश भर में संसाधनों और अवसरों का अधिक न्यायसंगत वितरण भी होता है।

न्यायसंगत विकास की इस प्रवृत्ति को आगे बढ़ाने में उद्योग जगत की विशिष्‍ट हस्तियों और आप जैसे पेशेवरों को साझेदार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

आपकी अंतर्दृष्टि, विशेषज्ञता और विजन ऐसी बहुमूल्य संपत्ति है, जो नागरिकों के जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है और हमारे राष्ट्र की प्रगति को आकार दे सकती है। शासन में आपकी साझेदारी परिवर्तनकारी हो सकती है, बाधाओं और मतभेदों को पार कर सभी के लिए उज्जवल, अधिक समावेशी भविष्य का निर्माण कर सकती है।

हममें से प्रत्येक की जिम्मेदारी है कि हम अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार समाज को कुछ लौटाए। कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कानूनी दायित्व से कहीं बढ़कर है; यह नैतिक अनिवार्यता और सामाजिक परिवर्तन का एक शक्तिशाली उपकरण है। उद्योग जगत मोटे तौर पर सीएसआर को लाभप्रद ढंग से दिशा प्रदान कर रहा है।

मैं आपसे जीवन को प्रभावित करने, समुदायों का उत्थान करने और सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए सीएसआर पहल की क्षमता का उपयोग करने का आग्रह करता हूं। आइए हम सब मिलकर महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को हल करने, नवाचार को बढ़ावा देने और सकारात्मक बदलाव की विरासत बनाने की दिशा में अपने  सामूहिक प्रयासों को एकजुट करें।

विकसित देशों में अनुसंधान एवं विकास को उद्योग की ओर से प्रोत्साहन मिलता है। ऐसा ही प्रतिष्ठित संस्थानों के निर्माण, विकास और प्रोत्‍साहन की स्थिति में भी होता है।

मुझे इसमें रत्‍ती भर भी संदेह नहीं है कि समृद्ध मानव संसाधन के साथ हमारा उद्योग जगत और पेशेवर नेतृत्व हमें विश्व स्तरीय अनुसंधान एवं विकास केंद्र और प्रतिष्ठित संस्थान बनाने की दिशा में मददगार हो सकता है। यहां तक कि शीर्ष पर बैठे लोगों द्वारा भी इस उद्देश्य के लिए सीएसआर फंड का संचयन बेहतर प्रभाव उत्‍पन्‍न कर सकता है। मुझे यकीन है कि यह सुझाव उद्योग जगत के अभिजात वर्ग के लिए विचार-विमर्श और मंथन के लायक है।

देवियो और सज्जनो, ऐसा कहा जाता है कि "प्रबंधन, कार्यों को सही तरीके से करने को लेकर है, नेतृत्व, सही कार्य करने के बारे में है।" लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण एक चेतावनी भी है, जो कहती है- "नेतृत्व की गुणवत्ता नेताओं के अपने लिए निर्धारित मानकों में प्रतिबिंबित होती है।"

साल 2047 तक, जब राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता के सौ वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाएगा, विकसित भारत के हमारे सामूहिक संकल्प को साकार करने के लिए भारत को उस गुणवत्तापूर्ण नेतृत्व के तहत निरंतर ठोस प्रयास की जरूरत होगी। मैं आपसे इस बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में अपनी भूमिका निरंतर निभाने का अनुरोध करता हूं!

हमारे लिए आर्थिक राष्ट्रवाद पर जोर देने और स्थानीय रूप से निर्मित उत्पादों का उपयोग करने का संकल्प लेने का समय आ गया है क्योंकि, यह रोजगार व उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के अलावा अरबों डॉलर की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत करता है। केवल राजकोषीय लाभ से प्रेरित टालने योग्य आयात आपकी प्रत्ययी बैलेंसशीट में सुधार कर सकता है, लेकिन यह आपकी सामाजिक प्रतिबद्धता की उपेक्षा कर देगा। राष्ट्रीय हित के साथ समझौता करके वित्तीय लाभ प्राप्त करना कभी भी उचित नहीं हो सकता।

मित्रो- इसी तरह चिंताजनक स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब बिना मूल्यवर्द्धन के कच्चे माल का निर्यात किया जाता है। मैं उद्योग, व्यापार, व्यवसाय और वाणिज्य नेतृत्व व संघों से आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने, टालने योग्य आयात से दूर रहने और कच्चे माल के निर्यात को नियंत्रित करने का आह्वाहन करता हूं।

आइए, यह स्मरण रखें कि हमारे राष्ट्र के अभूतपूर्व उत्थान के साथ हम सभी के लिए और अधिक जिम्मेदारी आती है। अपने-अपने क्षेत्रों में नेता और प्रभावशाली व्यक्ति होने के नाते आपसे मैं इस जिम्मेदारी को पूरे हृदय से अपनाने और राष्ट्र-निर्माण के महान कार्य के लिए प्रतिबद्ध होने का अनुरोध करता हूं। आइए, हम सभी आने वाली पीढियों को प्रगति, करुणा और एकता की विरासत देने का प्रयास करें। मुझे आशा है कि ये पुरस्कार अन्य व्यक्तियों को आपकी प्रतिबद्धता, भावना और दूरदर्शिता का अनुकरण करने के लिए प्रेरित करेंगे।

मैं आपके भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

मुझे इन वीरों को सम्मानित करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद।

जय हिंद!

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