उप राष्ट्रपति सचिवालय
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भारतीय प्रबंधन संस्थान, बोधगया के छठे दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 07 APR 2024 6:14PM by PIB Delhi

आप सभी को गुड आफ्टरनून!

पिछले कुछ सप्ताह में, मुझे महिलाओं के नेतृत्व वाले संस्थानों का दौरा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: गुजरात विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और यह स्थान। मेरी यह धारणा कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक शक्तिशाली हैं और दिन-ब-दिन मजबूत होती जा रही है। महिला निर्देशक पुरुष निर्देशकों की तुलना में अधिक सख्त होती हैं। आप उन्हें पाठ्यक्रम के दौरान और उसके बाद दो अलग-अलग कारणों से याद रखेंगे: पाठ्यक्रम के दौरान, उनका बहुत कठोर होना। स्नातक होने के बाद, आप उन्हें बहुत सुखद रूप से याद करेंगे; वे आपको उस हद तक मजबूत करती हैं, आपको स्टील की तरह मजबूत करती हैं।

यह आयोजन भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम)-बोधगया के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि संस्थान के हाल ही में उद्घाटन किए गए परिसर में पहला दीक्षांत समारोह है जो इस देश के विकास और प्रगति की बदलती रूपरेखा को परिभाषित करता है।

अध्यक्ष, उदय कोटक, जो कि भारतीय बैंकिंग जगत के एक प्रसिद्ध व्यक्ति हैं, इस पद पर आसीन होने के लिए स्पष्ट योग्यता रखते हैं। वह अपने ज्ञान की गहराई, बौद्धिक अखंडता, दोनों के लिए सम्मान प्राप्त करते हैं और राष्ट्र के हित के लिए खड़े होने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।

मेरा दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा सामाजिक परिवर्तन की सबसे प्रभावशाली, परिवर्तनकारी व्यवस्था है जो समानता का एहसास कराती है और असमानताओं को दूर करती है। आप सभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के भाग्यशाली लाभार्थी हैं।

सम्मानित अतिथि श्री अमिताभ कांत, भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी, एक शेवनिंग स्कॉलर और उत्कृष्ट उपलब्धि हासिल करने वाले एक व्यक्ति हैं। वह हमारे अपने थिंक टैंक नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सहित अपनी विभिन्न क्षमताओं में सार्वजनिक नीतियों के विकास और कार्यान्वयन से गहराई से जुड़े हुए हैं। उनकी पुस्तकें 'ब्रांडिंग इंडिया-एन इनक्रेडिबल स्टोरी' और 'द एलिफेंट मूव्स:' एक तरह से उनके योगदान का प्रतिबिंब हैं।

भारत की जी-20 की अध्यक्षता वर्ष के दौरान भारत के जी-20 शेरपा के रूप में उनकी प्रतिष्ठित स्थिति को हमेशा अनुकरणीय प्रदर्शन के रूप में स्वीकार किया जाएगा। मार्ग में बाधाएं आयी और  अंत में सब ठीक हो गया। अन्य पहलुओं के अलावा जी-20 ने हमारी नरम कूटनीतिक शक्तियों और कौशल को बढ़ाया है।

दोस्तो! आपका संस्थान बिलकुल सही स्थिति में है। बोधगया, आध्यात्मिक महत्व का स्थल और वह भूमि जहां महान भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। मानवता की सामूहिक चेतना में बोधगया का विशेष स्थान है।

आज जब हम यहां एकत्रित हुए हैं, तो आइए हम भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरणा लें और प्रेम व करुणा के उनके संदेश को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करें। यह संदेश अब पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।

इस छठे दीक्षांत समारोह में स्नातक होने वाले विद्यार्थियों को मेरी शुभकामनाएं। यह दिन आपकी यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मैं बहुत आनंदित और प्रसन्न हूं कि प्लेसमेंट के मामले में इस संस्थान का ट्रैक रिकॉर्ड उत्कृष्ट है। अध्यक्ष महोदय के संबोधन से संकेत मिलता है कि इस संस्थान की ठोस नींव रखी गई है और यह देश में सर्वश्रेष्ठ में से एक है।

दोस्तो, दीक्षांत समारोह हर विद्यार्थी के जीवन में बहुत महत्व रखता है। यह न केवल स्नातकों के लिए बल्कि उनके परिवारों, शिक्षकों और गुरुओं के लिए भी गर्व और उपलब्धि का क्षण है जिन्होंने उनकी पूरी यात्रा में उनका समर्थन और मार्गदर्शन किया है।

यह क्षण व्यापक दुनिया में आपके प्रवेश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है- एक ऐसी दुनिया जो अनंत संभावनाओं और अवसरों से भरी है।

मित्रों- भारत आज केवल संभावनाओं वाला या सोया हुआ विशाल राष्ट्र नहीं रह गया है। यह पहले से कहीं अधिक बढ़ रहा है। भारत का उत्थान अजेय है। यह सब आपके बड़े लाभ के लिए है। आप एक सक्षम शासन व्यवस्था और स्थिर अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे को पाने के लिए भाग्यशाली हैं जहां आपको अपनी प्रतिभा और ऊर्जा को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान प्राप्त हुआ है। आपकी आकांक्षाओं और सपनों को साकार करने के लिए बेहतर परिस्थिति है।

आप सभी मित्र, विकसित भारत@2047 के लक्ष्य की ओर मैराथन मार्च का हिस्सा बनने के लिए बहुत भाग्यशाली हैं! हममें से कुछ लोग आसपास नहीं हो सकते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना सभी के लिए संतुष्टिदायक होगा कि वर्ष 2047 तक, भारत दुनिया के शिखर पर होगा!

मित्रों- एक वक्ता के लिए दीक्षांत समारोह का संबोधन आप को शैक्षिक परिसर से बाहर निकलने के बाद बाहरी दुनिया में कदम रखने से पहले उपयुक्त मार्गदर्शन और सही परामर्श या सुझाव देने का अवसर होता है।

एक दशक या उससे अधिक पहले ऐसी सलाह या सुझाव भयावह या एक दुःस्वप्न भी रहे होंगे। एक दशक पहले मेरी जगह कोई वक्ता होता तो चिंतित होता कि मैं क्या कहूं? संभावनाएं क्या हैं? क्योंकि उस समय हमारे पास आर्थिक रूप से चिंताजनक माहौल था। चारों ओर निराशा का माहौल था, लेकिन अब जो स्थिति है, वह सुखद है। एक तरह से अब चौतरफा विकास का माहौल है और राष्ट्रीय मूड आशा और संभावना को दर्शाता है।

आज यहां उपस्थित आप में से प्रत्येक व्यक्ति भारत के भविष्य का पथ-प्रदर्शक है। जब प्रतिभा, बुद्धि और ज्ञान की बात आती है तो आप दुनिया में सर्वश्रेष्ठ में से एक हैं। मैं आपको भारत की विकास गाथा में नए अध्याय लिखने के लिए अपनी प्रतिभा और कौशल का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं और यह कितनी उल्लेखनीय कहानी होने वाली है!

सदैव याद रखें, एक नेता के रूप में सफलता, प्रशंसा, संगठनात्मक और व्यावसायिक विकास के लिए आपकी तीव्र खोज आपको व्यवसाय में मानवता और सहानुभूति के महत्व को भूलने नहीं देगी।

आज आप किसी नई यात्रा पर निकलेंगे। आप एक ऐसे उद्योग में कदम रखेंगे जो एक दशक पहले जैसा नहीं है। एक दशक पहले परिदृश्य बहुत अलग था, आप चिंतिति होंगे, इस डिग्री के साथ आपको नहीं पता होगा कि कहां जाना है लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से अलग है, आपके लिए बहुत सारे अवसर हैं। यह परिदृश्य आशा और संभावनाओं से भरा है।

मेरे युवा मित्रों, राष्ट्रीय परिदृश्य इससे अधिक सुखद और आकर्षक नहीं हो सकता। राष्ट्र प्रगति पर है और वैश्विक विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आर्थिक गति में तेजी है, हमारे बढ़ते वैश्विक प्रभाव के साथ राष्ट्र में आपार उत्साह है। आप समझदार प्रतिभा हैं, आप जानते हैं कि भारत के बाहर भारतीय होने का क्या मतलब है। अब आप जानते हैं कि भारतीय पासपोर्ट धारक के लिए आपका क्या मतलब है, आप मुझसे ज्यादा जानते हैं कि अब हमारे देश की छवि क्या है और यह कुछ ऐसा है जिसका आनंद आप जीवन भर लेंगे।

शीघ्र ही हम जर्मनी और जापान को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं, क्रय शक्ति के मामले में हम पहले से ही वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर हैं और भारत की यह स्थिति आपके लिए अधिक प्रासंगिक है और आप जानते हैं कि क्रय शक्ति की क्षमता क्या है और इस देश में हमारे पास इतनी आबादी है, इतना समृद्ध मानव संसाधन है, यह युवा है, इसलिए परिवर्तन स्पष्ट होना चाहिए।

मित्रो - नवीनतम प्रौद्योगिकियों के आगमन के कारण दुनिया एक और औद्योगिक क्रांति के कगार पर है। ये प्रौद्योगिकियाँ एक चुनौती हैं। ऐसे अवसर हैं कि आप अपने भविष्य के कामकाज में उनके बारे में चिंतित होंगे।

इन प्रौद्योगिकियों के निर्बाध एकीकरण का उपयोग करके, संगठन डिजिटल युग में प्रतिस्पर्धी बने रह सकते हैं और एक ऐसे भविष्य को आकार दे सकते हैं जहां संपर्क, विश्वास और बुद्धिमत्ता सफलता को आगे बढ़ाती है।

दरअसल, कुछ वर्ष पहले की बात करें तो कोई यह सपने में भी नहीं सोच सकता था। हम इस बारे में सोचने या कल्पना करने की स्थिति में नहीं थे। मुझे अपने अनुभव से यह पता है। मैं वर्ष 1989 में संसद सदस्य था और तब मैं केंद्रीय मंत्री भी था। मुझे हमारी राजकोषीय साख को बनाए रखने के लिए अपने सोने को ठोस रूप में स्विट्जरलैंड के दो बैंकों में गिरवी रखे जाने के लिए हवाई मार्ग से ले जाते हुए देखने का दर्द सहना पड़ा। तब हमारी विदेशी मुद्रा 1 अरब से 2 अरब डॉलर के बीच घट रही थी, और अब, वृद्धि देखें: एक सप्ताह में 6 से 7 अरब डॉलर। यह अब 600 बिलियन डॉलर से अधिक है।

व्यापार, व्यवसाय, वाणिज्य और उद्योग में युवा नेताओं के रूप में, आपके पास कार्यभार संभालने, अवसरों का लाभ उठाने और ऐसा प्रभाव पैदा करने का अवसर होगा जो समाज की भलाई को ध्यान में रखता है। सुख और संतुष्टि व्यक्तिगत धन इकट्ठा होने से नहीं मिलती। सबसे बड़ी संतुष्टि तब होती है जब आपको अपनी मातृभूमि भारत की सेवा करने का पुरस्कृत अनुभव होता है और मुझे विश्वास है कि आप इसमें लगे रहेंगे।

देखिये, राष्ट्र के रूप में हम कितना आगे आ गये हैं। ये सफर आसान नहीं था।

क्या आप कभी 500 मिलियन लोगों के बैंकिंग उद्योग में आने की कल्पना कर सकते हैं? इससे अधिक समावेशी विकास क्या हो सकता है? जरा कल्पना कीजिए कि हर घर में गैस कनेक्शन, हर घर में नल का पानी, हर घर में शौचालय और हर जगह शिक्षा उपलब्ध हो। हर गांव में एक कंप्यूटर सेंटर होता है। आप इस प्रकार की व्यवस्था पाकर भाग्यशाली हैं। आप इस प्रकार का इकोसिस्टम पाकर अपनी महत्वाकांक्षाओं को साकार कर सकते हैं और अपनी मातृभूमि की सेवा कर सकते हैं।

ठीक एक दशक पहले, हमारी अर्थव्यवस्था कमजोर थी। पांच अर्थव्यवस्थाएं, विश्व संस्थाएं, हम पर दबाव डालने की स्थिति में थीं। वे परामर्श देते थे कि हम अपने मामलों को कैसे संभालें और परिवर्तन क्या हैं। केवल एक दशक में, हम कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस से आगे निकलकर 5वीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि वर्ष 2047 तक हम शिखर पर होंगे या शीर्ष पर पहुंचने के बहुत करीब होंगे।

विश्व बैंक, जो पहले हमसे सवाल करता था, अब छह साल की प्रभावशाली छोटी अवधि के भीतर अपने वित्तीय समावेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत की प्रशंसा करता है, एक उपलब्धि जिसे पूरा करने के लिए आमतौर पर लगभग पांच दशकों की आवश्यकता होती है। यह हमारे दूरदर्शी नेतृत्व और तेजी से कार्यान्वयन के लिए एक सम्मान है। यही कारण है कि देश पिरामिडीय विकास नहीं, बल्कि पठारी विकास का अनुभव कर रहा है; सभी लोग एकजुटता के साथ एक साथ बढ़ रहे हैं।

इसी तरह, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत को निवेश और विकास के अवसरों के लिए एक प्रमुख स्थल के रूप में मान्यता दी है।

भारत की समावेशी डिजिटल भुगतान प्रणाली, जो वास्तविक समय में लेनदेन की सुविधा प्रदान करती है, इसने दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया है और सिंगापुर जैसे देशों द्वारा इसे अपनाया जा रहा है।

वास्तव में, दुनिया के कुल वास्तविक समय के डिजिटल लेनदेन का 46 प्रतिशत अब इसी भूमि पर होता है। इंटरनेट की पहुंच आंकड़ों में परिलक्षित होती है कि हमारी प्रति व्यक्ति इंटरनेट खपत चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में अधिक है।

अपने डिजिटल बुनियादी ढांचे के अलावा, भारत ने विश्वस्तरीय भौतिक बुनियादी ढांचे के विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे 1.4 बिलियन की विशाल आबादी के लिए जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हुई है। हाल के उल्लेखनीय उदाहरणों से आप भारत मंडपम को जानते होंगे- एक विशाल सम्मेलन केंद्र, जो दुनिया के शीर्ष 10 में से एक है। हमारे पास यशोभूमि और एक नया संसद भवन है, जिस तरह की सड़कें, हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन अब हमारे पास हैं, वे एक दशक पहले हमारे सपनों और चिंतन से परे थे। यह दर्शाता है कि भारत के पास मानव संसाधन हैं; इसके मानव संसाधनों की प्रतिभा बेजोड़ है। इसे दूरदर्शी नेतृत्व की आवश्यकता है, ऐसे नेतृत्व की जो लीक से हटकर सोचे, ऐसे नेतृत्व की जिसमें क्रियान्वयन करने की क्षमता हो। राज्यसभा में सभापति होने के नाते मैं इस तथ्य को जानता हूं कि महामारी के बावजूद, नया संसद भवन 30 महीनों में बनकर तैयार हो गया। यह सिर्फ एक इमारत नहीं थी; यह संपूर्ण बुनियादी ढांचा है कि हम वहां अपने सत्र आयोजित कर सकते हैं। दुनिया हमारी प्रगति से आश्चर्यचकित और स्तब्ध है।

मित्रों, ये उपलब्धियां बेहद कम समय में ऐसी प्रभावशाली संरचनाओं का निर्माण करने की हमारी क्षमता को रेखांकित करती हैं। मैं आपको एक छोटा सा उदाहरण देता हूं चंद्रयान-2 सितंबर 2022 को चंद्रमा पर उतरना था, मैं पश्चिम बंगाल में अपनी पत्नी के साथ राज्य के राज्यपाल के रूप में मौजूद था, मैं साइंस सिटी गया था, लैंडिंग आधी रात के बाद लगभग 2:00 बजे थी, अगर मैं मैं गलत नहीं हूं चंद्रयान-2 कुछ मीटर के आसपास बहुत करीब पहुंच गया लेकिन लैंडिंग पूर्णतः सफल नहीं रही। आप इसे विफलता कैसे कह सकते हैं, हम इतने करीब आ गए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पूरी टीम को प्रोत्साहित करने के लिए पीछे से आए और हमने चंद्रमा के उस हिस्से पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराई, जहां अब तक कोई नहीं उतरा है। अंतर्राष्ट्रीय वैमानिकी समाज ने चंद्रमा पर शिव-शक्ति बिंदु को स्वीकार किया है जिसका अर्थ है कि शासन इतना मजबूत है कि इसमें सफलता मिलती है, विफलता नहीं। यह आपके लिए एक संदेश है और एक सबक है कि असफलता के डर से कभी भी आगे बढ़ने से न डरें, लेकिन आपको लापरवाही से बचना होगा।

भ्रष्टाचार को ख़त्म किये बिना हमारे नेतृत्व के दृष्टिकोण का प्रभावी क्रियान्वयन संभव नहीं था। एक समय था जब जीवन के हर पहलू में भ्रष्टाचार दिखाई देता था: नौकरी, अनुबंध, अवसर- आप उन लोगों का सहारा लिए बिना लाभ नहीं उठा सकते थे जो भ्रष्ट थे। भ्रष्टाचार अवसर या राहत पाने का आपका पासवर्ड था; सत्ता के गलियारे भ्रष्ट तत्वों से भरे हुए थे जो निर्णय लेने में कानूनी तौर पर अतिरिक्त लाभ उठाते थे। एक दशक पहले, हमारे पास सार्वजनिक क्षेत्र को देखने का एक अलग नजरिया था, यहां तक कि मंत्री पद, कार्यकारी प्राधिकारी के विशेषाधिकारों पर भी कहीं और विचार किया जाता था और निर्णय लिया जाता था। लेकिन अब, सत्ता के गलियारों को भ्रष्ट तत्वों से विधिवत मुक्त कर दिया गया है।

क्वांटम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग, 6-जी प्रौद्योगिकी और हरित हाइड्रोजन सहित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में, भारत प्रमुख रूप से अग्रणी स्थान पर है। ये नए परिदृश्य आप सभी के लिए स्वर्णिम अवसर हैं।

आज, चूंकि विश्व परिवर्तन की स्थिति में है, परिवर्तन ही एकमात्र स्थिरांक है। प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति ने एक नए युग की शुरुआत की है, जिससे ऐसे व्यवसायियों की मांग में वृद्धि हुई है जो अपने संगठन के व्यावसायिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए इन विकासों का उपयोग कर सकते हैं।

चाहे वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो, मशीन लर्निंग हो, या एनालिटिक्स हो, उन लोगों के लिए अवसर असीमित हैं जो नवाचार को अपनाने और परिवर्तन के अनुकूल होने के इच्छुक हैं।

गतिशीलता और अस्थिरता के ऐसे परिदृश्य में, आपके मूल मूल्य आपके मार्गदर्शक होंगे, जो आपको आगे बढ़ते समय स्थिर रखेंगे! इसलिए जिस बदलाव में आप विश्वास करते हैं उसे लाने के लिए तैयार हो जाइए। मेरे समय में अगर मैं बदलाव में विश्वास भी करता था तो मैं निराशा की स्थिति में होता था क्योंकि मुझे पता है कि मैं इसे नहीं ला सकता था अब आप इसे ला सकते हैं। स्टार्ट-अप और यूनिकॉर्न को देखें, ये आप जैसी प्रतिभाओं से निकले हैं।

आप में से अधिकांश लोग व्यवसाय जगत में अपनी जगह बनाने के लिए तैयार हैं। याद रखें, दोस्तों: नैतिक नेतृत्व और यह आपकी शपथ का हिस्सा है, इस पर समझौता नहीं किया जा सकता है। यदि आप नैतिकता से समझौता करते हैं तो आप उस तरह के विजेता नहीं बन सकते हैं जिस दुनिया को आप सलाम करते हैं वह आपको साइलो के अंदर छोड़ देगा क्योंकि आपने नैतिक मानकों से समझौता किया है। प्रलोभन आश्चर्यजनक होंगे जैसे शॉर्टकट लेना, लोग शॉर्टकट लेना पसंद करते हैं, यहां तक कि जब कोई सड़क उपलब्ध हो तो वे कहेंगे कि यह शॉर्टकट क्यों न लें। मेरा अनुभव मुझे बताता है कि जब आप नेतृत्व करते हैं तो शॉर्टकट बहुत दर्दनाक होता है।

कानून में शॉर्टकट अपनाएं, राजस्व मामलों में शॉर्टकट अपनाएं और आप जानते हैं कि लोग कैसे पीड़ित हैं, वे दो कारणों से पीड़ित हैं- देश में कानून के समक्ष समानता है, कानून का शासन अनुकरणीय तरीके से लागू किया जा रहा है, जो सोचते हैं कि हम कानून की पहुंच से बाहर हैं। हम कानून से प्रतिरक्षित हैं, कानूनी प्रक्रिया कैसे पहुंच सकती है, उन्होंने शॉर्टकट अपनाया, आप जानते हैं कि शॉर्टकट कितने जोखिम भरे, कितने महंगे, कितने कष्टदायक हैं, उनसे बचें।

मैं आप सभी से एक ऐसे समाज के प्रतिनिधि, दूत बनने का आग्रह करता हूं जहां आप कानून के शासन के प्रति ईमानदार, कुशलतापूर्वक पालन करने का उदाहरण पेश करते हैं। यह आपका मार्गदर्शक उत्तर सितारा होना चाहिए। मेरा विश्वास करो, नींद अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। जब आप शॉर्टकट अपनाते हैं, जब आप कानून का उल्लंघन करते हैं, जब आप नैतिक मानकों से भटकते हैं, तो आपको कभी भी गहरी नींद नहीं आ सकती। आपकी रातों की नींद हराम हो जाएगी और आपका स्वास्थ्य खराब हो जाएगा।

आप लोकतंत्र में सबसे बड़े हितधारक हैं; आप इस देश का भविष्य हैं। आपको मैराथन मार्च का नेतृत्व करना है और इसलिए, मैं आपसे अपील करता हूं, इसे एक आदत बना लें। आप सभी समझदार प्रतिभाशाली लोग हैं; आप हमेशा राष्ट्र के लिए खड़े रहेंगे, हमेशा राष्ट्र को पहले रखेंगे। हम उस पर कभी समझौता नहीं कर सकते।

दुर्भाग्य से, कुछ ऐसे वर्ग के लोग हैं जिन्हें यह बात हजम नहीं हो रही है कि भारत प्रगति कर रहा है। उनमें से कुछ जानकार प्रतिभावान हैं, आप उनका सम्मान करते हैं। सिर्फ इसलिए उनका सम्मान न करें क्योंकि उनके पास सत्ता की स्थिति है। मैं आर्थिक जगत की बात कर रहा हूं। कोई भारत सरकार का आर्थिक सलाहकार या किसी बैंक का गवर्नर हो सकता है, लेकिन अगर वे आपसे कहते हैं कि हमारी आर्थिक वृद्धि 5.5 प्रतिशत से आगे नहीं जा सकती, तो उनसे सवाल करें।

आपने ऐसा कहा, क्यों? आप एक जानकार व्यक्ति हैं; आप बड़े पैमाने पर लोगों की अज्ञानता का फायदा उठा रहे हैं; जब हवा आशावाद से भरी है तो आप निराशावाद फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। जरा कल्पना करें, कोई अफसोस नहीं, हमारी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत से अधिक थी। आप प्रगति और नवप्रवर्तन के मूल का प्रतिनिधित्व करते हैं। आपका मार्ग नए मील के पत्थर तक पहुंचने की दिशा में भारत की यात्रा के साथ संरेखित है!

हमें हमेशा अच्छा श्रोता बनना चाहिए ताकि ज्ञान को आत्मसात करना और साझा करना सहज हो। कोई भी बुद्धि या ज्ञान का अंतिम भंडार नहीं है। हमने अपने देश में एक ऐसी प्रणाली का सामना किया है जहां प्रतिष्ठित को मानदंड के रूप में नहीं माना जाता था जो अब चौंकाने वाले हैं, केवल पद्म पुरस्कारों को न देखें, एक समय था जब इवेंट मैनेजमेंट संरक्षण को पद्म पुरस्कारों के लिए पारित किया गया था। अब ऐसी स्थिति है, कि योग्य लोगों को आप जितना चाहते हैं, उससे अधिक समय दिया जाता है। आपको सामान्य कारण से परे जाना होगा यदि आप एक विचार का मनोरंजन करते हैं कि यह डिग्री सीखना समाप्त हो गया है, तो मुझ पर विश्वास करें, इससे अधिक लंबा निष्कर्ष कुछ भी नहीं हो सकता है कि यह सीखना आजीवन है और यदि आप आजीवन सीखते हैं तो आप आध्यात्मिक राष्ट्र की, मानसिक शारीरिक सेवा करने के लिए अच्छे स्वास्थ्य के साथ बने रहेंगे।

मुझे एक बात बहुत परेशान करने वाली लगती है, लोग आपकी अन्य बातों को सुनना नहीं चाहते, वे दूसरों की बातों को खारिज कर देना चाहते हैं, इससे अधिक दर्दनाक और तर्क तथा तार्किकता के लिए चुनौती क्या हो सकती है, जो हम नहीं चाहते। दूसरे दृष्टिकोण पर विचार करने के लिए दूसरे के दृष्टिकोण पर सहमत होना अनिवार्य नहीं है और मेरा विश्वास करें मेरा अपना अनुभव अक्सर बताता है कि अन्य दृष्टिकोण ही सही दृष्टिकोण है।

यदि आपने संगोष्ठियों में भाग लिया है तो आपके पास कोई प्रसिद्ध व्यक्ति होगा जो संगोष्ठी को संबोधित कर रहा होगा, लेकिन बातचीत के सत्र में आपको वह व्यक्ति मिलेगा जिसे आप नहीं देखते हैं, जिसकी आपके अनुसार कोई पहचान नहीं है, वह एक शानदार बिंदु बनाता है, आप में से प्रत्येक शानदार बिंदु रखने का केंद्र है और बड़े परिवर्तन को उत्प्रेरित कर रहे हैं।

मुझे एक कार्टून याद आ रहा है जहां बॉस अपनी कोर टीम के साथ थे और संकेत दे रहे थे कि "मैं ऐसे लोगों की तलाश में हूं जिनके पास अपना खुद का दिमाग है और हमेशा मेरे तरीके से सोचते हैं"। अपनी बात बताएं, भले ही वह स्वीकार न की गई हो, एक समय ऐसा भी आएगा जब आपसे वरिष्ठ व्यक्ति आपसे कहेगा, काश मैं आपके दृष्टिकोण के अनुसार चल पाता। आप ग़लत साबित हुए, इसलिए हमेशा उसी दिशा में आगे बढ़ें।

सामान्य तौर पर आपकी भविष्य की स्थिति में व्यापार, व्यवसाय, वाणिज्य और उद्योग के साथ बाध्यकारी बातचीत होगी। आपको उनके संरचित प्लेटफ़ॉर्म और एसोसिएशन तक पहुंच प्राप्त होगी। देश की अर्थव्यवस्था की सेवा करने के अवसर का लाभ उठाएं।

मेरा सुझाव है कि यदि हम 'लोकल के लिए वोकल' बनें और 'स्वदेशी' को बढ़ावा दिया जाए तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार, रोजगार के अवसरों के सृजन और उद्यमशीलता के पोषण में महत्वपूर्ण सकारात्मक योगदान हो सकता है।

एक तरह से मैं आपको राष्ट्रवाद के एक पहलू, आर्थिक राष्ट्रवाद पर विश्वास करने और उसे बढ़ावा देने के लिए प्रेरित कर रहा हूं। जरा कल्पना करें कि हमारी विदेशी मुद्रा का बड़े पैमाने पर निकास हो रहा है क्योंकि हम महत्वपूर्ण रूप से खिलौने, पर्दे, फर्नीचर और साज-सज्जा के सामान का आयात कर रहे हैं। हम ज्यादातर महत्वपूर्ण चीजें जो इस देश में उपलब्ध हैं, हम इस राष्ट्र के ढांचे को जो नुकसान पहुंचाते हैं उस पर एक नजर डालते हैं। एक तरफ विदेशी मुद्रा खत्म हो रही है दूसरी तरफ हम अपने लोगों के हाथों से काम छीन रहे हैं। इस प्रकार हम उद्यमिता के विकास में बाधा डाल रहे हैं, अब आप इसे बेअसर करने की अच्छी स्थिति में हैं यदि आप इसे आर्थिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए एक मिशन और जुनून बनाते हैं, तो इस भावना को विकसित करें जो हमें आगे ले जाए।

एक और चिंताजनक पहलू है कच्चे माल का अंधाधुंध निर्यात। कुछ लोगों के पास प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं। यदि आप गोवा के किसी बंदरगाह पर जाएं तो आपको पता चलेगा कि लौह अयस्क का निर्यात किया जा रहा है, अब जो व्यक्ति प्राकृतिक संसाधनों को नियंत्रित करता है वह पैसा कमा रहा है, वह कहता है कि मुझे अतिरिक्त प्रयास क्यों करना चाहिए। मैं जल्दी पैसा कमा रहा हूं, मुझे कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है लेकिन हम बहुत बड़ा नुकसान कर रहे हैं। हमें कच्चे माल का मूल्य और उसके निर्यात से पहले वास्तविक समय मूल्य जोड़ना होगा।

यदि हम कच्चे माल का निर्यात करते हैं तो हम स्वयं को दोषी ठहरा रहे हैं कि हम इसमें मूल्य जोड़ने की स्थिति में नहीं हैं। तथ्य यह है कि हम एक स्थिति में हैं और जैसे ही आप मूल्य संवर्धन में लगेंगे, आपको विदेशी मुद्रा, रोजगार और उद्यमिता वृद्धि दोनों के संबंध में परिणाम मिलेंगे।

मेरे युवा मित्रों!हमेशा याद रखें कोई भी आर्थिक लाभ नहीं, चाहे वह कितना भी प्रचुर क्यों न हो, हमारे आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता नहीं करना है, इसे आदत और राष्ट्रीय आदत बनाना चाहिए।

इससे आसानी से और जल्दी पैसा मिल जाता है। सोचिए कि राष्ट्र को इसकी कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी। यदि देश के भीतर कच्चे माल का मूल्यवर्धन होता, तो विदेशी मुद्रा बचाने और रोजगार और उद्यम के अवसर पैदा करने के मामले में लाभ बहुत बड़ा होता।

यह हमारे देश की समृद्धि और संप्रभुता के लिए जरूरी है। क्योंकि अगर हमारे सुरक्षा माहौल पर नजर डाली जाए तो पारंपरिक दिन जा रहे हैं। यदि आपकी अर्थव्यवस्था शक्तिशाली है, तो आप मजबूत हैं; आपकी सॉफ्ट डिप्लोमेसी अत्याधुनिक हो जाती है क्योंकि आपके मानव संसाधन विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं। मानव संसाधन पूरी तरह से डिजिटल बुनियादी ढांचे और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों की शक्ति और कौशल का उपयोग करते हैं, और यह एक राष्ट्रीय दायित्व है जिसका निर्वहन करने के लिए आपको बुलाया जाता है।

मित्रो- आज आप बड़े क्षेत्र में छलांग लगाने के लिए - अवसरों और चुनौतियों से भरपूर लॉन्चपैड पर हैं। भागदौड़ भरी सफलता और अप्रत्याशित झटका लगने की भी संभावना है। आप स्नातक विद्यार्थी जो करना चाहते हैं उसके बारे में समझदारी से चुनाव करें। आज आपके पास यह चुनने के लिए कई विकल्प हैं कि आप किस प्रकार का काम करेंगे और कैसे करेंगे।

उस विकल्प/पसंद को चुनें जो भीतर से निकलता है। लंबे समय तक हम इस देश में पीड़ित रहे, जन्म के समय बच्चे को एक कार्य दिया जाता था "बच्चा घर में आया है, इंजीनियर बनेगा, भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बनेगा, डॉक्टर बनेगा", और बेचारे बच्चे को पता नहीं था कि चारों ओर क्या हो रहा है, सौभाग्य से आपके लिए बदले हुए दिन आ गए हैं। यदि आप जो काम कर रहे हैं उसका आनंद नहीं ले रहे हैं, यदि आपको नहीं लगता कि आप एक उत्पादक, समाज में योगदान देने वाले सदस्य हैं, तो तेजी से पदोन्नति या बढ़ती प्रसिद्धि से कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि भीतर से आप इसका आनंद नहीं ले सकते हैं। यदि आपको यह पसंद नहीं है हर दिन काम पर जा रहे हैं, यह तथ्य कि आपको लिमोज़ीन में ले जाया जा रहा है, महत्वहीन है क्योंकि यह इसे और अधिक सुखद नहीं बना देगा।

जो क्रिकेट में अच्छा है उसे शतरंज खेलने के लिए क्यों मजबूर किया जाए, आपको अपनी पसंद खुद चुनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, आप किसी मजबूरी में नहीं हैं, इसे बहुत विवेक के साथ उपयोग करें।

मेरा आपको सुझाव है कि आप पहुंचें और अन्वेषण करें। अलग-अलग चीज़ें आज़माएं। गैर परंपरागत बनें। लीक से हटकर सोचें और आपको आश्वस्त होना चाहिए कि आप कभी भी विचारों से बाहर नहीं होंगे। केवल एक कर्मचारी बने रहने के अलावा रोजगार सृजन के भी पर्याप्त रास्ते हैं। नौकरशाही में लोग अपनी नौकरी छोड़कर सब्जियां बेचना, दूध बेचना, समाज की सेवा करना और कई अन्य लोगों को रास्ता दिखाना सहित गैर परंपरागत काम कर रहे हैं।

जवानी में प्रवृत्ति होती है, मेरे दिनों में भी थी। यदि हम बहुत कुछ हासिल करते हैं तो हमें खुशी होगी - हम प्रसिद्धि और भाग्य चाहते हैं, और जितनी जल्दी संभव हो सके। इस प्रक्रिया में हम रोबोटीकृत हो जाते हैं। हमारा मानवीय दृष्टिकोण रुक हो जाता है, हमारा मानवीय चेहरा लुप्त हो जाता है। जब मनुष्य रोबोट बन जाता है तो रोबोट किसी काम का नहीं रहता, मनुष्य रोबोट का उपयोग करता है न कि स्वयं रोबोट बन जाता है।

कभी भी शेक्सपियरियन हैमलेट सिंड्रोम "होना, या न होना:" का शिकार न बनें, यह रुख अक्सर विफलता का नुस्खा होता है। यदि आपके पास कोई शानदार विचार है तो उसे क्रियान्वित करें।

आपके अध्यक्ष महोदय उदय कोटक की यात्रा इस बिंदु पर एक केस स्टडी हो सकती है। उन्होंने वर्ष 1980 की शुरुआत में ऐसा विकल्प चुना था, और मेरे दृष्टिकोण से यह एक कठिन विकल्प था। तब भारत एक बंद अर्थव्यवस्था थी और आर्थिक विकास और समृद्धि की छाया नहीं थी जिसे हम आज लगभग देखते हैं। उस चुनौतीपूर्ण और कठिन परिदृश्य में, एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से आकर्षक नौकरी के विकल्प को नजरअंदाज करते हुए, उन्होंने खुद ही शुरुआत करने का फैसला किया। देखो वह हम सभी को कैसे गौरवान्वित कर रहे हैं।

जबकि उस समय उदय कोटक को निर्णय लेने में कठिनाई हो रही होगी, उनका दिल सीने में धड़क रहा होगा। फिर भी उन्होंने ऐसा किया। आप सभी भाग्यशाली हैं क्योंकि शासन नीतियों को सुविधाजनक बनाने से आपको निर्णय लेने के लिए जोड़ों में अधिक भूमिका मिलती है।

अंत में, आप सबसे रोमांचक यात्रा पर निकल रहे हैं। एक ऐसे देश में जहां मानवता का छठा हिस्सा रहता है, एक ऐसा देश जिसकी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है। वहां की दुनिया बेहद प्रतिस्पर्धी है। चुनौतियाँ तो होंगी ही। अपने पाठ्यक्रम पर दृढ़ रहें। आपको इसकी सफलता के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। आप सबसे कठोर कार्यक्रमों में से एक के साथ जुड़ चुके हैं और जाहिर तौर पर अब आप अपनी क्षमता दिखाने के लिए तैयार हैं।

मित्रो- मुझे आईआईएम बोधगया के विद्यार्थियों की क्षमताओं और संभावना पर पूरा भरोसा है, ज्ञान के केंद्र में स्थित ज्ञानवर्धक आईआईएम आपको जो कुछ भी प्रदान कर सकता है, वह आपको ही करना है।

याद रखें कि एक जूता कंपनी की टैगलाइन है, याद रखें कि "जस्ट डू इट"

आइए हम सब मिलकर एक ऐसे भारत के निर्माण की दिशा में काम करें जो न केवल विकसित हो बल्कि दयालु और समावेशी हो और जो हमारे सभ्यतागत लोकाचार को प्रतिबिंबित करता हो।

धन्यवाद। जय हिन्द! 

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