मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

पशुधन क्षेत्र में डिजिटल कदम


भारत पशुधन/1962- पशुपालकों के हाथ में डेटा पावर

Posted On: 15 MAR 2024 8:58PM by PIB Delhi

2 मार्च को प्रधानमंत्री ने भारत पशुधन पशुधन डेटा स्टैक राष्ट्र को समर्पित किया। पिछले कुछ महीनों से पूरे देश में पशुपालन क्षेत्र के लगभग चार लाख फील्ड श्रमिकों द्वारा पहले से ही इसे उपयोग में लाया जा रहा है। यह भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की प्रभावशाली श्रृंखला में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है। इससे पशु आधार और प्रदान की जाने वाली सेवाओं के रिकॉर्ड का मार्ग प्रशस्त होगा।

ऐप के माध्यम से फील्ड वर्कर जानवरों के लेन-देन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां अपलोड कर रहे हैं जैसे टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान, नये पशुओं का पंजीकरण, स्वामित्व में परिवर्तन, ई-प्रिस्क्रिप्शन (औषध विधि), रोग रिपोर्ट, दूध की रिकॉर्डिंग आदि। प्रत्येक जानवर को निर्दिष्ट विशिष्ट पहचान संख्या या पशु आधार का उपयोग करके वास्तविक समय के आधार पर अपलोड, ट्रैक और मॉनिटर किया जाता है। 15.5 करोड़ से अधिक प्रविष्टियां पहले ही अपलोड की जा चुकी हैं और हर दिन लगभग 16 लाख प्रविष्टियां जोड़ी जा रही हैं।

क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुधन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी जीवीए हिस्सेदारी लगभग 5 प्रतिशत है और समग्र विकास दर लगभग 7.93 प्रतिशत है और बाजार का आकार 15.63 लाख करोड़ रुपये है। इस नए स्टैक के जुड़ने से मौजूदा असंगठित स्थिति से बाहर निकलकर इस सेक्टर की ग्रोथ को मजबूती मिलेगी। सूचना के अभाव और इसका कोई विश्वसनीय स्रोत न होने के कारण बैंकर और बीमाकर्ता विश्वास की कमी के कारण पीछे हट रहे हैं। एंड टू एंड ईआरपी के प्रयोग करने योग्य लाइव डेटासेट के साथ सभी गतिविधियों को ट्रैक किया जा सकता है, निगरानी की जा सकती है और अंततः किसानों के साथ-साथ प्रसंस्करण उद्योग के लाभ के लिए धन अर्जित किया जा सकता है। मौजूदा आर्थिक सहायता  प्रदान करने वाली एएचआईडीएफ की इस नई योजना ने पहले से ही शुरू से अंत तक डिजिटल लेनदेन क्षमता के साथ आवेदनों की प्रोसेसिंग को पहले से आसान कर दिया है। इससे राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन के माध्यम से पता लगाने की क्षमता के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे का भी समाधान होगा।

नया स्टैक डिज़ाइन राष्ट्रीय डेटा साझाकरण और एक्सेसिबिलिटी पॉलिसी (एनडीएसएपी) की सीमाओं के भीतर किसी भी स्तर पर एपीआई  साझाकरण की अनुमति देता है और राज्य सरकारें इसका उपयोग अपने अन्य डेटासेट और रोग निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के लिए गतिविधियों के साथ जोड़ने के लिए कर सकती हैं। डेयरी और पशुधन उत्पादों की पता लगाने की क्षमता एक बेहतर विशेषज्ञ व्यवस्था को बढ़ावा देगी। बड़े फार्म और संगठन आईओटी उपकरणों जैसी अतिरिक्त सेवाओं के साथ अपने आंतरिक उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे। इस मजबूत डेटा की मदद से पहली बार में उच्च उत्पादन वाले क्षेत्रों में रोग मुक्त क्षेत्र स्थापित किए जा सकते हैं और निर्यात को सक्षम बनाया जा सकता है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने पशु पालक ऐप भी लॉन्च किया। यह किसानों को पशुधन संबंधी सभी निःशुल्क और सशुल्क योजनाओं/सेवाओं तक पहुंचने में सक्षम बनाएगा।

उदाहरण के लिए जब भी किसी गाय को राष्ट्रीय पशु रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एफएमडी टीकाकरण किया जाता है तो टीका लगाने वाली सूचना को स्टैक पर अपलोड किया जाता है। इसके बाद इसे ऐप पर भी देखा जा सकता है। पशु का संपूर्ण इतिहास इस पर दर्ज होता है। इसमें बच्चा देने से लेकर पहली बार दूध पिलाने तक, प्रत्येक बीमारी का वृतांतत और दिए गए उपचार को देखा जा सकता है। यहां तक कि इसे बीमा कंपनी या बैंकर आदि के साथ भी साझा किया जा सकता है। किसान बिक्री के लिए जानवर को चिह्नित भी कर सकता है ताकि अन्य खरीदार इसे देख सकें और किसान से बातचीत कर सकें।

किसान के पास अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी होती है जैसे कि सभी नजदीकी एआई तकनीशियनों के संपर्क विवरण, आईवीएफ सेवाओं के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले वीर्य स्ट्रॉ की उपलब्धता, एथनो पशु चिकित्सा दवाओं पर शैक्षणिक वीडियो, सुरक्षित दुग्ध उत्पादन आदि सुविधाएं। इस तरह के प्रयास से पशुपालकों को परेशान करने वाली सूचना विषमताओं को दूर करना है।

सरकार ने पहले ही केंद्रीकृत कॉल सेंटरों के साथ एमवीयू शुरू कर दिए हैं। अब पशु चिकित्सा सेवा से जुड़ी सभी सेवाएं टोल फ्री कॉल सेंटर 1962 के माध्यम से एक्सेस किया जा सकती हैं। यह सेवाएं पहले से ही 18 राज्यों में उपलब्ध है और जल्द ही इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। इस प्रकार पहले स्वीकृत 4335 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों की अधिकतम उपयोगिता सुनिश्चित होगी।

अगली पशुधन गणना, जो इस वर्ष के अंत में शुरू होने वाली है, भारत पशुधन इंटरफेस पर भी होगी ताकि भविष्य की कार्रवाई पर केंद्रित योजना के लिए सटीक और अद्यतित गणना सुनिश्चित की जा सके।

भारत पशुधन के माध्यम से जवाबदेही और पारदर्शिता की उपलब्धता से आवारा पशुओं के गंभीर मुद्दे पर बेहतर खर्च भी हो सकेगा। पशु आश्रय स्थल और गौशालाएं अब नंबर जैसी जानकारी ट्रैक कर सकते हैं। इस इंटरफ़ेस पर सभी सूचनाएं जैसे कि कितने जानवर हैं, उन्हें कितना खिलाया जाता है, उनकी देखभाल कैसे की जाती है, आदि मिलेंगी।  इससे सरकारों और निजी व्यक्तियों को इन गतिविधियों को वित्त पोषित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इस तरह, जानवरों और किसानों का सटीक डेटा बेस डीबीटी-आधारित योजनाओं को सामने आने, किसानों के लेनदेन के लिए ई-रुपी का उपयोग करने, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करने और कई अनुप्रयोगों के असाधारण विकास के लिए एक मंच प्रदान करने की अनुमति देगा।

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