अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्रालय
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अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) परिसर में जैन अध्ययन केंद्र की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम योजना के अंतर्गत परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की


परियोजना जैन विरासत के संरक्षण और संवर्धन का कार्य करेगी और इसमें अंतःविषय अनुसंधान को प्रोत्साहन देगी

Posted On: 14 MAR 2024 6:50PM by PIB Delhi

'विरासत से विकास' और 'विरासत से संवर्धन' की भावना के अनुसार, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 'पंच प्रण' से प्रेरित अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) परिसर में 'जैन अध्ययन केंद्र की स्थापना' के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) योजना के अंतर्गत परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है, जिसकी कुल अनुमानित लागत 25 करोड़ रुपये है।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने 25 करोड़ रुपये की सुनिश्चित वित्तीय सहायता के साथ, जैन दर्शन के विकास से संबंधित ढांचागत विकास को मजबूत करने, शैक्षिक सहयोग को प्रोत्साहन देने, अंतःविषय अनुसंधान को बढ़ावा देने, पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण के माध्यम से भाषा के संरक्षण, हब स्थापना के माध्यम से सामुदायिक जनसंपर्क के लिए लिए इन परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है।

विश्वविद्यालय द्वारा यह परियोजना जैन विरासत के संरक्षण और प्रचार-प्रसार, उसमें अंतःविषय अनुसंधान को प्रोत्साहन देने, जैन धर्म और उसके सिद्धांतों तथा प्रथाओं की वैश्विक समझ को बढ़ाने और सामुदायिक जुड़ाव के लिए समर्थन विकसित करने के लिए शुरू की जाएगी।

जैन समुदायों पर विशेष ध्यान देने के साथ "संपूर्ण सरकार" दृष्टिकोण के साथ अल्पसंख्यकों के विकास के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (एमओएमए) ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है क्योंकि यह मुख्य रूप से डिजिटलीकरण के रूप में जैन संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास करता है। इसका उद्देश्य जैन पांडुलिपियों, जैन परंपराओं, रीति-रिवाजों का व्यापक ज्ञान साझा करना और जैन साहित्य पर अंतर-विषयक अनुसंधान को बढ़ावा देना है।

'विकसित भारत' के उद्देश्य के अनुरूप, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का विचार है कि इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) को जैन साहित्य के अनुसंधान और विकास के साथ-साथ जैन सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान के संरक्षण के लिए जैन समुदायों के एकीकृत विकास के लिए सहयोग करना चाहिए।

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