विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड-साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग उन्नत रासायनिक मैन्यूफैक्चरिंग सुविधा के लिए मेसर्स एल्केम सिंथॉन प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई को 8.6 करोड़ रुपये की ऋण सहायता देगा


फार्मास्युटिकल उद्योग का सशक्तिकरण: टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड अत्याधुनिक रासायनिक उत्पादन सुविधा के लिए मैसर्स एल्केम सिंथॉन को सहायता देगा

Posted On: 07 MAR 2024 2:18PM by PIB Delhi

फार्मास्युटिकल क्षेत्र में स्वदेशी मैन्यूफैक्चरिंग क्षमताओं को मजबूत बनाने तथा नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने मेसर्स एल्केम सिंथॉन प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई के साथ एक समझौता किया है। बोर्ड "उन्नत फार्मास्युटिकल इंटरमीडिएट्स, फाइन एंड स्पेशियलिटी केमिकल्स के विकास और वाणिज्यीकरण  के लिए 19.01 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत में से 8.6 करोड़ रुपये की ऋण सहायता प्रदान करेगा।

 

 

एल्केम सिंथोन, भारत सरकार की प्रमुख पहलों, विशेष रूप से भारत को वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग केंद्र के रूप में स्थापित करने वाले मेक इन इंडिया अभियान के साथ नजदीकी तालमेल रखता है। इसके साथ यह समझौता एक महत्वपूर्ण कदम है। कंपनी चीन से एपीआई इंटरमीडिएट्स और फाइन केमिकल्स की सोर्सिंग में विविधता लाने की मांग करने वाली दवा कंपनियों के विकल्प के रूप में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस परियोजना का उद्देश्य प्रमुख प्रारंभिक सामग्री (केएसएम) और उन्नत इंटरमीडिएट्स के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए समर्पित एक अत्याधुनिक मैन्यूफैक्चरिंग सुविधा स्थापित करना है, जो कड़े गुणवत्ता मानकों का अनुपालन करने वाले सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके अतिरिक्त, यह सुविधा पॉलिमर और जल शोधन सुविधाओं जैसे उद्योगों में विभिन्न एप्लीकेशनों के अनुरूप स्पेशियलिटी और फाइन केमिकल्स का निर्माण करेगी।

अनुसंधान और विकास में विशेषज्ञता वाली, एल्केम सिंथान का फोकस एपीआई इंटरमीडिएट्स और रसायनों के निर्माण के लिए नवीन, उल्लंघन न करने वाली तथा वाणिज्यिक रूप से व्यवहारिक प्रक्रियाओं को डिजाइन और कार्यान्वित करने पर है। शुद्ध और प्रभावी सक्रिय फार्मास्युटिकल अवयवों के उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए इन इंटरमीडिएट्स की गुणवत्ता महत्वपूर्ण है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

नई मैन्यूफैक्चरिंग सुविधा पूरी होने पर प्रति माह 1,000 किलोग्राम की वर्तमान क्षमता की तुलना में प्रति माह 12,000 किलोग्राम के उत्पादन का लक्ष्य रखते हुए उत्पादन क्षमता बढ़ाएगी इसके अतिरिक्त, यह सुविधा नए इंटरमीडिएट्स और केएसएम के संश्लेषण को प्राथमिकता देगी, जो थोक दवा /एग्रोकेमिकल उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करेगी जो वर्तमान में इन महत्वपूर्ण रसायनों के लिए आयात पर निर्भर हैं। घरेलू उत्पादन क्षमता में वृद्धि और आयात पर निर्भरता को कम करके परियोजना आत्मनिर्भर भारत पहल में महत्वपूर्ण योगदान देती है, आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है और विदेशी मुद्रा खर्च को कम करती है।

टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक ने इस असर पर कहा, "एपीआई इंटरमीडिएट्स और केमिकल्स के निर्माण के लिए नवीन, उल्लंघन नहीं करने वाली और तकनीकी-वाणिज्यिक रूप से व्यवहारिक प्रक्रियाओं को डिजाइन करने में कंपनी का फोकस न केवल बाजार-विशेष के विकास को बढ़ाता है, बल्कि आयातित प्रमुख स्टार्टिंग मैटेरियल्स (केएसएम) और एडवांस्ड इंटरमीडिएट्स पर उद्योग की निर्भरता को भी कम करता है। यह एपीआई और स्पेशलिटी एंड फाइन केमिकल्स के लिए महत्वपूर्ण है, जिसका उपयोग पॉलिमर उद्योग और जल शोधन सुविधाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।

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एमजी/एआर/आरपी/एजी/एसएस

 


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