कोयला मंत्रालय

"विकास और जिम्मेदारी के बीच समन्वय"- मानवता की सेवा में कोयला सीपीएसई की भूमिका

Posted On: 06 MAR 2024 2:22PM by PIB Delhi

विद्युत उत्पादन के गहन परिदृश्य में कोयला, भारत की ऊर्जा जरूरतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्तमान में कुल विद्युत जरूरत का 55 फीसदी हिस्सा कोयला क्षेत्र से पूरा होता है। देश में कोयला क्षेत्र के भीतर कोयला खनन में सक्रिय केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) मुख्य रूप से कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) हैं। ये कंपनियां न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी पूरी करती हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती हैं कि उनका कार्य मानवता के व्यापक हितों के अनुरूप हो। ऊर्जा और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के बीच काम कर रहे कोयला सीपीएसई को दोहरी चुनौतियों- टिकाऊपन की अनिवार्यता को स्वीकार करने के साथ बढ़ी हुई आबादी की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने की जरूरत का सामना करना पड़ रहा है। इस विषम संतुलन को बनाए रखने में ये कंपनियां सकारात्मक परिवर्तन के एजेंट के रूप में सामने आई हैं, जो समाज के कल्याण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

कोयला सीपीएसई ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोयले की निर्बाध आपूर्ति राष्ट्रों की ऊर्जा जरूरतों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जो कोयले से परिचालित बिजली संयंत्रों पर काफी अधिक निर्भर हैं। ये स्थिरता आर्थिक विकास में योगदान देने के साथ उद्योगों और घरों को एकसमान रूप से लाइफलाइन प्रदान करती हैं। वहीं, मानवता की सेवा में कोयला सीपीएसई की कहानी आर्थिक मापदंडों से कहीं आगे निकल गई है। कॉर्पोरेट सामाजिक जवाबदेही (सीएसआर) को अपनाकर ये उद्यम सकारात्मक रूपांतरण के वास्तुकार बन गए हैं। सीपीएसई ने सामुदायिक विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में निवेश करके स्थायी साझेदारियां बनाई हैं, जिन्होंने खनन स्थलों की सीमा से आगे बढ़कर प्रगति के अमिट पदचिह्नों को छोड़ा है। कोयला पीएसयू ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, पर्यावरण और स्थिरता, आजीविका के क्षेत्र में कई पहल करने के साथ स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने संबंधी कई गतिविधियों में सहायता की की है।

रोजगार के अवसर उत्पन्न करना, कोयला क्षेत्र के मानवता पर प्रभाव की एक और पहचान है। कोयला पीएसयू ने स्थानीय समुदाय को कौशल प्रदान करने, बहु-कौशल विकास संस्थानों की स्थापना करने, जूते के डिजाइन, कृषि और इंजीनियरिंग में कौशल प्रदान करने के लिए इस क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों के साथ सहभागिता जैसी कई पहल की हैं। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल उत्पन्न करने को लेकर प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए कंपनी की हर एक सहायक कंपनी में बहु-कौशल विकास संस्थान स्थापित करने के लिए कोयला मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के साथ जनवरी, 2024 में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। शुरुआत में इन संस्थानों को प्रायोगिक आधार पर दो सहायक कंपनियों में स्थापित किया गया है। इसके अलावा कोयला खदानों के अधीन आने वाले क्षेत्रों से 655 उम्मीदवारों को कौशल प्रदान करने के लिए टाटा स्ट्राइव के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं। इस तरह ऐसी पहल से रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं, जिनका प्रभाव स्थानीय समुदायों में दिखता है। यह न केवल बेरोजगारी का समाधान करता है बल्कि, ऐतिहासिक रूप से कोयला भंडार से जुड़े क्षेत्रों में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देता है।

सेवा को लेकर प्रतिबद्ध कोयला सीपीएसई के लिए पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है। पर्यावरण पर उद्योग के प्रभाव को कम करने की दिशा में टिकाऊ खनन अभ्यास, तकनीकी नवाचार और स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों में निवेश जरूरी कदम हैं। प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधक के रूप में ये उद्यम भविष्य में एक ऐसी स्थितियों को उत्पन्न करने क्षमता रखते हैं, जहां कोयला क्षेत्र पर्यावरणीय चेतना के साथ सह-अस्तित्व में रह सकता है। इस संबंध में एनएलसीआईएल पर्यावरण सुरक्षा उपायों को बढ़ावा देने के लिए एक चैंपियन के रूप में उभरा है। कंपनी ने अनुप्रयुक्त अनुसंधान और विकास केंद्र (कार्ड) के साथ मिलकर इकोसिस्टम संतुलन, बागवानी विकास, प्रदूषण नियंत्रण को लेकर गतिविधियों के समन्वय के लिए एक समर्पित "कॉर्पोरेट योजना और पर्यावरण प्रकोष्ठ" की स्थापना की है।

कोयला खनन क्षेत्रों में स्वास्थ्य और सुरक्षा उपायों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। कोयला सीपीएसई सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल और व्यापक स्वास्थ्य पहलों के माध्यम से अपने कार्यबल के कल्याण को प्राथमिकता देकर न केवल सुरक्षित कार्य वातावरण में योगदान करते हैं बल्कि, स्थानीय समुदायों के व्यापक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में भी सहायता करते हैं और स्वास्थ्य इकोसिस्टम में वैश्विक मानकों को पूरा करने के रास्ते तैयार करते हैं। उदाहरण के लिए, सीआईएल थैलेसीमिया मरीजों के बीच प्रति रोगी 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। साल 2022-23 तक 1,000 रोगी इससे लाभान्वित हुए हैं और इस  पर कुल परिव्यय का आंकड़ा 70 करोड़ रुपये का है। इसी तरह एनएलसीआईएल ने 2.5 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डायलिसिस केंद्र स्थापित करने के लिए कुड्डालोर स्थित सरकारी अस्पताल के साथ सहयोग किया।

वहीं, अन्य जवाबदेही के तहत कोयला सीपीएसई नवीकरणीय ऊर्जा रूपांतरण की वैश्विक अनिवार्यता में योगदान करने के लिए ऊर्जा विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश को शामिल करने के लिए विविधीकरण परिचालन एक टिकाऊ ऊर्जा भविष्य को लेकर प्रतिबद्धता और बदलती वैश्विक गतिशीलता के अनुकूल होने की इच्छा को दिखाता है। कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने के लिए कोल इंडिया ने 5 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा है, जिसका लक्ष्य नवीकरणीय ऊर्जा के साथ अपने ऊर्जा ढांचे को मजबूत करना है, जिसे 2025-26 तक प्राप्त किया जाना है।

यह सुनिश्चित करते हुए कि उनकी विरासत को केवल कई टन में कोयला उत्पादन में नहीं बल्कि, समुदायों पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव में मापा जाता है, कोयला सीपीएसई विकास को जवाबदेही के साथ जोड़कर प्रगति के स्तंभ के रूप में उभर सकते हैं।

***

एमजी/एआर/एचकेपी/डीए



(Release ID: 2012001) Visitor Counter : 299


Read this release in: English , Urdu