भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने प्रतिस्पर्धा कानून के अर्थशास्त्र पर राष्ट्रीय सम्मेलन के 9वें संस्करण का आयोजन किया


समावेशी विकास के भारतीय मॉडल के महत्वपूर्ण तत्व भारतीय बाजार अर्थव्यवस्था, अंत्योदय सशक्तिकरण और समग्र दृष्टिकोण रहे हैं : डॉ. अरविंद विरमानी

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) शीघ्र  ही भारत के  बाजारों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और उसके उपयोग के मामलों के विकसित परिदृश्य की व्यापक समझ विकसित करने के लिए एआई पर एक बाजार अध्ययन शुरू करेगा: सीसीआई अध्यक्ष

Posted On: 05 MAR 2024 6:18PM by PIB Delhi

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने आज नई दिल्ली में प्रतिस्पर्धा कानून के अर्थशास्त्र पर 9वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी इसमें मुख्य वक्ता थे और सीसीआई की अध्यक्ष श्रीमती रवनीत कौर ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में विशेष भाषण दिया। प्रतिस्पर्धा कानून के अर्थशास्त्र के क्षेत्र में काम करने वाले विद्वानों, चिकित्सकों और विशेषज्ञों को एक साथ लाने वाला यह सम्मेलन 2016 से हर वर्ष सीसीआई द्वारा आयोजित किया जा रहा है।

अपने मुख्य भाषण में, नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने समावेशी विकास को बढ़ावा देने में प्रतिस्पर्धी बाजारों की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा समावेशी विकास के भारतीय मॉडल के महत्वपूर्ण तत्व भारतीय बाजार अर्थव्यवस्था, अंत्योदय सशक्तिकरण और एक समग्र दृष्टिकोण थे। .

 

डॉ. विरमानी ने इंडिक बाजार अर्थव्यवस्था की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यहां सरकार और नियामकों की भूमिका कुशल बाजार बनाने की है। उन्होंने कहा कि विकासशील अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, निजी क्षेत्र को अनुशासित और प्रोत्साहित करने के प्रयास के अलावा, प्रतिस्पर्धा के विनियमन को भी आर्थिक विकास और दक्षता के समग्र उद्देश्य में शामिल किया जाना चाहिए।

 

लुप्त बाज़ारों के निर्माण और अपूर्ण बाज़ारों में सुधार की अनिवार्यता के संबंध में, डॉ. विरमानी ने प्रतिस्पर्धी और एकाधिकार तत्वों और नीलामी तंत्रों को एकजुट करने का उल्लेख किया। उन्होंने पिछले 10 वर्षों में सुधारों के बारे में भी बात की, जिसमें कारक बाजार सुधार जैसे व्यवस्थित नीति सुधार, भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड यानी दिवालिया कानून (इन्सोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड- आईबीसी), सामान्य माल कर (जनरल गूड्स टैक्स-जीएसटी) जैसे संस्थागत सुधार और साथ ही अन्य नौकरशाही सुधार एवं सामाजिक कल्याण सुधार शामिल हैं।

डॉ. विरमानी ने प्रतिस्पर्धा मूल्यांकन के ढांचे में आयात की हिस्सेदारी और खुली अर्थव्यवस्था के निहितार्थों को ध्यान में रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया। कराधान (टैरिफ) संरक्षण को व्यापार योग्य वस्तुओं में प्रतिस्पर्धा के एक महत्वपूर्ण निर्धारक के रूप में संदर्भित करते हुए, डॉ. विरमानी ने कहा कि अपर्याप्त प्रतिस्पर्धा के मामले में  टैरिफ में कमी पर विचार किया जा सकता है। इसलिए, प्रतिस्पर्धा विनियमन केवल स्थानीय बाजारों पर ही ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता है। इस बात पर चर्चा करते हुए कि अब डिजिटल क्षेत्र कैसे विकास को गति देने के लिए तैयार है, डॉ. विरमानी ने डिजिटल और मिश्रित व्यवस्था (हाइब्रिड सिस्टम) का उपयोग करके असमानता को कम करने की वर्तमान पहल पर चर्चा की।

इस अवसर पर अपने विशेष संबोधन में श्रीमती रवनीत कौर ने कहा कि बाजार अर्थव्यवस्था एवं उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए कुशल परिणाम तभी मिल सकते हैं जब प्रतिस्पर्धी अवसरों को संरक्षित किया जाए और प्रतिस्पर्धा-विरोधी बाधाओं को दूर किया जाए। श्रीमती कौर ने कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का प्रयास बाजारों के अर्थशास्त्र एवं  मामलों के तथ्यों के साथ-साथ क्षेत्र की विशिष्टताओं की समझ में अपने हस्तक्षेप को शामिल रखना रहा है।

 

भारत में प्रतिस्पर्धा कानून में हाल के संशोधनों का जिक्र करते हुए श्रीमती कौर ने उल्लेख किया कि उदारता प्लस नियमों को पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है और निपटान, प्रतिबद्धताओं, टर्नओवर की गणना, सौदा मूल्य सीमा पर अन्य नियम निर्माण की प्रक्रिया   (पाइपलाइन)  में हैं। श्रीमती  कौर ने आगे  जोड़ा कि सीसीआई दंड (पेनल्टी) दिशानिर्देशों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया में भी है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के बढ़ते महत्व को देखते हुए, श्रीमती कौर ने कहा कि सीसीआई शीघ्र ही भारत में बाजारों में एआई और उसके  के उपयोग के मामलों के विकसित परिदृश्य की व्यापक समझ विकसित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर एक बाजार अध्ययन शुरू करेगा, जो नवाचार और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सीसीआई की रणनीतियों को सूचित कर सकता है।

इस  में, उद्घाटन सत्र के अलावा  'डिजिटल बाजारों में प्रतिस्पर्धा का विनियमन: उभरते दृष्टिकोण, सिद्धांत और उपकरण' (रेगुलेशन ऑफ़ कम्पीटिशन इन डिजिटल मार्केट्स: इमर्जिंग ऐप्रोचेज, थ्योरीज एंड टूल्स) तथा 'प्रतिस्पर्धा, समेकन और नवाचार: रुझान और परिप्रेक्ष्य' (कम्पीटिशन, कंसोलिडेशन एंड इनोवेशन: ट्रेंड्स एंड  पर्सपेक्टिव्स) पर दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए जिसमे शोधकर्ताओं ने प्रतिस्पर्धा कानून के अर्थशास्त्र पर प्रपत्र प्रस्तुत किए।

शिव नादर विश्वविद्यालय के मानविकी और सामाजिक विज्ञान स्कूल के प्रोफेसर और डीन डॉ. रजत कथूरिया की नड पर्सपेक्टिव्स अध्यक्षता में पहले सत्र में डिजिटल बाजारों में प्रतिस्पर्धा के विनियमन से संबंधित प्रपत्र थे।

 

आर्थिक और सार्वजनिक नीति, प्रबंधन विकास संस्थान (इकॉनोमिक एंड पब्लिक पालिसी मैनेजमेंट  डेवेलपमेंट इंस्टिट्यूट), गुड़गांव से प्रोफेसर डॉ. रोहित प्रसाद,  की अध्यक्षता में दूसरे सत्र में पेपर प्रतिस्पर्धा, समेकन और नवाचार पर केंद्रित थे।

 

आर्थिक और सार्वजनिक नीति, प्रबंधन विकास संस्थान (इकॉनोमिक एंड पब्लिक पालिसी मैनेजमेंट  डेवेलपमेंट इंस्टिट्यूट), गुड़गांव से प्रोफेसर डॉ. रोहित प्रसाद,  की अध्यक्षता में दूसरे सत्र में पेपर प्रतिस्पर्धा, समेकन और नवाचार पर केंद्रित थे।

'कृत्रिम बुद्धिमत्ता: चुनौतियां और अवसर' विषय पर एक पूर्ण सत्र के साथ इस राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ, जिसका संचालन विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के संस्थापक और अनुसंधान निदेशक डॉ अर्घ्य सेनगुप्ता ने किया।

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