रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
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केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत 27 ग्रीनफील्ड बल्क ड्रग पार्क परियोजनाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए 13 ग्रीनफील्ड विनिर्माण संयंत्रों का उद्घाटन किया


उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना महत्वपूर्ण संसाधनों पर भारत की निर्भरता, आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं के खतरे और उद्योग की वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर व्यापक विचार-विमर्श का परिणाम है: डॉ. मनसुख मांडविया

"उल्लेखनीय है कि आज भारत ने न केवल दवाओं, सक्रिय दवा सामग्री और चिकित्सा उपकरणों पर अपनी निर्भरता कम की है, बल्कि उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना की सफलता के कारण देश इन उत्पादों का एक प्रमुख निर्यातक भी बन रहा है।"

“जल्द ही पेनिसिलिन जी का उत्पादन भी भारत में किया जाएगा, पिछले 30 वर्ष से भारत में उत्पादन नहीं हो रहा है, अब आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत हम देश में ही इसका उत्पादन करेंगे”

उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत वर्ष 2020-21 से 2029-30 तक की अवधि के दौरान कुल 6,940 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 41 थोक दवाओं के निर्माण की परिकल्पना की गई है

चिकित्सा उपकरणों के निर्माण के लिए 26 आवेदकों को उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत 138 उत्पादों के लिए 3,420 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ वर्ष 2020-21 से 2027-28 की अवधि के लिए स्वीकृ

Posted On: 02 MAR 2024 6:15PM by PIB Delhi

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज नई दिल्ली में 27 ग्रीनफील्ड बल्क ड्रग पार्क परियोजनाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए 13 ग्रीनफील्ड विनिर्माण संयंत्रों का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया।

 

डॉ मांडविया ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “दवाएं किसी भी समाज के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान आपूर्ति श्रृंखला के प्रभावित होने के खतरे, थोक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों के आयात पर अत्यधिक निर्भर होने के खतरे और भारत के औषधि और चिकित्सा प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर इसके संभावित प्रभावों के कारण केंद्र सरकार में काफी मंथन हुआ। उत्पादन से संबद्ध  प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना इन व्यापक चर्चाओं का परिणाम है।''

उत्पादन से संबद्ध  प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत इन ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के उद्घाटन पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा, “यह उल्लेखनीय है कि आज भारत ने केवल दवाओं, सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) और चिकित्सा उपकरणों के आयात पर अपनी निर्भरता कम की है, बल्कि देश एक प्रमुख निर्यातक के रूप में भी उभर रहा है।इन उत्पादों के लिए, उत्पादन से संबद्ध  प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की सफलता के लिए धन्यवाद।

डॉ मांडविया ने कहा, “केंद्र सरकार की उत्पादन से संबद्ध  प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना-प्रथम ने स्थानीय स्तर पर विनिर्माण के लिए 48 महत्वपूर्ण थोक दवाओं की पहचान की है। इस आरंभिक योजना की सफलता ने सरकार को 15,000 करोड़ रुपये की उत्पादन से संबद्ध  प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना-द्वितीय जारी करने के लिए प्रेरित किया। इस योजना में अंतरराष्ट्रीय बाजार में दवाओं और चिकित्सा उत्पादों के लिए हमारी लागत प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की परिकल्पना की गई है।

महत्वपूर्ण दवाओं और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय मंत्री मांडविया ने व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली दवा पेनिसिलिन जी का उदाहरण दिया, जो 1980 के दशक के अंत तक भारत में स्थानीय रूप से निर्मित की जाती थी। वैश्वीकरण के कारण, पेनिसिलिन जी के आयात के कारण भारत में ऐसे सभी संयंत्र बंद हो गए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि केंद्र सरकार तीन दशकों के बाद भारत में पेनिसिलिन जी का उत्पादन वापस लाने पर काम कर रही है।

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के सचिव श्री राजेश कुमार सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने संकट को अवसर में बदलने की मानसिकता के साथ कोविड-19 महामारी का सामना किया। उन्होंने इस तरह के दृष्टिकोण के प्रदर्शन के रूप में भौतिक और डिजिटल दोनों सहित आत्मनिर्भरता, नवाचार और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में प्रशासन के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

श्री आर.के. सिंह ने कहा कि भारत के