सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने आज विभिन्न राज्यों और केंद्रीय संस्थानों में 34 आवासीय छात्रावासों का उद्घाटन व शिलान्यास किया

Posted On: 29 FEB 2024 8:59PM by PIB Delhi

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए शैक्षिक अवसरों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों हेतु शैक्षिक छात्रावासों के निर्माण/मरम्मत (पीएम-एजेएवाई के तहत) तथा अन्य पिछड़ा वर्ग लड़कों तथा लड़कियों के शैक्षिक छात्रावासों के निर्माण की योजनाएं लागू कर रहा है।

मंत्रालय ने आज विभिन्न राज्यों एवं केंद्रीय संस्थानों में 34 आवासीय छात्रावासों का उद्घाटन व शिलान्यास किया। ये छात्रावास, अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के विद्यार्थियों की आवास आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। इसके अलावा ये समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करते हैं। यह पहल न केवल बुनियादी ढांचागत आवश्यकताओं को पूरा करती है, बल्कि इसका उद्देश्य सीखने के उद्देश्य से अनुकूल माहौल तैयार करना भी है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हाशिए पर रहने वाले परिवारों के विद्यार्थियों को बिना किसी बाधा के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके।

 

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार 29 फरवरी, 2024 को हुए उद्घाटन और शिलान्यास समारोह में मुख्य अतिथि थे। इस मौके पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में सचिव श्री सौरभ गर्ग तथा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गणमान्य लोगों की सम्मानजनक उपस्थिति देखी गई। इस कार्यक्रम में संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों से आने वाले सांसद और विधान सभा के सदस्य भी शामिल हुए। उन्होंने हाशिए पर रहने वाले समुदाय की शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में सामूहिक प्रयास का उल्लेख किया।

 

मुख्य बिंदु:

 

उद्घाटन व शिलान्यास: आज 165.81 करोड़ रुपये (क्रमशः अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों हेतु छात्रावासों के निर्माण में 143.45 करोड़ रुपये एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के छात्रावासों के लिए 22.36 करोड़ रुपये) की लागत से कुल 34 छात्रावासों का उद्घाटन किया गया और आधारशिला रखी गई, जिसमें कुल 5456 विद्यार्थी रहते हैं। इनमें से 28 छात्रावास अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए हैं, जिनमें 3150 लड़कियों तथा 750 लड़कों को आवास उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं 6 छात्रावास अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों हेतु भी उपलब्ध हैं, जो 396 लड़कियों के लिए सुविधाएं प्रदान करते हैं।

 

वित्तीय आवंटन: मंत्रालय ने इस पहल के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन आवंटित किए हैं। 2014-15 से 192 अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के छात्रावासों के निर्माण के लिए 385.94 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इनमें से 138 छात्रावास विशेष रूप से लड़कियों के लिए हैं, जिनमें 18637 छात्रों को आवास उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा, अन्य पिछड़ा वर्ग के लड़कों एवं लड़कियों के लिए छात्रावासों के निर्माण के उद्देश्य से केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 288.61 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिससे अब तक 20915 विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं।

 

शिक्षा को सशक्त बनाना: ये पहल सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए अनुकूलता के साथ सीखने के माहौल को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। मंत्रालय का उद्देश्य शैक्षिक बुनियादी ढांचे में अंतर को पाटने और किफायती आवास प्रदान करके शिक्षा में बाधाओं को कम करना तथा विद्यार्थियों को उनकी शैक्षणिक आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाना है।

 

शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में, नामांकित 4.33 करोड़ विद्यार्थियों में से एससी छात्रों की हिस्सेदारी 15.3% थी, जबकि ओबीसी विद्यार्थियों की कुल नामांकन में 37.8% भागीदारी थी। एससी छात्र नामांकन में उल्लेखनीय प्रगति को उजागर करते हुए ये आंकड़े पिछले शैक्षणिक वर्ष में 58.95 लाख से 2021-22 में 66.23 लाख तक उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देते हैं। यह उछाल पिछले पांच वर्षों में 25.4% की सराहनीय वृद्धि को दर्शाता है, जो 2014-15 के बाद से 44% की समग्र बढ़त को भी दिखाता है। एससी महिला विद्यार्थियों के नामांकन में वृद्धि भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जो 2021-22 में बढ़कर 31.71 लाख हो गई, जो पिछले पांच वर्षों में 26.6% की बढ़ोतरी और 2014-15 के बाद से 51% की समग्र वृद्धि प्रदर्शित करती है।

 

इसी तरह से, ओबीसी विद्यार्थियों के लिए नामांकन का आंकड़ा पिछले वर्ष के 1.48 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में लगभग 1.63 करोड़ हो गया, जो 2017-18 के बाद से उल्लेखनीय 27.3% की वृद्धि और 2014-15 के पश्चात 45% के समग्र विस्तार को दर्शाता है। ओबीसी महिला विद्यार्थियों का नामांकन भी 2020-21 में 72.88 लाख से बढ़कर 2021-22 में 78.19 लाख हो गया, जो 2017-18 के बाद से 27.2% की वृद्धि और 2014-15 के बाद से 49.3% की समग्र बढ़ोतरी को दिखाता है।

 

ये प्रगति सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में पर्याप्त सुधार का संकेत देती है। 2021-22 में, एससी छात्रों के लिए सकल नामांकन अनुपात पिछले वर्ष के 23.1 से बढ़कर 25.9 हो गया, जो 2014-15 में 18.9 से उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देता है। इसी तरह, एससी महिला सकल नामांकन अनुपात 2020-21 में 23.9 से बढ़कर 2021-22 में 26 हो गया है और इसने 2014-15 में 18.1 से उल्लेखनीय छलांग लगाई है।

 

ये आंकड़े शिक्षा में लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से समावेशी विकास व सामाजिक समानता को बढ़ावा देने में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के समर्पण के साथ ठोस प्रयासों को रेखांकित करते हैं। चूंकि ये छात्रावास आशा और अवसर के प्रतीक के रूप में तैयार हो रहे हैं, इसलिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति के साथ प्रत्येक व्यक्ति को सशक्त बनाने के अपने संकल्प पर दृढ़ प्रतिज्ञ है।

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एमजी/एआर/एनके



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