सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय

पर्पल फेस्ट 2024: राष्ट्रपति भवन में समावेशिता की गूंज का एक स्वर मिलाप

Posted On: 26 FEB 2024 7:50PM by PIB Delhi

भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने आज राष्ट्रपति भवन में पर्पल फेस्ट 2024 का आयोजन किया। इस दौरान विविधता और एकता का एक ऐतिहासिक उत्सव गर्व से मनाया गया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शारीरिक दिव्यांगजन संस्थान के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में 10 हजार से अधिक दिव्यांगजन और उनके सहयोगी आयोजन के इस भव्य स्थल पर एकत्र हुए, जिससे एकजुटता तथा आपसी सम्मान के मूल्यों को बढ़ावा दिया गया।

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राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने वहां उपस्थित लोगों को प्रोत्साहित कर और उन्हें प्रेरणा देकर इस अवसर की शोभा बढ़ाई। दिव्यांग बच्चों को उनके विशेष शिक्षा शिक्षकों के साथ एक यादगार अनुभव के लिए विशेष रूप से अमृत उद्यान में आमंत्रित किया गया था, जिससे दिन के उत्सव को और भी स्मरणीय बनाया गया।

यह आयोजन वहां आयोजित हुई सांस्कृतिक गतिविधियों के बहुरूपदर्शक से जीवंत हो उठा, प्रत्येक अभिनय लचीलेपन और रचनात्मकता की अदम्य भावना का प्रमाण बनकर सामने आया। शाइनिंग स्टार बैंड की अलौकिक धुनों से लेकर सत्या और सागरिका की मनमोहक प्रस्तुतियों ने हर पल विविधता एवं एकता का उत्सव सृजित कर दिया था।

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इस कार्यक्रम में तीन प्रमुख पहल शुरू की गई थीं, जिसमें "इंडिया न्यूरोडायवर्सिटी प्लेटफॉर्म" के लिए बौद्धिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के राष्ट्रीय संस्थान (एनआईईपीआईडी) और टाटा पावर कम्युनिटी डेवलपमेंट ट्रस्ट (टीपीसीडीटी) के बीच सहयोग करना भी शामिल था, जिसका उद्देश्य शीघ्र हस्तक्षेप व घरेलू देखभाल सुनिश्चित करना है। इसके अलावा, हैंडबुक 'व्यवहार संबंधी बाधा और दिव्यांगता में संवेदनशील भाषा का उपयोग' के शुभारंभ ने महत्वपूर्ण भाषा बाधाओं को दूर करने का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे दिव्यांगता पर सही शब्दावली के लिए एक रूपरेखा को बढ़ावा मिला।

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उत्सवों से अलग आगंतुकों ने राष्ट्रपति भवन संग्रहालय का भ्रमण किया और अपने विचार विन्यास को समृद्ध करते हुए समावेशिता के लोकाचार को आत्मसात किया। वहां पर ढोल की हर थाप, गाया गया हर स्वर और आदान-प्रदान की गई हर मुस्कान सभी के लिए समानता व सम्मान के मूल्यों की प्रतिध्वनि की तरह थी।

पर्पल फेस्ट 2024 केवल एक आयोजन से कहीं ज्यादा था; यह एक अधिक समावेशी समाज की दिशा में एक आंदोलन ही था, जो समावेशिता और विविधता के स्वर को प्रतिध्वनित करता था।

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