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स्वतंत्रता की ओट में सरकार देश की संस्कृति के अपमान को सहन नहीं करेगी- श्री अनुराग सिंह ठाकुर


केंद्रीय मंत्री ने ओटीटी प्लेटफार्मों को सरकारी सहायता देने का वादा किया, जिसका उद्देश्य सामाजिक मानदंडों का पालन करते हुए कंटेंट के जरिए उद्योग के विकास को बढ़ावा देना है

ओटीटी प्लेटफार्मों पर आधारित पुस्तक “ओवर द टॉप माया जाल” का आईजीएनसीए में विमोचन किया गया

Posted On: 09 FEB 2024 10:03PM by PIB Delhi

वरिष्ठ पत्रकार श्री अनंत विजय द्वारा लिखित पुस्तक ओवर द टॉप का मायाजालका विमोचन आज इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के समवेत सभागार में किया गया। इस पुस्तक का विमोचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने किया।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए, श्री अनुराग ठाकुर ने जिम्मेदारी और मनोरंजन के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के ओटीटी प्लेटफार्मों के साथ जारी संवाद पर जोर दिया। श्री ठाकुर ने स्वस्थ समाज के लिए स्वस्थ मनोरंजन के महत्व पर जोर दिया और स्व-नियमनकी अवधारणा का समर्थन किया। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि स्व-नियमन का पालन करने वालों को अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। श्री ठाकुर ने ओटीटी प्लेटफार्मों को सरकारी सहायता देने का वादा किया जिसका उद्देश्य सामाजिक मानदंडों का पालन करते हुए उद्योग के विकास को बढ़ावा देना है। उन्होंने स्व-नियमनके ओट में अभद्र या सांस्कृतिक रूप से असंवेदनशील कंटेंट परोसने के खिलाफ चेतावनी दी और ऐसे उल्लंघनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। श्री अनुराग ठाकुर ने स्पष्ट किया कि कलात्मक स्वतंत्रता को सामाजिक मूल्यों को कमजोर नहीं करना चाहिए या अश्लीलता को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।

पुस्तक विमोचन के दौरान, श्री सुनील आंबेकर ने लोकतंत्र की समावेशी प्रकृति और जानकारी पूर्ण चर्चा पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय भाषाओं और रचनात्मकता को बढ़ावा देने, बेवजह आलोचना के प्रति आगाह करने और जिम्मेदारी के साथ कंटेंट तैयार करने की हिमायत करने के लिए ओटीटी प्लेटफार्मों की सराहना की। श्री आंबेकर ने सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील मनोरंजन कंटेंट की आवश्यकता पर जोर देते हुए कला के उत्सवों की भूमि के रूप में भारत की स्थिति का भी उल्लेख किया। इसके अनुरूप, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मनोरंजन उद्योग सहित सामाजिक प्रस्तुति को धर्म और संस्कृति के मूल्यों के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने भारत में ओटीटी कंटेंट के निर्माण के माध्यम से क्षेत्रीय भाषाओं के महत्वपूर्ण विस्तार के बारे में बताते हुए कहा कि सकारात्मक सामाजिक चर्चाओं से बेहतर परिणाम मिलते हैं।

डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने अपने संबोधन के दौरान अनंत विजय की पुस्तक को बार-बार पढ़ने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने उपस्थित सभी पत्रकारिता के प्रोफेसरों से समाज पर संचार के कुछ तरीकों के हानिकारक प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए पुस्तक को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने का आग्रह किया। डॉ. जोशी ने ओटीटी प्लेटफार्मों के लिए नियामक उपायों पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. जोशी ने पुस्तक की समकालीन प्रासंगिकता को दोहराते हुए अपनी बात समाप्त की।

पुस्तक के लेखक श्री अनंत विजय ने ओटीटी प्लेटफार्मों के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं के संतुलित विवेचना पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय भाषाओं के विस्तार के बारे में पुस्तक के कवरेज का उल्लेख किया। इसके अलावा, ओटीटी प्लेटफार्म किस तरह से अशिष्ट कंटेंट को बढ़ावा दे रहे हैं, इस पर भी पुस्तक में चर्चा की गई है। श्री विजय ने इस तरह के अहम विषय पर पहली पुस्तक होने के महत्व पर जोर दिया। इस कार्यक्रम का संचालन प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार ने किया और समापन पीयूष कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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