संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सी-डॉट और भरतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की ने "6जी और उससे आगे के लिए 140 गीगा हर्ट्ज़ पूर्णतः एकीकृत ट्रांसमीटर और रिसीवर मॉड्यूल विकसित करने" के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए
यह प्रौद्योगिकी देश में स्वदेशी 6जी इकोसिस्टम के विकास के अनुरूप होगी
Posted On:
12 FEB 2024 7:18PM by PIB Delhi
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (डीओटी) के प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र सी-डॉट और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की (आईआईटी-आर) ने 6जी और उससे आगे" के लिए 140 गीगाहर्ट्ज पूरी तरह से एकीकृत ट्रांसमीटर और रिसीवर मॉड्यूल विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते पर भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) योजना के अंतर्गत हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसे प्रौद्योगिकी डिजाइन, विकास, दूरसंचार उत्पादों के व्यावसायीकरण और समाधानों में सम्म्लित घरेलू कंपनियों और संस्थानों को ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में किफायती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाएं सक्षम करने के लिए वित्त पोषण सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
"इस समझौते का उद्देश्य 6जी और उससे आगे के अनुप्रयोगों को सक्षम करने के लिए 140 गीगाहर्ट्ज पूरी तरह से एकीकृत ट्रांसमीटर और रिसीवर मॉड्यूल विकसित करना है। इस प्रणाली की नवीनता एक चिप पर टेराहर्ट्ज तरंगों के उत्पादन, ट्रांसमिशन और एंटीना एकीकरण में निहित है; जिससे सिस्टम के आकार में कमी आती है, वजन और बिजली की खपत कम होती है, इसलिए इसे स्मार्टफोन, लैपटॉप आदि जैसे पोर्टेबल उपकरणों में उपयोग के लिए उपयुक्त बनाया गया है। यह चिप प्रति सेकंड कई गीगाबाइट तक की डेटा दरों का समर्थन करेगी, जिससे चिप्स के साथ या बीच में उच्च गति डेटा ट्रांसफर सक्षम हो सकेगा।
इस कार्यक्रम की दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र (सी-डॉट) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. राजकुमार उपाध्याय; प्रोफेसर साई रामुडु मेका, एसोसिएट डीन (कॉरपोरेट इंटरेक्शन) और प्रोफेसर दर्शक भट्ट, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के सहायक प्रोफेसर ने शोभा बढाई। इसके अलावा, दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र (सी-डॉट) के निदेशक, डॉ. पंकज कुमार दलेला और सुश्री शिखा श्रीवास्तव भी समझौते पर हस्ताक्षर समारोह के दौरान उपस्थित थे।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के प्रतिनिधियों ने उल्लेख किया कि वे प्रधानमंत्री के विकासशील भारत@2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप अगली पीढ़ी की संचार प्रौद्योगिकियों के विकास में योगदान देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और अनुसंधान सहयोग के इस अवसर के लिए सी-डॉट को भी धन्यवाद दिया, जो दूरसंचार क्षेत्र में अनुसंधान क्षमताओं और बुनियादी ढांचे में वृद्धि को बढ़ावा देने के उद्देश्य को मजबूत करता है।
कार्यक्रम में बोलते हुए, दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र (सी-डॉट) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने कहा, “सिंगल चिप पर विकसित इस प्रौद्योगिकी से सिस्टम के आकार, वजन और बिजली की खपत में काफी कमी आएगी, जिससे यह 6जी उपकरणों में उपयोग के लिए उपयुक्त हो जाएगी। यह अल्ट्रा-लो लेटेंसी के साथ घरेलू 6जी समाधान/एप्लिकेशन बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।'' डॉ. उपाध्याय ने 'भारत 6जी मिशन' के व्यापक उद्देश्य को पूरा करने में स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित 6जी प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र (सी-डॉट) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-रुड़की ने दोहराया कि इस परियोजना के सफल समापन से अगली पीढ़ी के अल्ट्रा-फास्ट, कम-विलंबता वाले 6जी नेटवर्क के विकास में योगदान मिलेगा, जो विभिन्न उद्योग क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन में योगदान देगा।
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