कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
तिलहन और खाद्य तेल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम
Posted On:
09 FEB 2024 5:06PM by PIB Delhi
सरकार ने देश में ऑयल पाम और पेड़ों पर उगने वाले ऑयलसीड्स के तहत नौ तिलहन फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि और क्षेत्र विस्तार द्वारा खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 2018-19 से एक केंद्र प्रायोजित योजना -राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन- तिलहन और ऑयल पाम (एनएफएसएम-ओएस और ओपी) लागू की है। ।
एनएफएसएम- ऑयलसीड्स योजना के तहत तीन व्यापक हस्तक्षेपों के लिए राज्य सरकार के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहन/सब्सिडी प्रदान की जा रही है। (i)सीड कंपोनेंट जिसमें ब्रीडर बीजों की खरीद, आधार बीज और प्रमाणित बीजों का उत्पादन, प्रमाणित बीजों का वितरण, बीज मिनीकिट और बीज हब का वितरण शामिल है। (ii) उत्पादन इनपुट कंपोनेट में घंडारण डिब्बे, पौध संरक्षण (पीपी) उपकरण और बीज शामिल हैं। ड्रम, पीपी रसायनों का उपचार, जिप्सम/पाइराइट्स/चूने आदि का वितरण, न्यूक्लियर पॉलीहेड्रोसिस वायरस/जैव एजेंट, जैव-उर्वरक की आपूर्ति, उन्नत कृषि उपकरण, स्प्रिंकलर सेट, पानी ले जाने वाले पाइप, और (iii) क्लस्टर को कवर करने वाले टेक्नॉलजी कंपोनेंट का ट्रांसफर / ब्लॉक प्रदर्शन, फ्रंटलाइन प्रदर्शन, क्लस्टर फ्रंटलाइन प्रदर्शन और राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली और कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से प्रशिक्षण, किसान फील्ड स्कूल (एफएफएस) मोड के माध्यम से एकीकृत कीट प्रबंधन, किसानों का प्रशिक्षण, अधिकारियों / विस्तार कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण, आवश्यकता आधारित अनुसंधान एवं विकास परियोजना सहित फ्लेक्सी फंड के तहत सेमिनार/किसान मेला और तेल निकालने वाली इकाई।
अब, सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों और अंडमान और निकोबार पर विशेष ध्यान देने के साथ देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऑयल पाम की खेती को बढ़ावा देने के लिए 2021-22 में एक अलग मिशन यानी राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (ऑयल पाम) - एनएमईओ (ओपी) शुरू किया है। अंडमान और निकोबार में ऑयल पाम का क्षेत्रफल 2025-26 में 3.70 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 10.00 लाख हेक्टेयर किया जाएगा।
एनएफएसएम-तिलहन और एनएमईओ (ओपी) दोनों को तिलहन और तेल पाम के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाकर और आयात बोझ को कम करके खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से देश में लागू किया जा रहा है।
उपरोक्त के अलावा, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना- रफ्तार (आरकेवीवाई-रफ़्तार) तिलहन पर फसल उत्पादन संबंधी गतिविधियों के लिए प्रावधान प्रदान करती है। आरकेवीवाई-रफ़्तार के तहत, राज्य राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय मंजूरी समिति (एसएलएससी) की मंजूरी के साथ तिलहन पर कार्यक्रम भी लागू कर सकते हैं।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण 2024 के दौरान निम्नलिखित घोषणा की है: -
“2022 में घोषित योजना पर आगे बढ़ते हुए, सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों में‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए एक रणनीति तैयार की जाएगी। इसमें उच्च उपज देने वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाना, बाजार से जुड़ाव, खरीद, मूल्यवर्धन और फसल बीमा शामिल होगा।
सरकार के प्रयासों से खाद्य तेलों की आयात निर्भरता 2015-16 में 63.25% से कम होकर 2022-23 में 57.30% हो गई है और खाद्य तेल की कुल मांग में वृद्धि के बावजूद घरेलू उत्पादन 2015-16 में देश की कुल मांग का 36.75% से बढ़कर 2022-23 में 42.71% हो गया है।
भारत सरकार का कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय आगामी बुआई सीज़न से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ज़ैद, ख़रीफ़ और रबी के बुआई सीज़न से पहले कृषि अभियान पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करता है। इन सम्मेलन में बीजों से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की जाती है। पिछले तीन वर्षों में मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलनों का विवरण नीचे दिया गया है:
क्रमांक
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राष्ट्रीय सम्मेलन
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तारीख
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1.
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रबी-2023-24
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26.09.2023
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2.
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खरीफ-2023
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03.05.2023
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3.
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ज़ैद-2023
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20.02.2023
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4.
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रबी-2022-23
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07.09.2022
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5.
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खरीफ-2022
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19.04.2022
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6.
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ज़ैद-2022
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27.01.2022
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7.
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रबी-2021-22
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21.09.2021
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8.
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खरीफ-2021
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30.04.2021
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9
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ज़ैद-2021
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22.01.2021
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10
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रबी 2020-21
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21.09.2020
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11
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खरीफ-2020
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16.04.2020
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12
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ज़ैद-2020
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17.01.2020
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इन सम्मेलनों में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर कृषि से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है। इन सम्मेलनों के दौरान:-
- बीजों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बीज की आवश्यकता और उपलब्धता की समीक्षा की जाती है।
- विभिन्न फसलों की नई जारी उच्च उपज वाली किस्मों/बीजों को किसानों को समय पर उपलब्ध कराने के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई।
- जलवायु परिवर्तन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए स्ट्रेस टोलरेंट, जलवायु लचीली किस्मों को बढ़ावा देने की रणनीति पर चर्चा की गई। इसके अलावा, कुपोषण वाले क्षेत्रों में पोषण की कमी से निपटने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बायोफोर्टिफाइड किस्मों को शामिल करने पर भी चर्चा की गई है।
- राज्य सरकार द्वारा डायनेमिक बीज रोलिंग योजना की तैयारी पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है जिसमें विभिन्न फसलों की नई जारी की गई छोटी और मध्यम अवधि की उच्च उपज वाली किस्में शामिल हैं।
- किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने के लिए बीज कानून प्रवर्तन एजेंसियों, बीज प्रमाणीकरण एजेंसियों, बीज परीक्षण प्रयोगशालाओं की क्षमता निर्माण की योजना बनाई गई है।
- राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए नई जारी किस्मों, कृषि प्रदर्शन और जागरूकता कार्यक्रमों को लोकप्रिय बनाने की रणनीतियों पर चर्चा की गई।
यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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