कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
सरकार ने यूपीएससी, एसएससी आदि भर्ती परीक्षाओं और एनईईटी, जेईई और सीयूईटी जैसे प्रवेश परीक्षाओं में पेपर लीक, कदाचार के साथ-साथ संगठित अनाचार पर अंकुश लगाने के लिए लोकसभा में "सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024" नामक एक विधेयक प्रस्तुत किया
इस विधेयक का उद्देश्य ऐसे संगठित गिरोहों और संस्थानों को रोकना है जो मौद्रिक लाभ के लिए अनुचित तरीकों में शामिल हैं, लेकिन यह उम्मीदवारों को इसके प्रावधानों से बचाता है: डॉ. जितेंद्र सिंह
"ऑनलाइन और प्रौद्योगिकी आधारित परीक्षाओं के लिए विश्वसनीय (फूलप्रूफ) आईटी सुरक्षा प्रणाली विकसित करने के लिए प्रोटोकॉल विकसित करने हेतु सार्वजनिक परीक्षाओं पर उच्च स्तरीय राष्ट्रीय तकनीकी समिति की स्थापना की जाएगी": डॉ. जितेंद्र सिंह
Posted On:
05 FEB 2024 4:17PM by PIB Delhi
केंद्र ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) आदि भर्ती परीक्षाओं और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट - नीट- एनईईटी), संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन-जेईई) और संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (कॉमन युनिवेर्सिटी एंट्रेंस एग्जामिनेशन - सीयूईटी) जैसी प्रवेश परीक्षाओं में लीक, कदाचार के साथ-साथ संगठित कदाचार पर अंकुश लगाने के लिए आज लोकसभा में "सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024" नामक एक विधेयक पस्तुत किया।
विधेयक को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा सदन में प्रस्तुत किया गया था ।
"अनुचित साधन निवारण विधेयक, 2024" संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाओं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा आयोजित सभी कंप्यूटर-आधारित परीक्षाओं को भी समाहित (कवर) करेगाI
इस विधेयक में धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए न्यूनतम तीन से पांच वर्ष के कारावास के दंड का प्रस्ताव है और धोखाधड़ी के संगठित अपराधों में शामिल लोगों को पांच से 10 साल का कारावास और न्यूनतम 1 करोड़ रुपये का जुर्माना देना होगा।
विधेयक का उद्देश्य संगठित ऐसे गिरोहों और संस्थानों को रोकना है जो मौद्रिक लाभ के लिए अनुचित तरीकों में शामिल हैं, लेकिन यह उम्मीदवारों को इसके प्रावधानों से बचाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने विधेयक की आवश्यकता और महत्व के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्रश्नपत्रों के लीक होने और संगठित नकल के कारण परीक्षाएं रद्द होने से लाखों छात्रों के हित प्रभावित हुए हैं।
“हाल के दिनों में, कई राज्यों को असामाजिक, आपराधिक तत्वों द्वारा अपनाई गई अनुचित प्रथाओं और साधनों के प्रतिकूल प्रभाव के कारण अपनी सार्वजनिक परीक्षाओं के परिणाम रद्द करने पड़े या घोषित करने में असमर्थ रहे हैं। यदि इन अनुचित प्रथाओं को प्रभावी ढंग से अंकुश और रोक नहीं लगाईं गई तो इस देश के लाखों महत्वाकांक्षी युवाओं के भविष्य और करियर को खतरे में डालना जारी रहेगा। कई मामलों में, यह देखा गया है कि उनमे संगठित समूह और माफिया तत्व शामिल हैं। वे सॉल्वर गिरोह, परीक्षार्थी के स्थान पर दूसरे व्यक्ति से परीक्षा दिलवाने (प्रतिरूपण- इम्पर्सोनाइ) जेशन जैसे तरीकों का उपयोग करते हैं और पेपर लीक करवाने में लिप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य मुख्य रूप से इस तरह के जघन्य (नेफेरियस) तत्वों को रोकना है।''
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) मंत्री महोदय ने कहा कि वर्तमान में व्यक्तियों, संगठित समूहों, या किसी अन्य एजेंसी/संगठन द्वारा अपनाए गए अनुचित तरीकों या किए गए अपराधों से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई विशिष्ट ठोस कानून नहीं है यह स्थिति केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है ।
उन्होंने कहा कि “इसलिए, यह आवश्यक है कि परीक्षा प्रणाली के भीतर और बाहर दोनों ही तरह के तत्व, जो इन कमजोरियों का फायदा उठाते हैं, की पहचान की जाए और उनसे एक व्यापक केंद्रीय कानून के माध्यम से प्रभावी ढंग से निपटा जाए। ऐसे आपराधिक तत्वों को इन परीक्षाओं में बैठने वाले वास्तविक और ईमानदार युवाओं के जीवन और आशाओं के साथ खेलने से रोकने की आवश्यकता है ”।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, इसका उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षा प्रणालियों में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाने के साथ ही युवाओं को आश्वस्त करना है कि उनके ईमानदार और वास्तविक प्रयासों को उचित पुरस्कार मिलेगा और उनका भविष्य सुरक्षित है।
उन्होंने कहा, "इस विधेयक का उद्देश्य उन व्यक्तियों, संगठित समूहों या संस्थानों को प्रभावी ढंग से और कानूनी रूप से रोकना है जो विभिन्न अनुचित तरीकों में लिप्त हैं और मौद्रिक या गलत लाभ के लिए सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।"
हालाँकि, डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि विधेयक परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों को दंडात्मक प्रावधानों से बचाता है और वे परीक्षा संचालन प्राधिकरण की मौजूदा अनुचित साधन नीति के प्रावधानों के अंतर्गत ही शासित होंगे।
उन्होंने कहा कि “उम्मीदवार विधेयक के दायरे में कार्रवाई के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे और संबंधित सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण के मौजूदा प्रशासनिक प्रावधानों के अंतर्गत ही आते रहेंगे।”
कई परीक्षाओं के ऑनलाइन आयोजित होने और सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका को देखते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, सार्वजनिक परीक्षाओं पर एक उच्च स्तरीय राष्ट्रीय तकनीकी समिति स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया है जो डिजिटल प्लेटफॉर्म, अचूक आईटी सुरक्षा प्रणाली विकसित करने के तरीके और साधन तैयार करने, परीक्षा केंद्रों की व्यापक इलेक्ट्रॉनिक निगरानी सुनिश्चित करने और ऐसी परीक्षाओं के संचालन के लिए प्रयोग की जाने वाली सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और भौतिक बुनियादी ढांचे दोनों के लिए राष्ट्रीय मानक और सेवा स्तर तैयार करने के कार्य को हर प्रकार से सुरक्षित बनाने (इन्सुलेशन) के लिए प्रोटोकॉल विकसित करने पर ध्यान देगी।
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