वित्‍त मंत्रालय

भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर, भारत और अन्य देशों के लिए एक रणनीतिक और आर्थिक परिवर्तनकारी पहल


2014-23 के दौरान एफडीआई अंतर्प्रवाह 596 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा

‘पहले भारत का विकास’ की भावना से द्विपक्षीय निवेश संधियों पर की जा रही है वार्ता

Posted On: 01 FEB 2024 12:49PM by PIB Delhi

केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में अंतरिम बजट 2024-25 पेश करते हुए कहा कि हाल ही में घोषित भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर, भारत और अन्य देशों के लिए भी एक रणनीतिक और आर्थिक परिवर्तनकारी पहल है। संसद में अंतरिम बजट 2024-25 पेश करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों का उल्लेख किया जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा, “इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर आने वाले सैकड़ों वर्षों तक विश्व व्यापार का आधार बनने जा रहा है और इतिहास इस बात को हमेशा याद रखेगा कि इस कॉरिडोर का सूत्रपात भारत की धरती पर हुआ था।

वैश्विक संदर्भ का उल्लेख करते हुए, श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि भू-राजनैतिक दृष्टि से, वैश्विक मामले युद्धों और विवादों के कारण और अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। वैश्वीकरण, स्वदेश में और मित्र देशों के यहां उद्योग स्थापित करने, आपूर्ति श्रृंखलाओं के अस्त-व्यस्त होने और बिखरने तथा महत्वपूर्ण खनिजों एवं प्रौद्योगिकियों के लिए प्रतिस्पर्धा होने से पुनर्नियत हो रहा है। कोविड महामारी के बाद एक नई विश्व व्यवस्था उभर कर सामने आ रही है।

मंत्री महोदय ने कहा कि भारत ने दुनिया के लिए अत्यन्त मुश्किल समय के दौरान जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था उच्च मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दरें, निम्न विकास, अत्यधिक लोक ऋण, निम्न व्यापारिक विकास, और जलवायु संबंधी चुनौतियों से जूझ रही थी। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि महामारी ने दुनिया के लिए खाने-पीने, उर्वरक, ईंधन और वित्तीय साधनों का संकट उत्पन्न कर दिया था, जबकि भारत अपनी राह बनाने में सफल रहा। उन्होंने कहा कि देश ने आगे बढ़ने का रास्ता सुझाया और उन वैश्विक समस्याओं के समाधानों के लिए सहमति बनाई।

निवेश को प्रोत्साहन

मंत्री महोदय ने कहा कि 2014-23 के दौरान एफडीआई अंतर्प्रवाह 596 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा था। यह एफडीआई का स्वर्णिम युग है और यह 2005-14 के दौरान हुए एफडीआई अंतर्प्रवाह से दोगुना है। उन्होंने कहा कि सतत विदेशी निवेश को प्रोत्‍साहित करने के लिए हम अपने विदेशी साझेदारों के साथ ‘पहले भारत का विकास’ की भावना से द्विपक्षीय निवेश संधियों पर वार्ता कर रहे हैं।

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एनबी/एमजी/पीआर/आरपी/हिंदी इकाई/21



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