शहरी विकास मंत्रालय

प्रधानमंत्री की परिकल्पना ''वेस्ट टू वेल्थ'' के तहत उत्तर प्रदेश में बायोमास आधारित कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र का आज बदायूं में होगा उद्घाटन। आठ अन्य जिलों में इन संयंत्रों की स्थापना के लिए होगा शिलान्यास :योगी आदित्यनाथ

सीबीजी की स्थापना से बदायूं तथा अन्य आठ जिलों-सीतापुर, जौनपुर, बरेली, कन्नौज, कानपुर देहात, अमेठी, बहराईच एवं फतेहपुर में पर्यावरण में सुधार के साथ साथ किसान-आमदनी, रोजगार सृजन और निवेश में होगी बढोतरी:योगी आदित्यनाथ

Posted On: 27 JAN 2024 1:21PM by PIB Lucknow

उतर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास 5 कालीदास मार्ग पर संयुक्त प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि जनपद बदायूं में आज कम्प्रेस्ड बायोगैस  (सीबीजी) के एक नए प्लांट का उद्दघाटन होगा और राज्य के अन्य 8 जनपदों में (सीतापुर, जौनपुर, बरेली, कन्नौज, कानपुर देहात, अमेठी, बहराईच, फतेहपुर) के लिये संयत्र का शिलान्यास होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट प्रधानमंत्री की परिकल्पना वेस्ट टू वेल्थ का जीता-जागता प्रमाण है। इससे पर्यावरण भी स्वच्छ रहता है, किसानों की आय बढती है, रोजगार का सृजन होता है और निवेश के नए अवसर प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि नवंबर माह शुरु होते ही एनसीआर में जिस तरह से आम आदमी स्माग की मार झेलता है उस समस्या का भी समाधान ये सीबीजी प्लाट साबित हो सकते है। 


केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने पत्रकारों को बताया कि 2014 में एथेनाल या बायोफ्यूल ब्लेंडिंग में भारत की सफलता बहुत कम  थी .उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने 2004 और 2014 के बीच में  ये फैसला लिया था कि वो 10 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशो में 5 %  ब्लेंडिंग करेंगे लेकिन वह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका जबकि प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी ने लक्ष्य रखा कि नवंबर,2022 तक हम 10 प्रतिशत ब्लेंडिंग करेंगे यह लक्ष्य समय से पूर्व पांच महीने पहले ही हासिल कर लिया गया है। श्री पुरी ने कहा कि लक्ष्य प्राप्ति से उत्साहित सरकार ने 20230 तक  20 प्रतिशत ब्लेंडिंग  लक्ष्य को अब 2025 में ही हासिल करने का मन बना लिया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान मे भारत 12 प्रतिशत से ज्यादा बायोफ्यूल ब्लेंडिंग कर रहा है । उन्होंने कहा कि उतर प्रदेश में इस समय सीबीजी प्लांट के लिये कुल 37 जगह सरकार के द्वारा चिन्हित कर ली गयी है और आने वाले समय में उतर प्रदेश में कुल 100 कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र स्थापित किये जायेंगे। श्री पुरी ने कहा कि बीमारु राज्य उतर प्रदेश अब दुनिया भर में निवेशको की पहली पसंद बन गया है।

श्री पुरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की अर्थव्यवस्था से तीन गुना ज्यादा रफ्तार से बढ रही है। उन्होंने कहा कि भारत एक दिन में पाच मिलियन बैरल कच्चे तेल का इस्तेमाल कर रहा है और 6 करोड़ लोग हर रोज दोपहिया-चारपहिये वाहन में तेल डलवाते हैं इसलिये आवश्यक है कि अब हम बायोफ्यूल और कम्प्रेस्ड बायोगैस की तरफ जाये.

पत्रकारों को परियोजना का विवरण देते हुये केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि बदायूँ स्‍थित सीबीजी संयंत्र जो 50 एकड़ जमीन पर ,135 करोड़ के निवेश के साथ बनाया गया है कि की प्रोसेसिंग क्षमता 100 टन/दिन लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास है, जो लगभग 14 टीपीडी सीबीजी का उत्पादन करने के लिए डिजाइन की गई एक अभूतपूर्व पहल है। उन्होंने कहा कि परियोजना में कच्चे माल की प्राप्ति एवं भंडारण, सीबीजी प्रोसेस अनुभाग, संबंधित उपयोगिताएँ, सीबीजी कैस्केड फिलिंग शेड और ठोस खाद भंडारण और बैगिंग सुविधा शामिल हैं।

 पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव पंकज जैन ने पत्रकारों को बताया कि उतर प्रदेश सरकार के द्वारा 20 करोड़ का अनुदान, सस्ता जमीन और बिजली ,बायोगैस एग्रीगेशन मशीन पर विशेष अनुदान के कारण सीबीजी प्लांट के लिये उतर प्रदेश  निवेशको और सरकार की पहली पसंद है।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव: परियोजना का लक्ष्य स्थानीय किसानों और किसान उत्पादक संगठनों से बायोमास खरीदकर किसानों की आय को बढ़ाना है, जिससे 100 से अधिक लोगों को आजीविका के अवसर मिलेंगे। संयंत्र हजारों किसानों, ट्रांसपोर्टरों और कृषि मजदूरों को प्रत्यक्ष रूप से आजीविका के अवसर और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, किसानों को जैविक खाद की बिक्री का उद्देश्य मिट्टी की गुणवत्ता और फसल की पैदावार को बढ़ाना है, जिससे संधारणीय कृषि में योगदान मिलता है।

अनूठी विशेषताएं: सीबीजी उत्‍पादन की तकनीक का लाइसेंस मैसर्स प्राज इंडस्ट्रीज लिमिटेड, पुणे से प्राप्‍त किया गया और डाइजेस्टर का डिज़ाइन अधिकतम बायोगैस का उत्‍पादन करता है। संयंत्र की डिज़ाइन प्रदूषण के प्रति संवेदनशील है जिसे जीरो लिक्विड डिस्चार्ज कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि यह कोई तरल अपशिष्ट नहीं छोड़ता है। यह उर्वरक नियंत्रण आदेश द्वारा निर्धारित सख्त नियमों के अनुरूप है। 

पर्यावरणीय प्रभाव: सीबीजी, जो सीएनजी की तरह है, वाहनों के लिए एक स्वच्छ और नवीकरणीय ईंधन है। इस परियोजना से प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के आयात में कटौती करने, प्रदूषण को कम करने तथा जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों और स्वच्छ भारत मिशन में सकारात्मक योगदान देने की अपेक्षा की जाती है।

परियोजना लागत और समय-सीमा: सीबीजी संयंत्र को 133 करोड़ रुपए की लागत से मंजूरी दी गई थी और इसका यांत्रिक कार्य पूरा हो गया है। वर्तमान में इसके परीक्षण और प्रक्रिया को स्‍थिर करने पर काम चल रहा है।

संयंत्र में अपनी तरह की पहली फॉस्फेट रिच ऑर्गेनिक खाद (पीआरओएम) सुविधा भी है, जो पैमाने और डिजाइन में अद्वितीय है, ताकि कड़े उर्वरक नियंत्रण आदेश मानदंडों को पूरा करते हुए जैविक खाद का उत्पादन किया जा सके।

एचपीसीएल सीबीजी संयंत्र का उद्घाटन भारत की संधारणीय ऊर्जा के सफर में एक महत्वपूर्ण कदम है जो प्रधानमंत्री की भावी योजना के अनुरूप आसानी से ऊर्जा प्राप्त करने, इसका कुशलतापूर्वक उपयोग करने, इसे संधारणीय और सुरक्षित बनाने पर केंद्रित है।



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