उप राष्ट्रपति सचिवालय
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के स्थापना दिवस पर उपराष्ट्रपति के भाषण का पाठ
Posted On:
20 JAN 2024 3:56PM by PIB Delhi
मैं अन्नदाता को प्रणाम करता हूं, मैं अन्नदाता का सम्मान करता हूं, मैं अन्नदाता का अभिनंदन करता हूं!
किसान होना गर्व की बात है तो किसान का बेटा होना भी गर्व की बात है, मैं भी उनमें से एक हूं। किसान हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और वे रात-दिन अथक मेहनत से कृषि में योगदान देते हैं। उनका अभिनंदन! हमारी अर्थव्यवस्था अब दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसमें किसानों का योगदान बहुत बड़ा है।
बालक-बालिकाओं, आपके योगदान से किसान का ये योगदान और बढ़ेगा। आप कृषि का परिदृश्य बदल देंगे, आप कृषि अर्थव्यवस्था का परिदृश्य बदल देंगे, आप कृषि विपणन का परिदृश्य बदल देंगे, आप कृषि उपज के मूल्यवर्धन का परिदृश्य बदल देंगे और इसलिए अमृतकाल में भारत में एक उज्ज्वल भविष्य आपकी प्रतिक्षा में है।
आप विकसित भारत @2047 के निर्माण के प्रमुख हितधारक और सर्वाधिक प्रभावशाली सैनिक हैं और इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है। मैं आशावाद और विश्वास से पूर्ण हूं कि आप यह करेंगे।
किसान खुशहाल है तो देश खुशहाल है। किसानों के योगदान का गौरव देखिए कि अप्रैल, 2020 से इस देश के 80 करोड़ से अधिक लोगों को खाद्यान उपलब्ध कराया जा रहा है, खाद्य सुरक्षा दी गई है और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अगले 5 वर्षों के लिए भी यह संकेत दे दिया है। एक समय था जब हमें गेहूं आयात करना पड़ता था, अब हमारे किसान इतने सक्षम और समर्थ हैं।
इस दृष्टिकोण से मैं अपने युवा मित्रों, बालक-बालिकाओं से कहूंगा कि आपको कृषि अर्थव्यवस्था में एक नये अध्याय की शुरुआत करनी होगी। कृषि उपज सबसे बड़ा बाजार क्षेत्र है। मैं आपसे अपील करूंगा कि आप प्रभावशाली बनें, हमारे किसानों को प्रेरित करें कि उनके बच्चों को कृषि उपज का विपणन करना चाहिए। यदि किसान कृषि उपज के विपणन में शामिल होगा, तो किसान के बच्चे रोजगार की तलाश में नहीं होंगे, बल्कि वे रोजगार प्रदाता होंगे।
जब मैं चहुं ओर देखता हूं, तो आईआईटी, आईआईएम की शीर्ष वरिष्ठ सेवाओं के बहुत प्रतिभाशाली लोग दूध, सब्जियों, जैविक अनाज के विपणन में उतर रहे हैं। किसानों के बेटे, किसानों के बच्चे क्यों नहीं, जिन्हें जन्म से ही इससे निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है? उन्हें इसमें शामिल होना ही चाहिए। हमें कृषि उपज का मूल्यवर्धन करना सीखना चाहिए।
आज के दिन हालत यह है कि किसान दूध, दही, ज्यादा से ज्यादा छाछ, सब्जी और कृषि उत्पादों तक सीमित हैं। इनके जो वैल्यू एडिक्शन होते हैं, वह किसान नहीं कर रहे हैं। इसकी शुरुआत यहां से होनी चाहिए।
इतना बदलाव आ गया है कि ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग किसान का परिवार करे, सरकार ने सार्थक कदम उठाया है। लेकिन समाज को ऐसा करने के लिए प्रेरित करने के लिए आपको प्रशिक्षित, समझदार, बेहद योग्यता की जरूरत है और वह श्रेणी मेरे सामने है। आप लड़कों और लड़कियों में अपार क्षमताएं हैं। यदि आप सरकारी नीतियों को देखेंगे, स्टार्टअप से जुड़ेंगे, क्लस्टर बनाएंगे, नए सहकारी तंत्र और नीतियों का लाभ उठाएंगे। आप भंडारण में बड़े पैमाने पर संलग्न हैं।
भारत बदल रहा है, काफी गति से बदल रहा है आपके सहयोग की वजह से यह रफ्तार और तेज होगी।
किसान के लिए कृषि कोई व्यवसाय नहीं है, किसान के लिए कृषि आजीविका का विषय नहीं है, किसान के लिए कृषि समाज में योगदान देना है। क्योंकि जो अन्न देता है आपको, वह अन्नदाता होता है। हमें अपने किसानों का सदैव अभिनंदन करना है, हमें अपने किसानों को प्रेरित करना है। वे पहले से ही इसे अपना रहे हैं और मुझे बेहद खुशी और प्रसन्नता है कि जब सरकार ने प्रधानमंत्री किसान निधि योजना शुरू की, तो एक चुनौती यह थी कि किसानों को सीधे उनके खाते में पैसा कैसे मिलेगा? मुझे ये बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि देश के 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को साल में तीन बार उनके खाते में पैसे मिल रहे हैं। यह मेरे लिए गर्व की बात है इसलिए नहीं कि सरकार ऐसा करने में सक्षम है, बल्कि किसान इसे प्राप्त करने में सक्षम हैं और यही बड़ा परिवर्तन है।
जब हम पारिस्थितिकी, जलवायु परिवर्तन जैसी अन्य चुनौतियों का सामना करते हैं, तो मैं देश के प्रत्येक किसान से अपील करूंगा कि उन्हें बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करना चाहिए, किसानों को अपने पिछवाड़े में सब्जियां उगानी चाहिए, किसानों को तकनीकी रूप से उन्नत होना चाहिए और किसानों को इस पर ध्यान देना चाहिए। ऊर्जा के नए स्रोतों के लिए मुझे खुशी होती है जब मैं ग्रामीण इलाकों में जाता हूं और देखता हूं कि किसान बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं। किसान को ही दुनिया को संदेश देना है- जल बचाओ। क्योंकि किसान जल का सदुपयोग कर जल संरक्षण करते हैं।
बालक और बालिकाओं, मैं आपको बताता हूं तीन बातें जो भारत को पूरी तरह बदल चुकी हैं। हमारी सोच बदल गयी है। अब हम दुनिया में किसी के मोहताज नहीं हैं, हमने हमारी 5000 साल पुरानी संस्कृति को हमारे सामने रख दिया है। दुनिया ने उसे पहचान लिया है और यही कारण है कि आज का भारत जिस विकास से आगे जा रहा है, दुनिया की संस्थाएं क्या कह रही हैं - वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत चमकता सितारा है। यह आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है।
जिन देशों को हम देखते थे, हमारे सपने में वे आते थे…क्या कभी कनाडा, यूके, फ्रांस, जर्मनी, जापान, अमेरिका… वैसी व्यवस्था हमारी होगी। आज यह जमीनी हकीकत है, इसमें सबका प्रयास है। प्रत्येक भारतीय ने इसमें योगदान दिया है और सरकारी नीतियों ने इसे बढ़ाया है, कई पहलुओं में विश्व के लिए यह पठनीय विषय बन गया है।
हमारे लोगों ने जिस तरह से टेक्नोलॉजी को अपनाया है, ग्रहण किया है, हमारे जीवन को सार्थक बनाया है, इतना बड़ा सम्मान का विषय है कि डिजिटल ट्रांजैक्शन – यूएस, यूके, फ्रांस, जर्मनी में जो 1 साल में होते हैं, हमारे भारत में उन सबको मिला दो, उससे भी चार गुना ज्यादा होते हैं। ये हमारे भारत की उपलब्धि है।
भारत की युवा शक्ति का कोई मुकाबला नहीं है। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए और आपसे खासकर आग्रह करूंगा, छत्तीसगढ़ की भूमि पर, भारतीयता हमारी पहचान है और भारतीय होने पर हमें गर्व है। हमें अपनी अभूतपूर्व वृद्धि पर गर्व करना चाहिए और मैं आपसे कहूँगा किसी भी परिस्थिति में हताश मत होइए ... हारने के डर से, असफल होने के डर से, अगर आप किसी विचार को आगे नहीं बढ़ाएंगे, तो उसमें आपका नुकसान कम है, समाज का ज्यादा है।
मैं आपसे अपील करता हूं कि युवा बालक-बालिकाओं, आप पता लगाइये कि भारत सरकार की कितनी नीतियाँ हैं? सहकारिता विभाग ने क्या-क्या ढांचा बना रखा है? उनमें से कुछ अगर आप बदलाव का केंद्र बनेंगे, तो गाँव में क्रांति आयेगी।
मुझे वह दिन याद है जब 1989 में, मैं लोकसभा का सदस्य बना, केंद्र में मंत्री भी बना, अमूल तब बहुत बड़ा नाम था, आज भी है। प्रोफेसर कूरियन बहुत बड़े हैं, उनको बुलाया गया। प्रोफेसर कूरियन आए, हम लोकसभा के 4 सदस्य थे, जिनसे उनका साक्षात्कार होना था। मैं था, डॉक्टर नाथू सिंह गुर्जर, हरीश रावत थे, एक और थे वह हमसे ज्यादा प्रतिभाशाली थे नाम याद नहीं आ रहा है। जब कूरियन हमें बताने लगे तो उस समय के उप-प्रधानमंत्री ने कहा वर्गीज़ कुरियन तुम बहुत बड़े साइंटिस्ट हो पर इन्होने तो जन्म ही गांव में लिया है। इनका तो पैर गोबर में रहा है, इन्होने गाय और भैंस के थन देखे हैं, इन्होंने कुएँ से पानी निकलता देखा है, खेत में धौरे देखे हैं, कुछ इनसे भी सीखो... आप सब सिखाने लायक हो।
कृषि में जितने स्टार्टअप की संभावनाएँ हैं, मैं आपसे अपील करता हूं कि आप उन्हें अपनाओ। पैसे की कोई कमी नहीं आज की व्यवस्था में, आज नजर दौड़ाएंगे तो बड़े-बड़े उद्योग इसी मामले में जा रहे हैं… इस आकाश की कोई सीमा नहीं है।
आप एक काम मेरे कहने से करिये मेरी बातों पर गौर करके – आप समूह में आइये, आप अगर चाहेंगे और भारतीय संसद में ग्रुप्स में आएंगे, तो मैं आपके लिए संसद में एक अलग कार्यक्रम आयोजित करूंगा, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक संबोधित करेंगे।
और तब आपको पता लगेगा कि सृष्टि के निर्माण में सृष्टि के विकास में- भारत के ही नहीं सृष्टि के विकास में- आपका जो योगदान होगा वह अकल्पनीय है, अप्रत्याशित होगा। और यही वजह होगी, एक प्रमुख वजह कि भारत - विकसित भारत @2047 हमारे लिए सपना नहीं है, हमारा लक्ष्य है। हम लक्ष्य की ओर तीव्रता से जा रहे हैं। हम निश्चित पहुंचेंगे और यह स्थान हजारों साल पहले हमारे देश को मिला हुआ है।
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