मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला 17 जनवरी 2024 को पूसा, नई दिल्ली में हाइब्रिड मोड में मत्स्य पालन और जलीय कृषि बीमा पर राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे
केंद्रीय मंत्री लाभार्थियों को समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) के चेक भी वितरित करेंगे
सम्मेलन का उद्देश्य बीमा क्षेत्र के सभी हितधारकों को बीमा योजनाओं तक पहुंच बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच प्रदान करना है
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16 JAN 2024 1:37PM by PIB Delhi
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला कल (17 जनवरी 2024) पूसा, नई दिल्ली में हाइब्रिड मोड में मत्स्य पालन और जलीय कृषि बीमा पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। केंद्रीय मंत्री इस अवसर पर चिन्हित लाभार्थियों को समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) के चेक भी वितरित करेंगे। केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव के. बालियान, केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन और मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी भी इस मौके पर उपस्थित रहेंगे।
सम्मेलन का उद्देश्य बीमा क्षेत्र के सभी हितधारकों को मछुआरों और मछली किसानों के लिए बीमा योजनाओं और इसके लाभों तक पहुंच बढ़ाने, बीमा उत्पाद की पेशकश और प्रोत्साहन आदि पर नवाचारों को बढ़ावा देने के तरीकों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच प्रदान करना है। 300 से अधिक प्रतिभागियों के इस सम्मेलन में भाग लेने की आशा है, जिसमें नीति निर्माता, राज्य अधिकारी, शोधकर्ता, मछली किसान, एफएफपीओ/सीएस, मत्स्य पालन विश्वविद्यालय, बीमा कंपनियां, केवीके, वित्तीय संस्थान आदि शामिल हैं।
इस आयोजन के दौरान प्राप्त होने वाली अंतर्दृष्टि और सुझावों से बीमा क्षेत्र में कमियों को दूर करने, बीमा के माध्यम से अधिक जोखिमों को कम करने के लिए रणनीति तैयार करने, जलीय कृषि और पोत बीमा तक पहुंच का विस्तार करने, बाजार की आवश्यकताओं के अनुसार बीमा उत्पाद और सेवा नवाचार की सुविधा प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त करना, आगे की नीति समर्थन, सूक्ष्मबीमा की संभावना, त्वरित और परेशानी मुक्त दावा निपटान प्रक्रियाओं के लिए सुधार प्रक्रियाओं आदि को समझने का रास्ता प्रदान करने की उम्मीद है। यह सम्मेलन सर्वोत्तम प्रथाओं और नवीन विचारों आदि के आदान-प्रदान के लिए मत्स्य पालन बीमा में लगे हितधारकों के बीच सहयोग और भागीदारी को बढ़ावा देने का अवसर भी प्रदान करता है।
सम्मेलन में डीओएफ और राज्य मत्स्य पालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, उद्योग जगत से आने वाले विशेषज्ञ भी मौजूद रहेंगे। प्रसिद्ध प्रतिभागियों में खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई), सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिशवाटर एक्वाकल्चर (सीआईबीए), आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) और मत्स्यफेड, केरल जैसे प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस आयोजन में वित्तीय संस्थानों के साथ-साथ उन मछुआरों और मछली किसानों के साथ बातचीत शामिल है, जिन्होंने बीमा लाभ लिया है।
मत्स्य पालन भारतीय समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो जीविका, पोषण, रोजगार, आय और विदेशी मुद्रा प्रदान करता है। जमीनी स्तर पर 30 मिलियन से अधिक व्यक्तियों को शामिल करते हुए - मछली पकड़ने, मछली पालन, प्रसंस्करण, परिवहन, विपणन में लगे हुए लोग इसमें सम्मिलित हैं-, मत्स्य पालन क्षेत्र देश की समृद्धि और विकास का आधार बनता है। मत्स्य पालन एक ऐसा काम है जो विभिन्न आजीविका के अवसर प्रदान करता है, हालांकि प्राकृतिक आपदाओं और बाजारों के उतार-चढ़ाव से इसमें जोखिम भी भरा रहता है। यह इस क्षेत्र से जुड़े लाखों लोगों की आजीविका को प्रभावित करता है और इसलिए यह मजबूत सामाजिक सुरक्षा तथा नुकसान से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की मांग करता है। इस प्रकार, पीएमएमएसवाई के तहत, केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन बीमा योजनाएं पेश करते हैं और तैयार करते हैं।
2020-21 में पीएमएमएसवाई के अंतर्गत, सरकार मछुआरों, मछली श्रमिकों, मछली किसानों और मछली पकड़ने तथा मत्स्य पालन से संबंधित संबद्ध गतिविधियों में लगे 18 से 70 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों को बीमा की पेशकश करने के लिए एक लाभार्थी उन्मुख केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में एक समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) लेकर आई थी। यह योजना (जीएआईएस) पांच लाख रुपये का बीमा कवरेज आकस्मिक मृत्यु या स्थायी कुल विकलांगता (पीटीडी) के मामले में प्रदान करती है, स्थायी आंशिक विकलांगता (पीपीडी) के मामले में 2.50 लाख रुपये और आकस्मिक अस्पताल में भर्ती होने पर 25,000 रुपये का बीमा कवरेज प्रदान करती है। इस योजना में किसी लाभार्थी के योगदान की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि प्रीमियम पूरी तरह से केंद्र और संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा वित्त पोषित है। वर्तमान में, 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 34.15 लाख मछुआरे जीएआईएस के तहत नामांकित हैं, जिनकी कुल प्रीमियम राशि 32.16 करोड़ रुपये केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा वित्त पोषित है। 2021 से अब तक 31.11 करोड़ रुपये मूल्य के 631 दावों का निपटारा किया जा चुका है। जीएआईएस दावों का प्रबंधन मेसर्स ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (ओआईसीएल) के माध्यम से किया जाता है, जिसमें प्रोविडेंस इंडिया इंश्योरेंस ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड मध्यस्थ के रूप में काम करती है। राष्ट्रीय मत्स्य पालन विकास बोर्ड (एनएफडीबी) जीएआईएस को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी है, इसके प्रभावी प्रबंधन और निगरानी के लिए एनएफडीबी, हैदराबाद में एक बीमा सेल की स्थापना की गई है।
इसके अलावा, मछली पकड़ने में लगे पारंपरिक मछुआरों को अपने मछली पकड़ने वाले जहाजों के लिए बीमा कवर की आवश्यकता होती है, जो प्राकृतिक आपदाओं, नौवहन खतरों और पुराने बेड़े, नई प्रौद्योगिकियों आदि जैसे संभावित रखरखाव के मुद्दों के मामले में सेफ्टी नेट प्रदान करते हैं। एक्वाकल्चर किसानों को बीमारी के प्रकोप, मौसम की गंभीर परिस्थितियां और बाज़ार में अस्थिरता से संबंधित जोखिमों के मामले में सुरक्षा की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, मछुआरों और मछली किसानों की सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करने के लिए, पीएमएमएसवाई के तहत अन्य बीमा योजनाएं तैयार की गई हैं। प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण होने वाले नुकसान के लिए जलीय कृषि क्षेत्र में बीमा कवरेज को बढ़ावा देने के लिए, 2200 हेक्टेयर की सीमा तक एक्वा फसल बीमा (एसीआई) पर एक पायलट योजना कार्यान्वित की जा रही है। यह योजना (एसीआई) झींगा फसल (एल. वन्नामेई) और मछली फसल (कार्प्स) दोनों के लिए ना रोक पाने योग्य जोखिमों और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण उपज हानि के मामले में बेसिक कवरेज प्रदान करता है। एसीआई को लागू करने का एक महत्वपूर्ण परिणाम मछली उत्पादन के लिए बेहतर प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ाना देना, विस्तार और इसका अनुपालन होगा। दीर्घावधि में, इससे उत्पादकता, गुणवत्ता, मानकों के अनुपालन और उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीद की जाती है।
एसीआई के लिए, एनएफडीबी किसानों को बीमा प्रीमियम (जीएसटी को छोड़कर) में सामान्य श्रेणी के लिए 20 प्रतिशत और एससी/एसटी तथा महिला श्रेणी के लिए 30 प्रतिशत सहायता प्रदान करता है। एसीआई के दावों का प्रबंधन ओआईसीएल के माध्यम से किया जाता है, जिसमें यूनीलाइट इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करती है। अब तक, एनएफडीबी ने ओडिशा, असम, मध्य प्रदेश, गोवा, कर्नाटक और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी को 615 हेक्टेयर मछली की फसल और 414 हेक्टेयर झींगा फसल का बीमा करने के लिए 55.59 लाख रुपये की सहायता मुहैया कराई है। इसके अलावा, विशेष रूप से झींगा फसल के लिए बुनियादी और रोग कवरेज प्रदान करने वाला एक नया बीमा उत्पाद ओआईसीएल के माध्यम से तथा एलायंस इंश्योरेंस ब्रोकरों के सहयोग से आईसीएआर-सीआईबीए द्वारा तैयार किया गया है। यह उत्पाद किसान की आवश्यकता और उसके खेत के स्थान के अनुरूप 3.7 से 8.5 प्रतिशत तक की भिन्न-भिन्न प्रीमियम दरें प्रदान करता है। सरकार पीएमएमएसवाई के तहत मछली पकड़ने वाले जहाजों के लिए बीमा कवरेज भी शुरू कर रही है, ताकि हल, मशीनरी, मछली पकड़ने के जाल सहित सहायक उपकरण, टकराव देयता, कुल नुकसान, आंशिक नुकसान और प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान को कवर किया जा सके। मछली पकड़ने वाले जहाजों के लिए बीमा प्रीमियम अनुदान से संबंधित गतिविधियां पीएमएमएसवाई के केंद्र प्रायोजित योजना घटक का हिस्सा हैं, जिसमें सामान्य श्रेणी के लिए वार्षिक प्रीमियम राशि का 40 प्रतिशत और एससी/एसटी/महिला श्रेणियों के लिए 60 प्रतिशत तक का सरकारी अनुदान है।
उपरोक्त हस्तक्षेपों के साथ और बीमा क्षेत्र के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता को पहचानते हुए, मत्स्य पालन विभाग इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। आत्मनिर्भर और विकसित भारत के विजन से मार्गदर्शन लेते हुए, मत्स्य पालन विभाग बीमा क्षेत्र के भीतर नई चीजों को तलाशने और मौजूदा संरचनाओं को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह प्रयास मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास और इसकी समग्र वृद्धि के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के प्रति एकजुटता और प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
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एमजी/एआर/आईएम/एसके
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