मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

केंद्रीय मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला ने पश्चिम बंगाल में सागर परिक्रमा यात्रा चरण- XII का नेतृत्व किया


ग्यारह चरणों की सफल यात्रा के बाद सागर परिक्रमा चरण-XII पश्चिम बंगाल पहुंची

Posted On: 10 JAN 2024 7:01PM by PIB Delhi

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला ने पश्चिम बंगाल में सागर परिक्रमा चरण-XII का नेतृत्व किया। सागर परिक्रमा चरण-XII कार्यक्रम पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के दीघा में शुरू हुआ जहां श्री रूपाला ने लाभार्थियों के साथ बातचीत की। संयुक्त सचिव, मत्स्यपालन विभाग, श्रीमती नीतू कुमारी प्रसाद द्वारा एक परिचयात्मक भाषण दिया गया, जिसमें सागर परिक्रमा चरण-XII के बारे में जानकार दी गई। साथ ही, उन्होंने मछुआरों, मछुओं और मछली किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जैसी भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित योजनाओं के लाभों पर प्रकाश डाला।

 

 

कार्यक्रम के दौरान, लाभार्थियों ने डीजल सब्सिडी जैसी अपनी चिंताओं और चुनौतियों पर प्रकाश डाला। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सागर परिक्रमा का उद्देश्य लाभार्थियों से उनके दरवाजे पर संपर्क करना है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पीएमएमएसवाई योजना के तहत करीब 150 करोड़ रुपए राशि की योजनाएं स्वीकृत की गई है जिसमें हैचरी, सजावटी मछली इकाई, इंसुलेटेड वाहन, मछली चारा भोजन, दोपहिया वाहन, ऑटो रिक्शा आदि शामिल हैं। इससे जिले के लगभग 750 मछुआरों को लाभ मिला और लाभार्थियों को लगभग 16,000 केसीसी वितरित किए गए हैं। आगे उन्होंने बताया कि सामने रही चुनौतियों पर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

 

आगे बढ़ते हुए सागर परिक्रमा यात्रा चरण-XII शंकरपुर फिशिंग हार्बर पहुंची। केंद्रीय मंत्री (एफएएचडी) और अन्य सरकारी अधिकारियों ने लाभार्थियों के साथ बातचीत की। श्री रूपाला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शंकरपुर फिशिंग हार्बर के लिए लगभग 45 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की गई है। उन्होंने अपनी यह राय भी साझा की कि पीएमएमएसवाई योजना की गतिविधियों के संचालन से भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। पीएमएमएसवाई का लक्ष्य मत्स्य पालन के आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर मछली का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना है। लाभार्थियों ने अपनी सफलता की कहानियां साझा कीं और यह बताते हुए खुशी व्यक्त की कि उन्हें पीएमएमएसवाई योजना के तहत परिसंपत्तियों (जैसे आइसबॉक्स के साथ दोपहिया वाहन) से लाभ हुआ है।

 

आगे बढ़ते हुए, श्री परषोत्तम रूपाला और अन्य सरकारी अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल के पेटुआघाट फिशिंग हार्बर, बक्खाली और गंगा सागर जैसे विभिन्न तटीय क्षेत्रों में मछुआरों, मछुओं और मछली किसानों के साथ जमीनी स्तर पर बातचीत जारी रखी। केंद्रीय मंत्री ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ मत्स्य विकास के अवसरों को साझा किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पीएमएमएसवाई कार्यक्रम का भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र पर पर्याप्त प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने मछुआरों और मछली किसानों को अपने अनुभव साझा करने और मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास को बढ़ाने के लिए तंत्र का सुझाव देने के लिए धन्यवाद दिया।

 

 

इस अवसर पर राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी डॉ. एलएन मूर्ति एवं मछुआरा संघ और मछुआरा कल्याण, पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारी भी उपस्थित थे। लगभग 4,200 मछुआरों, विभिन्न मत्स्य हितधारकों, विद्वानों ने सागर परिक्रमा चरण-XII कार्यक्रम में भौतिक रूप से भाग लिया।

 

"सागर परिक्रमा" मछुआरों, मछली किसानों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए तटीय क्षेत्र में योजनाबद्ध परिवर्तनकारी यात्रा है। सागर परिक्रमा यात्रा के ग्यारह चरणों की सफल यात्रा के बाद सागर परिक्रमा चरण-XII पश्चिम बंगाल पहुंच गई है।

 

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एमजी/एआर/आरपी/केके



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