जल शक्ति मंत्रालय

वर्षान्त समीक्षा 2023 - जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय


वर्ष 2023 में, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत 38 परियोजनायें पूरी हुईं और 5,473 करोड़ रूपये की 45 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई

दुबई में दिसंबर 2023 में आयोजित सीओपी28 में भारत के नेत्त्व में ‘ग्लोबल सिटीज़ अलायंस’ की शुरूआत

राष्ट्रीय जल मिशन का जल शक्ति अभियानः ‘कैच द रेन 2023’ अभियान के अच्छे परिणाम मिले, 10,59,816 जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन संरचनाओं, 5,88,816 पुनःउपयोग और पुनर्भरण संरचनाओं और 12,41,245 जल संभरण विकास संरचनाओं का सृजन, 2,53,951 परंपरागत जल निकायों की मरम्मत और 661 जल शक्ति केन्द्रों की स्थापना

जल उपयोग दक्षता ब्यूरो के तहत गठित कार्यबल ने 14.08.2023 को सौंपी रिपोर्ट, कार्यबल की रिपोर्ट के आधार पर अगले दो साल के लिये कार्रवाई योजना मसौदा तैयार

8वें भारत जल सप्ताह 2024 का नयी दिल्ली के प्रगति मैदान में 17 से 21 सितंबर 2024 को ‘‘समावेषी जल विकास और प्रबंधन के लिये भागीदारी और सहयोग’’ विषयवस्तु के साथ होगा आयोजन

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना - हर खेत को पानी के तहत 29,777 कुओं का निर्माण, 87,243 हेक्टेयर कमांड एरिया सृजित और 67,902 लघु और सीमांत किसानों को लाभ

भारत गतिशील भूजल संसाधन आकलन रिपोर्ट 2023, के अनुसार देश में कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण 449.08 बिलियन क्यूबिक मीटर रहा, वहीं वार्षिक निष्कर्षण योग्य भूजल संसाधन आकलन 407.21 बीसीएम रहा, इसके समक्ष वार्षिक भूजल निष्कर्षण 241.34 बीसीएम ही रहा

Posted On: 04 JAN 2024 4:15PM by PIB Delhi

जल शक्ति मंत्रालय का जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग भारत को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना के अनुरूप एक ‘जल सुरक्षित देश’ बनाने के विजन और मिशन को पूरा करने के लिये लगातार प्रयास में लगा हुआ है। जल शक्ति मंत्रालय 2019 में पानी से जुड़े सभी विभागों और संगठनों को एक मंत्रालय के तहत लाकर बनाया गया। तभी से मंत्रालय देशभर में उपलब्ध बेशकीमती और दुर्लभ जल संसाधनों का ईष्टतम ढंग से उपयोग सुनिश्चित करते हुये भारत को ‘जल सुरक्षित देश’ बनाने की दिशा में केन्द्रित रणनीति लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्ष 2023 के दौरान जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने कई नई पहलें कीं और उल्लेखनीय परिणाम/पड़ाव हासिल किये। विभाग की 2023 की कुछ प्रमुख उपलब्धियां नीचे दी जा रही हैं।

 

1. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी)

वर्ष 2023 के दौरान राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत 38 परियोजनाओं को पूरा किया गया, जिन्हें मिलाकर मिशन के तहत अब तक कुल 270 परियोजनायें पूरी हो चुकीं हैं। इसके अलावा 5,473 करोड़ रूपये की 45 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, इस प्रकार मिशन के तहत कुल मिलाकर 38,385 करोड़ रूपये लागत की कुल मिलाकर 454 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। जनवरी से दिसंबर 2023 के बीच सीवरेज अवसंरचना के तहत 938 एमएलडी (मिलियन लीटर/प्रतिदिन) सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता सृजन/पुनर्वास के लिये 21 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। समान अवधि में ही 821 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता वाली 10 परियोजनाओं को पूरा किया गया। अब तक गंगा बेसिन में 6,208 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता का सृजन और 5,272 किलोमीटर सीवर नेटवर्क बिछाने के लिये 197 सीवेज अवसंरचना परियोजनाओं को अनुमति दी जा चुकी है।

संयुक्त अरब अमीरात, दुबई में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी28 में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की अगुवाई में ‘दि ग्लोबल रिवर सिटीज़ अलायंस (जीआरसीए) की शुरूआत की गई। यह गठबंधन भारत, मिस्र, नीदरलैंड, डनमार्क, धाना, आस्ट्रेलिया, भूटान, कंबोडिया, जापान और नीदरलैंड से नदियों के शहर हेग (डेन हाग), आस्ट्रेलिया से एडीलेड और हंगरी का स्जोलनोक और अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण एजेंसियां विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी), एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एआईआईबी) और केपीएमजी जैसे ज्ञान प्रबंधन संस्थान इस भागीदारी में शामिल हुये हैं जिससे एनएमसीजी द्वारा राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) के साथ मिलकर 2021 में बनाई गई मौजूदा रिवर सिटीज अलायंस (आरसीए) की पहुंच को व्यापक विस्तार दिया है। जीआरसीए 11 देशों में फैले 275 से अधिक वैश्विक नदी शहरों, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों और ज्ञान प्रबंधन भागीदारी वाला दुनिया में अपनी तरह का विशिष्ट गठबंधन है।

एनएमसीजी की 2023 की उपलब्धियों के बारे में अधिक जानकारी के लिये यहां क्लिक करें -Click Here for further details on achievements of NMCG during 2023

 

2. राष्ट्रीय जल मिशन (एनडब्ल्यूएम)

(।) ‘‘जल शक्ति अभियान- कैच दि रेन (जेएसएःसीटीआर)’’ अभियान 2023 : पानी के प्रति सजगता बढ़ाने और पिछले सालों के दौरान चलाये गये जलशक्ति अभियानों की सफलता को देखते हुये भारत के राष्ट्रपति ने 04.03.2023 को ‘पेयजल स्रोत निरंतरता’ विषयवस्तु पर ‘‘जल शक्ति अभियानः कैच दि रेन- 2023’’ के चैथे चरण की शुरूआत की। जेएसए-सीटीआर- 2023 अभियान के तहत केन्द्रित हस्तक्षेप वाली एकीकरण गतिविधियों में - (1) जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन, (2) सभी जल निकायों की गणना, जियो-टैगिंग और भंडारण करना, जल संरक्षण पर आधारित वैज्ञानिक योजना की तैयारी, (3) सभी जिलों में जल शक्ति केन्द्रों की स्थापना, (4) निरंतर वनीकरण और (5) जागरूकता बढ़ाना शामिल है। जेएसएःसीटीआर अभियान के तहत विभिन्न हितधारकों द्वारा 04 मार्च 2023 से लेकर 28 दिसंबर 2023 तक जेएसएःसीटीआर पोर्टल (www.jsactr.mowr.nic.in) पर अपलोड की गई जानकारी के मुताबिक कुल मिलाकर 10,59,816 जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन संरचनायें बनाई/निर्माणाधीन हैं, 2,53,951 परंपरागत जल निकायों की मरम्मत कर ली गई अथवा कार्य जारी, 5,88,816 पुनः इस्तेमाल और रिचार्ज संरचनाओं को या तो पूर कर लिया गया अथवा कार्य जारी है और 12,41,245 जल संभरण विकास संरचनायें पूरी कर ली गईं अथवा काम जारी है। इसके अलावा अभियान के तहत 6,63,63,155 वनीकरण गतिविधियों को चला गया। 661 जल शक्ति केन्द्र स्थापित किये गये। इसके अलावा देशभर में अब तक जिलों में 520 जिला जल संरक्षण योजनायें तैयार की गईं।

 

(।।) जल उपयोग दक्षता ब्यूरो (बीडब्ल्यूयूई) की स्थापनाः राष्ट्रीय जल मिशन (एनडब्ल्यूएम) के एक लक्ष्य, यानी जल उपयोग दक्षता में 20 प्रतिशत सुधार लाना, को हासिल करने के लिये मिशन मोड में काम करने के वास्ते अक्टूबर 2022 में एनडब्ल्यूएम के तहत एक समर्पित संगठन जल उपयोग दक्षता ब्यूरो (बीडब्ल्यूयूई) की स्थापना की गई। बीडब्ल्यूयूई देश में सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, विद्युत उत्पादन, उद्योग आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में जल उपयोग दक्षता को बढ़ावा देने का काम करेगा जिससे कि सिंचाई, उद्योगों और घरेलू क्षेत्रों में पानी का दक्षतापूर्ण ढंग से इस्तेमाल करने को नियमन, संवर्धन और नियंत्रण किया जायेगा। ब्यूरो कार्यों के क्रियान्वयन के लिये रूपरेखा तेयार करने और उपर उल्लिखित उद्देश्यों को एक समयसीमा के भीतर हासिल करने के लिये दिनांक 19.01.2023 के कार्यालय आदेश के जरिये डा. अलोक सिक्का की अध्यक्षता में एक कार्य बल का गठन किया गया। कार्यबल भारत में सभी क्षेत्रों में निगरानी और जल उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिये - प्रौद्योगिकीय, सामाजिक, संस्थागत और नीतिगत (भागीदारी के तहत) अल्प और दीर्धकालिक रणनीतिक रूपरेखा और रोड़मैप उपलब्ध कराने के लिये बनाया गया। कार्य बल में प्रमुख मंत्रालयों/विभागों, चुनींदा राज्य सरकारो, आईसीएआर, एफएओ, विश्व बैंक, एडीबी, फिक्की, एसोचैम आदि के प्रतिनिधि सदस्य के तौर पर शामिल थे। कार्यबल ने 14.08.2023 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी और उसके बाद 25.10.2023 को अतिरिक्त भाग 6 और 7 भी सौंपे। इसके बाद कार्यबल की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों/निष्कर्षों के आधार पर मौजूदा बीडब्ल्यूयूई के लिये अगले दो साल के लिये मसौदा कार्रवाई योजना तैयार की गई जिसे मंत्रालयों/विभागों/संगठनों को उनके मूल्यवान सुझावों/विचारों/टिप्पणी के लिये वितरित किया गया।

 

3. राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए): नदी जोड़ो परियोजना

भारत सरकार द्वारा तैयार राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के तहत व्यवहार्यता रिपोर्ट (एफआर) तैयार करने के लिये राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी ने 30 अंतर-बेसिन जल स्थानांतरण लिंक (16 प्रायद्वीपीय और 14 हिमालयी घटक) की पहचान की है। एनडब्ल्यूडीए केन-बेतवा लिंक परियोजना सहित छह प्राथमिक लिंक परियोजनाओं को लागू करने के लिये इनसे संबंधित राज्यों के बीच आम सहमति बनाने के लिये गंभीर प्रयास कर रही है। नदियों को जोड़ने वाली 11 परियोजनाओं के लिये विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर), 24 लिंक के लिये व्यवहार्यता रिपोर्ट और सभी 30 लिंक के लिये व्यवहार्यता-पूर्व रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। मानस-संकसोह-तीस्ता-गंगा (एमएसटीजी) लिंक, गंगा-दामोदर- सुबेरनरेखा लिंक, सुबेरनरेखा- महानदी लिंक और फरक्का- सुदरबंन लिंक इन चार नदी जोड़ों परियोजनाओं के लिये प्रणाली अध्ययन शुरू कर दिया गया है और इन चार लिंक का यह कार्य क्रमशः आईआईटी, गुवाहटी, एनआईटी पटना, एनआईटी वारंगल और एनआईएच रूड़की को दिया गया है। सभी चारों संस्थानों ने जून 2023 में इन परियोजनाओं की शुरूआत रिपोर्ट सौंप दी है। महानदी- गोदावरी लिंक का प्रणाली अध्ययन एनआईएच, रूड़की ने पूरा कर लिया और इसकी अंतिम रिपोर्ट मई 2023 में सौंपी जा चुकी है। वहीं दक्षिणी लिंक के प्रणाली अध्ययनों के लिये भी कार्य देने की शुरूआत हो चुकी है।

केन- बेतवा- लिंक परियोजना (केबीएलपी): यह पहली नदी जोड़ो परियोजना है जिसका 44,605 करोड़ रूपये (वर्ष 2020-21 के मूल्यानुसार) की अनुमानित लागत से क्रियान्वयन शुरू किया गया है। इसमें एक विशेष उद्देशीय निकाय यानी ‘केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट अथारिटी’ (केबीएलपीए) के जरिये 39,317 करोड़ रूपये का केन्द्रीय समर्थन दिया जा रहा है। यह परियोजना पानी की कमी वाले बंुदेलखंड क्षेत्र के लिये काफी लाभप्रद होगी। परियोजना का विस्तार मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के क्रमशः पन्ना, टीकमगढ़, छत्तरपुर, सागरदामोह, दतिया, विदिशा, शिवपुर एवं रायसेन और बांदा, महोबा, झांसी एवं ललितपुर जिलों तक होगा।

पन्ना और छत्तरपुर जिलों में दौधन डैम के लिये 22 गांवों के मामले में पीटीआर हस्तांतरण के लिये राजस्व भूमि हस्तांतरण और पानी के डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों के मामले में भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की धारा 19 और धारा 11 के तहत अधिसूचित कर दिया गया है। 21 गांवों के मामले में निजी भूमि अधिग्रहण के लिये भूमि अधिग्रहण अधिनिर्णय जारी कर दिया गया है। पीटीआर को अनुपूरक वनीकरण के लिये कुल 6017 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरण आवश्यकता के बदले 4901 हेक्टेयर सरकारी गैर-वन भूमि को पीटीआर के पक्ष में परिवर्तित कर दिया गया है। केबीएलपी के विकास के लिये 6017.00 हेक्टेयर वन भूमि उपलब्ध कराने के लिये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 03.10.2023 को स्टेज-।। वन मंजूरी दे दी गई। पिलानी और बांदा बैराज की डीपीआर अंतिम चरण में है। इसके साथ ही महोबा जिले में पड़ने वाले टैंक की डीपीआर और उत्तर प्रदेश के केन कैनाल सिस्टम की मरम्मत और आधुनिकीकरण के लिये डीपीआर को अंतिम रूप दिया जा चुका है। दौधम बांध के लिये निविदा दस्तावेज सीपीपी पोर्टल पर 11.08.2023 को डाल दिये गये और इसमें बोली लगाने की अंतिम तिथि 18.01.2024 है। मध्य प्रदेश का नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण और रानी दर्गावती वन्यजीव अभ्यारण और उत्तर प्रदेश के रानीपुर वन्यजीव अभ्यारण को प्रोजैक्ट टाइगर के तहत लाने के लिये राज्य सरकार ने मंजूरी दी है। ग्रेटर पन्ना टाइगर रिजर्व के लिये एकीकृत परिदृश्य प्रबंधन योजना (आईएलएमपी) की अंतिम रिपोर्ट को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव ने 02.06.2022 को जारी कर दिया। आईएलएमपी को सुनियोजित तरीके से लागू करने के लिये मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव के तहत ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप काउंसिल (जीपीएलसी) का गठन किया गया। इसकी पहली बैठक 05.09.2023 को हुई। वहीं केबीएलपीए के कार्यालय भोपाल, झांसी, पन्ना और छत्तरपुर में खोल दिये गये हैं। प्राधिकरण के लिये नियमित आधार पर सीईओ/एसीईओ तैनाती की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। परियोजना प्रबंधन सलाहकार फर्म (पीएमसी) को शामिल करने की प्रक्रिया चल रही है। योग्य फर्मों को छांट लिया गया है और आरएफपी जल्द जारी कर दी जायेगी। परियोजना पर काम शुरू करने के लिये केबीएलपीए की मदद करने के लिये एक परियोजना प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) की सेवायें लेने का प्रस्ताव है और इसके लिये एक सलाहकार मूल्यांकन समिति (सीईसी) गठित की गई है जिसने इसके लिये जरूरी तौर तरीके तैयार कर लिये हैं। परियोजना को मार्च 2030 तक आठ साल में पूरा करने की योजना है।

राज्यों को संशोधित पीकेसी लिंक, पीएफआर वितरित कर दिया गया और डीपीआर को अंतिम रूप देने तथा दो राज्यों के बीच एमओयू हस्ताक्षर के लिये आम सहमति बनाने की प्रक्रिया जारी है।

गोदावरी-कावेरी लिंक, मामले में बेदती-वर्दा लिंक (524 एमसीएम) में अनुपूरकता के साथ गोदावरी से 4189 एमसीएम पानी स्थानांतरित करने का संशोधित प्रस्ताव एनडब्ल्यूडीए ने अघ्ययन कर लिया है।

8वां भारत जल सप्ताह 2024: भारत जल सप्ताह (आईडब्ल्यूडब्ल्यू) - 2024 प्रगति मैदान, नयी दिल्ली में 17 से 21 सितंबर 2024 के दौरान आयोजित करने का प्रस्ताव है। कार्यक्रम के आयोजन के लिये आयोजन समिति और तकनीकी समिति का गठन कर लिया गया है। आयोजन समिति की पहली बैठक 24 नवंबर 2023 को हो चुकी है। वहीं, तकनीकी समिति की पहली बैठक 30 नवंबर 2023 को हुई। आईडब्ल्यूडब्ल्यू 2024 की विषयवस्तु और प्रतीक चिन्ह को लेकर निर्णय हो चुका है। 8वें आईडब्ल्यूडब्ल्यू की विषयवस्तु है ‘‘समावेशी जल विकास और प्रबंधन के लिये भागीदारी और सहयोग।’’ केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंन्द्र सिंह शेखावत ने 8वें भारत जल सप्ताह 2024 की शुरूआत करते हुये 14.12.2023 को इसकी वेबसाइट का उद्घाटन किया।

 

4. केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी)

(क). सीडब्ल्यूसी ने 2023 में आंतरिक तौर पर दूर संवेदी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुये जल भंडारों में अवसादन आकलन अध्ययन किया। यह इन-हाउस अध्ययन (आप्टिकल डेटा के बजाय) माइक्रोवेव डेटा का इस्तेमाल करते हुये किया गया। माइक्रोवेव डेटा का इस्तेमाल करने से यह फायदा होता है कि बादल लगे होने की स्थिति में भी आकृति प्रभावित नहीं होती है और हमें मानसून के मौसम में भी एफआरएल के निकट चित्र प्राप्त होता है, जो कि आम तौर पर आप्टिकल प्रतिकृति में मुश्किल होता है, खासतौर से जब जल भंडार पूरी तरह भरे होते हैं और ज्यादातर समय यहां मानसून होता है और बादल लगे होते हैं। आंतरिक तौर पर किये गये अध्ययन के अलावा, भारत के सभी प्रमुख नदी बेसिनों को कवर करते हुये 40 जलाशयों के बैच का बाहरी स्रोत के जरिये अध्ययन कराया गया जिसमें 31 जलाशयों को व्यवहार्य पाया गया। इन जलाशयों को लेकर अंतिम आकलन प्रगति पर है।

(ख). बुराई मध्यम सिंचाई परियोजना, असम, बुरीसुती मध्यम सिंचाई परियोजना, असम, मेबो, अरूणाचल प्रदेश मध्यम सिंचाई योजना और काया वैल्ली, अरूणाचल प्रदेश लघु सिंचाई परियोजना के पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर अध्ययनों को व्यवहार्यता-पूर्व रिपोर्ट (पीएफआर) के स्तर पर 2023 के दौरान भलीभांति जांच लिया गया। 10 परियोजनाओं में परियोजना पूरी होने के बाद किये गये पर्यावरण प्रभाव आकलन अध्ययनों में प्राप्त अनुभवों के आधार पर ‘‘कार्य संपन्न जल संसाधन परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अध्ययनों’’ और ‘‘कार्य संपन्न जल संसाधन परियोजनाओं के त्वरित पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अध्ययनों’’ के लिये दिशानिर्देश तैयार किये जा रहे हैं।

(ग). उकाई, तावा और पूर्वी कोशी कैनाल इन तीन परियोजनाओं में परियोजना-बाद पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अध्ययन 2022 में पूरा कर लिया गया। वहीं श्रीसेलम और नागार्जुन सागर जलाशयों के लिये केडब्ल्यूडीटी-1 निर्णय, टीएसी मंजूरी नोट और अंतरराज्य समझौतों के अनुरूप जलाशय परिचालन नियम स्तर तैयार कर लिये गये हैं।

(घ). आंध्र प्रदेश सरकार, सीडब्ल्यूसी और आईसीआईडी की भागीदारी में 25वीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस और आईसीआईडी की 74वीं आईईसी बैठक का विशाखापत्तनम (विजा़ग), आंध्र प्रदेश में 2 - 8 नवंबर 2023 तक आयोजन किया गया। इसके साथ ही करीब छह दशक बाद इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम की भारत में वापसी हुई। अंतरराष्ट्रीय सिंचाई एवं जल निकासी आयोग (आईसीआईडी) कांग्रेस और आईईसी में 45 देशों के 1,200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 25वी आईसीआईडी कांग्रेस का केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री, भारत सरकार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने एन डी गुलाटी स्मारक व्याख्यान में शरूआती संबोधन किया। 25वीं आईसीआईडी कांग्रेस की विषयवस्तु ‘कृषि में पानी की कमी से निपटना’ थी और इस मुद्दे के समाधान को लेकर विस्तृत चर्चा हुई।

(ड). आईएनसीआईडी जो कि भारत कीं सिंचाई और जल निकासी आयोग इकाई है ने विश्व धरोहर सिंचाई संरचना (डब्ल्यूएचआईएस) पुरस्कार सहित आईसीआईडी के लिये वार्षिक पुरस्कार नामांकन आमंत्रित किये और उनका प्रसंस्करण किया। चार नामांकन की जांच परख कर उन्हें डब्ल्यूएचआईएस-2023 के लिये विचार करने को आईसीआईडी को भेज दिया। इस साल भी भारत ने सबसे ज्यादा चार डब्ल्यूएचआईएस पुरस्कार -- प्रकाशम बैरेज - आंध्र प्रदेश, श्रीवेकुंठम अनीकट - तमिल नाडु, बालिदिहा सिंचाई परियोजना - ओडीशा, जयमंगला अनिकट -ओडिशा - नामक परियोजनाओं पर जीते हैं।

(च). भारत- डेनमार्क सहयोग: परियोजना समीक्षा समिति (पीआरसी) की दो बैठकें और संयुक्त संचालन समिति (जेएससी) की एक बैठक 2023 में हुई जिसमें आईआईटी- बीएचयू और सीडब्ल्यूसी द्वारा सौंपे गये विभिन्न प्रस्तावों पर चर्चा हुई। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू), वाराणसी में एसएलसीआर के लिये सचिवालय स्थापित किया गया। इसके तहत भारत/डेनमार्क में कई अध्ययन यात्रायें, कार्यशालायें और दौरे आयोजित हुये।

(छ). सीडब्ल्यूसी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के साथ 25.05.2023 को एक सहमति ज्ञापन समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये। समझौते का मकसद नमामि गंगे कार्यक्रम के दायरे में नदी प्रदूषण की प्रभावी निगरानी के लिये सीडब्ल्यूसी प्रौद्योगिकीय हस्तक्षेप के जरिये नदी और सतही जल प्रणाली का कायाकल्प करने को जल प्रदूषण निगरानी व्यवहारों के प्रबंधन से जुड़े विषय में खोज करना है।

- केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) और केन्द्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के बीच जल गुणवत्ता परीक्षण के लिये सहयोगात्मक ढांचा स्थापित करने के उद्देश्य से 30.08.2023 को एक आपसी सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये। इससे संसाधनों के दक्षतापूर्ण उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।

- सीडब्ल्यूसी और बिहार जल संसाधन विभाग के बीच भी 01.09.2023 को एक एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये जिसके तहत हाइड्रो मेट्रोलाजिकल डेटा साझा करने पर सहमति हुई। यह बाढ़ को लेकर सटीक अनुमान लगाने में सहायक होगा।

- सीडब्ल्यूसी के तहत आने वाले प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान राष्ट्रीय जल अकादमी (एनडब्ल्यूए) और महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्थापित ‘महाराष्ट्र इंजीनियरिंग प्रशिक्षण अकादमी’ के बीच जन जागरण और शिक्षा, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण आदि के क्षेत्र में सहयोग करने को लेकर 08.09.2023 को एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये।

(ज) सिंचाई आधुनिकीकरण कार्यक्रम को समर्थन (एसआईएमपी): केन्द्रीय जल आयोग, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने सिंचाई आधुनिकीकरण कार्यक्रम के लिये समर्थन पहल शुरू की जिसमें देश की प्रमुख/मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की तकनीकी सहायता से आधुनिकीकरण किया जायेगा। यह एसआईएमपी चार चरणों में करने का प्रस्ताव है। इन पहचान की गई परियोजनाओं की मौजूदा स्थिति का आकलन करने के लिये परियोजनाओं में बैंचमार्किंग और आधुनिकीकरण विकल्पों के लिये दिसंबर 2022 से मार्च 2023 तक कार्यशालाओं का आयोजन किया गया और तैयार दस्तावेजों को परियोजना अधिकारियों के साथ साझा किया गया। इन परियोजनाओं का विवरण और आईएमपी पूरा होने की तिथि नीचे सारिणी में दी गई है।

पहले-चरण में चयनित परियोजनायें और आईएमपी तैयारी कार्यक्रम

 

क्र.सं.

उप-परियोजना

राज्य

सीसीए (हेक्टेयर)

रैप-मैस्कॉट कार्यशाला आयोजित की गई

आईएमपी पूरा होने की तिथि

1

लोहारू नहर

हरियाणा

130,000

23 मार्च

जून 2023

2

वाणीविलाससागर

कर्नाटक

13,000

22 दिसम्बर

अगस्त 2023

3

पालखेड़ लेफट बैंक कैनल

महाराष्ट्र

61,230

23 जनवरी

दिसंबर 2023

4

पूर्णा

महाराष्ट्र

77123

23 मार्च

नवंबर 2023

 

(झ). सीडब्ल्यूसी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय ने 24.08.2023 को ‘भारत में पानी दरें तय करने की पद्धति और प्रमुख व मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के भौतिक और वित्तीय पहलु’ पर एक कार्यशाला का नयी दिल्ली में आयोजन किया और निर्णय लिया गया कि वर्तमान में जो प्रकाशत पांच साल में होता है उसे अब हर साल किया जायेगा। यह भी सिफारिश की गई कि संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिये राज्य सरकारों को जल संरचनाओं का उपयुक्त ढंग से परिचालन और रखरखाव (ओ एण्ड एम) करना चाहिये और इस पर आने वाली लागत को राज्य सरकारें जल शुल्क/बजटीय आवंटन जैसा उन्हें उचित लगे, से पूरा कर सकतीं हैं।

(ण). जल संसाधनों से संबंधित प्रकाशन: वर्ष 2023 के दौरान दूर संवेदी उपग्रह का उपयोग करते हुये कुल 902 हिमनद झीलों और जल निकायों की निगरानी की गई। यह कार्य जून से अक्टूबर तक हर महीने किया जाता है। इनमें से 544 बर्फीले क्षेत्र की झीलें हैं तो 358 जल निकाय हैं। एनआरएससी की 2009 की इन्वेंटरी के अनुसार 10 हेक्टेयर आकार तक की सभी हिमनद झीलें और एसडीसी द्वारा पहचान की गई कुछ 10 हेक्टेयर से भी छोटे आकार की ग्लेशियल झीलें है उन्हें भी निगरानी में शामिल किया गया है। वर्ष 2023 में पांच स्टेशनों - केरल के मुथेनकेरा बांध, अरूणाचल प्रदेश में सुभान्सिरी लोवर बांध, गुजरात के सेतुरेंजी बांध, उत्तराखंड में इचारी बांध और टिहरी बांध में अंतरप्रवाह भविष्यवाणी शुरू हो गई। वर्तमान में सीडब्ल्यूसी 338 स्टेशनों (200 लेवल फोरकास्टिंग स्टेशन और 138 इन्फ्लो फोरकास्टिंग स्टेशंन) में बाढ़ पूर्वानुमान उपलब्ध कराता है। 01 मई से 31 दिसंबर 2023 की अवधि में 6,328 (4,567 लेवल और 1,761 इन्फ्लो) पूर्वानुमान जारी किये गये जिनमें से 5,942 (4,336 लेवल और 1,606 इन्फ्लो) पूर्वानुमान सटीकता के दायरे में थे। अप्रत्याशित बाढ़ की स्थिति के दौरान दैनिक बाढ़ स्थिति रिपोर्ट और विशेष परामर्श रिपोर्ट भी जारी की गईं। इसके अलावा 298-रेड और 444 आरेंज बुलेटिन भी जारी किये गये और क्रमशः हर तीन-घंटे और छह- घंटे के आधार पर उन्हें अपडेट भी किया गया। बाढ़ के बारे में पूरी जानकारी को सीडब्ल्यूसी के बाढ़ पूर्वानुमान पन्नों - एफएफ वेबसाइट, ट्विटर और फेसबुक पर अद्यतन किया गया। सीडब्ल्यूसी अल्पावधि पूर्वानुमान के साथ ही संख्यात्मक माॅडल और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), देशभर में फैले सीडब्ल्यूसी के बाढ़ पूर्वानुमान स्टेशनों के लिये उपग्रह जनित उत्पादों पर आधारित सात दिन का परामर्श भी उपलब्ध कराता है। परिणामों को समर्पित वेब पोर्टल के साथ ही मोबाइल एपलीकेशन पर भी प्रकाशित किया जाता है।

(त) राष्ट्रीय जलविज्ञान परियोजना (एनएचपी) के तहत सीडब्ल्यूसी गतिविधियां: उपलब्धियों में ‘‘बिहार में फरक्का बैराज के कारण गंगा और उसकी सहायक नदियों में बाढ़ और गाद के मुद्दे पर अध्ययन’’ के लिये परामर्श कार्य पूरा करना शामिल है। पहला चरण पूरा, अर्थात - सात नदी बेसिनों में गाद दर और गाद परिवहन के अनुमान को लेकर भौतिक आधारित गणितीय माॅडलिंग के लिये सलाहकार कार्य का विकास चरण,’’ चरण-दो -समर्थन और रखरखाव सेवा प्रक्रिया के तहत, क्वार्टर 1, क्वार्टर 2 और क्वार्टर 3 का समर्थन कार्य सलाहकार ने पूरा कर लिया है। यमुना, नर्मदा और कावेरी बेसिन के लिये ‘‘विस्तारित जलविज्ञान भविष्यवाणी (बहु सप्ताह भविष्यवाणी), चरण- । (भविष्यवाणी रिपोर्ट), चरण- ।। (इनपुट डेटा विकास रिपोर्ट की सुपुर्दगी और मंजूरी), चरण- ।।। (निम्न प्रवाह सत्र और परीक्षण के लिये माॅडल विकास), चरण-4 (उच्च प्रवाह सत्र और परीक्षण के लिये माॅडल विकास) को पूरा कर लिया गया है। चरण-6 (डैशबोर्ड विकास) भी समानांतर रूप से प्रगति में है। इससे कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली को लाभ पहुंचेगा। पहले चरण में ‘‘32 जलाशयों में हाइड्रोग्राफिक सर्वे का इस्तेमाल करते हुये जलाशयों में गाद अध्ययन’’ पूरा कर लिया गया। दूसरा चरण जिसमें 10 राज्यों के 87 जलाशय शामिल हैं (राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्त्राखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना और ओडीशा) प्रगति में है। सीडब्ल्यूसी के एचओ स्थलों में प्रवाह मापन के लिये 93 संख्या में एडीसीपी (14 जमा 29 जमा 50 की संख्या में तीन चरणों में) आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण और परिचालन (एसआईटीसी) कार्य पूरा किया गया। प्रवाह निगरानी आधुनिकीकरण के लिये 32 वेग रडार संवेदन खरीद लिये गये हैं जिनमें से अब तक 18 को स्थापित और चालू कर दिया गया है। इसी प्रकार सात जल गुणवत्ता उपकरण (आईसीपी-एमएस और जीसी-एमएस) की भी खरीद हो चुकी है और स्थापित किये जा चुके हैं। तीन और जल गुणवत्ता उपकरण (1 जीसी-एमएस और 2 आईसीपी- एमएस) की खरीद पूरी होने को है। ‘‘गंगा बेसिन में जलप्लावन भविष्यवाणी सहित अग्रिम बाढ़ चेतावनी प्रणाली’’: टास्क-चारः हाइड्रोलाजिक एण्ड हाइड्रोलिक माडलिंग प्रवर्तन को छोड़कर जो कि समीक्षा के अंतर्गत है सभी सुपुर्दगी कार्य पूरे कर लिये गये हैं। ‘‘गंगा बेसिन की एकीकृत जलाशय परिचालन प्रणाली के लिये वास्तविक समय जैसी निर्णय समर्थन प्रणाली के विकास के लिये सलाहकार सेवायें’’: विकास चरण पूरा कर लिया गया है और परीक्षण चरण प्रगति में है। नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए), भोपाल के लिये सीडब्ल्यूसी द्वारा वास्तविक समय में डेटा अधिग्रहण प्रणाली (आरटीडीएएस) की स्थापना, परीक्षण और चालू करने का काम., सभी 48 साइट को पूरा कर लिया गया। अरूणाचल प्रदेश में रियल टाइम डेटा अधिग्रहण प्रणाली की स्थापना, परीक्षण और चालू करने का कामः 50 संख्या साइट पर टेलिमेट्री उपकरणों और सिविल कार्य की स्थापना पूरी कर ली गई है। सभी उपकरणों को आंशिक तौर पर चालू करने का कार्य पूरा कर लिया गया है और इसे एसओआई जीटीएस बेंचमार्क की उपलब्धता के अनुरूप इसे एसओआई जीटीएस बेंचमार्क के साथ जोड़ दिया जायेगा। अत्याधुनिक उपकरणों को उपलब्ध कराकर एनडब्ल्यूए पुणे में प्रशिक्षण सुविधाओं का आधुनिकीकरण और जल गुणवत्ता निगरानी गतिविधियों का आधुनिकीकरण किया जायेगा।

‘‘गंगा बेसिन के लिये एकीकृत जलाशय परिचालन प्रणाली के लिये वास्तविक समय जैसी निर्णय समर्थन प्रणाली के विकास के लिये सलाहकार सेवाओं’’ के लिये कार्य का विकास चरण 31 मई 2023 को पूरा कर लिया गया है। प्रथम सत्र परीक्षण 31 अक्टूबर 2023 को पूरा कर लिया गया है। क्षमता निर्माण माड्यूल के तहत प्रशिक्षण को भी नवंबर 2023 में पूरा कर लिया गया है।

 

5. केन्द्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी)

राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रमः

राष्ट्रीय भूजल बोर्ड देश में राष्ट्रीय जलभर मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रम (एनएक्यूयूआईएम) का क्रियान्वयन कर रहा है। यह भूमिगत जल संसाधनों के सतत् प्रबंधन सुविधा के लिये जलभर मानचित्रण (जल उपलब्धता वाले स्थानों), उनकी प्रकृति और जलभर प्रबंधन योजना के विकास पर ध्यान देता है। पूरे देश के 32 लाख किलोमीटर में से मानचित्रण योग्य 25 लाख किलोमीटर का पूरा क्षेत्र इस कार्यक्रम के तहत पूरा कर लिया गया है। एनएक्यूयूआईएम आउटपुट को जिला प्रशासन सहित विभिन्न हितधारकों के साथ साझा किया गया।

भारत के शुष्क क्षेत्रों में उच्च समाधान जलभृत मानचित्रण और प्रबंधनः

केन्द्रीय भूजल बोर्ड ने राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में फैले शुष्क क्षेत्रों के हिस्सों में आधुनिक हेलि-बाॅर्न जियोफिजिकल सर्वे का इस्तेमाल करते हुये जलभर के उच्च समाधान मानचित्रण की शुरूआत की है। परियोजना के पहले चरण में राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में 92 ब्लाॅक को कवर करते हुये 97,637 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और 40,313 लाइन किलोमीटर उड़ान लाइन पूरा कर लिया गया।

भारत के गतिशील भूमिगत जल संसाधनों का आकलनः

वर्ष 2023 में किये गये नवीनतम आकलन के अनुसार देश में कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण 449.08 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) आंका गया है। वहीं वार्षिक निष्कर्षण योग्य भूजल 407.21 बीसीएम आंका गया है। लेकिन वार्षिक भूजल निष्कर्षण 241.34 बीसीएम रहा है। इस प्रकार देश में भूमिगत जल निष्कर्षण का कुल मिलाकर औसत स्तर करीब 59.26 प्रतिशत तक होता है। देश में आकलन की गई कुल 6553 इकाईयों (ब्लाॅक/ मंडल/ताल्लुका) में से 736 इकाइयों (11.23 प्रतिशत) को ‘अधिक-निष्कर्षण’ श्रेणी में रखा गया, 199 को (3.04 प्रतिशत) को ‘संकटपूर्ण’, 698 इकाइयों को (10.65 प्रतिशत) ‘कम-गंभीर’, 4793 इकाइयों (73.14 प्रतिशत) को ‘सुरक्षित’ और 127 इकाइयो (1.94 प्रतिशत) को खारे पानी की श्रेणी में रखा गया है।

गतिशील भूमिगत जल संसाधनों का स्वतः अनुमान लगाने के लिये सीजीडब्ल्यूबी द्वारा आईआईटी हैदराबाद के सहयोग से तैयार वेब आधारित एपलीकेशन ‘‘भारत-भूजल संसाधन आकलन प्रणाली (इन-ग्रेस) पूरे देश में भूमिगत जल संसाधनों के आकलन के लिये एक साझा और मानकीकृत मंच उपलब्ध कराता है।

 

(केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने 01 दिसंबर 2023 को ‘‘भारत गतिशील भूजल संसाधन राष्ट्रीय संकलन 2023’’ जारी किया)

 

राजीव गांधी राष्ट्रीय भूजल प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आरजीएनजीडब्ल्यूटीआरआई), केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड की प्रशिक्षण शाखा है। तीन स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 के दौरान कुल 99 प्रशिक्षण (टीयर।- 47, टीयर ।।-18, और टीयर ।।।-34) कार्यक्रम किये गये। भूजल क्षेत्र से जुड़े पेशेवर के साथ साथ जमीनी स्तर पर काम करने वालों को मिलाकर कुल 5,641 भागीदारों ने इन कार्यक्रमों में भाग लिया।

यहां यह उल्लेखनीय है कि आरजीएनजीडब्ल्यूटीआरआई को राष्ट्रीय शिक्षा और प्रशिक्षण प्रत्यायन क्षमता बोर्ड (एनएबीईटी) के 22.11.2023 को किये गये मूल्यांकन के मुताबिक क्षमता निर्माण आयोग के राष्ट्रीय मानकों में अतिउत्तम संस्थान के तौर पर मान्यता दी गई है। यह मान्यता क्षमता निर्माण के आठ स्तम्भों के आधार पर डेस्कटाॅप और स्थल मूल्यांकन पूरा करने के बाद दिया गया। यह प्रत्यायन दो साल की अवधि के लिये वैद्य है।

 

6. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई)

वर्ष 2021-26 के लिये 93,068 करोड़ रूपये के परिव्यय के साथ करीब 22 लाख किसानों को लाभ पहुंचाने के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई)

. वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान प्राथमिकता प्राप्त परियोजनाओं के एआईबीपी कार्यों के जरिये 34.63 लाख हेक्टेयर सिंचाई संभावनाओं के लक्ष्य के समक्ष 25.50 लाख हेक्टेयर (करीब 73.63 प्रतिशत) सृजित की गई।

. पीएमकेएसवाई एआईबीपी के तहत आठ नई एमएमआई परियोजनायें और दो नई राष्ट्रीय परियोजनाओं को और शामिल किया गया।

 

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना - हर खेत को पानी - भूजल योजना (पीएमकेएसवाई - एचकेकेपी - जीडब्ल्यू) - प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, हर खेत को पानी, भूजल योजना को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण, जल शक्ति मंत्रालय ने भविष्य में भूजल विकास की प्र्याप्त संभावनाओं वाले क्षेत्रों में लघु और सीमांत किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की परिकल्पना के साथ शुरू किया। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय ने पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी-जीडब्ल्यू योजना के तहत 2019 के बाद से 10 राज्यों, जिनके नाम है- अरूणाचल प्रदेश, असम, गुजरात, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी। 30 नवंबर 2023 की स्थिति के अनुसार 29,777 कुंओं का निर्माण किया गया, 87,243 हेक्टेयर कमांड क्षेत्र सृजित हुआ और 67,902 लघु और सीमांत किसानों को फायदा पहुंचा। वर्ष 2023 के दौरान असम, अरूणाचल प्रदेश, गुजरात, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, तमिल नाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में केन्द्रीय सहायता के तहत (01.01.2023 से 31.12.2023) के दौरान 29.71 करोड़ रूपये जारी किये गये और 548 कुओं का निर्माण किया गया जिससे 10,001 हेक्टेयर अतिरिक्त कमांड क्षेत्र का सृजन किया गया जिससे 1302 लघु और सीमांत किसानों को फायदा पहुंचा।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) - त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी): भारत सरकार ने 27.07.2016 को 99 प्राथमिकता वाली सिंचाई परियोजनाओं (और सात चरणों) को 77,595 करोड़ रूपये वित्तपोषण की अनुमानित शेष लागत से (केन्द्रीय हिस्सा- 31,342 करोड़ रूपये, राज्य का हिस्सा- 46,253 करोड़ रूपये) चरणों में पूरा करने को मंजूरी दी। इसमें एआईबीपी और सीएडी कार्य दोनों शामिल थे। इनमें केन्द्रीय सहायता (सीए) और राज्य हिस्सा दोनों के लिये वित्त व्यवस्था दीर्घकालिक सिंचाई कोष (एलटीआईएफ) के तहत नाबार्ड के माध्यम से की गई। योजना के तहत सृजित की जाने वाली लक्षित सिंचाई क्षमता 34.63 हेक्टेयर है। वर्ष 2016-17 से इन परियोजनाओं पर संबंधित राज्य सरकारों द्वारा 56,271 करोड़ रूपये (मार्च 2022 तक) खर्च किये जाने की जानकारी दी गई है। वित्त मंत्रालय ने जनवरी 2020 में चल रही केन्द्र प्रायोजित योजनाओं को 31.03.2021 तक जारी रखे जाने की सूचना दी।

भौतिक प्रगतिः वर्ष 2016-17 से 2022-23 के दौरान प्राथमिकता प्राप्त परियोजनाओं में एआईबीपी कार्य के जरिये 34.63 लाख हेक्टेर के लक्ष्य के समक्ष 25.50 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का सृजन किया गया। वर्ष 2023-24 के दौरान सृजित सिंचाई क्षमता फसली सत्र के बाद ही उपलब्ध हो सकेगी।

पीएमकेएसवाई-एआईबीपी के तहत पूरी हुई परियोजनाः पहचान की गई 99 परियोजनाओं (और 7 चरणों) में से 56 प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में एआईबीपी कार्य अब तक पूरा होने की सूचना है।

वर्ष 2021-26 के दौरान पीएमकेएसवाई एआईबीपी (सीएडीडब्ल्यूएम सहित) का क्रियान्वयनः भारत सरकार ने 22 लाख किसानों को लाभ पहुंचाने के लिये 15 दिसंबर 2021 को वर्ष 2021-26 के लिये 93,068 करोड़ रूपये के परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को मंजूरी दे दी थी। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पीएमकेएसवाई 2016-21 के दौरान सिंचाई विकास योजनाओं के लिये भारत सरकार द्वारा लिये गये कर्ज भुगतान के लिये 20,434.56 करोड़ रूपये और राज्यों को 37,454 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता को मंजूरी दी। वर्ष 2021-26 के दौरान त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम, ‘हर खेत को पानी’ और जलसंभरण विकास घटकों को जारी रखने को मंजूरी दी गई। वर्ष 2021-26 के दौरान एआईबीपी के तहत सकल अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजन लक्ष्य 13.88 लाख हेक्टेयर रखा गया। इसके साथ ही 30.23 लाख हेक्टेयर कमांड क्षेत्र का विकास करने सहित चल रही 60 परियोजनाओं पर ध्यान देते हुये उन्हें पूरा करने के अलावा अब तक आठ अन्य परियोजनाओं को भी शुरू किया गया है। योजना में इसके साथ ही जल घटक के 90 प्रतिशत कार्य के केन्द्रीय वित्तपोषण के लिये दो राष्ट्रीय परियोजनायें जिनका नाम है रेणुकाजी बांध परियोजना (हिमाचल प्रदेश) और लखवार बहुउद्देशीय परियोजना (उत्तराखंड) को भी शामिल किया गया है।

क्रियान्वयन में सुधार और अधिकतम लाभ के लिये कई नवीन उपाय और संशोधन किये गये, जैसे किः

. नई प्रमुख/मध्यम सिंचाई (एमएमआई) परियोजनाओं को शामिल करने के साथ ही एआईबीपी के तहत राष्ट्रीय परियोजनाओं का वित्तपोषण।

. एआईबीपी के तहत परियोजना को शामिल करने के लिये उसकी वित्तीय प्रगति जरूरत को हटा दिया गया है अब केवल परियोजना की 50 प्रतिशत भौतिक प्रगति पर विचार किया जायेगा।

. सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (डीपीएपी), आदिवासी, रेगिस्तान विकास कार्यक्रम (डीडीपी), जनजातिय क्षेत्र, बाढ़ आशंका वाला क्षेत्र, वाम चरमपंथी प्रभावित क्षेत्र, ओडीशा का कोरापुट, बालांगीर और कालाहांडी (केबीके) इलाका, महाराष्ट्र का विदर्भ और मराठवाड़ क्षेत्र, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र, साथ ही विस्तार, नवीनीकरण आधुनिकीकरण (ईआरएम) वाली परियोजनाओं और राष्ट्रीय औसत से कम शुद्ध सिंचाई सुविधा वाले राज्यों में 50 प्रतिशत अथवा इससे अधिक कमांड क्षेत्र वाली परियोजनाओं के लिये अग्रिम चरण (50 प्रतिशत भौतिक प्रगति) मानदंड में राहत दी गई है।

. आगे के वर्षो में मिलने वाली केन्द्रीय सहायता के लिये प्रतिपूर्ति की अनुमति।

. 90 प्रतिशत अथवा इससे अधिक भौतिक प्रगति के साथ परियोजना पूर्ण की अनुमति।

. परियोजनाओं की निगरानी के लिये आनलाइन प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) को विकसित किया गया है। 99 प्राथमिक परियोजनाओं में से प्रत्येक के लिये एक नोडल अधिकारी की पहचान की गई है जो कि परियोजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति को नियमित रूप से एमआईएस में अद्यतन करते हैं।

. परियोजना घटकों की जियो-टैगिंग के लिये जीआईएस आधारित एप्लिेकेशन विकसित किया गया है। परियोजनाओं के नहर नेटवर्क के डिजिटलीकरण के लिये दूर संवेदी तकनीकी का उपयोग किया गया। इसके अलावा 99 प्राथमिक परियोजनाओं के कमान में आने वाले फसली क्षेत्र का दूर संवेदन के जरिये वार्षिक आकलन किया जा रहा है।

. भूमि अधिग्रहण (एलए) मुद्दे को हल करने और जल वहन दक्षता को बढ़ाने के लिये भूमिगत पाइपलाइन के इस्तेमाल को पूरी सक्रियता के साथ बढ़ावा दिया जा रहा है। पाइप सिंचाई नेटवर्क की योजना और डिजाइन के लिये दिशानिर्देष इस मंत्रालय द्वारा जुलाई 2017 में जारी किये गये।

. इन परियोजनाओं की कमान में कमान क्षेत्र विकास कार्य का क्रियान्वयन समान रूप से करने की परिकल्पना की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो भी सिंचाई क्षमता तैयार की जा रही है उसका किसानों द्वारा उपयोग किया जा सके। सहभागिता वाले सिंचाई प्रबंधन (पीआईएम) पर ध्यान केन्द्रित करते हुये नये दिशानिर्देश लाये गये हैं। इसके साथ ही, कमांड क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन (सीएडीडब्ल्यूएम) पूरा होने की स्वीकृति के लिये जल उपयोगकर्ता संघ (डब्ल्यूयूए) को सिंचाई प्रणाली का नियंत्रण और प्रबंधन हस्तांतरित करने को आवश्यक शर्त बना दिया गया है।

पीएमकेएसवाई-एआईबीपी के तहत वित्तीय प्रगति इस प्रकार रही हैः

(करोड़ रूपये में)

फंड

जारी किया

2016-17 से 2022-23 तक

2023-24 से अब तक

कुल

2022-23 में धनराशि जारी

केन्द्रीय सहायता

15773

325

16098

464

राज्य का हिस्सा

31402

767

32169

2871

कुल

47175

1092

48267

3335

 

महाराष्ट्र के लिये विशेष पैकेजः महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा तथा शेष महाराष्ट्र में 2023-24 तक चरणों में 83 सतही लघु सिंचाई (एसएमआई) परियोजनाओं और आठ प्रमुख/मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिये 18.07.2018 को एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी गई। इस परियोजना की सकल शेष लागत 01.04.2018 को 13,651.61 करोड़ रूपये अनुमानित थी। वर्ष 2017-18 के दौरान किये गये व्यय की प्रतिपूर्ति सहित कुल केन्द्रीय सहायता 3,831.41 करोड़ रूपये अनुमानित थी। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर शेष 3.77 लाख हेक्टेयर क्षमता सृजित होगी। योजना के तहत अब तक 2,522 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता जारी की जा चुकी है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार योजना के तहत 45 सतही लघु सिंचाई परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है। इन परियोजनाओं के जरिये 2018-19 से 2022-23 के दौरान कुल मिलाकर 1,16,130 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता तैयार किये जाने की जानकारी दी गई। इसके अलावा 2023-24 के दौरान सृजित क्षमता के बारे में फसल सत्र की समाप्ति के बाद ही जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।

कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन (सीएडीडब्ल्न्यूएम): भारत सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत एक योजना जिसका नाम कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन (सीएडीडब्ल्यूएम) है को लागू कर रही है। योजना की शुरूआत खेतों में पानी की भौतिक पहुंच बढ़ाने और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करने के उद्देश्य से की गई। नाबार्ड के तहत ‘दीर्घकालिक सिंचाई कोष’ सृजन के जरिये नवीन वित्तीय सुविधा को अपनाते हुये इसके तहत जल्द तैयार करने के लिये 99 प्राथमिकता प्राप्त परियोजनाओं की पहचान की गई। वर्तमान में शामिल 88 परियोजनाओं का लक्षित परिकल्पित कमांड क्षेत्र (सीसीए) 45.08 लाख हेक्टेयर है और अनुमानित केन्द्रीय सहायता 8,235 करोड़ रूपये है। वर्ष 2016-17 से 2022-23 के दौरान 2,962 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता जारी की गई जबकि राज्यों ने सीसीए में 17.87 लाख हेक्टेयर प्रगति की जानकारी दी है। वहीं 2023-24 के दौरान अब तक 71 करोड़ रूपये केन्द्रीय सहायता को मंजूरी दी जा चुकी है।

पोलावरम सिंचाई परियोजनाः 01 मार्च 2014 से लागू आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 की धारा 90 के तहत पोलावरम सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया। 2,454 मीटर पृथ्वी-सह-राॅकफिल बांध और 1128.4 मीटर लंबे स्पिलवे वाली इस परियोजना से पूर्वी गोदावरी, विशाखापत्तनम, पश्चिम गोदावरी और कृष्णा जिलों में 2.91 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के साथ ही इससे कई अन्य लाभ इससे होंगे। 01.04.2014 की स्थिति के अनुसार केन्द्र सरकार परियोजना के सिंचाई घटक की बकाया लागत का 100 प्रतिशत वित्तपोषण कर रही है। भारत सरकार की ओर से आंध्र प्रदेश सरकार परियोजना के सिंचाई वाले हिस्से का निर्माण कर रही है। संशोधित लागत समिति की रिपोर्ट (वर्ष 2017-18 के मूल्य स्तर पर) के अनुसार परियोजना की स्वीकृत लागत 47,725.74 करोड़ रूपये है। परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किये जाने के बाद अब तक पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिये 15,146.271 करोड़ रूपये जारी किये जा चुके हैं। आंध्र प्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पोलावरम सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किये जाने के बाद 30.10.2023 तक परियोजना कार्य पर 16,254.23 करोड़ रूपये खर्च किये जा चुके हैं।

 

पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी की सतही लघु सिंचाई (एसएमआई) और जल निकाय की मरम्मत, नवीनीकरण और पुरूद्दार योजनायेंः

सतही लघु सिंचाई (एसएमआई) योजना के तहत 12वी योजना से ही 16,113.560 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत के साथ 7282 योजनाओं पर काम चल रहा है। इसके तहत मार्च 2023 तक राज्यों को 9,009.169 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता जारी की जा चुकी है। इसमें से मार्च 2023 तक 4,428 योजनाओं के पूरा होने की जानकारी है। इन योजनाओं के जरिये 11.58 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता सृजित होने का लक्ष्य रखा गया है, इसमें से मार्च 2023 तक 7.51 लाख हेकटेयर क्षमता तैयार हो जाने की सूचना है।

जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण और पुनरूद्वार (आरआरआर) योजना के तहत 2834.692 करोड रूपये की अनुमानित लागत से 3,075 योजनायें चल रही है। इसमें मार्च 2023 तक 554.279 करोड़ रूपये की केन्द्रिय सहायता राज्यों को जारी की जा चुकी है। इसके अलावा मार्च 2023 तक 1,863 जल निकायों को पूरा कर लिये जाने की जानकारी है। इन योजनाओं में पुनरूद्वार सिंचाई योजनाओं के लिये लक्ष्य 2.41 लाख हेक्टेयर है जिसमें से मार्च 2023 तक 1.54 लाख हेक्टेयर का पुरूद्वार/पुनस्र्थापन कर लिये जाने की रिपोर्ट है।

 

7. अटल भूजल योजना (अटल जल):

अटल भूजल योजना (अटल जल) 6,000 करोड़ रूपये के परिव्यय के साथ भारत सरकार की केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है। योजना के तहत देश के सात राज्यों यानी गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 80 जिलों में 229 प्रशासनिक ब्लाक/तालुकाओं की जल की कमी वाली 8,213 ग्राम पंचायतों में पहचान किये गये क्षेत्रों में टिकाउ भूजल प्रबंधन के लिये मांग पक्ष हस्तक्षेप और समुदायों की भागीदारी पर गौर किया जाता है। योजना का आंशिक वित्तपोषण विश्व बैंक द्वारा किया गया है और यह 01.04.2020 से पांच साल के लिये अमल में है।

इस अनूठी योजना का उद्देश्य भूजल संसाधनों के प्रबंधन की राज्यों की क्षमता को बढ़ाना और उपर से नीचे और नीचे से उपर के मिश्रित दृष्टिकोण के जरिये स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी के साथ उनकी दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करना है। इसमें मांग प्रबंधन पर जोर देते हुये भूजल उपलब्धता में सुधार लाने के लिये हस्तक्षेपों के क्रियान्वयन के लिये विभिन्न चल रही योजनाओं को एक साथ मिलाने और उपलब्ध जल संसाधनों का ईष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिये समुदायों में व्यावहारिक बदलाव लाने की भी परिकल्पना की गई है।

अटल भूजल योजना भूजल प्रबंधन के क्षेत्र में सरकारी नीति में बदलाव की शुरूआत करती है। इसमें योजना, क्रियान्वयन और योजना गतिविधियों की निगरानी में समुदायों के महत्व पर जोर देने के साथ ही भूजल उपलब्धता में सुधार लाने के लिये हस्तक्षेपों के क्रियान्वयन को चल रही योजनाओं का सम्मिलन, जल उपयोग दक्षता में सुधार लाकर मांग पक्ष के बेहतर प्रबंधन और भूजल के महत्व को लेकर जनता में जागरूकता बढ़ाने में भागीदारी कर रहे राज्यो को प्रोत्साहन दिया गया है।

अटल भूजल योजना भूजल प्रबंधन में लगे संस्थानों को मजबूत बनाने, भूजल निगरानी नेटवर्क में सुधार लाने, भूजल संसाधनों के महत्व और गंभीरता को लेकर जनता में जागरूकता बढ़ाने और जमीनी स्तर के हितधारकों का क्षमता निर्माण कर उपलब्ध उपलब्ध संसाधनों की योजना और उनके न्यायसंगत इस्तेमाल के जरिये भूजल प्रशासन में राज्यों की क्षमता में सुधार लाने की परिकल्पना करती है। योजनाओं की सभी गतिविधियों में महिला को शामिल करना अनिवार्य बनाकर इसमें लैंगिक दृष्टिकोण को भी संबोधित किया गया है।

अटल भूजल योजना से लक्षित क्षेत्रों में भूजल की स्थिति में सुधार होने और जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत नियोजित हस्तक्षेपों के लिये भूजल स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान देने की उम्मीद है। इससे किसानों की आय दोगुनी करने के माननीय प्रधानमंत्री के लक्ष्य को पाने में योगदान देने और लंबे समय में हितधारकों द्वारा भूजल का ईष्टतम उपयोग करने का परिणाम मिलने की उम्मीद है।

योजना के तहत किया गया कार्य नीचे दिया गया हैः

1. संवितरण से जुड़े संकेतक-1 के तहत भूजल संबंधित सूचना और रिपोर्ट जनता के बीच रखना, 64 प्रतिशत सफलता हासिल की गई।

2. संवितरण से जुड़े संकेत-2 के तहत समुदाय की अगुवाई में जल सुरक्षा योजना तैयार करना, सभी 8,213 जीपी को अद्यतन किया गया, डब्ल्यूएसपी के तहत किये गये प्रस्तावित हस्तक्षेपों का क्रियान्वयन जारी।

3. संवितरण से जुड़े संकेतक-3 के तहत जारी/नई योजनाओं के सम्मिलन के जरिये स्वीकृत जल सुरक्षा योजनाओं का सार्वजनिक वित्तपोषणः जल सुरक्षा योजना (डब्ल्यूएसपी) में प्रस्तावित हस्तक्षेपों को अमल में लाने के लिये करीब 1980 करोड़ रूपये की राशि मंजूर।

4. संवितरण से जुड़े संकेतक-4 के तहत दक्षतापूर्ण जल उपयोग व्यवहारों को अपनानाः जल दक्षता तौर तरीकों के तहत करीब 2,27,000 हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया गया जो कि लक्ष्य का 50 प्रतिशत है।

5. टीपीजीवीए के छह दौर में किये गये सत्यापन के आधार पर, व्यय से जुड़े संकेतकों की सफलता के लिये राज्यों को 1980 करोड़ रूपये जारी किये गये।

6. योजना में हुई प्रगति की निगरानी के लिये वेब-आधारित एमआईएस को डाटा-एंट्री के लिये नियत स्थान पर रखा गया।

7. सभी 8213 जीपी के लिये जल सुरक्षा योजना को अद्यतन किया गया।

8. जनवरी से नवंबर 2023 के दौरान भागीदारी करने वाले सभी सात राज्यों में 35,000 से अधिक प्रशिक्षण और 13,000 से अधिक कार्यशालायें/जागरूकता कार्यक्रम चलाये गये।

9. अटल भूजल योजना (अटल जल) के क्रियान्वयन के लिये राष्ट्रीय स्तर की संचालन समिति (एनएलएससी) की तीसरी बैठक 19 जनवरी 2023 को हुई, चैथी बैठक 26 मई 2023 और पांचवीं बैठक 26 अक्टूबर 2023 को हुई।

 

8. लघु सिंचाई सांख्यिकीः ‘‘सिंचाई गणना’’ योजना के तहत प्रगति

देश में भूजल और सतह जल की लघु सिंचाई योजनाओं का मजबूत और विश्वसनीय डेटाबेस तैयार करने के लिये हर पांच साल में लघु सिंचाई गणना की गई। लघु सिंचाई योजनाओं की गणना 100 प्रतिशत केन्द्र वित्तपोषित केन्द्र प्रायोजित योजना ‘‘सिंचाई गणना’’ के तहत की गई जिसके जरिये विभिन्न राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के तहत गठित उनके राज्य सांख्यिकीय प्रकोष्ठ को भी समर्थन दिया गया। संदर्भ वर्ष 2017-18 के साथ छठी लघु सिंचाई गणना और देश में ग्रामीण और शहरी सभी जल निकायों को कवर करते हुये पहली जल निकाय गणना पूरी कर ली गई।

वर्ष 2023 में ‘‘सिंचाई गणना’’ योजना के तहत निम्न प्रगति हासिल की गईः

1. अखिल भारतीय और राज्य वार जल निकायों की पहली गणना रिपोर्ट मार्च 2023 में जारी की गई।

2. जल निकायों की पहली गणना के मुख्य परिणानों को भुवन पोर्टल के साथ ही ओपन गवर्नमेंट डेटा (ओजीडी) प्लेटफार्म पर प्रसारित किया गया।

3. अखिल भारतीय और राज्यवार छठी लघु सिंचाई गणना रिपोर्ट अगस्त 2023 में जारी की गई।

4. ‘सिंचाई गणना’ योजना के तहत 7वी लघु सिंचाई गणना, दूसरी जल निकाय गणना, पहली प्रमुख और मध्यम सिंचाई परियोजना गणना और पहली स्प्रिंग गणना करने के लिये एक संचालन समिति का गठन किया गया। इस संचालन समिति की पहली बैठक मई 2023 में हुई।

5. ‘सिंचाई गणना’ योजना के तहत 7वी लघु सिंचाई गणना, दूसरी जल निकाय गणना, पहली प्रमुख और मध्यम सिंचाई परियोजना गणना और पहली स्प्रिंग गणना के लिये जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अगस्त 2023 में पहली अखिल भारतीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

6. पात्र राज्यों/संघ शासित प्रदेशों से प्रस्ताव मिलने पर राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को समय पर अनुदान-सहायता जारी की गई।

 

9. बाढ़ प्रबंधन खंड (एफएम):

- एफएमपी/आरएमबीए की स्थापना से लेकर (मार्च 2023 तक), बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) योजना के एफएमपी घटक के तहत 7012.79 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को जारी की गई और 1,184.13 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता एफएमबीएपी योजना के आरएमबीए घटक के तहत राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को जारी की गई।

 

उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना शेष कार्य को पूरा करना

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने लंबे समय से लंबित पड़ी बिहार और झारखंड की उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना, के शेष कार्य को पूरा करने का काम शुरू किया। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अगस्त 2017 में उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्य को 1622.27 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से काम शुरू होने के तीन वित्तीय वर्ष में पूरा करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

बाद में दोनों राज्य सरकारों के आग्रह पर कुछ अन्य घटकों को भी परियोजना में शामिल करना जरूरी समझा गया। परिकल्पित सिंचाई क्षमता हासिल करने के लियें तकनीकी विचार के तहत उसमें दांई मुख्य नहर (आरएमसी) और बांई मुख्य नहर (एलएमसी) की पूरी तरह लाइनिंग करना जरूरी समझा गया। इस प्रकार ‘गाया वितरण प्रणाली’, आरएमसी और एलएमसी की लाइनिंग, रास्ते में पड़ने वाले ढांचे फिर से तैयार करना, कुछ नई संरचनाओं का निर्माण और परियोजना प्रभावित परिवारों (पीएएफ) के आर एण्ड आर के लिये एक बारगी विशेष पैकेज को अद्यतन लागत अनुमान में शामिल करना था। इस प्रकार परियोजना के लिये संशोधित लागत अनुमान तैयार किया गया। शेष कार्य की 2,430.76 करोड़ रूपये की लागत में से केन्द्र 1,836.41 करोड़ रूपये उपलब्ध करायेगा। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 04.10.2023 को उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्य को 2,430.76 करोड़ रूपये की संशोधित लागत के साथ पूरा करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

परियोजना से बिहार के औरंगाबाद और गया जिलों और झारखंड के पलामू और गरवा जिलों के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में 1,14,021 हेक्टेयर भूमि को सालाना सिंचाई लाभ उपलब्ध कराया जायेगा। परियोजना में 44 एमसीएम पेयजल और औद्योगिक जलापूर्ति का भी प्रावधान है। परियोजना के शेष कार्य को जल संसासधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के तहत आने वाले केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रम, मैसर्स वापकोस लिमिटेड ने परियोजना प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) के तौर पर टर्न की आधार पर पूरा किया। 10 प्रतिशत बांध और संबंधित कार्य, बांई मुख्य नहर का 86 प्रतिशत और दांई मुख्य नहर का 12 प्रतिशत कार्य (झारखंड का हिस्सा) पूरा कर लिया गया है।

 

बाढ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी):

12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान परिचालन में रहे ‘‘बांढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (एफएमपी)’’ और ‘‘नदी प्रबंधन गतिविधियां और सीमा क्षेत्रों से संबंधित कार्य’’ (आरएमबीए) को 2017-18 से 2019-20 अवधि के लिये ‘‘बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम’’ (एफएमबीएपी) के तौर पर विलय कर दिया गया जिसे बाद में मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया। मंत्रिमंडल ने योजना को और आगे सितंबर 2022 तक के लिये मंजूरी दे दी। मार्च 2026 तक के लिये मंत्रिमंडल से ईएफसी मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है। एफएमपी/आरएमबीए की स्थापना से लेकर मार्च 2023 तक, एफएमबीएपी योजना के एफएमपी घटक के तहत राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के लिये 7,012.79 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता जारी की जा चुकी है और एफएमबीएपी योजना के आरएमबीए घटक के तहत 1,184.13 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को जारी की जा चुकी है।

 

भारत और बांगलादेश से जुड़े मामले

1. भारत-बांगलादेश संयुक्त नदी आयोग (जेआरसी) रूपरेखा ढांचे के तहत तकनीकी स्तर बैठक नयी दिल्ली में 23-24 अगस्त 2023 को हुई संयुक्त नदी आयोग के रूपरेखा ढांचे के तहत भारत-बांगलादेश तकनीकी स्तर बैठक 23-24 अगस्त 2023 को नयी दिल्ली में हुई। बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय में आयुक्त (एफएम) और भारत-बांगलादेश संयुक्त नदी आयोग में सदस्य श्री अतुल जैन ने किया जबकि बांगलादेश प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत-बांगलादेश संयुक्त नदी आयोग के सदस्य डा. मोहम्मद अबुल हुसेन ने किया।

 

2. फरक्का में गंगा/गंगेज जल बंटवारा संधि

वर्ष 1996 में 12 दिसंबर को भारत और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के बीच पानी की कमी वाले मौसम के दौरान फरक्का में गंगा/गंगेज पानी के बंटवारे को लेकर एक संधि पर हस्ताक्षर किये गये। इस संधि के मुताबिक गंगा/गंगेज पानी का फरक्का (जो कि भारतीय भूमि पर गंगा नदी पर बना आखिरी नियंत्रण ढांचा है) में गंगा नदी के पानी का कमी वाले मौसम हर साल 01 जनवरी से 31 मई के बीच संधि में दिये गये फार्मूले के मुताबिक 10-दैनिक आधार पर बंटवारा किया जाता है। इस संधि की वैद्यता अवधि 30 साल है। संधि के मुताबिक पानी के बंटवारे की निगरानी संयुक्त नदी आयोग के सदस्यों की अगुवाई में गठित संयुक्त समिति द्वारा की जाती है जिसमें दोनों तरफ के सदस्य शामिल होते हैं। भारत-बांग्लादेश संयुक्त समिति की निम्नलिखित बैठकों का आयोजन हुआः

क. फरक्का में 01 मार्च 2023 को संयुक्त अवलोकन स्थल का दौरा करने के बाद गंगा/गंगेज़ जल बंटवारे पर गठित संयुक्त समिति की 80वीं बैठक 03 मार्च 2023 को कोलकाता में हुई।

ख. इसके बाद 09 मई 2023 को हार्डिंग ब्रिज के संयुक्त अवलोकन स्थल का दौरा करने के बाद फरक्का में गंगा/गंगेज जल बंटवारे पर गठित संयुक्त समिति की 81वीं बैठक ढाका में 11 मई 2023 को हुई।

ग. वर्ष 2023 की कमी/शुष्क मौसम की वार्षिक रिपोर्ट को अंतिम रूप् देने के लिये फरक्का में गंगा/गंगेज पानी के बंटवारे पर गठित संयुक्त समिति की 82वीं बैठक नयी दिल्ली में 24 अगस्त 2023 को हुई।

बैठक के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जलसंसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार में आयुक्त (एफएम), और भारत बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग के सदस्य श्री अतुल जैन ने किया। बांग्लादेश प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बांग्लादेश सरकार के जल संसाधन मंत्रालय, भारत-बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग के सदस्य डा. मोहम्मद अबुल हुसैन ने किया।

 

10. राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय (एनआरसीडी)

नदियों की सफाई एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है और नदियों में प्रदूषण की चुनौती से निपटने के राज्य सरकारों के प्रयासों में वित्तीय और तकनीकी सहायता देकर भारत सरकार उनकी मदद करती है। राज्य सरकारों को विभिन्न नदियों (गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों को छोड़कर) में पहचाने गये हिस्सों में प्रदूषण समाप्ति के लिये सहायता उपलब्ध कराई जाती है। यह सहायता राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) की केन्द्रीकृत प्रायोजित योजना के तहत बिना- उपचार सीवेज के अवरोधन और मार्ग परिवर्तन, सीवरेज प्रणाली निर्माण, सीवेज उपचार संयंत्रों की स्थापना, निम्न लागत स्वच्छता, नदी फ्रंट/स्नान घाटों का विकास आदि से जुड़े विभिन्न प्रदूषण उपशमन कार्यों को आगे बढ़ाने के लिये केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच लागत हिस्सेदारी के आधार पर दी जाती है।

 

एनआरसीपी के तहत उपलब्धियां और पहलेंः

- महाराष्ट्र के नागपुर में ‘नाग नदी संरक्षण और प्रदूषण उपशमन’ परियोजना को जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग सहायता के साथ 1,926.99 करोड़ रूपये की लागत से मंजूरी।

- 66.17 करोड़ रूपये की लागत से श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर) के ‘‘चुंटकुल और गावकादल क्षेत्र में झेलम नदी संरक्षण और प्रदूषण उपशमन’’ परियोजना ।

- गोवा में करचोरेम और आसपास के इलाकों में 81.14 करोड़ रूपये की लागत से ‘‘जुआरी नदी संरक्षण और प्रदूषण उपशमन’’ परियोजना।

- राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) के तहत 61.47 करोड़ रूपये की लागत से ‘‘नगालैंड के 13 शहरी स्थानीय निकायों में मल-युक्त कीचड़ उपचार संयंत्र पहला-चरण’’ परियोजना।

- राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), देहरादून द्वारा 24.56 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से ‘‘कावेरी, गोदावरी, पेरियार, महानदी, नर्मदा और बराक, छह चुनी गई नदियों की पारिस्थितिक स्थिति का आकलन’’ करने की परियोजना।

- नदी संरक्षण प्रक्रिया में हितधारक भागीदारी और जैव-विविधता संरक्षण को मिलाना और एनआरसीपी के तहत गतिविधियों को व्यापक बनाने की दिशा में भारतीय वन्यजीव संस्थान को छह नदियों -महानदी, नर्मदा, गोदावरी, पेरियार, कावेरी और बराक में जैवविविधता अध्ययन का काम सौंपा गया है।

- एनआरसीपी के तहत 180.80 एमएलडी क्षमता के सीवेज उपचार संयंत्र बनाये जा चुके हैं इससे नदियों में प्रदूषण मात्रा कम करने और नदी जल गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद मिली।

- एनआरसीपी के तहत विभिन्न परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिये विभिन्न राज्य सरकारों/एजेंसियों को 164 करोड़ रूपये की केन्द्रीय सहायता जारी की गई।

- नागरिकों के बीच जागरूकता और उद्देश्यपूर्ति के लिये जन भागीदारी बढ़ाने के लिये संबंधित राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के सभी हितधारकों के सहयोग से ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव 2022’’ मनाया गया।

 

11. विदेश मामले और अंतरराष्ट्रीय सहयोग (ईएएण्डआईसी)

जी20: भारत एक दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी20 का अध्यक्ष रहा। भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान जल शक्ति मंत्रालय ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ मिलकर पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह (ईसीएसडब्ल्यूजी) की चार बैठकों में भाग लिया। जलवायु स्थिरता कार्य समूह के तहत जल शक्ति मंत्रालय ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सहयोग से पानी पर गांधीनगर में 27 से 29 मार्च 2023 को आयोजित दूसरी जी20 पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह की बैठक में भाग लिया। बैठक के दौरान भारत ने जी20 के सदस्य देशों को जल प्रबंधन के क्षेत्र में अपनाई जा रहे बेहतर अनुभवों को दिखाने का मंच उपलब्ध कराया। इस दौरान जी20 सदस्य देशों ने जिन बेहतर व्यवहारों/अनुभवों को साझा किया उन्हें सार-संग्रह के तौर पर संजोया गया जो कि जी20 देशों के बीच जानकारी के आदान-प्रदान और एक दूसरे से सीखने के काम आयेगा। इसके बाद एक इन तमाम जानकारियों के आधार पर एक आदर्श मसौदा तैयार कर इस मंत्रालय द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, जो कि भारत सरकार की ओर से नोडल मंत्रालय है के माध्यम से जी20 के सभी सदस्यों में वितरित किया गया। इसका अंतिम मसौदा 27 जुलाई 2023 को चेन्नई में हुई पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह की चैथी बैठक में जारी किया गया।

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