जल शक्ति मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा- पेयजल और स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय


जल जीवन मिशन ने 2023 में कई उपलब्धियां हासिल कीं, जिसमें जनवरी, 2023 में 11 करोड़ ग्रामीण घरेलू नल जल कनेक्शन को बढ़ाकर दिसंबर, 2023 में लगभग 14 करोड़ नल जल कनेक्शन प्राप्त करना शामिल है

राष्ट्रपति ने 36 महिला वॉश चैंपियंस को 'स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान' 2023 से सम्मानित किया

2023-24 में, जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 70,000 करोड़ रुपये का सकल बजटीय समर्थन प्रदान किया गया

स्वच्छ भारत मिशन - ग्रामीण (03 जनवरी, 2024 तक) के अंतर्गत भारत के 90% गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित किया गया

ओडीएफ प्लस गांवों में 400 प्रतिशत की वृद्धि, यह दिसंबर 2022 में एक लाख गांवों से बढ़कर दिसंबर 2023 में पांच लाख से ज्यादा ओडीएफ प्लस गांवों हो गई

15 सितंबर, 2023 से 02 अक्टूबर, 2023 तक स्वच्छता ही सेवा अभियान का आयोजन किया गया जिसमें 109 करोड़ से ज्यादा लोगों ने सामूहिक भागीदारी की, जिसमें 53 करोड़ लोगों ने 'स्वच्छता के लिए श्रमदान' किया, जिसमें औसतन 3 करोड़ लोगों की दैनिक भागीदारी रही

Posted On: 05 JAN 2024 6:12PM by PIB Delhi

जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत पेयजल और स्वच्छता विभाग, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुरूप 'स्वच्छ सुजल' राष्ट्र का निर्माण करने वाले दृष्टिकोण के साथ इस उद्देश्य की प्राप्ति की दिशा में लगातार काम कर रहा है। विभाग की प्रमुख योजनाओं में जल जीवन मिशन (जेजेएम), जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत के सभी घरों में व्यक्तिगत घरेलू नल जल प्रदान कर सुरक्षित एवं पर्याप्त पेयजल प्रदान करना है और स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) शामिल है, जिसका उद्देश्य पूरे देश को सार्वभौमिक स्वच्छता प्रदान करना है और यह सुनिश्चित करना है कि लोग खुले में शौच मुक्त व्यवहार को जारी रखें, कोई भी पीछे न छूटे और दृश्य स्वच्छता के साथ-साथ गांवों में ठोस एवं तरल कचरे का सुरक्षित प्रबंधन करने की दिशा में ध्यान केंद्रित करना है।

वर्ष 2023 में, पेयजल और स्वच्छता विभाग ने जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन - ग्रामीण दोनों के अंतर्गत कई नई पहलें की हैं और महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं हैं। 2023 में विभाग द्वारा प्राप्त की गई कुछ प्रमुख उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:

जल जीवन मिशन

जल जीवन मिशन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगस्त 2019 में की थी, जो सभी ग्रामीण परिवारों को सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल प्रदान करने के लिए समर्पित एक परिवर्तनकारी पहल है। पिछले चार वर्षों में, इस मिशन ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर प्राप्त किया है, जिसने नल जल कनेक्शन को 13.91 करोड़ घरों तक पहुंचाया है और ग्रामीण लोगों को बहुत लाभान्वित किया है। 2023 में, मिशन ने कई मील के पत्थर प्राप्त किये हैं जिसमें वर्ष की शुरुआत यानी जनवरी में 11 करोड़ कनेक्शन से वर्ष के अंत तक यानी दिसंबर तक लगभग 14 करोड़ नल कनेक्शन प्रदान करना शामिल है। 2023-24 में, अब तक, भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में जल जीवन मिशन को लागू करने के लिए 26 पात्र राज्यों के लिए 45,841.39 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

एक व्यापक दृष्टिकोण के साथ, जेजेएम देश के ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए एक उत्प्रेरक बन चुका है। मिशन स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर अपने प्रभाव का विस्तार करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जून 2023 में एक ग्राउंडब्रेकिंग रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारत में 'हर घर जल' कार्यक्रम के पर्याप्त लाभों पर प्रकाश डाला गया। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि देश में सभी परिवारों के लिए सुरक्षित पेयजल का प्रबंधन सुनिश्चित करने से डायरिया रोगों के कारण होने वाली लगभग चार लाख मौतों को रोका जा सकता है और इन बीमारियों से संबंधित लगभग 1.4 करोड़ विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) को रोका जा सकता है। अकेले इस उपलब्धि से 101 बिलियन डॉलर तक की अनुमानित बचत होगी। विश्लेषण डायरिया रोगों पर केंद्रित है क्योंकि यह सामान्य रूप से वॉश-आधारित रोगों के लिए जिम्मेदार है। अध्ययन से यह तथ्य भी सामने आया है कि जल जीवन मिशन में भारत सरकार के निवेश का स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण गुणात्मक प्रभाव पड़ा है।

स्वास्थ्य लाभ के अलावा, जेजेएम में जमीनी स्तर पर रोजगार प्रदान करने की भी व्यापक क्षमता है। 11 अगस्त 2023 को जारी आईआईएम बैंगलोर द्वारा किए गए एक अध्ययन में जल जीवन मिशन की रोजगार सृजन क्षमता का आकलन किया गया, जिसमें निर्माण चरण में 2.8 करोड़ व्यक्ति-प्रतिवर्ष और संचालन एवं रखरखाव के लिए सालाना 11.8 लाख व्यक्ति-प्रतिवर्ष है।

जल गुणवत्ता निगरानी और निरीक्षण की स्थिति

जल गुणवत्ता को सुनिश्चित करना जल जीवन मिशन के मुख्य उद्देश्यों में से एक है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपूर्ति की गई जल में पर्याप्त गुणवत्ता है, कार्यक्रम स्रोत और वितरण बिंदुओं पर पानी के नमूनों के नियमित परीक्षण को बढ़ावा देता है। देश में कुल 2,113 जल परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं। इनमें से 1,381 एनएबीएल मान्यता प्राप्त हैं। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं अब नाममात्र दरों पर पानी के नमूनों की जांच के लिए आम लोगों के लिए खुली हैं। 2023-24 में, आज तक, प्रयोगशालाओं में 54 लाख से ज्यादा पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया है।

महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, प्रत्येक गांव में कम से कम पांच महिलाओं को ग्रामीण स्तर पर पानी गुणवत्ता का परीक्षण करने हेतु फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। अब तक 4.97 लाख गांवों में 23.50 लाख से ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान वर्तमान में, फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके 88 लाख से ज्यादा पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया है।

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जेई-एईएस प्रभावित जिलों में पीने योग्य नल जल का विस्तार

भारत सरकार जल जीवन मिशन के अंतर्गत सभी घरों में पीने योग्य नल जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जापानी इंसेफलाइटिस (जेई)-एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) प्रभावित जिलों को प्राथमिकता देती है। पांच राज्यों में जेई/एईएस से प्रभावित 61 जिलों में, नल जल का कनेक्शन 8 लाख (2.71%) घरों से बढ़कर 2.09 करोड़ (70.82%) घरों में हो चुका है, जिसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों की ग्रामीण आबादी के स्वास्थ्य में बहु सुधार हुआ है। इसके अलावा, 20 जुलाई 2023 तक, जल जीवन मिशन के अंतर्गत सभी आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में सुरक्षित पेयजल प्रदान किया गया है। 01 अगस्त, 2019 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 14,020 आर्सेनिक प्रभावित बस्तियों और 7,996 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों की सूचना दी गई थी। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रदान की गई सूचना के अनुसार, 20 जुलाई, 2023 की स्थिति के अनुसार ऐसी सभी बस्तियों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करा दिया गया है।

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स्वच्छ भारत मिशन – ग्रामीण

स्वच्छ भारत मिशन – ग्रामीण, केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित एक योजना है, जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 02 अक्टूबर, 2014 को शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य देश के सभी ग्रामीण परिवारों को शौचालय उपलब्ध कराकर महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 02 अक्टूबर, 2019 तक देश को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बनाना था। इसके परिणामस्वरुप, अक्टूबर 2019 तक, पूरे देश के सभी गांवों और सभी 36 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने खुद को ओडीएफ घोषित कर दिया और ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 2014 में 39 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 100 प्रतिशत हो गया।

ओडीएफ की प्राप्ति के बाद, 2020 में एसबीएम (जी) चरण-II शुरू किया गया जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी अपने व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और उचित अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली के लिए अपनी कोशिश में पीछे न रहे, जिससे गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल बनाया जा सके।

ग्रामीण वॉश पार्टनर्स फोरम:

डीडीडब्ल्यूएस ने ग्रामीण वॉश पार्टनर्स फोरम (आरडब्ल्यूपीएफ) की स्थापना की, जहां क्षेत्रिय भागीदारों के साथ विकास भागीदार एसबीएम-जी के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं, समर्थन कर सकते हैं और सहयोग कर सकते हैं।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 21 और 22 जुलाई, 2023 को विज्ञान भवन में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में 75 ओडीएफ प्लस सर्वोत्तम प्रथाओं का एक संग्रह जारी किया। स्वच्छता वृत्तांत : भारत की परिवर्तनकारी कहानियांशीर्षक वाले इस सार-संग्रह में एसबीएम-जी चरण-II के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए खुले में शौच से मुक्त कराने की गतिविधियों के भाग के रूप में नवाचारों, समस्याओं को समाप्त करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए किए गए उपायों, शुरू किए गए विशेष अभियानों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अन्य प्रयासों का प्रदर्शन किया गया। पुस्तक का उद्देश्य क्रॉस-लर्निंग को बढ़ावा देना है।

22 दिसंबर, 2023 को नई दिल्ली में आरडब्ल्यूपीएफ के सीईओ के साथ एक गोलमेज सम्मेलन की अध्यक्षता एसबीएम-जी के संयुक्त सचिव और मिशन निदेशक ने की। इस सम्मेलन में बेहतर प्रभाव प्राप्त करने के लिए बेहतर सहयोग वाले उपायों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

गोबरधन:

गोबरधन एसबीएम-जी के चरण-II की एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य पशु अपशिष्ट, कृषि-अवशेषों सहित जैव-अपशिष्ट को जैव-स्लरी और बायोगैस में परिवर्तित करके धन एवं ऊर्जा प्राप्त करना, मीथेन गैस के उत्सर्जन को कम करना और परिपत्र अर्थव्यवस्था में योगदान देना है, जिससे ग्रामीण समुदायों के जीवन में सुधार लाया जा सके। इस पहल में विभिन्न हितधारक, विभाग/मंत्रालय शामिल हैं जो बायोगैस/संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) क्षेत्र के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। वर्तमान में, 1150 बायोगैस संयंत्रों को पंजीकृत किया गया है और 600 से ज्यादा सामुदायिक/क्लस्टर स्तर के बायोगैस संयंत्र संचालित हो रहे हैं।

स्वच्छता समाचार:

एसबीएम-जी का मासिक समाचारपत्र अर्थात "स्वच्छता समाचार" अगस्त 2022 में शुरू किया गया था। 2023 में, एसबीएम-जी पोर्टल पर 12 न्यूज़लेटर प्रकाशित किए गए हैं। न्यूज़लेटर एक व्यापक भंडार है, जो राज्य और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर विभिन्न पहलों, परियोजनाओं और उपलब्धियों की जानकारी प्रदान करता है। इसमें राज्य की सर्वोत्तम प्रथाओं, नवाचारों, नीति अपडेट और घटनाओं का विवरण शामिल है। यह स्वच्छता और स्वच्छता प्रयासों, क्रॉस-लर्निंग के अवसरों के बारे में जानकारी का प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इस प्रकार एसबीएम-जी की समग्र सफलताओं में योगदान देता है।

स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान:

जल शक्ति मंत्रालय द्वारा 'स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान 2023' समारोह का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की समयावधि में 04 मार्च को विज्ञान भवन में किया गया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, श्री देवुसिंह जेसिंगभाई चौहान, संचार राज्य मंत्री, श्री प्रह्लाद सिंह पटेल, जल शक्ति, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री; बिश्वेश्वर टुडू, जल शक्ति, जनजातीय कार्य मंत्रालय राज्य मंत्री; और श्रीमती विनी महाजन, सचिव, डीओडब्ल्यूएस सहित अन्य गणमान्य उपस्थित हुए। राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्म ने ग्रामीण स्वच्छता क्षेत्र की 18 महिला चैंपियनों और अनुकरणीय कार्यकर्ताओं को एसबीएम-जी में उनके योगदान को मान्यता प्रदान करने के लिए पुरस्कृत किया। एसबीएम-जी, जल जीवन मिशन (जेजेएम) और राष्ट्रीय जल मिशन (एनडब्ल्यूएम) के अंतर्गत कुल 36 पुरस्कार प्रदान किए गए। केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रपति को 'स्वच्छ सुजल शक्ति की अभिव्यक्ति' की पहली प्रति भेंट की, जो एसबीएम (जी), जेजेएम और एनडब्ल्यूएम की केस स्टोरीज का एक संग्रह है। संचार राज्य मंत्री श्री देवसिंह जेसिंगभाई चौहान ने एनडब्ल्यूएम के लिए विशिष्ट रूप से निर्मित 'माई स्टैम्प' जारी किया और राष्ट्रपति को इसकी पहली प्रति भेंट की।

भारत पर्व और डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में प्रदर्शनी

सहयोग: 2023 के गणतंत्र दिवस समारोह के भाग के रूप में, डीओडब्ल्यूएस ने 26 से 31 जनवरी 2023 तक दिल्ली में लाल किला के सामने लॉन और ज्ञान पथ में पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित छह दिवसीय मेगा कार्यक्रम भारत पर्व में हिस्सा लिया। डीओडब्ल्यूएस ने एसबीएम चरण I और चरण II की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया और उनके प्रयासों को सम्मान देने और सराहना करने के उद्देश्य से सफाई कर्मचारियों द्वारा इसका उद्घाटन करवाया।

डीओडब्ल्यूएस की सचिव श्रीमती विनी महाजन ने 29 अप्रैल, 2023 को डॉ. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में नीति आयोग द्वारा आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों के साथ आयोजित परामर्श बैठक में 'ओडीएफ प्लस गांवों और पेयजल सुविधाओं को प्राप्त करना' विषय पर एक सत्र की अध्यक्षता की। इस बैठक में आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों में एसबीएम-जी और जेजेएम की प्रगति की गहन समीक्षा की अनुमति प्रदान की गई।

एसबीएम-जी, जी-20 (गांधीनगर)

02 से 29 मार्च, 2023 तक आयोजित दूसरे पर्यावरण एवं जलवायु स्थिरता कार्य समूह के दौरान गांधीनगर में जी-20 की बैठक में एसबीएम-जी ने अपना प्रतिनिधित्व दिया। इस कार्यक्रम में जी-20 सदस्य देशों, आमंत्रित देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के 130 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

सीओपी 28 - महिला और जल:

संयुक्त अरब अमीरात (30 नवंबर-12 दिसंबर, 2023) में आयोजित सीओपी 28 में 'महिला और जल' विषय में जेएस एंड एमडी (एसबीएम-जी), डीओडब्ल्यूएस द्वारा एसबीएम-जी और जेजेएम के अंतर्गत प्राप्त उपलब्धियों का प्रदर्शन करने के लिए एक प्रस्तुति दी गई। यह कार्यक्रम वॉश मुद्दों पर केंद्रित था, जिसमें भारत में महिलाओं के जीवन पर इन प्रमुख कार्यक्रमों के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया गया।

एसबीएम-जी और रेल मंत्रालय ने 14 सितंबर, 2023 को पानी की रेल पहल की शुरुआत की, जिसे उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने हरी झंडी दिखाई। हिमसागर एक्सप्रेस और कामाख्या एक्सप्रेस एसबीएम-जी, जेजेएम, जल संरक्षण, नदी कायाकल्प और अन्य विषयों पर जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए मोबाइल सूचनापट्ट के रूप में कार्य करती हैं।

स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस):

स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) अभियान 2017 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किया गया और तब से, यह प्रति वर्ष 15 सितंबर से 02 अक्टूबर तक आयोजित किया जाता है। वर्ष 2023 का विषय कचरा मुक्त भारत था और पूरे देश के 109 करोड़ से ज्यादा लोगों ने 'स्वच्छता ही सेवा' जन आंदोलन में हिस्सा लिया। 53 करोड़ लोगों ने 'स्वच्छता के लिए श्रमदान' किया, जिसमें औसतन 3 करोड़ लोगों की दैनिक भागीदारी देखी गई। 18 दिनों वाले इस अभियान में उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त हुए, जिसमें लगभग 7,611 समुद्र तटों की सफाई, 6,371 नदी तटों एव जलमार्गों को पुनर्जीवित करना, 15,576 से ज्यादा विरासत अपशिष्ट स्थलों की पुनः प्राप्ति, 3,620 पर्यटन एवं प्रतिष्ठित स्थलों में सुधार लाना और 1,23,840 से ज्यादा सार्वजनिक स्थलों की बहाली शामिल है। इसके अलावा, 16,000 से ज्यादा जल निकायों को साफ किया गया, 87,000 से ज्यादा संस्थागत भवनों का कायाकल्प किया गया और लगभग 66,779 कचरा संवेदनशील स्थलों को साफ किया गया। आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने कचरा मुक्त शहरों के निर्माण की दिशा में युवाओं के नेतृत्व में एक अंतर-शहर प्रतियोगिता भारतीय स्वच्छता लीग 2.0 का शुभारंभ किया। एसएचएस को स्वच्छता और सफाई की अटूट प्रतिबद्धता को उजागर करने के लिए भारत सरकार के 71 मंत्रालयों और विभागों, विश्वविद्यालयों और सरकार से भागीदारी प्राप्त हुई।

एक तारीख एक घंटा एक साथ:

गांधी जयंती से पहले, अपने मन की बात की 105वीं कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नागरिकों को इसमें शामिल करने के लिए एक अनूठा आह्वान किया, उन्होंने 01 अक्टूबर को सुबह 10 बजे सभी नागरिकों को सामूहिक स्वच्छता प्राप्त करने के लिए एक घंटे का श्रमदान करने की अपील की, जो बापू को उनकी जयंती की पूर्व संध्या पर 'स्वच्छांजलि' होगी। इस अपील ने एसबीएम- ग्रामीण और शहरी सहित सभी विभागों में इस सहयोग को सुनिश्चित किया गया। पर्यटन मंत्रालय ने 108 चयनित स्थलों पर स्वच्छता अभियान के लिए ट्रैवल फॉर लाइफ शुरू किया, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पूरे देश के सभी सिनेमा घरों में एसएचएस वीडियो चलाया, दूरसंचार विभाग ने सभी मोबाइल नेटवर्क पर एसएचएस रिंगटोन बजाया। नागरिक उड्डयन विभाग और रेलवे बोर्ड ने सभी हवाई अड्डों और रेलवे क्षेत्रों में एसएचएस अभियान का समर्थन किया, जबकि एएसआई ने एसएचएस ब्रांडिंग के साथ सभी प्रमुख स्मारकों को रोशन किया। स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने देश के सभी सार्वजनिक और निजी स्कूलों में स्वच्छता गतिविधियों को सुनिश्चित किया और उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को स्वच्छता संदेश फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया। सभी विभागों ने एसएचएस अभियान का समर्थन किया और इसमें योगदान दिया, जिसमें 8.75 करोड़ लोगों (शहरी और ग्रामीण) ने पूरे देश में 9.2 लाख से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित किए।

सुजलाम अभियान:

डीओडब्ल्यूएस ने 2021-2023 की अवधि में सुजलाम 1, 2 और 3 अभियान चलाया, जिससे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को धूसर पानी प्रबंधन प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियों को पूरा करने में सक्षम बनाया जा सके। इन वर्षों (2021-2023) में इस अभियान का कार्यान्वयन लगातार बढ़ा है, जिसमें सालाना 10 लाख से ज्यादा सोख्ता गड्ढे बनाए जा रहे हैं, तीन वर्षों के दौरान कुल 50 लाख सोख्ता गड्ढे बने हैं जिनका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है।

रेट्रोफ़िट टू ट्विन पिट अभियान:

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने 2022 में रेट्रोफिट टू ट्विन पिट अभियान शुरू किया था, जिससे एकल गड्ढे वाले शौचालय को जुड़वां गड्ढे वाले शौचालय में रेट्रोफिट करने की एक सरल ऑन साइट पद्धति के माध्यम से गाद के आधिकारिक सुरक्षित निपटान को बढ़ावा दिया जा सके। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने एसबीएम-जी चरण-II के नए आईएचएचएल दिशा-निर्देशों और मल कीचड़ प्रबंधन (एफएसएम) मैनुअल में केवल दोहरे गड्ढे वाले शौचालयों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कार्रवाई की है। 2022 के आधारभूत आकलन के आधार पर, ट्विन पिट अभियान (अक्टूबर 2022-जून 2023) के अंतर्गत 10 लाख शौचालयों को रेट्रोफिट किया गया है।

एसबीएम (जी) चरण-II के अंतर्गत कार्यक्रम का वित्तपोषण

एसबीएम (जी) के अंतर्गत, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों (बीपीएल) और गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) की पहचान किए गए परिवारों (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, छोटे एवं सीमांत किसान, वासभूमि वाले भूमिहीन श्रमिक, दिव्यांगजन और महिला प्रधान परिवार) के पात्र परिवारों को व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय (आईएचएचएल) का निर्माण करने के लिए 12.000/- रुपये का प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। राज्यों को छूट प्राप्त है कि वह राज्य अंश के रूप में उच्चतर प्रोत्साहन राशि प्रदान कर सकते है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत ग्राम पंचायतों को सामुदायिक स्वच्छता परिसरों (सीएससी) के निर्माण और गांवों में एसएलडब्ल्यूएम के लिए परिसंपत्तियों का निर्माण करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

केंद्र और राज्यों के बीच निधियों की हिस्सेदारी का अनुपात निम्नानुसार है:

• 8 उत्तर-पूर्व राज्यों और 3 हिमालयी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के लिए हिस्सेदारी 90:10

• अन्य राज्यों के लिए 60:40

• अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के लिए, 100% हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

एसबीएम (जी) चरण-II घटक:

किसी भी छूटे हुए या नवनिर्मित घरों के लिए आईएचएचएल का निर्माण

• जरूरत के आधार पर गांवों में सीएससी का निर्माण

• एसएलडब्ल्यूएम - जैविक अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, धूसर जल प्रबंधन, मल कीचड़ प्रबंधन तथा सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) और क्षमता निर्माण

ओडीएफ प्लस की प्रगति को तीन श्रेणियों में बांटा गया है:

  1. महत्वाकांक्षी: वह गांव जो अपनी ओडीएफ स्थिति को बनाए हुआ है, और जिसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन या तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था है।
  2. उन्नतिशील: वह गांव जो अपनी ओडीएफ स्थिति को बनाए हुआ है और इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों की व्यवस्था है।
  3. मॉडल: वह गांव जो अपनी ओडीएफ स्थिति को बनाए हुआ है; ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन दोनों की व्यवस्था है; दृश्य स्वच्छता का निरीक्षण करता है यानी न्यूनतम कूड़ा, न्यूनतम स्थिर अपशिष्ट जल और सार्वजनिक स्थानों पर कोई प्लास्टिक कचरा डंप नहीं होता ओडीएफ प्लस आईईसी संदेश प्रदर्शित करता है।

स्वच्छता राज्य का विषय है और इस कार्यक्रम को राज्य सरकार के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है। केंद्र सरकार राज्यों को कार्यक्रम दिशा-निर्देश, सलाह और सहायता अनुदान जारी करके गांवों में समग्र स्वच्छता में सुधार लाने के प्रयासों को पूरा करने के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस कार्यक्रम को वित्तपोषण के विभिन्न कार्यक्षेत्रों और केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं के बीच अभिसरण के एक नए मॉडल के रूप में तैयार किया गया है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा एसबीएम (जी) के लिए बजटीय प्रावधानों के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही धनराशि के अलावा, 15वें वित्त आयोग के अनुदान से ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी), मनरेगा और राजस्व सृजन मॉडल आदि को विशेष रूप से ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए धन आवंटित किया जा रहा है।

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