वित्‍त मंत्रालय

वित्त मंत्रालय वर्षांत समीक्षा 2023: व्यय विभाग

Posted On: 27 DEC 2023 3:13PM by PIB Delhi

राजकोषीय प्रबंधन के गतिशील परिदृश्य में, व्यय विभाग (डीओई) केंद्र सरकार में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली और राज्य वित्त से जुड़े मामलों की देखरेख करता है।

15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए, डीओई ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राज्य सरकारों को कुल 1,79,140 करोड़ रुपये के सहायता अनुदान को मंजूरी दी। इन अनुदानों में हस्तांतरण के बाद का राजस्व घाटा, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और स्थानीय निकाय जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं, जो क्षेत्रीय विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का प्रदर्शन करते हैं।

2007-08 के वैश्विक वित्तीय संकट के जवाब में शुरू की गई डेटा गैप पहल के माध्यम से, लेखा महानियंत्रक ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भारत की सांख्यिकीय प्रणाली को 'आरईडी' से 'एएमबीईआर' में बदल दिया। पारदर्शी और तुलना करने योग्य सरकार के वित्तीय आंकड़ों के लिए यह प्रतिबद्धता कमजोरियों की आशंका और समाधान के प्रति देश के लचीलेपन को दर्शाती है।

सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) डिजिटल इंडिया पहल के एक महत्वपूर्ण पहलू, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के कार्यान्वयन में आधारशिला रही है। विभिन्न योजनाओं के तहत पंजीकृत 104.02 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के साथ, पीएफएमएस ने वास्तविक समय पर निगरानी और पहुंच पर जोर देने के साथ, धन के कुशल हस्तांतरण की सुविधा प्रदान की है। इस व्यवस्था के प्रभाव की बात करें तो अपनी स्थापना के बाद से डीबीटी भुगतान सारांश से योजनाओं की संख्या और वितरित धनराशि दोनों में पर्याप्त वृद्धि पता चलती है।

इसके अलावा, सिंगल नोडल अकाउंट (एसएनए) ढांचे के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ट्रेजरी सिस्टम के एकीकरण ने निधि के प्रवाह और व्यय की निगरानी को सुव्यवस्थित किया है। जीआईएफएमआईएस वर्टिकल, ईग्रामस्वराज इंटरफेस और एसएनए-स्पर्श और सेंट्रल नोडल अकाउंट (सीएनए) का कार्यान्वयन जैसी पहल ई-गवर्नेंस और डिजिटल परिवर्तन के लिए प्रतिबद्धता का उदाहरण हैं।

पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता, अपने बहुआयामी दृष्टिकोण के साथ, राज्य अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में सामने आती है। इसमें खुली निधि, पुराने वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहन, शहरी नियोजन सुधार, शहरी स्थानीय निकायों में वित्तपोषण सुधार और आवास पहल शामिल हैं।

पेंशन के क्षेत्र में, केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएओ) की नवीन पहल से पेंशनभोगियों की जरूरतों को कुशलतापूर्वक पूरा करने की प्रतिबद्धता का पता चलता है। इनमें ‘दीर्घायु मोबाइल एप्लिकेशन’ और ‘वर्चुअल पेंशन अदालत’ शामिल हैं।

केंद्रीय बजट 2023-24 में पेश की गई विवाद से विश्वास योजना ने एमएसएमई को राहत प्रदान की है और इसमें लंबित अनुबंध संबंधी विवादों को निपटाने की व्यवस्था की गई है, जिससे आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिला है। ये उपलब्धियां सामूहिक रूप से वर्ष 2023 में व्यय विभाग की राजकोषीय विवेक, पारदर्शिता और समावेशी विकास के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं।

2023 में व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय की कुछ प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

डेटा गैप पहल

वर्ष 2009 में, जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने 2007-08 के वैश्विक वित्तीय संकट से सामने आए आंकड़ों के अंतर को दूर करने के लिए 'डेटा गैप इनिशिएटिव' (डीजीआई) या डेटा गैप पहल का समर्थन किया। उस संकट से कमजोरियों के स्रोतों का शीघ्र पता लगाने और समय पर सुधारात्मक उपाय करने के उद्देश्य से सामान्य सरकार के लिए विश्वसनीय, समय पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुलना के योग्य सरकारी वित्त सांख्यिकी (जीएफएस) डेटा के महत्व का पता चला था।

लेखा महानियंत्रक (सीजीए) ने डीजीआई की अनुशंसा के अनुसार विश्वसनीय, समय पर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुलना के योग्य डेटा साझा करने की भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए 'रेड' (आरईडी) से 'अंबर' (एएमबीईआर) लेबल में परिवर्तन करके भारत की सांख्यिकीय प्रणाली में अंतर को दूर कर दिया।

व्यय विभाग और आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय के साथ-साथ आईएमएफ-एसएआरटीटीएसी (साउथ एशिया रीजनल ट्रेनिंग एंड टेक्निकल असिस्टैंस सेंटर)  के समन्वय से सीजीए ने सरकारी वित्त सांख्यिकी मैनुअल, 2014 (जीएफएसएम 2014) की परिभाषाओं के अनुरूप डेटा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को प्रस्तुत किया था।

 

 

सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी)

सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से

  • सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) भारत सरकार के मंत्रालयों/ विभागों के लाभार्थियों के लिए भारत सरकार की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को सक्षम करने वाली डिजिटल इंडिया पहल में प्रत्यक्ष और महत्वपूर्ण योगदान देती है।

पीएफएमएस के माध्यम से डीबीटी से हासिल लक्ष्य

  • धनराशि जारी होने से लेकर इच्छित लाभार्थियों के बैंक खाते में उनके जमा होने तक की पूरी निगरानी।
  • 'बिल्कुल समय पर' धनराशि का स्थानांतरण।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी)

  • राज्य स्तर की योजनाओं सहित 1,016 योजनाओं में भुगतान पीएफएमएस के माध्यम से किया जाता है।
  • पीएफएमएस-एक्सटर्नल सिस्टम इंटीग्रेशन: भारत में 113 से अधिक भुगतान प्रणालियां पीएफएमएस के साथ एकीकृत हैं।

पीएफएमएस पर लगभग सभी केंद्र प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस) और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं (सीएस) हैं और आरबीआई सहित सभी प्रमुख बैंकों का पीएफएमएस के साथ इंटरफेस है।

 

स्थापना के बाद से अभी तक प्रत्यक्ष लाभ अंतरण भुगतान सारांश

वित्त वर्ष

योजनाओं की संख्या

कुल लेनदेन (करोड़ में)

धनराशि का भुगतान (लाख करोड़ में)

2014-15

56

2.19

0.06

2015-16

90

6.75

0.22

2016-17

162

10.11

0.31

2017-18

296

16.55

0.90

2018-19

414

50.97

1.39

2019-20

507

102.37

2.46

2020-21

603

126.88

2.89

2021-22

891

190.36

3.14

2022-23

1081

266.14

3.29

2023-24
(30.11.2023 तक)

1016

167.94

2.14

 

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की मुख्य बातें

  • सितंबर 2023 तक 104.02 करोड़ से अधिक लाभार्थियों ने विभिन्न डीबीटी योजनाओं के तहत पंजीकरण कराया है।
  • वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान नवंबर 2023 तक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत 18.92 करोड़ लेनदेन के माध्यम से 37,844.42 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
  • पीएफएमएस से एमओपीएनजी की पहल योजना को जोड़ना:
  • पहल (प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ) गैस सब्सिडी का भुगतान 1 अगस्त 2021 से शुरू हुआ, जिसमें लाभार्थियों की संख्या सबसे अधिक यानी 30 करोड़ से अधिक है।
  • वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान नवंबर 2023 तक योजना के तहत 76.95 करोड़ लेनदेन के माध्यम से 8,142.49 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
  • डीबीटी ट्रैकर:
    • 23 अगस्त, 2023 को लागू होने के बाद प्रति दिन औसतन 17,200 हिट्स के साथ पेमेंट ट्रैकर (बीटा वर्जन) लाभार्थियों की जरूरतों को पूरा करने में सफल रहा है. 05.12.2023 तक कुल 21,00,764 हिट आ चुके हैं।

 

  • सभी योजनाओं के डीबीटी लाभार्थियों को एसएमएस भेजना
  • पीएफएमएस डीबीटी लाभार्थियों के लिए अधिक से अधिक नागरिक केंद्रित सेवाएं सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विभिन्न डीबीटी योजनाओं के तहत लेनदेन का एसएमएस भेजता है।
  • नवंबर 2023 तक वित्त वर्ष 2023-24 में 412 डीबीटी योजना के तहत लगभग 4,66,50,704 एसएमएस भेजे गए।

राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल

  • छात्रवृत्ति के लाभार्थियों को उनकी क्रेडिट स्थिति जानने में सक्षम बनाने के लिए, पीएफएमएस ने छात्रवृत्ति भुगतान कार्यक्षमता के लिए 'ट्रैक एनएसपी पेमेंट' स्टेटस विकसित और लागू किया है।
  • छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने वाले भारतीय छात्रों के लिए 'वन स्टॉप' पोर्टल का उद्देश्य केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित सैकड़ों छात्रवृत्तियों को एक साथ लाकर विसंगतियों को कम करना और छात्रवृत्ति वितरित करने का एक सामान्य, प्रभावी और पारदर्शी तरीका उपलब्ध कराना है।

 

 

सिंगल नोडल अकाउंट (एसएनए)

    •  विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में राजकोष प्रणालियों का एकीकरण
  • सभी 31 राज्य कोषागारों में पूर्ण निर्बाध राजकोषीय एकीकरण (टीआई) हासिल किया गया
  • नियमित और प्रभावी डेटा प्रवाह को बनाए रखते हुए बजट और व्यय डेटा का एपीआई के माध्यम से नए प्रारूप में लगातार आदान-प्रदान किया जाता है।
  • टीआई इंटरफेस व्यय विभाग कार्यालय ज्ञापन दिनांक 23/03/2021 के अनुपालन में निर्दिष्ट समयसीमा के भीतर सिंगल नोडल अकाउंट (एसएनए) में धन हस्तांतरित करने के संबंध में राज्य कोषागारों के अवलोकन की अनुमति देता है।
  • एसएनए रिलीज की तारीख-वार सूची के साथ राज्यों और केंद्र का हिस्सा अलग-अलग प्रदर्शित किया जाता है।

 

    •  सिंगल नोडल अकाउंट (एसएनए) कार्यान्वयन
  • पीएफएमएस द्वारा सभी योजनाएं सफलतापूर्वक जोड़ ली गईं।
  • सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के लिए पीएफएमएस के एसएनए मॉड्यूल पर 4,396 योजनाएं शामिल की गईं।
  • राज्यों द्वारा उपयोग की जाने वाली समग्र शिक्षा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन आदि जैसी स्टैंडअलोन प्रणालियां भी पीएफएमएस के साथ एमआईएस के लिए एकीकृत हैं।
  • नया सीएसएस फ्रेमवर्क एसएनए मॉड्यूल सभी राज्यों में पूरी तरह से चालू हो गया है।
  • एसएनए कुशल नकदी प्रबंधन सुनिश्चित करता है और प्रणाली में लगने वाले समय को कम करता है।
  • एसएनए के माध्यम से सीएसएस कोष के प्रवाह की निगरानी और ट्रैकिंग।

 

 

सेंट्रल नोडल अकाउंट (सीएनए) का कार्यान्वयन

  • केंद्रीय क्षेत्र योजनाओं (सीएस) के तहत धनराशि जारी करने की प्रक्रिया 09.03.2022 को संशोधित कर दी गई।
  • पीएफएमएस के सेंट्रल नोडल अकाउंट (सीएनए) मॉड्यूल के माध्यम से सीएस कोष के प्रवाह की निगरानी और ट्रैकिंग।

सीएनए कार्यान्वयन मॉडल 1

  • 500 करोड़ रुपये से अधिक जीबीई वाली केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से धनराशि जारी करना
  • पीएफएमएस पर अब तक मॉडल 1 के तहत 57 योजनाएं शामिल की जा चुकी हैं।

सीएनए कार्यान्वयन मॉडल 2

  • 500 करोड़ रुपये से कम जीबीई वाली केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के माध्यम से धनराशि जारी करना।
  • पीएफएमएस पर अब तक मॉडल 2 के तहत 210 योजनाएं शामिल की जा चुकी हैं।

 

पीएफएमएस के साथ ईग्रामस्वराज इंटरफेस

  • देश भर के पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) में ई-गवर्नेंस को मजबूत करने के लिए, पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) वर्तमान में विकेंद्रीकृत योजना, प्रगति की रिपोर्टिंग और कार्य-आधारित लेखांकन में ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए एक उपयोगकर्ता अनुकूल वेब-आधारित पोर्टल ईग्रामस्वराज लागू कर रहा है।
  • सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस), व्यय विभाग  ईग्रामस्वराज पोर्टल के माध्यम से पंचायतों को निर्बाध भुगतान प्रक्रियाओं की सुविधा प्रदान करता है।
  • पीएफएमएस ईग्रामस्वराज 2.78 लाख (जिला, ग्राम, ब्लॉक पंचायत और जनजातीय स्थानीय निकाय) में से 2.63 लाख से अधिक पंचायतों के साथ उनके भुगतान लेनदेन के लिए एकीकृत है।
  • पीएफएमएस एक निर्बाध दो-तरफा डेटा प्रवाह में काम करता है - पंचायतों से जानकारी (पीएफएमएस-राज्य ट्रेजरी सिस्टम मॉड्यूल के माध्यम से प्राप्त) स्वचालित रूप से ईग्रामस्वराज पोर्टल पर पहुंच जाती है।
  • पीएफएमएस बैंकों द्वारा पंचायतों को जमा किये गये ब्याज के बारे में सूचित करता है।

 

वित्तीय प्रबंधन के लिए सरकार एकीकृत राजकोषीय प्रबंधन प्रणाली (जीआईएफएमआईएस) वर्टिकल

  • जीआईएफएमआईएस को प्रधानमंत्री की डिजिटल इंडिया पहल को समर्थन देने के लिए पीएफएमएस द्वारा विकसित किया गया था।
  • जीआईएफएमआईएस सरकार के अन्य सभी प्रकार के भुगतानकर्ताओं की एंड-टू-एंड डिजिटल प्रोसेसिंग को सक्षम बनाता है।
  • भुगतान के अंतिम डिजिटलीकरण के हिस्से के रूप में, पीएफएमएस प्लेटफॉर्म पर जीआईएफएमआईएस के तहत ईबिल मॉड्यूल विकसित किया गया था।
  • केंद्र सरकार के मंत्रालयों के लिए ई-बिल प्रणाली 02/03/2022 को शुरू की गई थी।
  • जीआईएफएमआईएस को 52 मंत्रालयों/ विभागों और विधानमंडल रहित 6 केंद्रशासित प्रदेशों की 447 वेतन और लेखा इकाइयों में लागू किया गया।
  • इस वित्त वर्ष में सभी नागरिक मंत्रालयों/ विभागों की अधिकांश भुगतान इकाइयां शामिल हो गई हैं।

वित्तीय प्रबंधन के लिए सरकार एकीकृत राजकोषीय प्रबंधन प्रणाली (जीआईएफएमआईएस) वर्टिकल के लाभ:

  • विक्रेताओं/ आपूर्तिकर्ताओं/ ठेकेदारों को कार्यालयों में आए बिना बिल/ दावे जमा करने में सुविधा
  • स्टोर/ सेवाओं की डिलीवरी के बाद एक छोटा बिल भुगतान चक्र
  • विक्रेताओं/ आपूर्तिकर्ताओं/ ठेकेदारों द्वारा बिल की स्थिति की ऑनलाइन ट्रैकिंग
  • भुगतान प्रणाली में अधिक प्रभावी ऑडिट ट्रेल्स
  • डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देना और कागजरहित प्रणाली के द्वारा कार्बन फुटप्रिंट को कम करना
  • महामारी जैसी स्थितियों में सरकारी संवितरण के लिए प्रभावी साधन

सिंगल नोडल अकाउंट - एसएनए- स्पर्श

  • एसएनए स्पर्श को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत 'जस्ट-इन-टाइम' यानी बिल्कुल समय पर रिलीज की सुविधा के लिए जीआईएफएमआईएस के तहत पीएफएमएस प्लेटफॉर्म पर विकसित किया गया है और वर्तमान में इसका परीक्षण किया जा रहा है।
  • इसका उद्देश्य राज्य आईएफएमआईएस और आरबीआई के ई-कुबेर के एकीकृत नेटवर्क के माध्यम से केंद्र और राज्य समेकित निधि से 'जस्ट-इन-टाइम' फंड प्रवाह प्राप्त करना है।
  • अधिक प्रभावी नकदी प्रबंधन की सुविधा प्रदान करता है।

मुख्य विशेषताएं:

  • निधि जारी करने में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी केवल वास्तविक व्यय पर आधारित होती है और उसके बाद होने वाले व्यय के एवज में दावा किया जाता है।
  • अंतिम लाभार्थी को भुगतान करने से पहले राज्य के खाते को केंद्र सरकार के हिस्से से पूर्व-वित्त पोषित किया जाएगा।

 

ऑनबोर्ड होने वाले यानी जुड़ने वाले राज्य: राजस्थान, कर्नाटक और ओडिशा

कार्यान्वयन के अग्रिम चरणों में पायलट, जहां जल्द लॉन्च होने वाला है: तेलंगाना, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम, गुजरात, बिहार और आंध्र प्रदेश

चरण 1 पायलट के लिए लागू एसएनए स्पर्श योजनाएं: राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (आरयूएसए) और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) (एसबीएम-जी)

चरण 2 के लिए एसएनए स्पर्ष योजनाएं:

  • प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम एबीएचआईएम)
  • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई)
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
  • चरण 2 में प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण को एसएनए स्पर्श पर शामिल किया जाना है।

केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएओ) द्वारा की गईं पहल

पेंशन मामलों के प्राधिकार

  • कुल मामले 1,01,788
  • नए पेंशन भुगतान आदेश 50,593
  • संशोधित पेंशन मामले 51,195

दीर्घायु मोबाइल एप्लीकेशन

  • ऐप को 27 फरवरी 2023 को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • दीर्घायु ऐप विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है जैसे एसएसए डाउनलोड करना, शिकायतों की स्थिति, पेंशन खाते में पिछले 24 लेनदेन का विवरण आदि।
  • परीक्षण के तहत गूगल प्ले स्टोर आईओएस वर्जन पर द्विभाषी ऐप उपलब्ध है।

वर्चुअल पेंशन अदालत:

  • केंद्र सरकार के सिविल पेंशनभोगियों की शिकायतों के तत्काल और त्वरित समाधान के लिए 2023 में दो वर्चुअल पेंशन अदालतें आयोजित की गईं

सीपीएओ डैशबोर्ड पर एस्केलेशन मैट्रिक्स

  • सीपीएओ ने शिकायतों का समय पर समाधान सुनिश्चित करने के लिए एक एस्केलेशन मैट्रिक्स विकसित किया है। लंबित शिकायतों की स्थिति सीपीएओ के वरिष्ठ प्रबंधन, अधिकृत बैंकों और मंत्रालयों/ विभागों को स्वचालित ई-मेल के माध्यम से भेजी जाती है।
  • मैट्रिक्स को 23.10.2023 को लाइव किया गया था।

विशेष सुविधा

  • सीपीएओ में त्वरित शिकायत समाधान के लिए अर्धसैनिक बलों के पेंशनभोगियों/ पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए एक अलग डेस्क स्थापित की गई।

राज्यों को वित्त आयोग अनुदान

15वें वित्त आयोग ने वर्ष 2023-24 के लिए निम्नलिखित मदों के तहत राज्य सरकारों को 1,79,140 करोड़ रुपये की सहायता अनुदान की सिफारिश की है:

  • हस्तांतरण उपरांत राजस्व घाटा अनुदान
  • स्थानीय निकायों को अनुदान
  • स्वास्थ्य क्षेत्र अनुदान
  • आपदा प्रबंधन अनुदान (एसडीआरएमएफ/ एनडीआरएमएफ)

2023-24 के दौरान विभिन्न घटकों के तहत राज्य सरकारों को अनुदान जारी किया गया:

 

क्रम सं.

घटक

2023-24 के दौरान जारी अनुदान (करोड़ रुपये में)

6 दिसंबर, 2023 तक

1.

हस्तांतरण उपरांत राजस्व घाटा अनुदान

34448.64

2.

शहरी स्थानीय निकाय अनुदान

12180.19

3.

ग्रामीण स्थानीय निकाय अनुदान

20222.88

4.

स्वास्थ्य क्षेत्र अनुदान

2760.69

5.

राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष का केंद्रीय हिस्सा

10234.00

6.

राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष का केंद्रीय हिस्सा

2147.60

7.

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष से अतिरिक्त केंद्रीय सहायता जारी करना

250.15

 

कुल

82744.15

 

पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता की योजना

  • राज्यों को 50-वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के माध्यम से राज्यों के पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना।
  • इस योजना को वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 में बढ़ाया गया था।
  • योजना के तहत 2020-21, 2021-22 और 2022-23 में क्रमशः 11,830.29 करोड़ रुपये, 14,185.78 करोड़ रुपये और 18,195.35 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई।
  • वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राज्यों के अनुरोध पर योजना को पुनः डिजाइन और उसका विस्तार किया गया।
  • आठ क्षेत्रों में प्रोत्साहन के रूप में 30,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन सहित 1.30 लाख करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई।

पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना 2023-24

भाग-I (अनटाइड यानी खुली)

  • केंद्रीय करों और शुल्कों में उनकी हिस्सेदारी के अनुपात में राज्यों को 1,00,000 करोड़ रुपये आवंटित।
  • अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों के लिए 91,471.43 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय को मंजूरी दी गई है।
  • जिसमें से पात्र राज्यों को 57,090.39 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।

भाग-II (पुराने वाहनों को कबाड़ करने के लिए प्रोत्साहन देना)

  • 15 वर्ष से अधिक पुराने राज्य सरकार के वाहनों और एम्बुलेंस को हटाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए।
  • यह योजना राज्यों को प्रोत्साहित करती है:
    • पुराने वाहनों पर देनदारियां माफ
    • पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए लोगों को कर रियायतें प्रदान करना
    • स्वचालित वाहन परीक्षण सुविधाओं की स्थापना
  • बिहार, छत्तीसगढ़ और पंजाब राज्यों के लिए 112.50 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय को मंजूरी दी गई है।
  • जिसमें से बिहार और छत्तीसगढ़ राज्य को 31.25 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

 

भाग-III (शहरी नियोजन सुधार)

  • टिकाऊ शहरीकरण के लिए किफायती आवास, व्यापक गतिशील परिवहन को बढ़ावा देने और ब्लू-ग्रीन बुनियादी ढांचे के संरक्षण के लिए 15,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।

भाग-IV (शहरी स्थानीय निकायों में वित्तीय सुधार)

  • शहरों (नगर पालिकाओं/ शहरी स्थानीय निकायों) की साख में सुधार लाने और संपत्ति कर प्रशासन सुधारों को प्रोत्साहित करके और शहरी बुनियादी ढांचे पर उपयोगकर्ता शुल्क की रिंग-फेंसिंग यानी अलग करके उन्हें नगरपालिका बांड के लिए तैयार करने के लिए 5,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।

भाग-V (शहरी क्षेत्रों में पुलिस स्टेशनों के ऊपर या उसके हिस्से में पुलिस कर्मियों के लिए आवास)

  • शहरी क्षेत्रों में पुलिस कर्मियों और उनके परिवारों के लिए आवास सुविधा बढ़ाने के लिए 2,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं, जिससे पुलिस कर्मियों को अपनी ड्यूटी के स्थान तक पहुंचने में बर्बाद होने वाले समय और ऊर्जा की बचत होगी।
  • असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तराखंड राज्यों के लिए 1,684.80 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय को मंजूरी दी गई है।
  • जिसमें से पात्र राज्यों को 820.97 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।

भाग-VI (यूनिटी मॉल्स का निर्माण)

  • राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए 5,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए
  • "मेक इन इंडिया" की अवधारणा को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन।
  • हर राज्य में एक यूनिटी मॉल के निर्माण को बढ़ावा दिया गया।
  • असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तराखंड राज्यों के लिए 2,945.64 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय को मंजूरी दी गई है।
  • इसमें से 1,393.32 करोड़ रुपये इन राज्यों को जारी किए जा चुके हैं।

भाग-VII (बच्चों और किशोरों के पुस्तकालय और डिजिटल अवसंरचना)

  • पंचायत और वार्ड स्तर पर राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी संसाधनों तक पहुंच के लिए बुनियादी ढांचे के साथ एक भौतिक पुस्तकालय की स्थापना के लिए राज्यों को 5,000 करोड़ रुपये।
  • असम, कर्नाटक, मेघालय और उत्तर प्रदेश राज्यों के लिए 1,942.54 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय को मंजूरी दी गई है।
  • जिसमें से इन राज्यों को 971.27 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।

भाग-VIII (आरबीआई के ई-कुबेर मॉडल का उपयोग करते हुए 'जस्ट-इन-टाइम' रिलीज)

  • 31 अक्टूबर 2023 तक राज्यों की 96,206.27 करोड़ रुपये की पूंजी निवेश परियोजनाओं को मंजूरी दी गई और 2023-24 के लिए योजना के तहत अब तक 58,494.19 रुपये जारी किए गए।
  • इस भाग के तहत, एक राज्य आरबीआई की ई-कुबेर प्रणाली के माध्यम से 'जस्ट-इन टाइम' मॉडल के तहत लाई गई योजना के केंद्रीय हिस्से के 10 प्रतिशत के बराबर प्रोत्साहन राशि के लिए पात्र होगा।
  • इसके अलावा, एक राज्य 100 करोड़ रुपये तक के प्रोत्साहन के लिए पात्र होगा, यदि एसएनए रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में केंद्रीय हिस्सेदारी की 95 प्रतिशत से अधिक रिलीज राज्य सरकार द्वारा समय सीमा के अंदर संबंधित एकल नोडल खाते (एसएनए) में की जाती है।

वर्ष 2023-24 के लिए शुद्ध उधारी सीमा (एनबीसी)

  • पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राज्यों के लिए सामान्य शुद्ध उधारी सीमा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 3 प्रतिशत, यानी 8,59,988 करोड़ रुपये तय की गई है।
  • वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान मुक्त बाजार उधार (ओएमबी) के लिए 6,99,016 करोड़ रुपये और समझौता ऋण के लिए 69,370.81 करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी दी गई।
  • इसके अलावा, राज्यों ने राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के दिशानिर्देशों के अनुसार वास्तविक एनएसडीएल/ ट्रस्टी बैंक के साथ अपने कर्मचारियों के योगदान के नियोक्ता और कर्मचारी के हिस्से के बराबर अतिरिक्त उधार सीमा की अनुमति दी, जो वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीएसडीपी के 3 प्रतिशत की सामान्य शुद्ध उधार सीमा से अधिक है।
  • अनुपालन करने वाले राज्यों द्वारा एनपीएस योगदान के लिए 2023-24 (27.10.2023 तक) में 22 राज्यों को 60,876.80 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधार सीमा की अनुमति दी गई।

बिजली क्षेत्र में प्रदर्शन से जुड़े जीएसडीपी का 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त उधार

  • 15वें वित्त आयोग ने बिजली क्षेत्र में राज्यों को सामान्य शुद्ध उधार सीमा से ऊपर, सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.50 प्रतिशत के बराबर प्रदर्शन आधारित अतिरिक्त उधार सीमा की सिफारिश की है।
  • उद्देश्य
    • परिचालन और आर्थिक दक्षता में सुधार करना है
    • सशुल्क बिजली खपत में निरंतर वृद्धि को बढ़ावा देना है
    • इस विशेष छूट की सिफारिश 2021-22 से 2024-25 तक के लिए की जाती है
  • वित्त वर्ष 2021-22: 12 राज्यों ने निर्धारित सुधार मानदंडों के आधार पर 39,175 करोड़ रुपये की अनुमति दी
  • वित्त वर्ष 2022-23: 6 राज्यों को 27,238 करोड़ रुपये की अनुमति
  • वित्त वर्ष 2023-24: बिजली मंत्रालय की सिफारिश पर राज्य 143,332 करोड़ रुपये (लगभग) के पात्र हैं

क्रम सं.

राज्य का नाम

धनराशि (करोड़ रुपये में)

2021-22

2022-23

1

आंध्र प्रदेश

3716

5858

2

असम

1886

2473

3

हिमाचल प्रदेश

251

-

4

केरल

4060

4263

5

मणिपुर

180

-

6

मेघालय

192

-

7

ओडिशा

2725

-

8

राजस्थान

5186

6122

9

सिक्किम

191

170

10

तमिलनाडु

7054

-

11

उत्तर प्रदेश

6823

-

12

पश्चिम बंगाल

6911

8352

 

कुल

39175

27238

विवाद से विश्वास योजना

विवाद से विश्वास योजना की घोषणा केंद्रीय बजट 2023-24 में की गई थी

विवाद से विश्वास I (एमएसएमई के लिए राहत)

  • योजना ने कोविड-19 महामारी के कारण केंद्र सरकार के अनुबंधों का पालन करने में असमर्थ रहने वाले एमएसएमई को राहत प्रदान की।
  • यह योजना 11 अप्रैल 2023 को शुरू की गई थी। दावे जमा करने की अंतिम तिथि 31.07.2023 थी।
  • 01.12.2023 तक, सरकार द्वारा एमएसएमई द्वारा 650 करोड़ रुपये से अधिक के 43,904 दावों का निपटारा किया गया।

विवाद से विश्वास II (अनुबंध संबंधी विवाद)

  • यह योजना केंद्र सरकार के लंबित सार्वजनिक खरीद से जुड़े अनुबंध संबंधी विवादों को निपटाने के लिए शुरू की गई थी।
  • यह योजना 29 मई, 2023 को शुरू की गई थी। दावे जमा करने की अंतिम तिथि 31.10.2023 थी।
  • 20,000 करोड़ रुपये के 900 से अधिक दावे प्राप्त हुए। 1,652 करोड़ रुपये के दावों का निपटान पहले ही किया जा चुका है और शेष की जांच संबंधित मंत्रालयों/ विभागों/ संगठनों द्वारा की जा रही है।

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एमजी/एआर/एमपी/एसएस



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