श्रम और रोजगार मंत्रालय
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विनिर्माण क्षेत्र द्वारा संगठित/असंठित क्षेत्र में रोजगार सृजन

Posted On: 18 DEC 2023 4:43PM by PIB Delhi

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) द्वारा आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के माध्यम से रोजगार और बेरोजगारी पर वर्ष 2017-18  के आंकड़े एकत्रित किए गए। सर्वेक्षण की अवधि हर साल जुलाई से जून होती है।

नवीनतम उपलब्ध वार्षिक पीएलएफएस रिपोर्ट के अनुसार, बुनियादी ढांचा क्षेत्र से संबंधित प्रमुख उद्योगों में रोजगार 2020-21 की तुलना में 2022-23 के दौरान बढ़ गया है। विनिर्माण क्षेत्र में श्रमिकों का प्रतिशत 2020-21 में 10.9% की तुलना में 2022-23 में बढ़कर 11.4% हो गया है। निर्माण क्षेत्र में श्रमिकों का प्रतिशत 2020-21 में 12.1% की तुलना में 2022-23 में बढ़कर 13.0% हो गया है।

इसके अलावा, त्रैमासिक रोजगार सर्वेक्षण (क्यूईएस) श्रम ब्यूरो द्वारा आयोजित किया जाता है जिसका उद्देश्य क्रमिक तिमाहियों में भारत की गैर-कृषि अर्थव्यवस्था के चयनित नौ क्षेत्रों के संबंध में रोजगार की स्थिति का आकलन करना है। चयनित नौ क्षेत्रों में विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रेस्तरां, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी)/बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं। क्यूईएस के चौथे दौर (जनवरी-मार्च, 2022) के अनुसार, नौ चयनित क्षेत्रों में अनुमानित कुल रोजगार 3.18 करोड़ था, जबकि छठी आर्थिक जनगणना (2013-14) में यह 2.37 करोड़ था। क्यूईएस के चौथे दौर (जनवरी-मार्च, 2022) के अनुसार चयनित नौ क्षेत्रों में अनुमानित कुल रोजगार में से विनिर्माण क्षेत्र में 38.5% और निर्माण क्षेत्र में 1.9% की हिस्सेदारी है।

नवीनतम उपलब्ध वार्षिक पीएलएफएस रिपोर्ट देश में श्रम शक्ति की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाती है। रिपोर्ट के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति पर अनुमानित श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) क्रमशः 2020-21, 2021-22 और 2022-23 के दौरान 54.9%, 55.2% और 57.9% थी।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आंकड़े औपचारिक क्षेत्र के मध्यम और बड़े प्रतिष्ठानों में कम वेतन पाने वाले श्रमिकों को कवर करते हैं। ईपीएफओ सदस्यता में शुद्ध वृद्धि जॉब मार्केट की औपचारिकता की सीमा और संगठित/अर्ध-संगठित क्षेत्र के कार्यबल के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभों के कवरेज का एक संकेतक है। 2020-21, 2021-22 और 2022-23 के दौरान ओडिशा और तमिलनाडु में ईपीएफ सब्सक्राइबर्स में शुद्ध वृद्धि इस प्रकार है:

नेट पेरोल एडिशन (संख्या में)

वर्ष

ओडिशा

Tamil Nadu

2020-21

1,00,361

6,64,278

2021-22

1,67,483

12,84,986

2022-23

2,19,180

14,05,171

स्रोत: ईपीएफओ पेरोल डेटा

रोजगार सृजन के साथ रोजगार क्षमता में सुधार सरकार की प्राथमिकता है। इसके अनुसार भारत सरकार ने देश में संगठित और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों सहित रोजगार पैदा करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।

बुनियादी ढांचे और उत्पादक क्षमता में निवेश का विकास और रोजगार पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। 2023-24 के बजट में पूंजी निवेश परिव्यय को लगातार तीसरे वर्ष 33 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत होगा। हाल के वर्षों में यह पर्याप्त वृद्धि विकास क्षमता और रोजगार सृजन को बढ़ाने के सरकार के प्रयासों का केंद्र है।

भारत सरकार ने व्यापार को प्रोत्साहन देने और कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है। इस पैकेज के तहत, सरकार ने 27 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया है। इस पैकेज में देश को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए विभिन्न दीर्घकालिक योजनाएं/कार्यक्रम/नीतियां शामिल हैं।

नए रोजगार के सृजन और कोविड-19 महामारी के दौरान रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) 1 अक्टूबर, 2020 से शुरू की गई थी। लाभार्थियों के पंजीकरण की अंतिम तिथि 31.03.2022 थी। योजना प्रारम्भ से दिनांक 23.09.2023 तक योजनान्तर्गत 60.47 लाख लाभार्थियों को लाभ प्रदान किया जा चुका है। ओडिशा में 2020-21 से 2023-24 (24.11.2023 तक) की अवधि के दौरान 89,354 लाभार्थियों को लाभ प्रदान किया गया है। तमिलनाडु में 2020-21 से 2023-24 (24.11.2023 तक) की अवधि के दौरान 8.18 लाख लाभार्थियों को लाभ प्रदान किया गया है।

सरकार ने 01 जून, 2020 से प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि योजना) को लागू किया है ताकि रेहड़ी पटरी लगाने वालों को अपने व्यवसायों को फिर से शुरू करने के लिए सहायक मुक्त कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा मिल सके, जो कि कोविड -19 महामारी के दौरान प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। 23.11.2023 तक, योजना के तहत 78.08 लाख ऋण स्वीकृत किए गए हैं। ओडिशा में, 2020-21 से 2023-24 (22.11.2023 तक) की अवधि के दौरान योजना के तहत 84,314 ऋण स्वीकृत किए गए हैं। तमिलनाडु में, 2020-21 से 2023-24 (22.11.2023 तक) की अवधि के दौरान योजना के तहत 4.87 लाख ऋण स्वीकृत किए गए हैं।

सरकार द्वारा स्वरोजगार की सुविधा के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) शुरू की गई थी। पीएमएमवाई के तहत 10 लाख रुपये तक सहायक मुक्त ऋण सूक्ष्म/लघु व्यवसाय उद्यमों और व्यक्तियों को अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को स्थापित करने या विस्तारित करने में सक्षम बनाने के लिए बढ़ाए गए हैं। योजना के तहत 17.11.2023 तक 44.41 करोड़ से अधिक ऋण खाते स्वीकृत किए गए। ओडिशा में, 2020-21 से 2023-24 (24.11.2023 तक) की अवधि के दौरान योजना के तहत 1.32 करोड़ ऋण खाते स्वीकृत किए गए। तमिलनाडु में, 2020-21 से 2023-24 (24.11.2023 तक) की अवधि के दौरान योजना के तहत 2.11 करोड़ ऋण खाते स्वीकृत किए गए।

2021-22 से शुरू होने वाले 5 वर्षों की अवधि के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। जिसमें 60 लाख नई नौकरियां पैदा करने की क्षमता है।

पीएम गतिशक्ति आर्थिक वृद्धि और सतत विकास के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है। यह दृष्टिकोण सात इंजनों द्वारा संचालित है अर्थात्, सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, जन परिवहन, जलमार्ग और रसद अवसंरचना। यह दृष्टिकोण स्वच्छ ऊर्जा और सबके प्रयास द्वारा संचालित है जिससे सभी के लिए बड़ी संख्या जॉब और उद्यमशीलता के अवसर पैदा होते हैं।

भारत सरकार प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस), रोजगार सृजन के लिए पं. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) और दीन दयाल अंतोदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) आदि जैसी योजनाओं पर पर्याप्त निवेश और सार्वजनिक व्यय वाली विभिन्न परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थानों (आरएसईटीआई) के माध्यम से उद्यमिता विकास के लिए ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम लागू कर रही है।

इसके अलावा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस), प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) लागू कर रहा है। 

इन पहलों के अलावा, सरकार के विभिन्न प्रमुख कार्यक्रम जैसे मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, हाउसिंग फॉर ऑल आदि भी रोजगार के अवसर पैदा करने की ओर उन्मुख हैं।

इन सभी पहलों से सामूहिक रूप से गुणक-प्रभाव के माध्यम से मध्यम से लंबी अवधि में रोजगार उत्पन्न होने की उम्मीद है।

यह जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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एमज/एआर/वीएस/एजे


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