पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण का निधि उपयोग
Posted On:
18 DEC 2023 4:52PM by PIB Delhi
प्रतिपूरक वनीकरण कोष अधिनियम, 2016 (सीएएफ अधिनियम) वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के अनुसार गैर-वानिकी उद्देश्यों हेतु वन भूमि के स्थान परिवर्तन के कारण वन और इकोसिस्टम से संबंधित सेवाओं के नुकसान की भरपाई के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है। कुल वर्तमान मूल्य (एनपीवी) सहित कैंपा कोष विभिन्न उपयोगकर्ता एजेंसियों से वन भूमि के स्थान परिवर्तन के बदले प्रतिपूरक करारोपण के रूप में प्राप्त होते हैं और ये परियोजना विशिष्ट होते हैं। प्रतिपूरक वनीकरण कोष अधिनियम, 2018 (सीएएफ नियम) विभिन्न राज्य/केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) द्वारा एनपीवी निधि का उपयोग करने हेतु मार्गदर्शन प्रदान करता है।
कैंपा कोष वन भूमि और इकोसिस्टम से संबंधित सेवाओं के नुकसान की भरपाई के लिए विशेष और अतिरिक्त निधि है, जिसका इस्तेमाल सामान्य राज्य कोष को प्रतिस्थापित करने के लिए नहीं किया जा सकता है। एनपीवी फंड का उद्देश्य नष्ट हुए वनों की समग्र रूप से इकोसिस्टम बहाली, अधिक वनों का निर्माण/संवर्धन, वन आवरण और वन्यजीव आवास की गुणवत्ता में सुधार, जैव विविधता का संरक्षण तथा इकोसिस्टम संबंधी सेवाओं में वृद्धि करना है। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश कैंपा सीएएफ अधिनियम और सीएएफ नियमों के प्रावधानों के अनुसार एनपीवी फंड के उपयोग की गतिविधियों सहित वनीकरण तथा वन एवं वन्यजीव आवास में सुधार के लिए विभिन्न गतिविधियों के संचालन की वार्षिक योजना तैयार करते हैं।
अधिकांश राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के पास उपलब्ध एनपीवी फंड सीमित हैं और उचित परिश्रम व उचित योजना के बिना इनका उपयोग किए जाने पर इनके समाप्त होने की संभावना बनी रहती है। चूंकि नष्ट हुए वनों की समग्र बहाली के लिए लंबे समय तक पर्याप्त वित्तीय संसाधनों के साथ व्यवस्थित और निरंतर प्रयासों की आवश्यकता होती है, तो ऐसी स्थिति में एनपीवी निधियों के प्रभावी उपयोग हेतु एक परिप्रेक्ष्य योजना होना आवश्यक है। इसलिए, राष्ट्रीय (कैंपा) प्राधिकरण समय-समय पर राज्य/केंद्रशासित प्रदेश प्राधिकरणों को दिशा-निर्देश/नियम जारी करता है, जिसमें वास्तविकता के रूप में प्राप्त करने योग्य लक्ष्य के साथ एक निश्चित समय सीमा के भीतर धन के उपयोग को तर्कसंगत बनाने के उद्देश्य से एक परिप्रेक्ष्य योजना तैयार करना शामिल है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को इकोसिस्टम संबंधी बहाली की गतिविधियों की पहचान करने और योजना बनाने की सलाह दी जाती है जैसे कि सहायता प्राप्त प्राकृतिक/कृत्रिम रूप से सुधार, मिट्टी एवं जल संरक्षण के उपाय, वन बढ़ाने वाली गतिविधियों का संचालन, बेकार प्रजातियों को हटाना और निर्माण तथा रखरखाव हेतु बाद के वर्षों के लिए धन का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित करना व गैर-आवश्यक गतिविधियों के लिए इस निधि का उपयोग करने से बचना।
इसलिए, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश कैंपा अधिकारियों को देश में वन एवं वन्यजीव आवासों के संरक्षण और सुधार के प्रयासों को तेज करने के लिए अपनी संतुलित योजना तैयार करने की सलाह दी गई है। महाराष्ट्र सहित अन्य राज्य और केंद्रशासित प्रदेश प्राधिकरण उनके पास उपलब्ध एनपीवी कोष पर 15-20% की वार्षिक सीमा के अनुसार संचालन की अपनी वार्षिक योजना तैयार कर रहे हैं। इससे वृक्षारोपण के रखरखाव, मिट्टी की नमी का संरक्षण और अन्य संबंधित वन तथा वन्यजीव आवास सुधार गतिविधियों के लिए एनपीवी निधि का नियमित प्रवाह सुनिश्चित होगा।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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एमजी/एआर/एनके/एसएस
(Release ID: 1987916)