कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन

Posted On: 12 DEC 2023 5:10PM by PIB Delhi

कृषि में ड्रोन के उपयोग से विशिष्ट लाभ होते हैं जैसे किसानों की दक्षता में वृद्धि, छिड़काव की लागत में कमी के कारण लागत प्रभावशीलता, उच्च स्तर के परमाणुकरण के कारण उर्वरकों और कीटनाशकों की बचत, अत्यधिक कम मात्रा में छिड़काव के कारण पानी की बचत आदि के अलावा मानव संसाधन के खतरनाक रसायनों के संपर्क में आने में कमी आती है। कृषि में ड्रोन के उपयोग से कृषि क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने में भी प्रेरणादाई प्रभाव पड़ता है।

कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), फार्म मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) के अंतर्गत संस्थान, राज्य और अन्य केंद्र सरकार के कृषि संस्थान/विभाग और भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) कृषि गतिविधियों में लगे हुए संस्थान  द्वारा किसानों के खेतों पर ड्रोन की खरीद और प्रदर्शन के लिए इसकी लागत का 100 प्रतिशत और अधिकतम 10 लाख रुपये प्रति ड्रोन तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को किसानों के खेतों पर इसके प्रदर्शन के लिए किसान ड्रोन की लागत का 75 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जाता है। इन कार्यान्वयन एजेंसियों को 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर का आकस्मिक व्यय प्रदान किया जाता है जो ड्रोन खरीदना नहीं चाहते हैं लेकिन कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी), हाई-टेक हब, ड्रोन निर्माताओं और स्टार्ट-अप से प्रदर्शन के लिए ड्रोन किराए पर लेंगे। ड्रोन प्रदर्शनों के लिए ड्रोन खरीदने वाली कार्यान्वयन एजेंसियों का आकस्मिक व्यय 3000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक सीमित है। किसानों को किराये के आधार पर ड्रोन सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और ग्रामीण उद्यमियों की सहकारी समिति के अंतर्गत कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) द्वारा ड्रोन की खरीद के लिए 40 प्रतिशत की दर से अधिकतम 4.00 लाख रुपये तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित करने वाले कृषि स्नातक ड्रोन की लागत का 50 प्रतिशत की दर से अधिकतम 5.00 लाख रुपये प्रति ड्रोन तक वित्तीय सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं। व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर ड्रोन की खरीद के लिए, लघु और सीमांत, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, महिलाओं और उत्तर पूर्वी राज्य के किसानों को लागत का 50 प्रतिशत की दर से अधिकतम 5.00 लाख रुपये और अन्य किसानों को 40 प्रतिशत की दर से अधिकतम 4.00 लाख रुपये तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) के अंतर्गत किसान ड्रोन प्रचार के लिए 141.39 करोड़  रुपये की धनराशि जारी की गई है, जिसमें किसान ड्रोन की खरीद और 100 कृषि विकास केन्द्रों (केवीके), 75 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) संस्थानों और 25 एसएयू के माध्यम से किसानों के खेतों पर उनके प्रदर्शन आयोजित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) को 52.50 करोड़ रुपये जारी किए गए। किसानों को सब्सिडी पर 461 किसान ड्रोन की आपूर्ति और किसानों को ड्रोन सेवाएं प्रदान करने के लिए 1585 किसान ड्रोन कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) की स्थापना के लिए राज्य सरकारों को धन उपलब्ध कराया गया है। देश भर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 193 संस्थानों द्वारा 263 एग्री-ड्रोन खरीदे गए हैं। इन संस्थानों के 260 कर्मियों ने ड्रोन पायलट प्रशिक्षण लिया है। कृषि में ड्रोन के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से, इन संस्थानों ने 16,471 हेक्टेयर क्षेत्र को सम्मिलित करते हुए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करते हुए पोषक तत्वों, उर्वरकों, रसायनों (कीट और कीड़े-मकोड़ों) अनुप्रयोगों पर 15,075 ड्रोन प्रदर्शन किए हैं।

सरकार ने हाल ही में महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को 1261 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ड्रोन प्रदान करने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना को भी स्वीकृति प्रदान की है। इस योजना का लक्ष्य कृषि प्रयोजन (उर्वरकों और कीटनाशकों के अनुप्रयोग) के लिए किसानों को किराये की सेवाएं प्रदान करने के लिए 15000 चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को ड्रोन प्रदान करना है। कुल 15,000 ड्रोनों में से, पहले 500 ड्रोन वर्ष 2023-24 में प्रमुख उर्वरक कंपनियों (एलएफसी) द्वारा चयनित स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को वितरण के लिए अपने आंतरिक संसाधनों का उपयोग करके खरीदे जाएंगे। शेष 14500 ड्रोन इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2024-25 और वर्ष 2025-26 के दौरान प्रदान किए जाएंगे और ड्रोन और ड्रोन की खरीद के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को सहायक उपकरण/सहायक शुल्क की लागत का 80 प्रतिशत और अधिकतम 8.0 लाख रुपये तक केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के समूह स्तरीय संघ (सीएलएफ) राष्ट्रीय कृषि अवसंरचना वित्तीय सुविधा (एआईएफ) के अंतर्गत ऋण के रूप में शेष राशि (खरीद की कुल लागत घटाकर सब्सिडी) बढ़ा सकते हैं। समूह स्तरीय संघ (सीएलएफ) को एआईएफ ऋण पर 3 प्रतिशत की दर से ब्याज में छूट प्रदान की जाएगी। यह योजना किसानों के लाभ के लिए बेहतर दक्षता, फसल की पैदावार बढ़ाने और संचालन की कम लागत के लिए कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी को सम्मिलित करने में मदद करेगी। यह योजना स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को स्थायी व्यवसाय और आजीविका सहायता भी प्रदान करेगी और वे कम से कम 1.0 लाख रुपये प्रति वर्ष की अतिरिक्त आय अर्जित करने में सक्षम होंगे।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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