कोयला मंत्रालय
कोयला उत्पादन और विद्युत क्षेत्र को इसकी आपूर्ति में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए किए गए उपाय
Posted On:
11 DEC 2023 4:07PM by PIB Delhi
देश में कोयले की पर्याप्त उपलब्धता है। साल 2022-23 में अब तक का सबसे अधिक कोयला उत्पादन हुआ है।
साल 2022-23 में पूरे देश में कोयले के उत्पादन का आंकड़ा 893.19 मीट्रिक टन था। इससे पहले साल 2021-22 में यह आंकड़ा 778.21 मीट्रिक टन था। इसके अलावा चालू वित्तीय वर्ष में नवंबर 2023 तक देश में कुल लगभग 591.40 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन हुआ है। वहीं, पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा लगभग 524.72 मीट्रिक टन था। इस अवधि के दौरान इसमें लगभग 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
देश को विद्युत संयंत्रों को कोयले के उत्पादन और आपूर्ति में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार के उठाए गए कदम निम्नलिखित हैं:
- कोयले के वाणिज्यिक खनन के लिए पारदर्शी नीलामी आयोजित की गई है। अब तक 7 चरणों में कुल 91 कोयला ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी की जा चुकी है। इन 91 ब्लॉकों की कुल पीआरसी 231 मीट्रिक टन है।
- कोयला मंत्रालय की ओर से कोयला ब्लॉकों के विकास में तेजी लाने के लिए इसकी नियमित समीक्षा की जाती है।
- कैप्टिव खान स्वामियों (परमाणु खनिज को छोड़कर) खान से संबंधित अन्य उपयोग संयंत्र की जरूरत को पूरा करने के बाद ऐसी अतिरिक्त धनराशि का भुगतान करने पर केंद्र सरकार द्वारा पहले से निर्धारित पद्धति के माध्यम से खुले बाजार में अपने वार्षिक खनिज (कोयला सहित) उत्पादन का 50 फीसदी तक विक्रय करने में सक्षम बनाने के लिए खान और खनिज (विकास व विनियमन) संशोधन अधिनियम- 2021 का अधिनियमन।
- कोयला खदानों के परिचालन में तेजी लाने के लिए कोयला क्षेत्र के लिए एकल खिड़की क्लीयरेंस पोर्टल।
- कोयला खदानों के शीघ्र परिचालन के लिए विभिन्न अनुमोदन/मंजूरियां प्राप्त करने के लिए कोयला ब्लॉक आवंटियों की सहायता के लिए परियोजना निगरानी इकाई।
- राजस्व हिस्सेदारी आधार पर वाणिज्यिक खनन की नीलामी साल 2020 में शुरू की गई थी। वाणिज्यिक खनन योजना के तहत उत्पादन की निर्धारित तारीख से पहले उत्पादित कोयले की मात्रा के लिए अंतिम प्रस्ताव पर 50 फीसदी की छूट की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ-साथ कोयला गैसीकरण या द्रवीकरण पर प्रोत्साहन (अंतिम प्रस्ताव पर 50 फीसदी की छूट) दिया गया है।
- कोल इंडिया लिमिटेड अपनी भूमिगत (यूजी) खदानों, मुख्य रूप से स्थायी खनिकों (सीएम) में यथासंभव बड़े पैमाने पर उत्पादन प्रौद्योगिकियों (एमपीटी) को अपना रही है। इसके अलावा कोल इंडिया लिमिटेड ने परित्यक्त/बंद खदानों की उपलब्धता को देखते हुए बड़ी संख्या में हाईवॉल (एचडब्ल्यू) खानों में कार्य करने की परिकल्पना की है। साथ ही, कोल इंडिया लिमिटेड यथासंभव बड़ी क्षमता वाली भूमिगत खानों की भी योजना बना रही है।
- कोल इंडिया लिमिटेड के पास इसकी ओपनकास्ट (ओसी) खानों में पहले से ही इसके उच्च क्षमता वाले उत्खनन मशीन, डंपर और सतह खनिकों में अत्याधुनिक तकनीक है। इसकी 7 बड़ी खदानों में प्रायोगिक पैमाने पर डिजिटलीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं और इसे आगे भी दोहराया जाएगा।
- एससीसीएल ने 67 मीट्रिक टन के मौजूदा स्तर से साल 2023-24 तक 75 मीट्रिक टन उत्पादन करने की योजना बनाई है। नई परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए नियमित रूप से संपर्क किया जा रहा है। इसके अलावा नई परियोजनाओं की गतिविधियों की प्रगति और मौजूदा परियोजनाओं के संचालन की नियमित निगरानी की जा रही है।
- कोयला मंत्रालय, कोयला निकासी और वितरण क्षमताओं में बढ़ोतरी के लिए रेल मंत्रालय के साथ समन्वय स्थापित कर रहा है। वर्तमान में कोयला वितरण क्षमताओं के विस्तार के लिए रेल मंत्रालय के सहयोग से 13 रेल लाइनों का निर्माण किया जा रहा है, निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।
- 1 बिलियन टन कोयले की मशीनीकृत हैंडलिंग की क्षमता प्राप्त करने के लिए तीन चरणों में 885 मीट्रिक टन क्षमता वाली कुल 67 फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। प्रधानमंत्री गति शक्ति के लक्ष्य के अनुरूप कोयला मंत्रालय ने मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी विकसित करने के लिए 26000 करोड़ रूपये की लागत वाली रेल परियोजनाएं शुरू की हैं।
- विद्युत क्षेत्र को कोयले की लगातार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विद्युत मंत्रालय, कोयला मंत्रालय, रेल मंत्रालय, सीईए, सीआईएल और एससीसीएल के प्रतिनिधियों वाला एक अंतर-मंत्रालयी उप-समूह नियमित रूप से बैठकें करता है, जिससे तापीय विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के साथ-साथ विद्युत संयंत्रों में कोयला भंडार की गंभीर स्थिति को दूर करने सहित विद्युत क्षेत्र से संबंधित किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न परिचालानात्मक निर्णय लिए जा सके। इसके अलावा कोयला आपूर्ति और विद्युत उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी की निगरानी करने के लिए एक अंतर- मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया है। इसमें रेल बोर्ड के अध्यक्ष, कोयला मंत्रालय के सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव और विद्युत मंत्रालय के सचिव शामिल हैं।
- नई खानों से कोयला उत्पादन के परिणामस्वरूप उद्योग को इसकी आपूर्ति करने में सहायता मिल रही है। साल 2008-09 से 2013-14 तक कोयला उत्पादन की सीएजीआर केवल 2.8 फीसदी रही है। वहीं, साल 2014-15 के बाद कोयला उत्पादन की सीएजीआर 5.2 फीसदी रही है। नई खानों से उत्पादन के परिणामस्वरूप साल 2022-23 में रिकॉर्ड कोयला उत्पादन 893.19 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन किया गया और इससे कोयले के आयात को कम करने में सहायता प्राप्त हुई है। इससे पहले आयातित कोयले पर आधारित विद्युत की लगभग 17,555 मेगावाट क्षमता स्थापित की गई थी। अब आयातित कोयले पर आधारित किसी और क्षमता की योजना नहीं बनाई गई है। पिछले 9 वर्षों में कोयला उत्पादन में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप कोयला आधारित विद्युत उत्पादन की सीजीएआर साल 2014-15 से 2022-23 तक 4.59 फीसदी रही है।
- साल 2023-24 (सितंबर तक) के दौरान कोयले का आयात 125.21 मीट्रिक टन था। वहीं, पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 131.86 मीट्रिक टन का आयात किया गया था। यानी इस अवधि के दौरान कोयला आयात में 5.04 फीसदी की कमी दर्ज की गई। यह घरेलू स्तर पर कोयले की उपलब्धता को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के कारण संभव हुआ है।
यह जानकारी केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने आज राज्यसभा में एक लिखित जवाब में दी।
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