पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

पहले चरण की समाप्ति के बाद, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने लीड आईटी 2.0 के तीन स्तंभों की घोषणा की


विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को कम कार्बन उत्सर्जन वाले भविष्य की ओर लेकर जाने में सक्षम बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय जलवायु कोष तत्काल जुटाने की आवश्यकता: श्री भूपेन्द्र यादव

भारत वैश्विक सहयोग के लिए दृढ़ संकल्पित है, लेकिन उद्योग जगत के नेताओं को सरकारों के साथ लीड आईटी पहल को आगे बढ़ाने के लिए सामने आना चाहिए

बड़े पैमाने पर कम कार्बन जलवायु प्रौद्योगिकियों की तैनाती के लिए पारदर्शी जलवायु वित्त, न्यायसंगत बाजार और सुविधाजनक वैश्विक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण आवश्यक है: श्री यादव

शिखर सम्मेलन में उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह हेतु संयुक्त मिशन बयान अंगीकार किया गया

Posted On: 09 DEC 2023 4:06PM by PIB Delhi

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने आज उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह के दूसरे चरण के तीन स्तंभों की घोषणा की।

संयुक्त अरब अमीरात में सीओपी28 में भारत और स्वीडन द्वारा आयोजित लीडआईटी शिखर सम्मेलन 2023 को संबोधित करते हुए और दुनिया और उद्योग जगत के नेताओं के लिए लीडआईटी के अगले चरण को पेश करते हुए, श्री यादव ने कहा कि चरण II को तीन स्तंभों पर विकसित किया गया है, जो निम्नलिखित हैं –

  1. संवाद के लिए एक वैश्विक मंच;
  2. प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-विकास; और
  3. उद्योग परिवर्तन मंच

मंत्री ने वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए लीडआईटी को श्रेय दिया और कहा कि लीडआईटी नेतृत्व के एक प्रतीक के रूप में उभरकर सामने आया है, जो सहयोग को बढ़ावा देने और सार्थक परिवर्तन लाने के लिए उद्योग जगत के अग्रदूतों, विशेषज्ञों और हितधारकों को एक साथ लेकर आता है। उन्होंने आगे कहा कि लीडआईटी ने वार्षिक शिखर सम्मेलनों और बहुपक्षीय मंचों पर सदस्यों के प्रयासों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय एजेंडे पर उद्योग परिवर्तन के प्रोफ़ाइल को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि इस पहल ने परिवर्तन की चुनौतियों की पहचान करने और उनका समाधान करने के लिए साझेदारी को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि इसका एक फोकस क्षेत्र कठिन क्षेत्रों में उद्योग परिवर्तन के लिए रोडमैप को समर्थन प्रदान करना है। लेकिन, साथ ही, इसने उद्योग परिवर्तन में तेजी लाने के उपायों पर ज्ञान साझा को भी बढ़ावा दिया है।

श्री यादव ने कहा, "अपनी केंद्रित पहलों और स्थिरता के लिए अटूट प्रतिबद्धता के माध्यम से, लीडआईटी अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर उद्योग के हितधारकों के साथ जुड़ रहा है।

उद्योग परिवर्तन मंच (आईटीपी) पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि मंच प्रौद्योगिकी सह-विकास, प्रदर्शन और कार्यान्वयन की परिकल्पना करता है। साथ ही, आईटीपी कई चैनलों के माध्यम से उपलब्ध बहुपक्षीय तकनीकी और वित्तीय सहायता का प्रभावी ढंग से समन्वय करेगा।

श्री यादव ने श्रोताओं से कहा कि भारत और स्वीडन के बीच ऐसा ही एक उद्योग परिवर्तन मंच (आईटीपी) विकसित किया गया है, जिसे 01 दिसंबर को दोनों देशों के नेताओं द्वारा शुरू किया गया। भारत और स्वीडन के बीच मजबूत सहयोग विकसित करके संस्थागत संरचना को मजबूत करने के उद्देश्य से विकसित, यह कम कार्बन परिवर्तन मार्गों को बढ़ावा देगा।

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मंत्री ने आशा व्यक्त की कि यह पहल सरकारों, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंसियों, निजी क्षेत्र, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, थिंक टैंक और अनुसंधान संस्थानों को एकसमान लक्ष्य के लिए एक साथ लेकर आएगा।

श्री यादव ने ब्रिटेन और ब्राजील के बीच इस प्रकार के एक और मंच के निर्माण को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि दो पायलट आईटीपी से जलवायु कार्रवाई में उत्तर-दक्षिण सहयोग को मजबूत करने के लिए कई और सहयोगों का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए।

उन्होंने कहा "निम्न कार्बन प्रौद्योगिकियों में वृद्धि और संबद्ध लागतों के लिए अंतर्राष्ट्रीय जलवायु निधियों को तत्काल जुटाने की आवश्यकता है, जिससे विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की एक स्थायी भविष्य के लिए अपने कम-कार्बन परिवर्तन में तेजी लाने में सक्षम बनाया जा सके।"

यह दोहराते हुए कि भारत वैश्विक सहयोग के प्रति अपने समर्पण में दृढ़ संकल्पित है, उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि हम पारदर्शी जलवायु वित्त तंत्र, न्यायसंगत बाजार संरचनाओं और अंतराल को पाटने और बड़े पैमाने पर कम कार्बन जलवायु प्रौद्योगिकियों की तैनाती में उत्पन्न बाधाओं को समाप्त करने में एक सुविधाजनक वैश्विक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व्यवस्था के महत्व को पहचानें।

साथ ही, उन्होंने उद्योग परिवर्तन का समर्थन, प्रचार करते हुए उद्योग जगत के नेताओं को याद दिलाया कि इस परिवर्तन में उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है क्योंकि वे अन्वेषक और निवेशक हैं, जो हमारी औद्योगिक प्रणालियों के प्रक्षेपवक्र को आकार दे सकते हैं। मंत्री ने उन्हें लीडआईटी के दृष्टिकोण और मिशन के प्रति अपनी निरंतर प्रतिबद्धता के साथ इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस अवसर पर स्वीडन की जलवायु एवं पर्यावरण मंत्री सुश्री रोमिना पौरमोख्तारी ने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि दुनिया पेरिस समझौते में सहमत हुए लक्ष्यों तक पहुंचने की दिशा में अग्रसर है।

उन्होंने रेखांकित किया कि औद्योगीकरण सभी देशों की सामाजिक और आर्थिक समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन साथ ही डीकार्बोनाइजेशन और हरित परिवर्तन में क्षेत्रीय विकास, नये रोजगार, नई प्रौद्योगिकी में निवेश, दक्षता में वृद्धि और बेहतर प्रतिस्पर्धा जैसे अवसर उपलब्ध हैं।

इस पहल के नए चरण की बात करते हुए, स्वीडन की मंत्री ने कहा कि लीडआईटी 2.0 की कार्रवाई के तीन स्तंभ जमीनी स्तर पर ज्यादा कार्रवाई के लिए मार्ग निर्धारित करेंगे और यह एक यथार्थ और न्यायसंगत उद्योग परिवर्तन के लिए एक वैश्विक मंच बना रहेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि लीडआईटी महत्वाकांक्षी देशों की भागीदारी स्थापित करने में मदद करेगा जो कि उभरते बाजारों में उद्योग परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करेगा।

पृष्ठभूमि

लीडआईटी शिखर सम्मेलन सरकारों और उद्योग के लिए पेरिस समझौते के लक्ष्यों के साथ संरेखित करने के लिए औद्योगिक क्षेत्र के कम कार्बन परिवर्तन के लिए योजनाओं और नीतियों पर चर्चा करने के अवसर के रूप में कार्य करता है।

लीडआईटी 2.0, लीडआईटी का दूसरा चरण 01 दिसंबर, 2023 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और स्वीडन के प्रधानमंत्री श्री उल्फ क्रिस्टरसन द्वारा शुरू किया गया।

शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, श्री भूपेन्द्र यादव और स्वीडन की पर्यावरण मंत्री सुश्री रोमिना पौरमोख्तारी ने की। 2019 में लीडआईटी की स्थापना के बाद से प्राप्त किए गए मील के पत्थर को प्रतिबिंबित करने के लिए लीडआईटी देश और कंपनी के सदस्यों ने शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया, और अगले तीन वर्षों के लिए दिशा निर्धारित की।

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दोनों देशों द्वारा लीडआईटी (2023-26) के लिए अपनाये गए संयुक्त मिशन विवरण संलग्न है।

संलग्नक

उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह के लिए संयुक्त मिशन वक्तव्य (2024-26)

उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह (लीडआईटी) के अगले चरण को शुरू करने के दृष्टिकोण से, इस मिशन विवरण को दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में 09 दिसंबर 2023 को यूएनएफसीसीसी (सीओपी28) के पक्षकारों के सम्मेलन के 28वें सत्र में आयोजित लीडरशिप समिट में लीडआईटी के सदस्यों द्वारा अपनाया गया है।

2019 में लीडआईटी की स्थापना के समय उत्सर्जन गहन उद्योगों में कम कार्बन परिवर्तन को लगभग असंभव माना जाता था लेकिन अब कंपनियों और सरकारों द्वारा इसे वास्तविक किया जा रहा है। यह वैश्विक औद्योगिक नीति परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव के साथ मेल खाता है क्योंकि उद्योग परिवर्तन अंतरराष्ट्रीय एजेंडे के उच्च स्तर पर है। लीडआईटी सदस्यों ने उद्योग परिवर्तन के लिए कई चुनौतियों से निपटने के लिए कई पहलों की शुरुआत, समर्थन और योगदान दिया है। ऐसा करने में, उद्योग परिवर्तन में तेजी लाने के लिए लीडआईटी का मूल मिशन प्राप्त किया गया है।

फिर भी, उद्योग परिवर्तन पर स्पॉटलाइट होने के बावजूद, पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वाकांक्षा और कार्यान्वयन अंतराल बढ़ रहा है, विशेष रूप से जब 2030 को अंतरिम मील का पत्थर माना जा रहा है। वैश्विक परिवर्तन के लिए सक्षम परिस्थितियों पर प्रगति बहुत धीमी रही है (उदाहरण के लिए स्वच्छ बिजली, प्रौद्योगिकी और वित्त तक पहुंच; मजबूत मांग; विश्वसनीय नीति संरचना, आदि)। समानता और सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के सिद्धांत के अनुरूप एक यथार्थ और न्यायसंगत उद्योग परिवर्तन की मजबूत आवश्यकता बनी हुई है। परिणामस्वरुप, लीडआईटी उन क्षेत्रों में संवाद को बढ़ावा देगा और साझेदारी को मजबूत करेगा जहां परिवर्तन की चुनौतियों को संबोधित नहीं किया गया है और उन देशों और कंपनियों के साथ काम करेगा जो उद्योग परिवर्तन को डिजाइन करने, बढ़ावा देने और कार्यान्वित करने में मदद करने के लिए विश्वसनीय भागीदारों की तलाश कर रहे हैं।

लीडआईटी के अगले चरण के लिए रणनीतिक दिशा

लीडआईटी की रणनीतिक दिशा 2030 के लिए निम्नलिखित दृष्टिकोण और लीडआईटी के अगले चरण के अंतर्गत इस दृष्टिकोण को प्राप्त करने के साधनों से प्रेरित होगी।

दृष्टिकोण

2030 तक, उद्योग पेरिस समझौते के साथ संरेखित है, जो 2050 तक यथार्थ और न्यायसंगत औद्योगिक परिवर्तन और नेट-जीरो उत्सर्जन की दिशा में तेजी लाएगा।

मिशन

नीति और नियामक संरचना के विकास को बढ़ावा देना जो सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने, संसाधनों को जुटाने और ज्ञान-साझाकरण का समर्थन करके एक समावेशी, यथार्थ और न्यायसंगत उद्योग परिवर्तन का समर्थन करता है, जो 2050 तक नेट-जीरो उद्योग उत्सर्जन के मार्ग में तेजी लाता है।

लीडआईटी स्तंभ

घोषित दृष्टिकोण और मिशन को प्राप्त करने के लिए, 2026 के अंत तक लीडआईटी का काम तीन स्तंभों की गतिविधियों के अंतर्गत आगे बढ़ेगा

1.एक यथार्थ और न्यायसंगत उद्योग संक्रमण के लिए वैश्विक मंच

लीडआईटी, वार्षिक नेतृत्व शिखर सम्मेलन में सरकारों और उद्योग के बीच बातचीत के लिए एक जगह सुरक्षित करना जारी रखेगा और उच्च स्तरीय कार्यक्रमों में अतिरिक्त अवसर ढूंढेगा। इसके अलावा, यह स्तंभ बहुपक्षीय समूहों (जैसे संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई; यूएनएफसीसीसी सीओपी प्रेसीडेंसी; आदि) के साथ लीडआईटी की भागीदारी और संरेखण को जारी रखना; ज्ञान साझा करके सदस्यों को सुसज्जित करना; और परिवर्तन की गति की निगरानी करने केंद्रित है।

2.प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-विकास

लीडआईटी सदस्यों (जैसे साझा पेटेंट, आर एंड डी इनक्यूबेटर, तकनीकी दिशा-निर्देश आदि) के बीच व्यापार-से-व्यवसाय प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, प्रदर्शन और सह-विकास की सुविधा को बढ़ावा देना, साथ ही नवाचार के लिए राष्ट्रीय संस्थागत क्षमता का निर्माण करना। जहां उचित हो, इस स्तंभ के अंतर्गत गतिविधियों को अनुसंधान संस्थानों द्वारा समर्थित किया जाएगा और मौजूदा नवाचार साझेदारी का निर्माण किया जाएगा।

3.समन्वित बहुपक्षीय सहायता के लिए उद्योग परिवर्तन साझेदारी

लीडआईटी सचिवालय उद्योग परिवर्तन साझेदारी स्थापित करने के इच्छुक लीडआईटी सदस्यों का समर्थन करेगा। ये साझेदारी उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए तकनीकी और वित्तीय अंतर्राष्ट्रीय सहायता के मानचित्रण, समन्वय, एकत्रीकरण और सुदृढ़ीकरण के माध्यम से हरित औद्योगिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए व्यापक और लक्षित सहायता प्रदान करेगी। अंततः, यह साझेदारी उन सक्षम परिस्थितियों को वितरित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहायता की प्रभावशीलता में सुधार लाना चाहती है जो बैंक-ग्राह्य कम कार्बन औद्योगिक परियोजनाओं की पाइपलाइन का निर्माण कर सकती हैं।

सदस्यों की प्रतिबद्धताएं

लीडआईटी के अगले चरण के दृष्टिकोण और मिशन को पूरा करने के लिए, सभी सदस्य प्रतिबद्ध हैं:

  • उद्योग परिवर्तन का समर्थन
  • पेरिस समझौते के अनुरूप साहसिक और महत्वाकांक्षी उत्सर्जन कटौती के लिए प्रतिबद्धता का प्रदर्शन
  • लीडआईटी मिशन और दृष्टिकोण को स्वीकार करना
  • उद्योग परिवर्तन पर संलग्न होना
  • लीडआईटी के तीन स्तंभों और संबंधित गतिविधियों में से एक या अधिक में संलग्न होना
  • मंत्रिस्तरीय या सीईओ स्तर पर वार्षिक नेतृत्व शिखर सम्मेलन में योगदान देना और नियमित लीडआईटी गतिविधियों (जैसे बैठकें, कार्यशालाएं, सेमिनार आदि) में शामिल होना
  • उद्योग परिवर्तन पर सदस्यों की गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए लीडआईटी सचिवालय और लीडआईटी सदस्यों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना
  • उद्योग परिवर्तन को बढ़ावा देना
  • नीति, नवाचार और प्रौद्योगिकी उपायों का समर्थन करने के लिए मूल्य श्रृंखलाओं में सरकारों और फर्मों के साथ जुड़ने की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करना, जो उत्सर्जन में कमी लाएंगे।
  • प्रमुख मील के पत्थर (जैसे सीओपी, संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन, आदि) की प्रगति पर अपडेट प्रदान करना।

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