कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय

32 मिमी स्टेपल फाइबर देसी-कपास बीज की उपलब्धता

Posted On: 08 DEC 2023 5:15PM by PIB Delhi

विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि देसी कपास की प्रजाति 'गॉसिपियम आर्बोरियम' कपास की पत्ती मोड़ने वाले वायरस रोग से सुरक्षित है, तुलनात्मक रूप से चूसने वाले कीटों (सफ़ेद मक्खी, थ्रिप्स और जैसिड्स) और बीमारियों ( बैक्टीरियल ब्लाइट और अल्टरनेरिया रोग) के प्रभाव को सहन कर सकती हैं, लेकिन ग्रे-फफूंदी रोग के प्रति संवेदनशील है। देसी कपास की प्रजातियां नमी को भी सहन कर स‍कती हैं। यह जानकारी आज राज्‍यसभा में कृषि और किसान कल्‍याण राज्‍य मंत्री कैलाश चौधरी ने एक लिखित उत्‍तर में दी।

देश के विभिन्न कपास उत्पादक क्षेत्रों/राज्यों में व्यावसायिक खेती के लिए जारी की गई 77 जी आर्बोरियम कपास किस्मों में से, वसंतराव नाइक मराठवाड़ा के वैज्ञानिकों ने चार लंबी रोएंदार किस्में विकसित की हैं जो पीए 740, पीए 810, पीए 812 और पीए 837 हैं। कृषि विद्यापीठ (वीएनएमकेवी), परभणी (महाराष्ट्र) की स्टेपल लंबाई 28-31 मिमी है; और बाकी 73 किस्मों की मुख्य लंबाई 16-28 मिमी की सीमा में है।

वसंतराव नाइक मराठवाड़ा, कृषि विद्यापीठ, परभणी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - ऑल इंडिया कॉटन रिसर्च प्रोजेक्ट ऑन कॉटन के परभणी केंद्र ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन कॉटन टेक्नोलॉजी, नागपुर केंद्र में ऊपरी आधी औसत लंबाई, जिनिंग आउट टर्न, माइक्रोनेयर वैल्यू सहित कताई परीक्षणों के लिए देसी कपास की किस्मों का परीक्षण किया है। परीक्षणों में कताई की किस्‍मों को सफल घोषित किया गया है।

देसी कपास स्टेपल फाइबर की लंबाई बढ़ाने के लिए अनुसंधान प्रयास जारी हैं 2022-23 के दौरान इन किस्मों के 570 किलोग्राम बीजों का उत्पादन किया गया। अगले बुआई सत्र में बुआई के लिए किसानों के पास पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध है।

***

एमजीएआर/आरपी/वीएल/एमपी



(Release ID: 1984183) Visitor Counter : 400


Read this release in: Telugu , English , Urdu