विधि एवं न्‍याय मंत्रालय
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ई-न्यायालय का तीसरा चरण

Posted On: 07 DEC 2023 4:50PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय ई-शासन योजना के एक हिस्से के तहत "भारतीय न्यायपालिका में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना" के आधार पर भारतीय न्यायपालिका के आईसीटी विकास के लिए ई-न्यायालय मिशन मोड परियोजना साल 2007 से कार्यान्वयन के अधीन है। इसकी सोच न्यायालयों को आईसीटी सक्षम बनाकर देश में न्यायिक प्रणाली को रूपांतरित करना और न्यायिक उत्पादकता को गुणात्मक व मात्रात्मक रूप से बढ़ाना है, जिससे न्याय  प्रदान करने संबंधित प्रणाली को सुगम, लागत प्रभावी, विश्वसनीय और पारदर्शी बनाया जा सके। ई-न्यायालय परियोजना को संबंधित उच्च न्यायालयों के माध्यम से विकेंद्रीकृत तरीके से न्याय विभाग, विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार और ई-समिति, भारत के उच्चतम न्यायालय की संयुक्त भागीदारी के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है। स्वतंत्र भारत में भारतीय न्यायपालिका का यह निरंतर प्रयास नागरिकों को न्याय तक त्वरित और सस्ती पहुंच प्रदान करना रहा है। आज प्रौद्योगिकी इस प्रयास को गति देने का एक शक्तिशाली उपकरण है। यह न्याय प्रणाली को न्यायसंगत बनाने का अवसर प्रदान करता है, जिससे हर एक नागरिक, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले लोगों को न्याय के लिए न्यायालयों तक पहुंच की सुविधा प्राप्त होती है। भारत के उच्चतम न्यायालय की ई-समिति ने 21.10.2022 को ई-न्यायालय चरण-III के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को अनुमोदित किया था। केंद्रीय बजट 2023-2024 प्रस्तुत किए जाने के दौरान 7210 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ई-न्यायालय चरण- III की घोषणा की गई थी। इसके बाद व्यय वित्त समिति (ईएफसी) ने 23.02.2023 को आयोजित अपनी बैठक में ई-न्यायालय परियोजना के चरण-III को मंजूरी दी थी। वहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13.09.2023 को आयोजित अपनी बैठक में 7210 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ ई-न्यायालय चरण-III को स्वीकृति दी। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने ई-न्यायालय चरण III के लिए आकस्मिकता निधि के रूप में 225 करोड़ रुपये जारी किए। इस धनराशि में से बीएसएनएल और एनआईसी को 102.50 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और स्कैनिंग व डिजिटलीकरण, ई-सेवा केंद्रों, मौजूदा और नए स्थापित न्यायालयों के लिए आईटी हार्डवेयर, सौर ऊर्जा बैकअप आदि के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों को 110.24 करोड़ रुपये उप-आवंटित किए गए।

चरण- I और चरण- II के लाभ को अगले स्तर पर ले जाने के लिए ई-न्यायालय चरण- III का उद्देश्य डिजिटल, ऑनलाइन और पेपरलेस न्यायालयों की ओर बढ़ते हुए न्याय में अधिकतम सुगमता की व्यवस्था शुरू करना है। ई-न्यायालय परियोजना चरण-III के लिए प्रस्तावित समय- सीमा चार वर्ष (2023 से आगे) है। इस परियोजना के चरण-III में विभिन्न नई सेवाओं की परिकल्पना की गई है, जो सुदूर स्थल तक न्याय पहुंचाने के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकती है। ई-कोर्ट चरण III के घटक और वित्तीय विवरण अनुबंध I में हैं।

यह जानकारी विधि और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), संसदीय कार्य राज्य मंत्री, संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज राज्य सभा में एक लिखित जवाब में दी।

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