शिक्षा मंत्रालय

राष्ट्रपति ने श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में भाग लिया

Posted On: 05 DEC 2023 8:34PM by PIB Delhi

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृत हमारी संस्कृति की पहचान और उसका वाहक रही है। यह भाषा हमारे देश की प्रगति का आधार भी रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत का व्याकरण इस भाषा को अद्वितीय वैज्ञानिक आधार देता है। यह मानवीय प्रतिभा की अनूठी उपलब्धि है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृत आधारित शिक्षा प्रणाली में गुरु या आचार्य को अत्यधिक महत्व दिया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्यार्थी इस परंपरा का पालन करेंगे और अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता के भाव के साथ आगे बढ़ेंगे। और, शिक्षक भी विद्यार्थियों को जीवन भर आशीर्वाद देंगे और उन्हें प्रेरित करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि बुद्धिमान लोग अपनी मेधा का उपयोग उत्कृष्ट चीजों को स्वीकार करने के लिए करते हैं। नासमझ लोग दूसरों की सलाह पर किसी चीज को अपना लेते हैं या अस्वीकार कर देते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को इस बात का ध्यान रखने की सलाह दी कि हमारी परंपराओं में जो कुछ भी वैज्ञानिक एवं उपयोगी है, उसे स्वीकार करना होगा और जो कुछ भी रूढ़िवादी, अन्यायपूर्ण एवं बेकार है, उसे अस्वीकार करना होगा। विवेक को हमेशा जागृत रखना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में यह परिकल्पना की गई है कि हमारे युवा भारतीय परंपराओं में विश्वास रखते हुए 21वीं सदी की दुनिया में अपना उचित स्थान बनायें। हमारे देश में नैतिकता, धार्मिक आचरण, परोपकार और सर्व-कल्याण जैसे जीवन मूल्यों पर आधारित प्रगति में ही शिक्षा की सार्थकता मानी जाती है। उन्होंने कहा कि इस दुनिया में उन लोगों के लिए कुछ भी हासिल करना कठिन नहीं है जो हमेशा दूसरों के कल्याण में लगे रहते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि सर्वसमावेशी प्रगति किसी भी संवेदनशील समाज की पहचान होती है। उन्होंने श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से छात्राओं को प्रोत्साहित करने और उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने के अधिक अवसर प्रदान करने का आग्रह किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, केन्द्रीय शिक्षा तथा कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्राचीन काल में संस्कृत भाषा, जो ज्ञान और विज्ञान के प्रवाह का माध्यम थी, के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने संस्कृत शिक्षा में नए आयाम जोड़ने और इस भाषा के प्रसार के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि तीन संस्कृत विश्वविद्यालयों का पुनर्गठन करके श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के मूल ज्ञान की संपदा को संरक्षित करने के प्रयासों को और गति दी है।

श्री प्रधान ने संस्कृत में नए दृष्टिकोण से पठन, पाठन और शोध को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप श्री लाल बहादुर राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने, संस्कृत सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं को समृद्ध करने, भारतीयता के मूल्यों और वेदों में निहित शाश्वत ज्ञान को आज सार्वभौमिक रूप से लोकप्रिय बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

 

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