विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
अधिक शक्ति की खुराक (ओवरडोज) से होने वाली विषाक्तता के लिए जानी जाने वाली कैंसर रोधी दवा मेथोट्रेक्सेट का पता लगाने के लिए नए अत्यधिक प्रतिदीप्त (फ्लोरोसेंट) पदार्थ गैर-एंजाइमी प्रविधि
Posted On:
01 DEC 2023 5:08PM by PIB Delhi
फॉस्फोरीन, सिस्टीन और स्वर्ण (पीएच-सीवाईएस-एयू) का उपयोग करके असाधारण प्रकाशिक (ऑप्टिकल) गुणों वाली एक नया अत्यधिक प्रतिदीप्त (फ्लोरोसेंट) पदार्थ (सामग्री) विकसित किया गया है, जिसका उपयोग कैंसर विरोधी दवा एमटीएक्स का पता लगाने के लिए एक ऐसे दृश्य संवेदी मंच (विजुअल सेंसिटिव प्लेटफार्म) के रूप में किया जा सकता है, जिसकी अधिक मात्रा फेफड़ों, पेट, और हृदय पर विषाक्त प्रभाव डालती है।
चिकित्सीय औषधियों और उनके उन्मूलन की निगरानी करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे मानव शरीर में गंभीर दुष्प्रभाव पैदा कर सकते हैं। मेथोट्रेक्सेट (एमटीएक्स) व्यापक रूप से प्रयोग में आने वाली वाली ऐसी ही कैंसर रोधी औषधि है। रक्त प्लाज्मा में 10 µएम से अधिक का एमटीएक्स मान खतरनाक है और यदि यह शरीर (सिस्टम) में 10 घंटे से अधिक समय तक रह जाता है तो उसके परिणामस्वरूप फेफड़ों पर इसका विषाक्त प्रभाव, पेट के व्रण (अल्सर) और हृदय घात (हार्ट स्ट्रोक) होता है। एमटीएक्स अत्यधिक महंगा है, और पारंपरिक प्रक्रियाओं का उपयोग करके इसकी अवांछित अधिक शक्ति की खुराक (ओवरडोज़) का पता लगाने में समय लगता है और इसमें जटिल उपकरण शामिल होते हैं। इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, सरल तरीकों का उपयोग करके इसकी शीघ्र और संवेदनशील पहचान के विकास की आवश्यकता है।
इस मुद्दे को हल करने के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी -आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों ने फॉस्फोरीन, सिस्टीन और स्वर्ण (पीएच-सीवाईएस-एयू) का उपयोग करके एक अत्यधिक प्रतिदीप्त (फ्लोरोसेंट) सामग्री विकसित की है। प्रोफेसर नीलोत्पल सेन सरमा, डॉ. मोजिबुर आर खान एवं शोध अध्येता (रिसर्च फेलो) नसरीन सुल्ताना और चिंगथम थानिल सिंह की टीम की इस सामग्री में असाधारण प्रकाशिक (ऑप्टिकल) गुण हैं और इस प्रकार इसे कैंसर रोधी औषधि एमटीएक्स का पता लगाने के लिए एक दृश्य संवेदी मंच के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। कैंसर रोधी दवा मेथोट्रेक्सेट का पता लगाने के लिए यह गैर-एंजाइमी प्रविधि (एप्रोच) चिकित्सीय विश्लेषण के लिए कोशिका आविषता (साइटोटॉक्सिसिटी) की जांच (स्क्रीनिंग) में सहायता कर सकता है।
इस प्रकार विकसित दृश्य संवेदी मंच (विजुअल सेंसिटिव प्लेटफार्म) अब तक की सभी पूर्व प्रणालियों से बेहतर प्रदर्शन करता है क्योंकि यह सामग्री एक सराहनीय पहचान सीमा के साथ जैव-संगत (बायो-कम्पैटिबिल) है। यह सामग्री लगभग 0.0266 एनएम (0-140 µएल) की (रैखिक सीमा के लिए) और 0.0077 एनएम (160-260 µएल) की (रैखिक सीमा के लिए की) पहचान सीमा दिखाती है। इसके अलावा, नैनोकम्पोजिट ने कैंसरग्रस्त कोशिकाओं के प्रति कृत्रिम परिवेशीय (इन विट्रो) कोशिका आविषता (साइटोटॉक्सिसिटी) प्रदर्शित की, लेकिन गैर-कैंसरग्रस्त कोशिकाओं के लिए यह गैर-कोशिका आविशाक्त (नॉन-साइटोटॉक्सिक) था।
यह शोध कार्य हाल ही में आरएससी नैनोस्केल, 2023, 15, 17570 में प्रकाशित हुआ है।
प्रकाशन लिंक: DOI: 10.1039/d3nr03948j
लेख के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया प्रोफेसर नीलोत्पल सेन सरमा, भौतिक विज्ञान प्रभाग, आईएएसएसटी (neelot@iasst.gov.in) से संपर्क करें।
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एमजी/एआर/एसटी/एसएस
(Release ID: 1981699)
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