विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

आयनमंडल में भूकंप स्रोत प्रक्रिया के प्रभाव का अंतरिक्ष-आधारित अवलोकनों में उपयोग भूकंप के पूर्व संकेतों को समझने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है

Posted On: 24 NOV 2023 10:33AM by PIB Delhi

एक नए अध्ययन के अनुसार  भूकंप  की सभी प्रक्रियाएं, जिनमें अपेक्षाकृत छोटी प्रक्रियाएं भी शामिल हैं , आयनमंडल में अपना प्रभाव  छोड़ती हैं  क्योंकि वे भू-चुंबकत्व और अदृश्य ज्यामितीय रेखाएं (लाइन-ऑफ-साइट ज्योमेट्री) जैसे कारकों के साथ-साथ भूकंपीय तरंगों   समेत आयनमंडलीय   आयनोस्फेरिक विक्षोभों   ( कोसेस्मिक आयनोस्फेरिक पर्टर्बेशन्ससीआईपी) के आयाम और अवधि को प्रभावित करती हैं। यह खोज अंतरिक्ष से भूकंप स्रोत प्रक्रियाओं का अवलोकन करने में सहायता  कर सकती है जो अंतरिक्ष-आधारित अवलोकनों का उपयोग करके भूकंप के पूर्वसंकेतों (प्रीकर्सर्स) को समझने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।

ब्रह्मांडीय ऊर्ध्वाधर क्रस्टल हलचलें वायुमंडल में ध्वनिक तरंगों (एकॉस्टिक वेव्स -एडब्ल्यूएस ) को उत्तेजित करती हैं। यह तरंगें ऊपर की ओर फैल कर  आयनमंडल तक पहुंचती हैं, जिससे  पृथ्वी की सतह पर स्थित वैश्विक  संचार उपग्रह  प्रणालियों (ग्राउंड ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम -जीएनएसएस) के ग्राही  उपकरण  (रिसीवर) और उपग्रहों को जोड़ने वाली  अदृश्य रेखाओं ( लाइन-ऑफ-साइट) के साथ इलेक्ट्रॉनों की संख्या में गड़बड़ी पैदा होती है। इन विक्षोभों को कोसेस्मिक आयनोस्फेरिक पर्टर्बेशन (सीआईपी) कहा जाता है। ऐसा निकट-क्षेत्र वाला सीआईपी सामान्यतः स्रोत के 500-600 किमी के भीतर होता है। पिछले अधिकांश अध्ययनों में प्रत्यक्ष ध्वन्यात्मक तरंगों (एडब्ल्यूएस) के लिए अधिकतम ऊर्ध्वाधर विस्थापन पर बिंदु स्रोतों का अनुमान लगाया गया था और ऐसे निकट-क्षेत्र के  सीआईपी  को सतह से एकल ध्वनिक पल्स मानकर मॉडल किया गया था। हालाँकि, बड़े भूकंपों में सैकड़ों किलोमीटर तक फैले कई भ्रंश खंडों का टूटना भी  शामिल होता है और फिर बड़े भूकंपों के लिए; ऐसी एकल स्रोत धारणा अनुपयुक्त हो सकती है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ जिओमैग्नेटिज्म - आईआईजी) के वैज्ञानिकों ने अपेक्षाकृत छोटे भूकंपों ( अर्थात  तात्कालिक क्षमता (मोमेंट मैग्निट्यूड - एमडब्ल्यू)  8  से कम) के लिए इस धारणा को सत्यापित करने के अपने प्रयास में, 2023 फरवरी  को तुर्किये  में आए भूकंप के निकट- क्षेत्र वाले  सीआईपी का विश्लेषण किया। उन्होंने पहली बार यह प्रदर्शित किया कि अपेक्षाकृत छोटे भूकंपों से उत्पन्न आयनोस्फेरिक गड़बड़ी में गलती के साथ कई स्रोतों का योगदान भी हो सकता है। 6 फरवरी 2023 को, तुर्की-सीरिया सीमा के पास दक्षिणी तुर्की में एमडब्ल्यू  7.8 (ईक्यू1) का विनाशकारी भूकंप आया, जो भूमि पर अंकित  की गई सबसे बड़ी स्ट्राइक-स्लिप घटनाओं में से एक है। इसके लगभग 9 घंटे बाद ईक्यू 1 के उत्तर में  एमडब्ल्यू 7.7 (ईक्यू 2) का भूकंप आया। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित एक  अध्ययन में  ईक्यू1 और ईक्यू2 द्वारा उत्पन्न सीआईपी का  विश्लेषण करते हुए, पहली बार पता यह चला कि कोसेस्मिक आयनोस्फेरिक पर्टर्बेशन (सीआईपीके अलग-अलग समय अंतराल के साथ कई स्रोतों वाले उप (सब)-सीआईपी के संयोजन के कारण विभिन्न उपग्रह-केन्द्रों के जोड़ों  के लिए विभिन्न प्रकार के आयाम और अवधि दिखाते हैं।

उन्होंने विस्तार से बताया कि इन कई स्रोतों से ध्वनिक तरंगों (एडब्ल्यू) के हस्तक्षेप से भूकंप के केंद्र से अलग-अलग अज़ीमुथ में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) स्टेशनों पर गड़बड़ी के आयाम और अवधि में अंतर होता है।

फॉल्ट

यह प्रदर्शित करते हुए कि ईक्यू 2 के सीआईपी  में ईक्यू 1 की तुलना में आयाम बहुत अधिक  और  अवधि कुछ कम  है, वैज्ञानिकों ने एकल स्रोत और उच्च पृष्ठभूमि आयनोस्फेरिक इलेक्ट्रॉन घनत्व को मानते हुए इन अंतरों को समझाया।

दोनों घटनाओं के दौरान भूकंप के केंद्र के स्थान (इपीसेंटर्स) और उनके परिमित भ्रंश  (फाईनाइट फॉल्ट) मॉडल

चित्र 1: दक्षिणी तुर्की में पूर्वी अनातोलियन भ्रंश  ( ईस्ट अनातोलियन फॉल्ट- ईएएफ) 6 फरवरी 2023 को टूट गया, जिससे 7.8 क्षणिक क्षमता (एमडब्ल्यू) का भूकंप (ईक्यू1) आया, जो प्रुध्वी पर अंकित  की गई सबसे बड़ी स्ट्राइक-स्लिप घटनाओं में से एक है। इसके ∼9 घंटे बाद, 7.7 क्षणिक क्षमता (एमडब्ल्यूका भूकंप (ईक्यू2) ईक्यू 1 के उत्तर में आया () ईएएफ, उत्तरी अनातोलियन फॉल्ट और ईक्यू1 और ईक्यू2 उपरिकेंद्रों के स्थानों को दर्शाने वाला मानचित्र। दोनों घटनाओं ने तीन खंडों को तोड़ दिया, जिन्हें एस 1, एस 2 और एस 3 (खंड 1, 2 और 3) के रूप में दिखाया गया है। (बी) अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (2023) से  लिया गया परिमित भ्रंश (फाईनाइट फॉल्ट)  

मॉडल।

आयनमंडल में  प्रेक्षित कुल 

स्लैंट इलेक्ट्रॉन सामग्री (एसटीईसी) समय श्रृंखला की तुलना में () ईक्यू1 और () ईक्यू2 के लिए निको-09 और निको-02 जोड़े के लिए संश्लेषित  सिंथेटिक कोसिस्मिक आयनोस्फेरिक गड़बड़ी (सीआईपी) ईक्यू 1 के लिए, संपूर्ण टूटन का अनुमान ध्वनिक तरंगों (एडब्ल्यूएस , एडब्ल्यू स्रोत -1, एडब्ल्यू स्रोत 2, और एडब्ल्यू स्रोत -3 के तीन अलग-अलग स्रोतों द्वारा लगाया गया था, जिनकी स्थिति पैनल (बी ) में दिखाई गई है। संश्लेषित विक्षोभों (सिन्थेसाइज्ड पर्टर्बेशन्स)    का  कुल योग व्यक्तिगत उप- आयनोस्फेरिक विक्षोभों   (सब- कोसेस्मिक आयनोस्फेरिक पर्टर्बेशन्स -सीआईपीज) की तुलना में कुल सीआईपी की लंबी अवधि की व्याख्या करता है। 09 का आयनोस्फेरिक पियर्स पॉइंट ट्रैक () के समान 0.5-2.0 यूटी  की समय खिड़की (टाइम विंडो) के लिए है I ईक्यू 2 के लिए, इसके तात्कालिक उत्सर्जन (मोमेंट रिलीज़) (चित्र 1 ) में केवल एक शिखर पर विचार करते हुए, हमने केवल एक स्रोत (डी) को माना जो विखंडन (रप्चर) प्रक्रिया  शुरू होने के 10 सेकंड बाद ही टूट गया।

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