विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर का एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब) कार्यक्रम


विज्ञान   नीति एवं कूटनीति सम्मेलन (साइंस पॉलिसी एंड  डिप्लोमेसी मीट)  के साथ  एक सप्ताह एक प्रयोगशाला कार्यक्रम (वन वीक वन लैब कार्यक्रम) का आज  16 सितंबर, 2023 को सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर में समापन हुआ

Posted On: 16 SEP 2023 4:59PM by PIB Delhi

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद - राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान  (सीएसआईआर - नेशनल  इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च -एनआईएससीपीआरने अपने अत्यधिक  सफल " एक सप्ताह एक प्रयोगशाला कार्यक्रम (वन वीक वन लैब प्रोग्राम - ओडब्ल्यूओएल)" कार्यक्रम का समापन किया, जो गत  11 सितंबर, 2023 को शुरू हुआ थाइस सप्ताह भर के समृद्ध  कार्यक्रम का आज 16 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के विवेकानंद सभागार (हॉल) में  समापन समारोह सम्पन्न  हुआ।

 एक सप्ताह एक लैब कार्यक्रम (ओडब्ल्यूओएल) के दौरान, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद - राष्ट्रीय वैज्ञानिक और  औद्योगिक अनुसंधान परिषद -विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान  (सीएसआईआर - नेशनल  इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च -एनआईएससीपीआरने 9 प्रमुख कार्यक्रमों, जैसे कि भारत की स्टार्टअप क्रांति: विचार से बाजार तक, ग्रामीण विकास के लिए जमीनी स्तर पर नवाचार और कौशल विकास सम्मेलन (कॉन्क्लेव), विज्ञान संचार कार्यशाला, छात्र-विज्ञान सम्पर्क (कनेक्ट), विज्ञान संचार: सार्वजनिक विज्ञान, विज्ञान ज्ञान सम्मेलन, विज्ञान नीति और कूटनीति बैठक के साथ जुड़ाव का आयोजन कियाओडब्ल्यूओएल कार्यक्रम के दौरान, एनआईएससीपीआर ने अपने प्रमुख हितधारकों जैसे विज्ञान नीति निर्माताओं, राजनयिकों, विज्ञान संचारकों, वैज्ञानिकों, उद्योग, नवप्रवर्तकों, उद्यमियों, स्टार्टअप, किसानों, शिक्षकों, छात्रों और विज्ञान प्रकाशकों आदि को आमंत्रित किया और उनके समक्ष एनआईएससीपीआर की नई पहल और उपलब्धियों का प्रदर्शन किया

पांचवें दिन के विज्ञान ज्ञान सम्मेलन कार्यक्रम में, लेखक और प्रकाशक परस्पर सम्पर्क बैठक (इंटरेक्शन मीटकी शुरुआत विली के श्री ऋषभ बजाज की बातचीत से हुई, जिन्होंने विली और राष्ट्रीय ज्ञान संसाधन कंसोर्टियम (नेशनल  नॉलेज रिसोर्स  कंसोर्टियम -एनकेआरसी) के बीच वर्तमान सहयोग के बारे में बात की। उन्होंने  अमेरिकन केमिकल सोसाइटी (एसीएस)  और एनकेआरसी के बीच सहयोग और उनके द्वारा प्रस्तुत  की जाने वाली सुविधाओं पर प्रकाश डाला। क्लैरिवेट ने अपने प्लेटफ़ॉर्म, वेब ऑफ़ साइंस पर सामग्री के रूप में मूल्यवर्धन के संबंध में महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं। कार्यक्रम के दौरान कई प्रतिष्ठित विज्ञान प्रकाशकों ने भाग लिया और अपने स्टॉल लगाए। प्रमुख विज्ञान प्रकाशकों में विली, क्लैरिवेट, एल्सेवियर, अमेरिकन केमिकल सोसाइटी (एसीएस), एसीएस इंटरनेशनल इंडिया, साइफाइंडर, ग्रामरली और इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स (आईओपी) शामिल हैं।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर का एक सप्ताह एक लैब कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य विज्ञान और विज्ञान नीति के साथ सार्वजनिक जुड़ाव को बढ़ावा देना और सीएसआईआर- एनआईएससीपीआर की उपलब्धियों  को प्रदर्शित करना है, अपने  प्रतिभागियों और आयोजकों के समर्पण और कड़ी मेहनत के कारण एक शानदार सफलता बना  है। समापन समारोह ज्ञानवर्धक प्रस्तुतियों और चर्चाओं से भरे सप्ताह का वस्तुतः  उपयुक्त समापन सिद्ध  हुआ।

विज्ञान नीति एवं कूटनीति सम्मेलन (साइंस पॉलिसी एंड डिप्लोमेसी मीट) का प्रारम्भ आज सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक प्रोफेसर रंजना अग्रवाल के भावभीने  और सौहार्दपूर्ण स्वागत भाषण के साथ हुआ , जिसने एक मनोरम और उपयोगी कार्यक्रम के लिए मंच तैयार किया। प्रोफेसर अग्रवाल ने "वन वीक वन लैबकार्यक्रम की मेजबानी करने पर गर्व का अनुभव  किया, जिसमें सतत विकास के लिए विज्ञान संचार, विज्ञान नीति, ज्ञान-साझाकरण और विज्ञान कूटनीति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर संबंधों को बढ़ावा देने एवं  चर्चा को प्रोत्साहित करने में इसकी भूमिका को रेखांकित किया गया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह पहल वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाने और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक और  औद्योगिक अनुसंधान परिषद-विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर - नेशनल  इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च-एनआईएससीपीआर) की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। निदेशक एनआईएससीपीआर ने विज्ञान प्रौद्योगिकी नवाचार नीति (एसटीआई पालिसी) पहल और विज्ञान संचार प्रयासों सहित संस्थान की मुख्य गतिविधियों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर से  प्रोफेसर रंजना अग्रवाल, विज्ञान नीति और कूटनीति कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत और भूटान में जर्मन राजदूत (बाएंडॉ. फिलिप एकरमैन, और सम्मानित अतिथि भारत के पूर्व राजदूत  डॉ. भास्कर बालाकृष्णन,  (दाएं) को सम्मानित करते हुए।

स्वागत भाषण के बाद, सीएसआईआर में अंतर्राष्ट्रीय  विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टीमामलों के निदेशालय के प्रमुख डॉ. राम स्वामी बंसल ने एक शानदार प्रस्तुति दी। उनका व्यापक अवलोकन  वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और इसके उस  व्यापक वैश्विक संबंधों पर प्रकाश डालता है, जो संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और पहल को प्रदर्शित करता है।

कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि, भारत के पूर्व राजदूत और अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईए), नई दिल्ली में विज्ञानं कूटनीति के अध्येता (साइंस डिप्लोमेसी फेलोडॉ. भास्कर बालाकृष्णन ने समकालीन विश्व  में विज्ञान डिप्लोमेसी के सर्वोपरि महत्व पर अमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की। डॉ. बालाकृष्णन ने भारत को सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में अपने अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) की तीव्रता को कम से कम 2 प्रतिशत बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने क्षेत्र-विशिष्ट अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने के महत्व पर बल  दिया और उन्नत अनुसंधान एवं विकास बुनियादी ढांचे के साथ-साथ शोधकर्ताओं की संख्या में पर्याप्त वृद्धि का आह्वान किया। उन्होंने भारत के लिए वैश्विक विज्ञान कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया और युवा शोधकर्ताओं को अनुसंधान प्रस्तावों को तैयार करने और वित्त पोषण के प्रबंधन के लिए आवश्यक उपकरण प्राप्त  करने की आवश्यकता पर बल दिया।

 

कार्यक्रम के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा विज्ञान कूटनीति पर एक विशेष प्रकाशन के विमोचन का क्षण

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण विज्ञान कूटनीति पर एक विशेष प्रकाशन का विमोचन था, जिसका मुख्य अतिथि, भारत और भूटान में जर्मन राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने अनावरण किया। यह प्रकाशन विज्ञान कूटनीति के क्षेत्र में ज्ञान के प्रसार में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

सतत विकास के लिए विज्ञान कूटनीति पर अपने मुख्य भाषण में, डॉ. एकरमैन ने भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों और जर्मनी के साथ इसके मजबूतसुदृढ़  संबंधों के लिए अपनी गहरी प्रशंसा साझा की। उन्होंने दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को रेखांकित करते हुए जर्मनी में भारतीय छात्रों की पर्याप्त उपस्थिति का उल्लेख किया। डॉ. एकरमैन ने सीएसआईआर के विज्ञान संचार कार्यक्रमों की सराहना की और वैश्विक महामारी के प्रति भारत की त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया की सराहना की। उन्होंने संशयवाद को बढ़ावा देने के प्रति आगाह किया और वैश्विक चुनौतियों केसमाधानों  को आकार देने में नीति अनुसंधान और प्रभावी संचार की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। डॉ. एकरमैन ने मनोरंजक और आकर्षक तरीकों के महत्व पर जोर देते हुए युवा पीढ़ी को शामिल करने और प्रशिक्षित करने के लिए नवीन दृष्टिकोण का आह्वान किया। उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की उपलब्धियों की सराहना की, जिसका उदाहरण चंद्रयान-3 मिशन है।

डॉ. एकरमैन ने वैज्ञानिक विकास में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला और जी - 20 घोषणाओं को दृढ़ता  से लागू करने का आह्वान किया। उन्होंने गंभीर वैश्विक मुद्दों के समाधान में इसके महत्व को पहचानते हुए भारत में जलवायु विज्ञान पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का  भी समर्थन किया

निष्कर्ष रूप में  इस आयोजन ने विज्ञान कूटनीति, विज्ञान नीति और वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर ठोस  चर्चा के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया । इन प्रयासों के प्रति सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की प्रतिबद्धता पूरे आयोजन में स्पष्ट थी, िससे यह वैश्विक सहयोग और वैज्ञानिक प्रगति की दिशा में अपने स्वरूप का एक महत्त्वपूर्ण शीर्ष  आयोजन  बन गया।

इसके बाद डॉ. कस्तूरी मंडल, प्रमुख, जीजीएसडी और प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया ।

औपचारिक कार्यवाही के बाद, "सतत विकास के लिए विज्ञान कूटनीति" पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता प्रोफेसर माधव गोविंद, अध्यक्ष, विज्ञान नीति अध्ययन केंद्र (सेंटर फॉर स्टडीज इन साइंस पॉलिसी), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने की। इस सत्र के प्रतिष्ठित वक्ताओं में प्रोफेसर नितिन सेठ, निदेशक, इंडो-फ्रेंच सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एडवांस्ड रिसर्च, नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर नितिन सेठ,; श्री शामिल थे। आर. मधान, निदेशक, इंडो-जर्मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र, नई दिल्ली में निदेशक श्री आर. मधानइंडो-फ्रेंच सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एडवांस्ड रिसर्च (सीईएफआईपीआरए) की पूर्व निदेशक डॉ. पूर्णिमा रूपल,; पूर्व विज्ञान परामर्शदाता, भारतीय दूतावास, टोक्यो; पूर्व प्रमुख, डीजीईडी, सीएसआईआर और भारत में  नीदरलैंड साम्राज्य के दूतावास, नई दिल्ली में इनोवेशन काउंसलर डॉ. धोया स्निज्डर्स, शामिल थे जिन्होंने अपने दृष्टिकोण साझा किए और विषय पर एक विचारोत्तेजक बातचीत में भाग लिया।

आयोजन के अंत में  वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और अध्यक्ष, ओडब्ल्यूओएल, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर डॉ. योगेश सुमन, ने  एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैबकार्यक्रम का एक व्यापक सारांश प्रदान किया, जिसमें पूरे सप्ताह प्राप्त मुख्य निष्कर्षों और अंतर्दृष्टि पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम का समापन ओडब्ल्यूओएल के वैज्ञानिक और समन्वयक डॉ. मनीष मोहन गोरे के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ जिसमे सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने सामूहिक प्रयास को मान्यता देते हुए सभी के योगदान की सराहना की, जिसने कार्यक्रम को बड़ी सफलता दिलाई।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के बारे में

सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद ( कौंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्चसीएसआईआरकी घटक प्रयोगशालाओं में से एक है। यह विज्ञान संचार के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखती  है; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नवाचार ( एसटीआईने साक्ष्य-आधारित नीति अनुसंधान और अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर विभिन्न पत्रिकाओं, पुस्तकों, पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और रिपोर्टों को प्रकाशित करता है। यह विज्ञान संचार, विज्ञान नीति, नवाचार प्रणाली, विज्ञान-समाज इंटरफ़ेस और विज्ञान कूटनीति पर भी अनुसंधान करता है।

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