पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
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भारत और रूस समुद्री सहयोग को विस्तृत एवं व्यापक बनाने के उद्देश्य से उत्तरी समुद्री मार्ग (एनएसआर) तथा पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) में संभावनाएं तलाश रहे हैं


भारत और रूस ने व्लादिवोस्तोक में रूस के समुद्री प्रशिक्षण संस्थान में ध्रुवीय एवं आर्कटिक समुद्री इलाके में नाविकों के प्रशिक्षण के लिए सहमति व्यक्त की है

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक विकास मंत्री से भेंट की

भारत और रूस संयुक्त समुद्री आयोग उत्तरी समुद्री मार्ग के विकास के संबंध में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर रचनात्मक चर्चा की सुविधा प्रदान करेगा: श्री सोनोवाल

Posted On: 13 SEP 2023 8:07PM by PIB Delhi

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने रूसी गणराज्य में सुदूर पूर्व और आर्कटिक के विकास मंत्री श्री ए ओ चेकुनकोव से आज रूस के व्लादिवोस्तोक में "फार ईस्ट स्ट्रीट" स्थित कामचटका क्षेत्र के पवेलियन में मुलाकात की। बैठक में दोनों देशों के नेताओं ने समुद्री सहयोग को वृहद् एवं व्यापक बनाने के उद्देश्य से भारत और रूस के बीच समुद्री आवागमन की विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की, जिसमें उत्तरी समुद्री मार्ग (एनएसआर) के साथ-साथ व्लादिवोस्तोक तथा चेन्नई के बीच पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) जैसे नए समुद्री परिवहन गलियारों के उपयोग की संभावना भी शामिल की गई है। इसके साथ भारत और रूस, रूस के व्लादिवोस्तोक में जीआई एडमिरल नेवेल्स्की रूसी समुद्री प्रशिक्षण संस्थान में ध्रुवीय एवं आर्कटिक समुद्र के जल में भारतीय नाविकों को प्रशिक्षित करने का निर्णय भी लिया गया। यह संस्थान सिम्युलेटर प्रशिक्षण सुविधाओं से सुसज्जित है।


इस अवसर पर श्री सोनोवाल ने अपने संबोधन में कहा है कि रूस तथा भारत के बीच संबंधों की जड़ें गहरी व ऐतिहासिक  हैं और यह आपसी सम्मान एवं साझा हितों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि हम सशक्त संबंध बनाए रखने और विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वचनबद्ध हैं। श्री सोनोवाल ने बताया कि रूस की सरकार के सहयोग से हमारी टीम ने मई 2023 में व्लादिवोस्तोक, वोस्तोचन, नखोदका और कोजमिनो बंदरगाहों का दौरा किया था, जिससे हमें इस मुद्दे पर आगे बढ़ने के उद्देश्य से अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिली है। उन्होंने बताया कि इन पत्तनों की यात्राओं के दौरान प्राप्त हुए सहयोग ने पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) के पूर्ण पैमाने पर संचालन के लिए आवश्यकताओं की हमारी समझ में विशेष योगदान दिया है। श्री सोनोवाल ने कहा कि चेन्नई में हमारी प्रस्तावित कार्यशाला ईएमसी के संचालन पर चर्चा करेगी और हम इस गलियारे के साथ कोकिंग कोयला, तेल तथा तरलीकृत प्राकृतिक गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं के व्यापार एवं परिवहन के लिए प्रासंगिक हितधारकों को शामिल करने की कल्पना करते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हमने आगामी ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस), 2023 में भाग लेने के लिए रूस को आमंत्रित किया है।


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रूसी गणराज्य में सुदूर पूर्व और आर्कटिक के विकास मंत्री श्री ए ओ चेकुनकोव ने कहा है कि हमने अपने सहयोगी देशों के बीच समुद्री संचार के विकास के साथ-साथ उत्तरी समुद्री मार्ग के उपयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की है। उन्होंने कहा है कि संपर्कों की यह गतिशीलता हमारी साझेदारी को और बेहतर करने की नींव रखने जैसा है। श्री ए ओ चेकुनकोव ने कहा है कि भारत के साथ सहयोग करना हमारे मंत्रालय की अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों की प्राथमिकताओं में से एक है और हम आपसी हित के सभी क्षेत्रों के लिए सुदूर पूर्व में भारतीय भागीदारों के साथ लाभप्रद संबंध विकसित करने का इरादा रखते हैं।



 

श्री सोनोवाल ने भारत और रूस के बीच व्यापार एवं वाणिज्य के अवसरों की तलाश के लिए अन्य वैकल्पिक मार्गों की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत बढ़ी हुई संपर्क सुविधा और व्यापार की क्षमता को पहचानते हुए उत्तरी समुद्री मार्ग के विकास के संबंध में साझेदारी करने की इच्छा रखता है।



 

श्री ए ओ चेकुनकोव ने व्यापार के लिए वैकल्पिक मार्गों के बारे में अपने विचार भी साझा किये। उन्होंने कहा कि हम आपके निष्कर्ष से सहमत हैं कि इस क्षेत्र का संभावित कार्गो आधार कोकिंग कोयला, तेल, एलएनजी और उर्वरक ही होगा। सुदूर पूर्व में, यह उत्पाद श्रृंखला पर्याप्त मात्रा में मौजूद है और भारत के पूर्व में इसे प्राप्त करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है। श्री ए ओ चेकुनकोव ने कहा कि सुदूर पूर्वी बंदरगाहों की विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए इस परियोजना को विस्तारित भौगोलिक दायरे में लागू किया जाना चाहिए, जिसमें प्राथमिक के अलावा अन्य क्षेत्र तथा मुख्य रूप से खाबरोवस्क का समुद्री इलाका शामिल हैं। उन्होंने बताया कि हम इस वर्ष अक्टूबर में एक व्यावसायिक मिशन पर चेन्नई का दौरा करेंगे और प्रमुख रूसी निर्यातकों की भागीदारी के साथ उपरोक्त परियोजनाओं के शुभारंभ के लिए भारतीय पक्ष के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद समाधान विकसित करने के उद्देश्य के साथ तैयार हैं। श्री ए ओ चेकुनकोव ने कहा कि एनएसआर एक वैश्विक परिवहन परियोजना है और इसका विकास रूस तथा गैर-क्षेत्रीय देशों दोनों को आर्थिक लाभ प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह पोत निर्माण उत्पादों की बिक्री बढ़ाने और उत्तरी गोलार्ध वाले देशों में सामान्य रसद व्यवसाय में भागीदारी से आय प्राप्त करने का एक अवसर भी है।

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