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"टीडीबी-डीएसटी भारत की ई-अपशिष्ट चुनौती से निपटने के लिए मेसर्स इको रीसाइक्लिंग लिमिटेड के नवाचारी "रीसाइक्लिंग ऑन व्हील्स स्मार्ट ईआर" का समर्थन करता है"


"टीडीबी-डीएसटी ने मेसर्स इको रीसाइक्लिंग लिमिटेड के 'रीसाइक्लिंग ऑन व्हील्स स्मार्ट ईआर' के लिए 6.00 करोड़ रुपये की मंजूरी दी, जो स्थाई ई-अपशिष्ट सोल्यूशन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है"

"मेसर्स इको रीसाइक्लिंग लिमिटेड की नवाचारी ई-कचरा परियोजना के लिए टीडीबी-डीएसटी का समर्थन जिम्मेदार ई-अपशिष्ट निपटान के लिए प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान से जुड़ा है"

Posted On: 06 SEP 2023 4:11PM by PIB Delhi

बढ़ते वैश्विक ई-अपशिष्ट संकट ने व्यापक चिंता पैदा कर दी है, और भारत इस दबाव वाले मुद्दे के लिए कोई अजनबी नहीं है। ई-अपशिष्ट के अनौपचारिक क्षेत्र के अनुचित प्रबंधन के परिणामस्वरूप इसमें शामिल लोगों के लिए महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा हुए हैं। हैरानी की बात यह है कि भारत में केवल 20 प्रतिशत ई-अपशिष्ट औपचारिक रीसाइक्लिंग से गुजरता है, जबकि देश ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में आश्चर्यजनक रूप से 3.2 मिलियन टन ई-अपशिष्ट उत्पन्न किया है।

इस महत्वपूर्ण चुनौती के जवाब में और हमारे पर्यावरण की सुरक्षा के लिए उचित ई-अपशिष्ट निपटान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मन की बात की 97वीं कड़ी के दौरान माननीय प्रधानमंत्री के आह्वान के अनुरूप, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) गर्व से मुंबई स्थित सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी मेसर्स इको रीसाइक्लिंग लिमिटेड के लिए अपने रणनीतिक समर्थन की घोषणा करता है। इस नवाचारी ई-अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना को टीडीबी से 6.00 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के साथ स्वीकृति दी गई है, जबकि इसकी कुल परियोजना लागत 12.00 करोड़ रुपये है।

इस परियोजना का मूल 'रीसाइक्लिंग ऑन व्हील्स स्मार्ट ईआर' एक नवाचारी दृष्टिकोण है जो ई-अपशिष्ट प्रबंधन में अंतराल को रोकने और पाटने का प्रयास करता है। यह अभिनव सोल्यूशन एक बहुआयामी दृष्टिकोण प्रदान करता है।

परियोजना की कार्यप्रगति को अधिकतम दक्षता के लिए व्यवस्थित रूप से डिज़ाइन किया गया है:

  • साइट पर ई-वेस्ट ऑन व्हील्स सुविधा के पूर्व-प्रसंस्करण को तैनात करें।
  • ई-अपशिष्ट उपकरणों की स्कैनिंग और क्रमबद्धीकरण।
  • कटाई के लिए करतनी मशीन में उपकरणों को डालना।
  • कटा हुआ पदार्थ सुरक्षित पिंजरे के नीचे श्रेडर के नीचे डिब्बे में गिरता है।
  • कटे हुए ई-अपशिष्ट का पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल संग्रह।

आज के बदलते नियामक परिदृश्य में यहां तक कि अनौपचारिक क्षेत्र भी अधिक औपचारिक ई-अपशिष्ट प्रबंधन के लिए खुला है। इसके अतिरिक्त यह अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कौशल विकास की पेशकश करके, उनके विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के साथ जोड़कर और पर्यावरणीय स्थिरता और बेहतर आजीविका दोनों के लिए प्रतिबद्धता दिखाकर सामान्य से परे है।

यह बहुमुखी परियोजना विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड), अनुसंधान और विकास केंद्रों और इसी तरह के स्थानों की सेवा करती है, जो विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करती है। जो बात इस परियोजना को विशिष्ट बनाती है वह यह है कि भारत में कोई समान "रीसाइक्लिंग ऑन व्हील्स" व्यवस्था नहीं है, यह अपनी तरह का पहला है। यह न केवल ई-अपशिष्ट प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण अंतर को भरता है, बल्कि समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने का भी वचन देता है।

कटे हुए ई-अपशिष्ट संग्रह की विशिष्ट विशेषता लागत और श्रम आवश्यकताओं को कम करते हुए परिवहन दक्षता को बढ़ाने की क्षमता में निहित है। इसके अतिरिक्त परियोजना के दूसरे चरण में कंपनी कीमती धातुओं को निकालने के लिए कटे हुए कचरे को संसाधित करने की कल्पना करती है, जिससे एक वृत्ताकार अर्थव्यवस्था की अवधारणा में मूल्यवान योगदान मिलता है।

टीडीबी के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक ने टिप्पणी की, "टीडीबी को 'रीसाइक्लिंग ऑन व्हील्स सुविधा' के लिए मेसर्स इको रीसाइक्लिंग लिमिटेड के दूरदर्शी प्रस्ताव का समर्थन करने पर गर्व है। यह परियोजना 'अपशिष्ट मुक्त शहरों' की प्राप्ति और भारत में ई-अपशिष्ट चुनौती से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नवाचार, पर्यावरणीय स्थिरता और सकारात्मक सामाजिक प्रभाव को बढ़ावा देने के लिए हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है।

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