कोयला मंत्रालय

एसईसीएल की पेलमा खदान एमडीओ (माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर) मोड के तहत कोयला उत्पादन करने वाली पहली ओपनकास्ट खदान बन जाएगी


20 वर्षों की अवधि के दौरान इस खदान से 219 मिलियन टन से अधिक कोयला निकाला जाएगा

Posted On: 24 AUG 2023 2:42PM by PIB Delhi

एसईसीएल की पेलमा खदान एमडीओ (माइन डेवलपर और ऑपरेटर) मोड के तहत छत्तीसगढ़ की पहली ओपनकास्ट खदान बन जाएगी। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) ने रायगढ़ क्षेत्र में स्थित पेलमा ओपनकास्ट खदान को संचालित करने के लिए पेलमा कोलियरीज के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस समझौते के अनुसार, पेलमा कोलियरीज अगले 20 वर्षों तक खदान का संचालन करेगी, जिसके तहत पेलमा कोलियरीज, परियोजना की डिजाइनिंग, वित्तपोषण, खरीद, निर्माण, संचालन और रख-रखाव से संबंधित सभी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार होगी। 20 वर्षों की अवधि के दौरान खदान से कुल 219 मिलियन टन से अधिक कोयला निकालने का प्रस्ताव है और 15 मिलियन टन वार्षिक कोयले का लक्ष्य रखा गया है। खदान से उच्च गुणवत्ता वाला जी-12 ग्रेड का कोयला निकाला जायेगा।

माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर मोड खदान संचालन की एक नई अवधारणा है जिसके तहत सरकार और निजी उद्यम देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे। इससे एसईसीएल को कोयला उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह परियोजना कोल इंडिया के एक बिलियन टन उत्पादन लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।

साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड अपनी पुरानी और बंद पड़ी खदानों को एमडीओ मोड पर शुरू करने में सफल रही है। बिश्रामपुर क्षेत्र की केतकी यूजी ने एमडीओ मोड पर कोयला उत्पादन करने वाली भारत की पहली कोयला खदान बनने का गौरव हासिल किया है। वहीं भटगांव क्षेत्र की कल्याणी यूजी खदान को एमडीओ-रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर संचालित करने के लिए लेटर ऑफ अवार्ड भी जारी कर दिया गया है। इसके साथ ही एसईसीएल माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर मोड पर अन्य परियोजना भी शुरू करने की दिशा में काम कर रही है।

साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) रायगढ़ क्षेत्र कोयला भंडार के मामले में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र है और यह क्षेत्र भविष्य में एसईसीएल के कुल उत्पादन में प्रमुख योगदान देगा। यह लगभग 1900 मिलियन टन के अनुमानित कोयला भंडार के साथ देश का तीसरा सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है। एसईसीएल द्वारा कोयले की त्वरित निकासी के लिए इस क्षेत्र में रेल कॉरिडोर भी विकसित किया जा रहा है।

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