जनजातीय कार्य मंत्रालय

भारत सरकार ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है: श्री अर्जुन मुंडा



श्री अर्जुन मुंडा ने ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत आने वाले गांवों के सरपंचों के साथ संवाद सत्र का आयोजन किया

ये सरपंच कल ऐतिहासिक लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेंगे

Posted On: 14 AUG 2023 7:46PM by PIB Delhi

केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज नई दिल्ली स्थित अपने आधिकारिक निवास पर ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ मेजबानी की। इस अवसर पर श्री अटल दुल्लो, सचिव, सीमा प्रबंधन, गृह मंत्रालय, श्री अनिल झा, सचिव, जनजातीय कार्य और श्री आशीष दयाल सिंह, महानिदेशक, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस तथा जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधिकारी उपस्थित थे। भारत सरकार देश के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दे रही है। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया है।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र - शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने इन मेहमानों का परिवार के सदस्यों के रूप में स्वागत किया और कहा, “सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं। देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी 'भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी है। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं। 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है। माननीय प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24x7 बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा, उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।” केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

 

श्री अटल दुल्लो, सचिव, सीमा प्रबंधन, ने कहा, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कथन के आलोक में, सीमावर्ती गांव अंतिम गांव नहीं, बल्कि प्रथम गांव हैं हमने इन गांवों की अर्थव्यवस्था, आजीविका, सामाजिक संरचना, बुनियादी ढांचे, शिक्षा, बिजली और दूरसंचार पर जोर देकर इनके समग्र विकास के लिए अपना पूरा सहयोग देने का प्रयास किया है।”

इस अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव श्री अनिल कुमार झा ने मुख्य वक्तव्य दिया। ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ का उल्लेख करते हुए, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि “जनजातीय कार्य मंत्रालय सीमावर्ती क्षेत्रों में कई योजनाओं और पहलों को लागू कर रहा है, चाहे वह अनुच्छेद 275 (1) के तहत अनुदान हो या अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय का निर्माण या गैर सरकारी संगठनों को अनुदान हो या फिर पीएम-आदि आदर्श ग्राम योजना हो।”

इसके अलावा, आईटीबीपी के महानिदेशक, श्री आशीष दयाल सिंह ने कहा, “हम सीमावर्ती गांवों के स्थानीय विक्रेताओं की उपज खरीदकर उनकी आजीविका में सहयोग करते हैं। आईटीबीपी इन क्षेत्रों के निवासियों के सहयोग से भारत के सीमावर्ती गांवों को जोड़ने और विकसित करने के उद्देश्य से शुरू किए गए इस कार्यक्रम का पूरे दिल से समर्थन करता है।”

इस कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 200 से अधिक सरपंचों/ग्राम प्रधानों ने भाग लिया। प्रत्येक राज्य से एक-एक सरपंच ने ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के बारे में अपने विचार साझा किए। ग्नथांग, (गंगटोक) सिक्किम की सरपंच- श्रीमती पेमा शेरपा, श्यो टोथ (तवांग), अरुणाचल प्रदेश की सरपंच-श्रीमती फुरपा ज़ोम्बा, दुरबुक ब्लॉक (चांगथांग), केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख के सरपंच - श्री कोंचोकले नामग्याल, माना गांव, उत्तराखंड के सरपंच - श्री पीतांबर मोल्फा, बटसारी, तहसील सांगला, हिमाचल प्रदेश के सरपंच - श्री प्रदीप कुमार ने सरकार की पहल ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ की सराहना की और आशा व्यक्त की कि यह इन गांवों के लिए एक नई सुबह लाएगा।

केन्द्रीय मंत्री द्वारा गणमान्य व्यक्तियों और अतिथियों को सम्मानित भी किया गया।

‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ को 15 फरवरी 2023 को मंजूरी दी गई थी, जिसमें वित्तीय वर्ष 2022-23 से लेकर वित्तीय वर्ष 2025-26 की अवधि के लिए 4800 करोड़ रुपये का केन्द्रीय योगदान शामिल था। इस केन्द्रीय योगदान में विशेष रूप से सड़क कनेक्टिविटी के लिए 2500 करोड़ रुपये के प्रावधान शामिल थे।

*******

एमजी/एमएस/आर/डीवी



(Release ID: 1948749) Visitor Counter : 1500


Read this release in: English , Urdu