निर्वाचन आयोग
भारत निर्वाचन आयोग ने हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद, असम राज्य के विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अंतिम परिसीमन आदेश प्रकाशित किया
प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले प्राप्त 1200 से अधिक अभ्यावेदनों पर विचार किया गया; प्राप्त सुझावों/आपत्तियों में से 45 प्रतिशत का समाधान अंतिम आदेश में कर दिया गया है
भारत निर्वाचन आयोग ने अंतिम आदेश में 19 विधान सभा क्षेत्र और 01 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा शब्दावली को संशोधित किया
विधान सभा सीटों की संख्या 126 और लोकसभा सीटों की संख्या 14 यथावत रखी गई
19 विधान सभा क्षेत्र और 2 लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित; अनुसूचित जाति के लिए 9 विधान सभा क्षेत्र और 01 लोकसभा क्षेत्र आरक्षित
Posted On:
11 AUG 2023 6:19PM by PIB Delhi
भारत निर्वाचन आयोग ने आज असम राज्य के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8-ए में उल्लिखित प्रावधान के अनुसार संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए अंतिम आदेश प्रकाशित कर दिया है। अंतिम आदेश केंद्र सरकार और असम राज्य के राजपत्रों में अधिसूचित किया गया और प्रकाशित किया गया। अंतिम प्रस्ताव आयोग द्वारा विभिन्न हितधारकों के साथ एक व्यापक और मजबूत परामर्श अभ्यास के बाद तैयार किया गया है, जिसमें जुलाई 2023 में मसौदा प्रस्ताव पर गुवाहाटी में तीन दिनों की सार्वजनिक सुनवाई और मार्च 2023 में रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने से पहले की बैठक सम्मिलित थी।
भारत निर्वाचन आयोग को परिसीमन प्रस्ताव के मसौदे पर सार्वजनिक सुनवाई के दौरान कुछ संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के नामकरण में बदलाव के लिए जनता, राजनीतिक दलों और संगठनों के सदस्यों से कई परस्पर विरोधी अभ्यावेदन प्राप्त हुए, जिसमें इस क्षेत्र के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और जातीय महत्व पर प्रकाश डाला गया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने टकराव या शत्रुता पैदा किए बिना, विभिन्न मुद्दों पर सम्मानजनक और मैत्रीपूर्ण तरीके से अपने परस्पर विरोधी दावे पेश करने के लिए असम के विभिन्न समूहों की क्षमता की सराहना की थी।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार, निर्वाचन आयुक्त श्री अनुप चंद्र पांडे और श्री अरुण गोयल सहित आयोग द्वारा सभी अभ्यावेदनों को विधिवत सुना गया और प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले संवैधानिक और वैधानिक प्रावधानों के भीतर उन पर विचार और मूल्यांकन किया गया। आयोग के मसौदा प्रस्ताव के अनुसार सार्वजनिक बैठकों में या अन्यथा कुल 1222 अभ्यावेदन प्राप्त हुए। आयोग में प्राप्त कुल 1222 सुझावों/आपत्तियों में से लगभग 45 प्रतिशत का अंतिम प्रस्ताव में समाधान कर दिया गया है। लगभग 5 प्रतिशत अभ्यावेदनों में, उठाई गई माँगें संवैधानिक और वैधानिक प्रावधानों से परे पाई गईं और इसलिए उन्हें स्वीकार नहीं किया जा सका। शेष सभी सुझावों/आपत्तियों में किये गये अनुरोधों को समायोजित करना संभव होना नहीं पाया गया।
राज्य में सभी विधान सभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर संविधान के अनुच्छेद 170 और अनुच्छेद 82 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार परिसीमित किया गया है। इस प्रयोजन के लिए जनगणना आयुक्त द्वारा प्रकाशित वर्ष 2001 की जनगणना के आंकड़ों पर ही विचार किया गया है। असम राज्य में विधान सभा में सीटों की संख्या 126 रखी गई है और असम राज्य के लिए लोक सभा में आवंटित सीटों की संख्या 14 रखी गई है। अनुच्छेद 170 और 82 में निर्धारित किया गया है कि विधान सभा में सीटों की संख्या प्रत्येक राज्य की विधान सभा और राज्यों को लोगों के सदन में सीटों के आवंटन में तब तक बदलाव नहीं किया जाएगा जब तक कि वर्ष 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते।
विधान सभा में 09 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आवंटित की गई हैं, जबकि 1 सीट लोक सभा में अनुसूचित जाति के लिए आवंटित की गई है। 19 विधानसभा क्षेत्र और दो संसदीय निरवाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किए गए हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए निर्वाचन क्षेत्रों का आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 330 और 332 में निर्धारित प्रावधानों के आधार पर किया गया है।
कुछ प्रमुख विशेषताएं:
- सबसे निचली प्रशासनिक इकाई को ग्रामीण क्षेत्रों में 'गाँव' और शहरी क्षेत्रों में 'वार्ड' के रूप में लिया गया है। इसके अनुसार, गांव और वार्ड को बरकरार रखा गया है और राज्य में कहीं भी तोड़ा नहीं गया है। प्रस्ताव विकास की प्रशासनिक इकाइयों यानी विकास खंड, पंचायत (बीटीएडी में वीसीडीसी) और ग्रामीण क्षेत्रों में गांव और नगर निगम बोर्ड, शहरी क्षेत्रों में वार्डों के आधार पर तैयार किया गया है।
- अनुसूचित जाति के लिए विधानसभा सीटें 8 से बढ़कर 9 हो गई हैं; अनुसूचित जनजाति के लिए विधानसभा सीटें 16 से बढ़कर 19 हो गई हैं।
- पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में स्वायत्त जिलों में 01 विधानसभा सीट की वृद्धि हुई है।
- बोडोलैंड जिलों में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों (अनुसूचित जाति) को 11 से बढ़ाकर 15 किया गया है।
- अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित दीफू और कोकराझार संसदीय सीटों को बरकरार रखा गया है।
- लखीमपुर संसदीय सीट को अनारक्षित बनाए रखा जाएगा;
- धेमाजी जिले में 01 अनारक्षित विधान सभा रखी गई है।
- 01 संसदीय सीट अर्थात् 'दीफू' अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है जिसमें 03 स्वायत्त जिलों की 06 विधान सभा क्षेत्र शामिल हैं।
- बराक घाटी जिलों यानी कछार, हैलाकांडी और करीमगंज जिलों को 02 संसदीय सीटें दी गईं।
- 01 संसदीय सीट का नाम 'काजीरंगा' है, जबकि 01 विधान सभा क्षेत्र का नाम 'मानस' है।
कुछ विधान सभा क्षेत्रों और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का नाम परिवर्तन
अभ्यावेदन पर विचार करने के बाद, आयोग ने अंतिम आदेश में 19 विधान सभा और 01 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा नामकरण को संशोधित किया है जैसा कि नीचे सूची में दिया गया है। सक्षम जनता के सदस्यों की मांग को देखते हुए एक संसदीय और कुछ विधान सभा क्षेत्रों को जोड़े गए नाम दिए गए हैं, जैसे दरांग-उदलगिरि, हाजो- सुआलकुची, बोको-चायगांव, नागांव- बटाद्रबा, भवानीपुर- सोरभोग, अल्गापुर- काटलीचेरा।
तालिका नंबर एक
विधान सभा क्षेत्र
|
क्रम संख्या
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वर्तमान विधान सभा क्षेत्र का नाम
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विधान सभा क्षेत्र का संशोधित नाम
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9
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मनकाचर
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बिरसिंगजरुआ
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11
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दक्षिण सलमारा
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मनकाचर
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17
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मानिकपुर
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सृजनग्राम
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21
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भवानीपुर
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भवानीपुर-सोरभोग
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25
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रूपशी
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पकाबेटबारी
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28
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बोको (अनुसूचित जनजाति)
|
बोको-चायगांव (अनुसूचित जनजाति)
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30
|
हाजो (अनुसूचित जाति)
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हाजो-सुआलकुची (अनुसूचित जाति)
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41
|
गोबर्धना
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मानस
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55
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बाताद्रबा
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ढिंग
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60
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नगांव
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नागांव-बताद्रबा
|
69
|
सुटिया
|
नादौर
|
87
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छाबुआ
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चबुआ - लाहोवाल
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89
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मोरन
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खोवांग
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113
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दीमा हसाओ (अनुसूचित जनजाति)
|
हाफलोंग (अनुसूचित जनजाति)
|
122
|
अल्गापुर
|
अल्गापुर - काटलीचेरा
|
123
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बदरपुर
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करीमगंज उत्तर
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124
|
उत्तरी करीमगंज
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करीमगंज दक्षिण
|
125
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दक्षिण करीमगंज
|
पथरकंडी
|
126
|
रतबारी (अनुसूचित जाति)
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राम कृष्णा नगर (अनुसूचित जाति)
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संसदीय निर्वाचन क्षेत्र
|
4
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दरांग
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दरांग - उदालगुड़ी
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व्यापक विचार विमर्श:
- मसौदा परिसीमन प्रस्ताव पर 19 से 21 जुलाई, 2023 के दौरान सार्वजनिक सुनवाई
मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार और नृवचन आयुक्त श्री अनुप चंद्र पांडे और श्री अरुण गोयल वाले आयोग ने गुवाहाटी शहर में आयोजित सार्वजनिक बैठकों के दौरान परिसीमन प्रस्ताव के मसौदे पर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, नागरिक समाज संगठनों और जनता के सदस्यों से सुनवाई की। लोगों, जन प्रतिनिधियों, राजनीतिक नेताओं और अन्य हितधारकों को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करने के लिए 19, 20 और 21 जुलाई, 2023 को परिसीमन की प्रक्रिया के दौरान सार्वजनिक सुनवाई आयोग द्वारा विचार विमर्श अभ्यास का हिस्सा थी। सार्वजनिक सूचना के जवाब में सुझाव एवं आपत्तियां दाखिल करने वाले सभी लोगों को विशेष रूप से सुना गया। इन तीन दिनों के दौरान, आयोग ने 31 जिलों से 1200 से अधिक अभ्यावेदन सुने और 20 से अधिक राजनीतिक दलों के साथ बैठकें कीं।
राष्ट्रीय दलों अर्थात् आम आदमी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधि; राज्य दलों अर्थात् ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, असम गण परिषद, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने आयोग के समक्ष अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव साझा किए। इसके अलावा, संयुक्त विपक्षी मंच असम (असम प्रदेश कांग्रेस, असम जातीय परिषद, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), रायजोर दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, जातीय दल असम, राष्ट्रवादी कॉंग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड), तृणमूल कॉंग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) और अन्य शामिल हैं) और पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (आरयूपीपी), अर्थात् रायजोर दल, भारतीय गण परिषद, राष्ट्रीय रिपब्लिकन कांग्रेस और असम जातीय परिषद ने भी भाग लिया।
जनसुनवाई में कुल मिलाकर 6000 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया। तीन दिनों में आयोजित सार्वजनिक बैठकों के दौरान, आयोग ने समाज के विभिन्न वर्गों, संगठनों और राजनीतिक दलों के सभी अभ्यावेदनों को धैर्यपूर्वक सुना और संवैधानिक और वैधानिक प्रावधानों के भीतर सभी अभ्यावेदनों पर उचित विचार करने का आश्वासन दिया। आयोग के मसौदा प्रस्ताव के अनुसार सार्वजनिक बैठकों में या अन्यथा कुल 1222 अभ्यावेदन प्राप्त हुए। सार्वजनिक सूचना के जवाब में सार्वजनिक बैठकों के दौरान लिखित या मौखिक रूप से दिए गए सभी सुझावों और विभिन्न हितधारकों से प्राप्त अभ्यावेदनों को आयोग में सारणीबद्ध किया गया और मसौदा प्रस्ताव में किए जाने वाले बदलाव के लिए आयोग ने सभी सुझावों की जांच करने के लिए आंतरिक बैठकों का अंतिम दौर आयोजित किया और उन पर निर्णय लिया। भारत सरकार के साथ-साथ असम राज्य के आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन से पहले, अंतिम आदेश तैयार करते समय ऐसे सभी परिवर्तनों को शामिल किया गया है।
पृष्ठभूमि
भारत निर्वाचन आयोग को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8-ए के अंतर्गत असम राज्य में संसदीय और विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का दायित्व सौंपा गया है।
असम राज्य में विधानसभा और संसदीय सीटों का परिसीमन आखिरी बार वर्ष 1971 की जनगणना के आधार पर वर्ष 1976 में किया गया था। परिसीमन प्रक्रिया के लिए संबंधित कानूनों में निर्धारित प्रक्रिया का पालन जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8 ए परिसीमन अधिनियम, 2002 (2002 का 33) की धारा 9 (1) (सी) और (डी), भारत के संविधान के अनुच्छेद 82, 170, 330 और 332 के अनुसार किया गया है।
निर्वाचन आयोग ने निर्णय लिया कि निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन 1 जनवरी, 2023 की स्थिति के अनुसार प्रशासनिक इकाइयों, यानी जिला/विकास खंड/पंचायत या वीसीडीसी (ग्राम परिषद विकास समिति)/गांव/वार्ड आदि को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। आयोग ने अपने पत्र क्रमांक. 282/एएस/2022(डीईएल) दिनांक 27 दिसंबर, 2022 को मुख्य निर्वाचन अधिकारी, असम को पत्र लिखकर राज्य सरकार के साथ इस मामले को उठाने के लिए कहा कि प्रशासनिक इकाइयों को परेशान न किया जाए, जैसा कि राज्य में 1 जनवरी, 2023 को परिसीमन अभ्यास पूरा होने तक मौजूद थी।
परिसीमन प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने से पहले आयोजित की गई बैठक:
यह याद किया जा सकता है कि निर्वाचन आयोग ने 26.3.2023 से 28.03.2023 तक असम का दौरा किया और व्यक्तिगत बैठक की और राज्य में परिसीमन प्रक्रिया के संबंध में मुख्य निर्वाचन अधिकारी, राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों और जिला निर्वाचन अधिकारियों सहित राज्य में राजनीतिक दलों, जन प्रतिनिधियों, नागरिक समाजों, सामाजिक संगठनों, जनता के सदस्यों और प्रशासन के अधिकारियों के साथ बातचीत की। कुल मिलाकर, 11 राजनीतिक दलों और 71 अन्य संगठनों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए और उन पर विचार किया गया।
(यहां इस लिंक पर पढ़ें: परिसीमन के मसौदा प्रस्ताव पर जून 2023 में जारी प्रेस विज्ञप्ति: https://eci.gov.in/files/file/15050-eci-publishes-draft-delimitation-proposal-for-assam-suggestions-objections-invited-till-july-11-2023/ )
दिशानिर्देश एवं कार्यप्रणाली:
- आयोग ने संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों और अभ्यावेदन में प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए दिशानिर्देश और कार्यप्रणाली तैयार की।
- असम राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से राज्य में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के उद्देश्य से, सांख्यिकीय डेटा और मानचित्र मांगे गए, जिन्होंने बदले में सभी जिलों से, वर्ष 2001 की जनगणना और प्रशासनिक इकाइयों के साथ मानचित्र, यानी, जिला/विकास खंड/पंचायत या वीसीडीसी (ग्राम परिषद विकास समिति)/गांव/वार्ड इत्यादि, जो 1 जनवरी, 2023 को अस्तित्व में थे, उनसे डेटा लिया। सटीकता के लिए, मुख्य निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से सभी जिलों से पुनः डेटा का सत्यापन कराया गया।
- सभी निर्वाचन क्षेत्रों को, जहाँ तक संभव हो, भौगोलिक दृष्टि से सघन क्षेत्र बनाए रखने का प्रयास किया गया है और उनके परिसीमन में भौतिक विशेषताओं, जनसंख्या के घनत्व, प्रशासनिक इकाइयों की मौजूदा सीमाओं, संचार की सुविधाओं और सार्वजनिक सुविधा को ध्यान में रखा गया है। भौगोलिक विशेषताओं, जनसंख्या घनत्व, संचार के साधन, सार्वजनिक सुविधा, क्षेत्रों की निकटता और प्रशासनिक इकाइयों को तोड़ने से बचने की आवश्यकता जैसे कारकों में कुछ मामलों में बड़ी अंतर-जिला भिन्नता के कारण और बिल्कुल समान जनसंख्या वाले निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन नहीं किया जा सकता है। सभी मामलों में, राज्य और जिला औसत से कुछ हद तक विचलन की अनुमति दी गई है। असम राज्य में, पिछले परिसीमन (1976) के बाद से, जिलों की संख्या 10 से बढ़कर 31 हो गई है और इसी तरह विकास खंड और ग्राम पंचायत स्तरों पर प्रशासनिक इकाइयों की संख्या में बड़ा बदलाव आया है।
- निवराचन आयोग को असम राज्य में असमान जनसंख्या वृद्धि स्वरूप की ओर इशारा करते हुए कई अभ्यावेदन भी प्राप्त हुए थे। जहां पिछले परिसीमन के बाद से कुछ जिलों में अधिक जनसंख्या वृद्धि हुई है, वहीं कुछ जिलों में कम जनसंख्या वृद्धि देखी गई है। यह देखा गया है कि राज्य के जिलों में जनसंख्या घनत्व दिमा हसाओ जिले में 38 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से लेकर कामरूप (महानगर) जिले में 1096 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर तक है।
- इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने सभी 31 जिलों को तीन व्यापक श्रेणियों ए, बी और सी में वर्गीकृत किया है, जिसमें प्रति विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र (एसी) की औसत जनसंख्या का (+/-) 10 प्रतिशत की गुंजाइश दी गई है, जबकि निर्वाचन क्षेत्रों को जिलों को आवंटन का प्रस्ताव दिया गया है।
- राज्य का औसत जनसंख्या घनत्व 338 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। जनसंख्या घनत्व सीमा 304 (औसत जनसंख्या घनत्व से 10 प्रतिशत घटाकर) से 372 (औसत जनसंख्या घनत्व में 10 प्रतिशत जोड़कर) स्थापित की गई है और इस आधार पर, उपरोक्त तीन श्रेणियां नीचे दी गई हैं:
- 304 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से कम जनसंख्या घनत्व वाले जिले।
- वे जिले जिनका जनसंख्या घनत्व 304 से 372 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
- 372 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक जनसंख्या घनत्व वाले जिले।
- जिलों को विधानसभा सीटों का आवंटन जिले की श्रेणी के आधार पर किया गया है। श्रेणी ए, बी और सी जिलों को औसत विधान सभा क्षेत्र की जनसंख्या 1,90,397 (राज्य औसत विधान सभा क्षेत्र जनसंख्या -10 प्रतिशत), 2,11,552 (राज्य औसत विधान सभा क्षेत्र जनसंख्या) और 2,32,707 (राज्य औसत विधान सभा क्षेत्र जनसंख्या +10 प्रतिशत) के आधार पर सीटें आवंटित की गई हैं।) किसी विशेष श्रेणी के जिले के लिए सीटों की संख्या जिले की कुल जनसंख्या को जिले पर लागू श्रेणी ए, बी, सी की औसत विधान सभा क्षेत्र की जनसंख्या से विभाजित करके निकाली गई है। 0.5 के बराबर या उससे अधिक के अंश को 1(एक) माना गया है और 0.5 से कम के अंश को 0 (शून्य) माना गया है। इसी आधार पर जिलों को 122 विधानसभा सीटें आवंटित की जाती हैं। इस मानदंड को अपनाने के दौरान 04 विधानसभा सीटें आवंटन से छूट गईं। 0.25-0.49 की सीमा वाले सभी जिलों को चुना गया और ऐसे 10 जिलों में से, सबसे बड़े भौगोलिक क्षेत्र वाले 04 जिलों, यानी कछार, कोकराझार, पश्चिम कार्बी आंगलोंग और उदालगुडी को एक-एक सीट आवंटित की गई।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण
- अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किए जाने वाले विधान सभा क्षेत्रों की कुल संख्या राज्य की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति की जनसंख्या के अनुपात के आधार पर निर्धारित की गई है:
वर्ष 2001 में अनुसूचित जाति की जनसंख्या = 1825949
वर्ष 2001 में कुल जनसंख्या = 26655528
अनुसूचित जाति का अनुपात = 0.0685
राज्य में विधान सभा क्षेत्रों की कुल संख्या = 126
आरक्षित की जाने वाली विधान सभा सीटों की संख्या = 8.63, यानी , 9
संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की कुल संख्या = 14
आरक्षित किए जाने वाले संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या = 0.96, यानी, 1
- इस प्रकार, राज्य में कुल अनुसूचित जाति की आबादी के अनुपात में जिले में अनुसूचित जाति की आबादी के अनुपात में पहले जिलों को अनुसूचित जाति की सीटें आवंटित की गई हैं। जिलों के भीतर, उच्चतम अनुपातिक अनुसूचित जाति की आबादी (अनुसूचित जाति की कुल आबादी के लिए) वाली सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई हैं। इसी प्रकार, उच्चतम आनुपातिक अनुसूचित जाति जनसंख्या (संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की कुल जनसंख्या के लिए) वाले संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है।
- संविधान के अनुच्छेद 332 के खंड (6) के अनुसार, “कोई भी व्यक्ति जो असम राज्य के किसी भी स्वायत्त जिले की अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, वह किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से राज्य की विधान सभा के लिए चुनाव के लिए पात्र नहीं होगा।” वह जिला”: इसके अनुसार, तीन स्वायत्त जिलों (यानी, 6) की सभी सीटें जिलों में रहने वाले एसटी के लिए हैं। शेष जिलों (03 स्वायत्त जिलों को छोड़कर) में, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किए जाने वाले विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों की कुल संख्या राज्य की कुल आबादी में इन जिलों में अनुसूचित जनजाति की आबादी के अनुपात के आधार पर निर्धारित की गई है और यह संख्या 13 है।
- संविधान के अनुच्छेद 332 के खंड (6) के प्रावधान के अनुसार, "बशर्ते कि असम राज्य की विधान सभा के चुनावों के लिए बोडोलैंड प्रदेश में शामिल निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों और गैर-अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व हो।" क्षेत्र जिला, इस प्रकार अधिसूचित, और बोडोलैंड प्रदेश क्षेत्र जिले के गठन से पहले मौजूद, के अनुसार बनाए रखा जाएगा। इसके अनुसार, 04 बोडोलैंड जिलों में कुल 15 सीटों में से 06 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (कुल 11 में से 06 अनुसूचित जनजातियों) अनुसूचित जनजातियों के लिए प्रस्तावित किए गए हैं।
- शेष 07 सीटें (13-7) शेष जिलों (03 स्वायत्त जिलों और 04 बीटीएडी जिलों को छोड़कर) को आवंटित की गई हैं। फिर, इन जिलों में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में आनुपातिक अनुसूचित जनजातियों की आबादी (विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की कुल आबादी के लिए) के घटते क्रम में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की व्यवस्था की गई है और शीर्ष 7 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित की गई हैं।
- 03 स्वायत्त जिलों में अनुसूचित जनजातियों की सीटों की संख्या = 6
शेष 28 जिलों में अनुसूचित जनजातियों की कुल जनसंख्या = 2727179
शेष 28 जिलों की कुल जनसंख्या = 25654138
इन 28 जिलों में अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत = 10.63 प्रतिशत
इन 28 जिलों में अनुसूचित जनजातियों की सीटों की संख्या = 120*10.63/100 = 13
बीटीएडी में अनुसूचित जनजातियों की सीटें = 6
शेष 24 जिलों में अनुसूचित जनजातियों सीटें = 7
कुल अनुसूचित जनजातियों सीटें = 19
- अनुच्छेद 330 (2) के अनुसार: खंड (1) के अंतर्गत किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की संख्या, जितना संभव हो, सीटों की कुल संख्या के समान अनुपात में होगी। लोक सभा में उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अनुसूचित जाति की आबादी या राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों या राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के हिस्से, जैसा भी मामला हो, के रूप में आवंटित किया जाता है। इस प्रकार आरक्षित की गई सीटों का संबंध राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की कुल जनसंख्या से है।
वर्ष 2001 में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या =33,08,570
वर्ष 2001 में कुल जनसंख्या = 26655528
अनुसूचित जनजातियों का अनुपात = 0.124
अनुसूचित जनजातियों के लिए संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या =1.74, यानी, 2
- परिसीमन की विस्तृत रिपोर्ट जल्द ही निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगी जिसमें सभी कानूनी और संवैधानिक प्रावधान, परिसीमन आंकड़े, दिशानिर्देश और कार्यप्रणाली, वर्किंग पेपर, अधिसूचित परिसीमन आदेश, राज्य के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मानचित्र और विधान सभा क्षेत्र के जिलेवार मानचित्र, राजनीतिक दलों, संगठनों और जनता के सदस्यों से मसौदा प्रस्ताव पर प्राप्त अभ्यावेदन की प्रेस नोट और सूची शामिल होगी।
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एमजी/एमएस/आरपी/एमकेएस/डीके-
(Release ID: 1948252)
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