नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा एसडीजी-7 यानी 'किफायती और टिकाऊ ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच'हासिल करने में मददगार हो सकती है: जी-20 ऊर्जा संक्रमण कार्य समूह के तहत कार्यक्रम
न्यायसंगत और समावेशी वैश्विक ऊर्जा संक्रमणों के केंद्र में विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा का होना आवश्यक : सचिव, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा
Posted On:
20 JUL 2023 7:11PM by PIB Delhi
भारत की जी-20 की अध्यक्षता के तहत ऊर्जा संक्रमण कार्य समूह की चौथी और अंतिम बैठक के अंतर्गत आज गोवा में आयोजित एक कार्यक्रम में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) –7, अर्थात किफायती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने में विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा (डीआरई) की भूमिका पर विचार मंथन किया गया।
इस साइड-इवेंट के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के सचिव श्री भूपिंदर सिंह भल्ला ने कहा: “ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच वैश्विक ऊर्जा संक्रमण का मुख्य पहलू रहा है और जी-20 इसे रेखांकित कर रहा है। इसके लिए न्यायसंगत और समावेशी वैश्विक ऊर्जा संक्रमणों के केंद्र में विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा (डीआरई) का होना आवश्यक है। लेकिन कोई भी राष्ट्र इस दिशा में अकेले कार्य नहीं कर सकता, ऐसे में इस संबंध में देशों के सहयोग की आवश्यकता है। नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मजबूत वृद्धि और डीआरई अनुप्रयोगों को तेजी से अपनाने के साथ भारत स्वच्छ ऊर्जा का रुख करने की दिशा में अग्रणी है।”
ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) और भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (एसईसीआई) के सहयोग से नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में ऊर्जा तक पहुंच के संबंध में अंतर को मिटाने के लिए-विकल्प के रूप में और केंद्रीकृत ग्रिड प्रणालियों के पूरक के रूप में, दोनों ही तरह से विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा (डीआरई) की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया। श्री भल्ला ने कहा, “हमें विश्व की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दीर्घकालिक समाधानों की आवश्यकता है। डीआरई केवल घरों को ही नहीं, बल्कि कृषि और सूक्ष्म व्यवसायों को भी ऊर्जा तक पहुंच उपलब्ध कराने में मदद कर सकती है। इस संबंध में आगे बढ़ने के लिए एक-दूसरे से सीखने और सर्वोत्तम पद्धतियों के आदान-प्रदान के रूप में वैश्विक सहयोग सफलता पाने का एक शक्तिशाली और महत्वपूर्ण तरीका सिद्ध हो सकता है।”
श्री भूपिंदर सिंह भल्ला, सचिव, एमएनआरई, 20 जुलाई 2023 को गोवा में ऊर्जा संक्रमण कार्य समूह की बैठक के साइड इवेंट, 'एसडीजी -7 प्राप्त करने में विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका' में उद्घाटन भाषण देते हुए
“हमें ऊर्जा तक पहुंच की कमी को आपातकाल के रूप में देखना होगा, लेकिन हम ऐसा नहीं करते”
इस कार्यक्रम में सतत ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की सीईओ और विशेष प्रतिनिधि तथा संयुक्त राष्ट्र-ऊर्जा की सह-अध्यक्ष सुश्री डेमिलोला ओगुनबियि की भी एक पैनल चर्चा में भागीदारी रही, जहां उन्होंने डीआरई प्रौद्योगिकियों में निवेश के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “वैश्विक स्तर पर, हमें ऊर्जा पहुंच की कमी को आपातकाल के रूप में देखना होगा, लेकिन हम ऐसा नहीं करते। लोग डीआरई को उत्पादन और आर्थिक विकास को बढ़ाने और जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को कम करने में सक्षम के रूप में देखने की बजाए, कुछ आरई-संचालित लाइट बल्बों के तौर पर देखते हैं। हमारे पास हमारी आवश्यकता के अनुरूप प्रौद्योगिकियां और क्षमताएं हैं, लेकिन हमारे पास इन बिजनेस मॉडलों को बढ़ाने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता नहीं है।”
“2021 में, डीआरई समाधानों के माध्यम से 179 मिलियन लोगों को ऊर्जा तक हासिल हुई”
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री दिनेश डी. जगदाले ने अपने संबोधन में कहा, “ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए डीआरई एक महत्वपूर्ण समाधान है। अपनी विकेंद्रीकृत प्रकृति के कारण वे स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का लाभ उठा पाते हैं और उन्हें आवासीय, संस्थागत और उत्पादक उपयोगों के लिए विविध ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। डीआरई समाधानों से 2012 में 35 मिलियन लोगों ने बिजली तक पहुंच प्राप्त की थी, जबकि 2021 में, ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर 179 मिलियन हो गई।” उन्होंने उत्तरोत्तर रूप से बढ़ते डीआरई समेकन के लिए एक सहायक इकोसिस्टम सक्षम बनाने की दिशा में भारत की जी-20 की अध्यक्षता के तहत किए जा रहे प्रयासों को भी रेखांकित किया।
एसडीजी-7 के लिए डीआरई की अच्छी पद्धतियों पर रिपोर्ट जारी
इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों, उद्योग, वित्त, शिक्षा जगत और नीति-निर्माण से संबंधित प्रमुख क्षेत्रीय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर यहां ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) द्वारा 'एसडीजी-7 के लिए डीआरई की अच्छी पद्धतियों का संग्रह' नामक एक रिपोर्ट भी जारी की गई। सीईईडब्ल्यू के सीईओ डॉ. अरुणाभ घोष और पावरिंग लाइवलीहुड्स के फेलो और निदेशक श्री अभिषेक जैन और अन्य द्वारा लॉन्च किए गए इस संग्रह में एसडीजी हेतु मुख्यधारा के डीआरई के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अग्रणियों के लिए एक मार्गदर्शिका तैयार करने के लिए दुनिया भर के 120+ डीआरई मामलों पर गौर किया गया। यह बाजार में निश्चितता प्रदान करने, समुदायों को सक्रिय रूप से जोड़े रखने, सुलभ और किफायती वित्तपोषण सुनिश्चित करने और क्रॉस-कंट्री साझेदारियां शामिल करने के लिए दीर्घकालिक विज़न वाली नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने की सिफारिश करता है। संग्रह यहां देखें।
20 जुलाई 2023 को गोवा में भारत की जी-20 की अध्यक्षता के तहत आधिकारिक आयोजन 'एसडीजी -7 प्राप्त करने में विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका' में सीईईडब्ल्यू की रिपोर्ट 'एसडीजी-7 के लिए डीआरई की अच्छी पद्धतियों का संग्रह' की रिपोर्ट जारी
एसईसीआई के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री आर. पी. गुप्ता ने अपने उद्घाटन भाषण कहा: “एसडीजी -7 ऊर्जा तक सबकी पहुंच सुलभ बनाने का निर्देश देता है। लेकिन सुलभता से पहले इसको किफायती बनाना होगा। डीआरई उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी है जो ग्रिड के लिए अगम्य हैं या जहां आबादी छितराई हुई अवस्था में है, लेकिन मुख्य चुनौती इसकी लागत है। इस संबंध में समाधान तक पहुंचने में अन्य देशों के अनुभव हमारे लिए मददगार सिद्ध होंगे।”
गोवा सरकार के मुख्य सचिव श्री पुनीत कुमार गोयल ने कहा: “2000 के दशक की शुरुआत से ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा की लागत में कमी आ रही है, लेकिन ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा की लागत में कमी लाने के लिए हमें बैटरी भंडारण की दिशा में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। हमें ऐसी नीतियों की आवश्यकता है,जिनकी बदौलत बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) निजी उपभोक्ताओं को रूफटॉप सोलर अपनाने हेतु प्रेरित करने के लिए फीड-इन-टैरिफ को प्रोत्साहित कर सकें।”
कार्यक्रम में 'सतत विकास लक्ष्यों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने के लिए डीआरई में तेजी लाना' तथा 'सहयोग के जरिए समावेशी ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना' विषयों पर दो पैनल चर्चाएं भी आयोजित की गईं, जिनमें से एक चर्चा का संचालन डॉ. अरुणाभ घोष और दूसरी चर्चा का संचालन श्री अभिषेक जैन ने किया।
पैनल 1: 'सतत विकास लक्ष्यों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने के लिए डीआरई में तेजी लाना' (बाएं से दाएं: सुमन चंद्रा, टॉमस एंकर क्रिस्टेंसन, डेमिलोला ओगुनबियि, युडो द्विनंदा प्रियादी, गौरी सिंह और अरुणाभ घोष)
पैनल 2: 'सहयोग के जरिए समावेशी ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना' (बाएं से दाएं: चंद्र शेखर सिन्हा, अमांडा मैक्सवेल, सोफी ओडुपोय और विलियम ब्रेंट)
इस कार्यक्रम में अपने विचार प्रकट करने वाले अन्य विशिष्ट वक्ताओं में टॉमस एंकर क्रिस्टेंसन, जलवायु राजदूत, विदेश मंत्रालय और जलवायु, ऊर्जा और उपयोगिता मंत्रालय, डेनमार्क; युडो द्विनंदा प्रियादी, वरिष्ठ सलाहकार, रणनीतिक योजना, ऊर्जा और खनिज संसाधन मंत्रालय, इंडोनेशिया गणराज्य; गौरी सिंह, उप महानिदेशक, अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी; सुमन चंद्रा, उप सचिव, एमएनआरई; चंद्र शेखर सिन्हा, ग्लोबल लीड फॉर कार्बन मार्केट एंड फाइनेंस, विश्व बैंक; अमांडा मैक्सवेल, प्रबंध निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम, एनआरडीसी; सोफी ओडुपोय, ग्रुप हैड ऑफ पब्लिक अफेयर्स, कोको नेटवर्क; और विलियम ब्रेंट, मुख्य विपणन अधिकारी, हस्क पावर सिस्टम्स शामिल थे।
इस कार्यक्रम ने एसडीजी-7 को हासिल करने के लिए फास्ट-ट्रैकिंग डीआरई तैनाती पर विचारोत्तेजक चर्चा को बढ़ावा दिया। इस कार्यक्रम में भारत में डीआरई प्रौद्योगिकियों के कई उपयोगकर्ताओं जैसे कुनी देहुरी, सोलर सिल्क-रीलिंग मशीन के उपयोगकर्ता, जालिंद्र मचीन्द्र राऊत, बायोमास-आधारित कोल्ड स्टोरेज के उपयोगकर्ता, और तोशिमा डहरिया, छत्तीसगढ़ के सौर ऊर्जाकृत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्टाफ नर्स की भागीदारी भी देखी गई। इस कार्यक्रम में भारत का सौर गान सूरज का गोला भी प्रदर्शित किया गया।
ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच के बिना न्यायसंगत और समावेशी वैश्विक ऊर्जा संक्रमण अधूरा है। प्रगति की वर्तमान गति के बारे में आईईए का अनुमान है कि सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के वर्ष 2030 (आईईए, 2022) तक ग्लोबल साउथ में 660 मिलियन लोगों तक बिजली की पहुंच नहीं होगी। आवासीय, संस्थागत और उत्पादक उपयोगों के लिए विविध ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए डीआरई प्रौद्योगिकियां स्थानीय रूप से उपलब्ध नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का लाभ उठाती हैं।
समापन भाषण एमएनआरई के निदेशक श्री अनंत कुमार ने दिया।
सम्मेलन का वीडियो यहां उपलब्ध है
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