नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय

हरित हाइड्रोजन पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आज नई दिल्ली में शुरू हुआ


आईसीजीएच 2023 एक स्वच्छ एवं हरित ग्रह के हमारे दृष्टिकोण को साकार करने हेतु साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करता है: प्रधानमंत्री

हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सरकार अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए उद्योग के साथ साझेदारी करेगी: केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री

केंद्रीय विद्युत और एनआरई मंत्री ने विकसित देशों को हरित हाइड्रोजन के विकास के लिए उच्च सब्सिडी जैसी बाधाएं उत्पन्न न करने का आगाह किया

हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अंतर-मंत्रालयी अनुसंधान एवं विकास रोडमैप का मसौदा तैयार: प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार

“आईसीजीएच 2023 हमें राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के कार्यान्वयन की बेहतर योजना तैयार करने में सक्षम बनाएगा”: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव

हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में अनुप्रयुक्त और निर्णायक अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए पीपीपी मॉडल पर रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार साझेदारी

Posted On: 05 JUL 2023 6:33PM by PIB Delhi

भारत सरकार ऊर्जा अवस्थांतर की दिशा में अपनी खोज के भाग के रूप में, देश और दुनिया के हितधारकों को एक मंच पर लेकर आयी है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि हम हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र कैसे स्थापित कर सकते हैं और किस प्रकार से हरित हाइड्रोजन के माध्यम से डीकार्बोनाइजेशन के लिए वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक प्रणालीगत दृष्टिकोण को बढ़ावा दे सकते हैं। भारत सरकार द्वारा विज्ञान भवन, नई दिल्ली में हरित हाइड्रोजन पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीजीएच-2023) का आयोजन 05 से 07 जुलाई 2023 तक किया जा रहा है। इस सम्मेलन का उद्घाटन आज केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने किया, जिससे संपूर्ण हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला में हाल में हुई प्रगति एवं उभरती प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करने के लिए वैश्विक वैज्ञानिकों, नीति, शैक्षणिक और औद्योगिक दिग्गजों को एक साथ लाया जा सके। यह सम्मेलन इस क्षेत्र के हितधारकों को इस क्षेत्र में विकसित हरित हाइड्रोजन परिदृश्य और नवाचार-संचालित समाधानों का पता लगाने में सक्षम बनाएगा, इस प्रकार इस क्षेत्र के लिए स्थिर पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान करेगा।

सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को यहां देखा जा सकता है:

इस सम्मेलन का आयोजन नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के सहयोग से भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के साथ किया जा रहा है।

इस सम्मेलन का मूल उद्देश्य यह पता लगाना है कि हम कैसे हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र को स्थापित कर सकते हैं और किस प्रकार से हरित हाइड्रोजन के माध्यम से डीकार्बोनाइजेशन के वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक प्रणालीगत दृष्टिकोण को बढ़ावा दे सकते हैं। इसमें हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, वितरण और अनुप्रवाह अनुप्रयोगों पर डोमेन-विशिष्ट अनुसंधान बातचीत के अलावा, इस क्षेत्र में हरित वित्तपोषण, मानव संसाधन कौशल विकास और स्टार्टअप पहल पर भी चर्चा होगी। यह सम्मेलन इस क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और सीखने में सक्षम बनाएगा।

सम्मेलन की वेबसाइट यहां https://icgh.in पर देखें। सम्मेलन पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति यहां से प्राप्त की जा सकती है। सम्मेलन विवरणिका यहां और सम्मेलन फ्लायर यहां प्राप्त की जा सकती है।

सम्मेलन में आयोजित होने वाली विभिन्न पूर्ण वार्ता, विशेषज्ञ पैनल चर्चा एवं तकनीकी विचार-विमर्श, उद्योग एवं अनुसंधान बिरादरी के घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों को भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन में निहित उद्देश्यों के अनुरूप, राष्ट्रीय और वैश्विक प्राथमिकताओं को गहराई से समझने का अवसर प्राप्त होगा, जो वर्ष 2070 तक भारत के नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक मिशन है।

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राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन विभिन्न क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन के अनुसंधान, विकास और तैनाती को बढ़ावा देने के लिए रोडमैप उपलब्ध कराता है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन के प्रतिनिधियों को एक संदेश दिया, जिसे उद्घाटन समारोह में पढ़ा गया। अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन वैश्विक वैज्ञानिक, विशेषज्ञों, औद्योगिक समुदाय के साथ-साथ शिक्षाविदों को नए दृष्टिकोण प्राप्त करने एवं हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना में सहायता करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने में सतत ऊर्जा समाधानों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हरित हाइड्रोजन डीकार्बोनाइजेशन के साथ-साथ सतत विकास की हमारी खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ही एकमात्र ऐसी प्रमुख अर्थव्यवस्था है जो 2030 के लक्ष्य से 9 वर्ष पूर्व ही अपनी उर्जा में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोत को 40% तक पहुंचा चुका है। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा, हमने जैव ईंधन, इथेनॉल, बायोगैस, सौर एवं हरित हाइड्रोजन जैसे ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा देने का काम किया है। भारत ने हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। हमारा राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन विभिन्न क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन के अनुसंधान, विकास एवं तैनाती को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप प्रदान करता है। एक हरे एवं स्वच्छ ग्रह के हमारे दृष्टिकोण को साकार करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है और आईसीजीएच 2023 ऐसी साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करता है। विचार-विमर्श से सहभागिता और विचारों का आदान-प्रदान बढ़ेगा। यह सम्मेलन मानवता के बहुत महत्वपूर्ण लाभ के लिए एक समृद्ध हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में सहायता करने में सफल रहे।

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"ऊर्जा अवस्थांतरण में भारत के पास विश्व-अग्रणी कार्यक्रम हैं": नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री

केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, श्री आर. के. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि अब इस बात पर वैश्विक सहमति बन चुकी है कि हमें नवीकरणीय ऊर्जा की ओर अवस्थांतरण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “भारत दुनिया में सबसे कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों में से एक है, हमारा प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन वैश्विक औसत का लगभग एक तिहाई है। यह हमारी संस्कृति की देन है जो सादगी पर बल देती है, यह संस्कृति मिशन लाइफ में परिलक्षित होती है जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा है।

उर्जा मंत्री ने जानकारी दी कि भारत ने 2030 के लक्ष्य से 9 वर्ष पहले 2021 में ही गैर-जीवाश्म बिजली लक्ष्य का 40% प्राप्त कर लिया है। हमारे पास उत्सर्जन में कमी लाने के लिए कुछ विश्व-अग्रणी कार्यक्रम हैं, जैसे कि एलईडी के लिए कार्यक्रम, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 103 मिलियन टन की कमी आई है। हमारी परफॉर्म अचीव ट्रेड योजना द्वारा उत्सर्जन में प्रति वर्ष लगभग 106 मिलियन टन की कमी आई है।

मंत्री ने बताया कि आज भारत की 42% विद्युत उत्पादन क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधनं पर आधारित है और हम 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन 50% क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।

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भारत हरित हाइड्रोजन को अपनाने में अग्रणी बनकर उभर रहा है

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि भारत हरित हाइड्रोजन को अपनाने में भी अग्रणी बनकर उभरना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत  35 लाख टन हरित हाइड्रोजन विनिर्माण क्षमता स्थापित करने के लिए परियोजनाएं शुरू की जा चुकी हैं। हम ऐसा करने में सक्षम हैं क्योंकि हमने नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक विशाल और मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है, हमारे पास अब ऐसे उद्योग हैं जो सौर एवं पवन ऊर्जा पारिस्थितिक तंत्र में वैश्विक नेता हैं। हमारे पास लगभग 25,000 मेगावाट सौर विनिर्माण क्षमता है और अन्य 40 गीगावाट- 50 गीगावॉट निर्माणाधीन है। हम चीन के अलावा सौर सेल और मॉड्यूल के सबसे बड़े निर्माता के रूप में उभरने जा रहे हैं।

मंत्री ने कहा कि भारत में हरित हाइड्रोजन की लागत दुनिया में सबसे कम होगी क्योंकि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की लागत दुनिया में सबसे कम है। मंत्री ने कहा कि हमने पूरे देश को एक ग्रिड से जोड़ दिया है।

"अगर आप विद्युत और ऊर्जा के व्यवसाय में हैं, तो यह जगह आपके लिए है"

मंत्री ने उद्योग की एक रिपोर्ट को याद करते हुए कहा  कि जिसमें भारत को नवीकरणीय ऊर्जा निवेश के लिए दुनिया में सबसे आकर्षक गंतव्य बताया गया है, कहा कि हर प्रमुख फंड का निवेश भारत में किया जाता है। उन्होंने कहा, “ऐसा इसलिए भी है क्योंकि भारत दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसका मतलब ऊर्जा की मांग में बढ़ोत्तरी भी है। इसलिए, हम सबसे बड़े विकसित होते बाजार हैं और अगर आप ऊर्जा के व्यवसाय में हैं, तो यह जगह आपके लिए है।

श्री सिंह ने कहा कि सरकार ने इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण और हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए एक प्रोत्साहन योजना शुरू की है। यह उल्लेख करते हुए कि हम विकास के प्रवेश द्वारा पर खड़े हैं, मंत्री ने कहा कि भारत के पास इस्पात विनिर्माण क्षमता, बड़ा मोबिलिटी बाजार और उर्वरक तथा सीमेंट है, जिससे हरित इस्पात, हरित मोबिलिटी, हरित उर्वरक और हरित सीमेंट के लिए बड़े अवसर प्राप्त हो रहे हैं।

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आइए और हमारे साथ साझेदारी कीजिए

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने उद्योग जगत से कहा कि सरकार हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक ईंधन सेल, हाइड्रोजन भंडारण और अन्य प्रौद्योगिकियों के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने में उद्योग के साथ साझेदारी करेगी। अनुसंधान एवं विकास रोडमैप में सरकार, उद्योग और आईआईटी के बीच क्रॉस-कटिंग साझेदारी होगी, जिससे पेटेंट भी हम सभी को समान रूप से मिल सके। इसलिए, आइए और हमारे साथ साझेदारी कीजिए, यह दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है और हम यहां भारत में विकसित समाधान को प्राथमिकता देते हैं।

तेल और गैस पीएसयू ने हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल की हैं

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार वर्ष 2050 तक हाइड्रोजन की वैश्विक मांग में 600 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व में हरित हाइड्रोजन के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है, जिसकी मांग प्रति वर्ष 6 मिलियन टन है। मंत्री ने कहा कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों ने हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। तेल और गैस पीएसयू वर्ष 2024-25 तक 230 किलो टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके अलावा, इन सार्वजनिक उपक्रमों ने वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष 7 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ऑयल इंडिया लिमिटेड ने असम के जोरहाट में एक पायलट संयंत्र शुरू किया है जो प्रति दिन 10 किलोग्राम हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करता है।

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मंत्री ने जानकारी दी कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने भारत में हाइड्रोजन ईंधन सेल के विकास के लिए टाटा मोटर्स के साथ एक समझौता किया है। मंत्री ने जानकारी दिया कि हाइड्रोजन ईंधन सेल द्वारा संचालित बसों को गुजरात में परीक्षण के रूप में चलाना शुरू किया गया है।

मंत्री ने ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग करने के महत्व पर प्रकाश डाला और आशा व्यक्त किया कि भारत हरित हाइड्रोजन का लाभ उठाने में उत्पन्न चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान करेगा और इस प्रकार वैश्विक ऊर्जा अवस्थांतरण में योगदान देगा।

आईसीजीएच 2023 हमें राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के कार्यान्वयन की बेहतर योजना बनाने में सक्षम बनाएगा

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में सचिव, श्री भूपिंदर एस भल्ला ने कहा कि हरित हाइड्रोजन पर आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन देश के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का शुभारंभ होने के बाद से हरित हाइड्रोजन पर भारत सरकार द्वारा आयोजित अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। उन्होंने ऊर्जा अवस्थांतरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और जानकारी दी कि कैसे हरित हाइड्रोजन उस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, जिससे ऊर्जा और संसाधनों की मांग बढ़ रही है। पिछले 20 वर्षों में ऊर्जा का उपयोग दोगुना हुआ है और 2030 तक कम से कम 25% बढ़ने की संभावना है। भारत वर्तमान में अपनी प्राथमिक ऊर्जा आवश्यकताओं का 40% से ज्यादा आयात करता है, जिसकी लागत प्रति वर्ष 90 बिलियन अमरीकी डालर से ज्यादा है। मोबिलिटी और औद्योगिक उत्पादन जैसे प्रमुख क्षेत्र आयातित जीवाश्म ईंधन पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। इसलिए उन प्रौद्योगिकियों की तरफ बढ़ने की आवश्यकता है जो ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय स्रोतों की हिस्सेदारी को सक्षम बनाते हैं, जिससे हम जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता में लगातार कमी ला सकें।

सचिव ने कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने की क्षमताओं का निर्माण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। श्री भल्ला ने कहा कि यह मिशन जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त हाइड्रोजन को अमोनिया उत्पादन एवं पेट्रोलियम शोधन में हरित हाइड्रोजन के साथ बदलने, शहरी गैस वितरण प्रणालियों में ग्रीन हाइड्रोजन के मिश्रण, ग्रीन हाइड्रोजन के साथ स्टील के उत्पादन और मोबिलिटी शिपिंग और शायद विमानन सहित विभिन्न क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधन को बदलने के लिए हरित हाइड्रोजन-व्युत्पन्न सिंथेटिक ईंधन (जैसे ग्रीन मेथनॉल) के उपयोग का समर्थन करेगा। 

सचिव ने बताया कि मिशन को चरणबद्ध रूप से लागू किया जाएगा, शुरुआत में उन क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जो पहले से ही हाइड्रोजन का उपयोग कर रहे हैं, और अनुसंधान एवं विकास, विनियमों और पायलट परियोजनाओं के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर रहे हैं। मिशन के बाद का चरण मूलभूत गतिविधियों पर आधारित होगा और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन पहल शुरू की जाएगी।

मिशन का उद्देश्य हरित हाइड्रोजन उत्पादन प्रौद्योगिकी को विकसित करना, बढ़ावा देना और इसे सस्ता और व्यापक रूप से सुलभ बनाना है। लगभग 19,700 करोड़ रुपये या 2.5 बिलियन अमरीकी डालर के प्रारंभिक बजट के साथ, मिशन में मांग को प्रोत्साहित करना, वित्तीय प्रोत्साहनों के माध्यम से आपूर्ति को प्रोत्साहित करना तथा अनुसंधान एवं विकास और सामान्य बुनियादी संरचना जैसे प्रमुख घटकों को सुविधाजनक बनाना शामिल है।

सचिव ने प्रतिनिधियों से कहा कि मिशन के अंतर्गत इस्पात, लंबी दूरी की हैवी-ड्यूटी मोबिलिटी, ऊर्जा भंडारण और शिपिंग जैसे क्षेत्रों में पायलट परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। उन्होंने कहा कि ये पायलट परियोजनाएं वर्तमान प्रौद्योगिकी तैयारी, नियमों, कार्यान्वयन पद्धतियों, अवसंरचना और आपूर्ति श्रृंखलाओं के संदर्भ में परिचालन मुद्दों और अंतराल की पहचान करने में मदद करेंगी।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव ने कहा कि हरित हाइड्रोजन पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन पूरी हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला में हाल में की गई प्रगति और आगामी प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करने के लिए किया जा रहा है। यह वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय एवं उद्योग जगत के साथ विकसित हरित हाइड्रोजन परिदृश्य और नेटवर्क पर चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस तीन दिवसीय मेगा कार्यक्रम में, हम विभिन्न देशों और क्षेत्रों के परिप्रेक्ष्य प्रदान करने वाले 7 पूर्ण सत्रों, 16 समानांतर तकनीकी सत्रों और हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना और हरित हाइड्रोजन के माध्यम से डीकार्बोनाइजेशन के लिए वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक प्रणालीगत दृष्टिकोण को उत्प्रेरित करने के लिए 4 पैनल चर्चाओं का आयोजन कर रहे हैं। हमने इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए हितधारकों में अत्यंत उत्साह देखा है और मुझे यह साझा करते हुए बहुत खुशी महसूस हो रही है कि हमारे पास भारत सरकार, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, उद्योग और शिक्षाविदों सहित अन्य देशों से 2,700 से ज्यादा पंजीकृत प्रतिभागी हैं।

सचिव ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि इस सम्मेलन से हम राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के कार्यान्वयन की बेहतर योजना तैयार कर सकेंगे।

हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अंतर-मंत्रालयी अनुसंधान एवं विकास रोडमैप तैयार: भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने कहा कि हरित हाइड्रोजन की सफल तैनाती करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जिससे सीमाओं, क्षेत्रों और हितधारकों के बीच सहयोग की आवश्यकता है। हम सभी को व्यापक नियामक संरचना, वित्तीय तंत्र एवं सहायक नीतियों को विकसित करने, निवेश को प्रोत्साहित करने और हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के लिए एक समान अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत गठित एक सलाहकार समिति ने भारत में हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने के लिए आवश्यक अनुसंधान एवं विकास पर एक मसौदा रिपोर्ट तैयार किया है। इस रिपोर्ट को यहां से प्राप्त किया जा सकता है और अब यह जनता और हितधारक की टिप्पणियों के लिए खुला हुआ है।

हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में अनुप्रयुक्त और निर्णायक अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए पीपीपी मॉडल पर रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार साझेदारी

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने मसौदा रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत 2030 तक प्रति वर्ष कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए 60 गीगावाट- 100 गीगावॉट इलेक्ट्रोलाइज़र क्षमता और 125 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि इससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 50 एमएमटी की कमी आएगी, लगभग 6,00,000 नौकरियां उत्पन्न होंगी और 100 बिलियन डॉलर का निवेश होगा।

प्रो. सूद ने कहा कि मसौदा रिपोर्ट में पहचान की गई प्रौद्योगिकी चुनौतियों में दक्षता में वृद्धि, लागत प्रभावशीलता में सुधार, स्तर प्राप्त करना, हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा भंडारण, परिवहन और ग्रिड अवसंरचना को एकीकृत करना शामिल है। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत अनुसंधान एवं विकास संरचना में एक रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार भागीदारी (शिप) की परिकल्पना की गई है, जो उद्योग और सरकार के इनपुट के साथ समर्पित अनुसंधान एवं विकास निधियों के साथ एक सार्वजनिक निजी भागीदारी वाला संरचना होगा। इस योजना में रणनीतिक अंतरराष्ट्रीय साझेदारी का निर्माण और सफलता के क्षेत्रों में दीर्घकालिक अनुसंधान भी शामिल होगा। प्रणालियों की वहनीयता, दक्षता, सुरक्षा और विश्वसनीयता को बढ़ावा देने के लिए नवाचार को प्रोत्साहित करने की कोशिश की जाएगी। प्रोफेसर सूद ने विभिन्न अनुसंधान क्षेत्रों को संबोधित करने के लिए अभिनव एमएसएमई और स्टार्टअप, उत्कृष्टता केंद्रों और व्यापक आधार वाले समाधानों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

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ग्रैंड चैलेंज परियोजनाएं, मिशन मोड परियोजनाएं और ब्लू स्काई परियोजनाएं

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा कि मसौदा रोडमैप में परियोजनाओं को ग्रैंड चैलेंज परियोजनाओं, मिशन मोड परियोजनाओं और ब्लू स्काई परियोजनाओं में वर्गीकृत करने की परिकल्पना की गई है। तीन तरह से वर्गीकृत परियोजनाओं की पहचान तीन कार्यक्षेत्र में की गई है, अर्थात् हाइड्रोजन उत्पादन; भंडारण और परिवहन; और अंतिम उपयोग अनुप्रयोग। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक टिप्पणियां प्राप्त करने और सरकार द्वारा अंतिम अनुसंधान एवं विकास रोडमैप को अपनाने के बाद, आर एंड डी परियोजना प्रस्तावों को आमंत्रित किया जाएगा और उसी के आधार पर परियोजनाएं प्रदान की जाएंगी। प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा कि इन कोशिशों से हमें आने वाले वर्षों में भारत को एक मजबूत हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी।

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की प्रस्तुतियों को यहां प्राप्त किया जा सकता है।

"क्या आप अपशिष्ट जल से हरित हाइड्रोजन प्राप्त कर सकते हैं?

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की महानिदेशक और भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग की सचिव, डॉ. एन. कलाईसेल्वी ने प्रतिनिधियों के साथ साझा किया कि आज हमारे सामने सबसे विचारणीय सवाल यह है कि हमें आज हाइड्रोजन को कैसे और क्यों संभालना चाहिए। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है, जिसके लिए हमें हरित हाइड्रोजन की क्षमता को बढ़ाने और इसका लाभ उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने खुलासा किया कि कैसे हरित हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आधार देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि जब वह सीएसआईआर के अध्यक्ष प्रधानमंत्री के सामने अपनी प्रस्तुति दे रही थीं तो प्रधानमंत्री ने महानिदेशक से पूछा कि क्या हम अपशिष्ट जल से ग्रीन हाइड्रोजन प्राप्त कर सकते हैं? “प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सवाल केवल सीएसआईआर से नहीं है बल्कि पूरे भारतीय समुदाय से है। इसलिए, आप अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के साथ एक सम्मेलन कर सकते हैं जहां आप एक विस्तृत चर्चा कर सकते हैं, यह पता लगा सकते हैं कि जलवायु परिवर्तन की समस्या को कम करने के लिए समाधान के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किस प्रकार से किया जा सकता है।

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