स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
भारतीय फार्मा उद्योग को ‘विश्व की फार्मेसी’ के रूप में भारत की साख को बनाये रखने की कोशिश करनी चाहिएः डॉ. मनसुख मांडविया
दवाइयों की गुणवत्ता के साथ समझौता करने वालों के खिलाफ सरकार की जीरो-टॉलरेंस की नीति हैः डॉ. मनसुख मांडविया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने उद्योग जगत से फार्मा उत्पादों की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए एक स्व-नियामक निकाय की स्थापना करने का आग्रह किया
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने मुंबई में आईपीए के आठवें वैश्विक फार्मास्यूटिकल गुणवत्ता शिखर सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया
Posted On:
23 JUN 2023 7:45PM by PIB Delhi
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आईपीए के आठवें वैश्विक फार्मास्यूटिकल गुणवत्ता शिखर सम्मेलन के समापन समारोह के अवसर पर कहा “भारतीय फार्मा उद्योग को ‘विश्व की फार्मेसी’ के रूप में भारत की साख को बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए, जोकि कोविड-19 संकट के दौरान स्थापित हुई थी।”
श्री मांडविया ने कहा “वैश्विक संकट के दौरान सरकार और फार्मा उद्योग की मिली-जुली जिम्मेदारी से देश यह उपलब्धि हासिल कर सका। उद्योग जगत ने अपनी अहम जिम्मेदारी को समझते हुए सरकार द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करने के लिए निरंतर काम किया और कोविड-19 के इलाज के लिए आवश्यक सभी दवाएं उपलब्ध कराईं। उन्होंने विभिन्न टीकों के उत्पादन में भी सरकार की सहायता की।”
उन्होंने उद्योग जगत के जिम्मेदारीपूर्ण दृष्टिकोण की सराहना करते हुए कहा कि किसी ने भी अपने लाभ के बारे में नहीं सोचा और स्वार्थी बनकर स्थिति का अनुचित लाभ नहीं उठाया। इस समर्थन और जिम्मेदारीपूर्ण दृष्टिकोण की वजह से, भारत 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाओं और टीकों की आपूर्ति कर सका। साथ ही केंद्रीय मंत्री ने दवाओं की गुणवत्ता के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि किसी भी देश ने दवाओं की गुणवत्ता को लेकर शिकायत नहीं की क्योंकि भारतीय फार्मा उद्योग दवाओं की गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करता है। हम जानते हैं कि अन्य सभी क्षेत्रों की तरह कुछ ही लोग हैं जो उत्पादों की गुणवत्ता के साथ समझौता करने का प्रयास करते हैं। लेकिन उन्हें हमेशा याद रखना चाहिए कि सरकार की ऐसे लोगों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है। उन्होंने आगे बताया कि सरकार इस प्रकार के कदाचार में शामिल कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है। उन्होंने फार्मा उद्योग से फार्मा उत्पादों की गुणवत्ता की निगरानी के लिए एक स्व-नियामक निकाय की स्थापना करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि देश अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है क्योंकि सरकार ने निजी क्षेत्र सहित सभी के लिए अपनी अनुसंधान सुविधाएं खोल दी हैं।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए श्री इंडियन फार्मास्यूटिकल एलायंस के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा कि भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग वैश्विक स्तर पर रोगियों के स्वास्थ्य परिणामों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत दुनिया भर में गुणवत्ता-युक्त सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए जाना जाता है। कोविड-19 महामारी के दौरान, उद्योग जगत ने दृढ़ता का प्रदर्शन किया और अब इसे विश्व की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है। गुणवत्ता फार्मास्यूटिकल क्षेत्र का मूलभूत सिद्धांत है। गुणवत्ता आधारित प्रणाली, प्रौद्योगिकी और प्रतिभा में निरंतर निवेश मूलभूत है क्योंकि समग्र स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य अभूतपूर्व गति से विकसित हो रहा है। आईपीए भारत को गुणवत्ता के मामले में वैश्विक बेंचमार्क बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
आठवें वैश्विक फार्मास्यूटिकल गुणवत्ता शिखर सम्मेलन का विषय ‘पेशेंट सेन्ट्रिसिटीः न्यू पैराडाइम ऑफ मैन्युफैक्चरिंग एंड क्वालिटी’ था। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और भारत में फार्मास्यूटिकल परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विचार-विमर्श करने के लिए उद्योग जगत के दिग्गजों, वैश्विक नियामकों, गुणवत्ता विशेषज्ञों और हितधारकों को एक मंच प्रदान किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स के अध्यक्ष और आईपीए के अध्यक्ष श्री समीर मेहता ने किया। भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल्स विभाग की सचिव सुश्री एस अपर्णा ने उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य भाषण दिया। पहले दिन फार्मास्यूटिकल उद्योग में एक संस्कृति के रूप विनिर्माण और निर्माण गुणवत्ता के भविष्य के महत्व को रेखांकित किया गया। दुनिया भर के नियामकों-यूएस एफडीए, एमएचआरए, ईडीक्यूएम और सीडीएससीओ ने हालिया निरीक्षण संबंधी टिप्पणियों और रुझानों पर प्रकाश डालते हुए नियामक मामलों पर चर्चा की। दिन का समापन फार्मास्यूटिकल उत्पादन में उत्कृष्टता सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी संरचना, सर्वश्रेष्ठ श्रेणी के इजीनियरिंग नियंत्रणों की खोज पर चर्चा के साथ हुआ।
शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन उद्योग जगत के दिग्गजों ने उद्योग की प्रगति, निरंतर विनिर्माण, नियामक को लेकर उम्मीद, फार्मास्यूटिकल विनिर्माण में डिजिटल प्रौद्योगिकियों और अन्य उद्योगों से सीखने के बारे में प्रकाश डाला। दिन का मुख्य आकर्षण पैनल चर्चा थी जिसमें सिप्ला, डॉ. रेड्डीज, ल्यूपिन, सन फार्मा और जाइडस के फार्मा उद्योग के प्रमुख सीईओ शामिल थे और उन्होंने भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग के भविष्य पर अपने विचार रखे।
आईपीए के बारे में
इंडियन फार्मास्यूटिकल एलायंस 24 अनुसंधान-आधारित राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। सामूहिक रूप से, फार्मास्यूटिकल अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र के निवेश में आईपीए कंपनियों की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत से अधिक है। वे देश के दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात में 80 प्रतिशत से अधिक और घरेलू बाजार में 60 प्रतिशत से अधिक सेवा का योगदान देते हैं। अधिक जानकारी के लिए https://www.ipa-india.org/ को देखें।
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