उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति द्वारा मालवीय नेशनल इंस्टीट्यू आफ टैक्नालाजी, जयपुर में छात्रों के साथ मुलाकात कार्यक्रम में दिये गये संबोधन का मूलपाठ (अंश)

Posted On: 23 JUN 2023 3:00PM by PIB Delhi

सभी को नमस्कार।

मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं आज जो भी हूं शिक्षा की वजह से हूं। जब मैं एक गांव में पढ़ता था, पढ़ाई के लिये हर दिन पांच किलोमीटर जाना और इतना ही आना होता था, यानि दोनों तरफ 10 किलोमीटर ..... यदि मुझे सैनिक स्कूल चित्तौरगढ़ से छात्रवृति नहीं मिली होती .... यह जो छात्रवृति मुझे मिली, उसने मेरा जीवन बदल दिया। इससे मुझे अच्छी शिक्षा मिली। मैं बहुत ही आज्ञाकारी छात्र था। गुरुजन मुझे बहुत प्यार करते थे। इसकी कीमत भी मुझे देनी पड़ी। आप भाग्यशाली हैं कि आपको आज भारतीय उत्पाद अमूल उपलब्ध है, लेकिन उन दिनों हमें पॉलसन बटर मिलता था। इसलिये जब कभी मैं टीचर से बात करता पीछे से आवाज आती थी पॉलसन, पॉलसन, पॉलसन। वह मुझे सभी अध्यापकों का चहेता मानते थे। मैं पढ़ाई के दौरान हमेशा गोल्डमेडलिस्ट रहा हूं। मुझे बड़ा डर लगता था अगर टॉपर नहीं होऊंगा तो क्या होगा? बहुत डर लगता था और इस डर के मारे बहुत बड़ी कीमत दी है, बहुत बाद में पता चला कुछ नहीं होने वाला था। यह जरूरी नहीं है कि टॉपर ही रहो। तनाव मत रखो, दबाव में नहीं रहो, कोशिश करने में डरो नहीं, डर के भी डर को छोड़ दो - इससे कोई लाभ नहीं होता।

आप देखेंगे कि दुनिया में जिन लोगों ने उद्योग लगाये हैं, मूलभूत सुविधायें खड़ी की हैं, विश्वस्तरीय इमारतें बनाई हैं, वे वास्तविक बनाने वाले नहीं हैं। वास्तव में करने वाले यहां बैठे हैं। उन्होंने आइडिया दिया, उन्होंने उस विचार को आगे बढ़ाया। किसी काम को करने से ज्यादा आसान कुछ नहीं और योजना बनाने से ज्यादा कठिन कुछ नहीं और यही सब आप सब करते चले आ रहे हैं।

मुझे यह जानकर खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमल में लाने का काम यहां हो रहा है। सभी हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखते हुये तीन दशक के बाद यह नीति विकसित हुई है। मैं पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहा हूं। मैंने शिक्षाविदों से उनके विचार लिये, जिनकी शिक्षा में रूचि है उनके और जिनकी शिक्षा में एक उद्योग के तौर पर रूचि है उनके भी विचार लिये।

छात्रों, विचारकों ने हमें यह नीति दी है। अब आपके पास यह सुविधा है जैसा कि आपके निदेशक ने बताया है कि अब आप अपने मुख्य विषय के साथ गौण विषय भी ले सकते हो। आप अपने जीवन में देखोगे कि जो गौण था वह मुख्य बन गया। यह बड़ा लाभ है जो आपको मिल रहा है।

मेरे नौजवान साथियो, मैं यहां अपने विचार आपके साथ साझा करने आया हूं। मैंने आईआईटी मद्रास में भी विचार रखे जहां काफी लंबा सार्थक सत्र चला। मैंने छात्रों, संकाय प्राध्यापको के साथ बातचीत की, उनकी कार्यशालाओं में गया और उनकी सफलताओं को देखा। मैं आईआईएम, बेंगलूरू में भी जा चुका हूं। आपका यह संस्थान भी बेहतर संस्थानों में से एक है। आपकी आंखों में जो चमक में देख रहा हूं, मैं यह कहा सकता हूं कि आपका भविष्य उज्ज्वल है। इस दिन इससे अधिक उत्कृष्ट और चमकदार और कुछ नहीं हो सकता है।

देश के प्रधानमंत्री की अमेरिका में मौजूदगी काफी प्रभावशाली है और अब हम वैश्विक नेतृत्व की बराबरी में हैं। आप सौभाग्यशाली है कि आप ऐसे समय में रह रहे हैं जब इंडिया, हमारा भारत, तेजी से आगे बढ़ रहा है, ऐसा पहले कभी नहीं देखा, उसकी यह तेजी अब रूकने वाली नहीं है। उसकी यह बढ़ती चाल बाधित नहीं हो सकती है लेकिन आपके योगदान से उसे उसकी वास्तविक गति मिल जायेगी।

मैं आपको कुछ आंकड़े बताता हूं। हालांकि, मैं आप पर आंकड़ों का ज्यादा बोझ नहीं डालूंगा। 2022 में डिजिटल हस्तांतरण दुनिया में नई सामान्य बात हो गई है। 2022 में 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डालर का डिजिटल हस्तांतरण हुआ लेकिन यह महत्वपूर्ण नहीं है। ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारा डिजिटल हस्तांतरण अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के कुल डिजिटल हस्तांतरण का चार गुणा से अधिक रहा है।

आप सोच सकते हैं कि भारत और उसके 1.3 बिलियन लोग आज कहां पहुंच चुके हैं। दुनिया सोच सकती है कि वह नई टैक्नालाजी को कैसे अपनायेंगे। लेकिन यह सब इस देश में हो रहा है। प्रौद्योगिकी के मामले में इन चार बड़े देशों का चार गुणा, मेरा मानना है कि यह एक उपलब्धि है, हम इसे लेकर गर्व कर सकते हैं।

दूसरी उपलब्धि बतात हूं। एक दशक पहले दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में हम दसवें नंबर पर थे। दुनिया की कुल आबादी का छठा हिस्सा भारत में है, हम दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र हैं लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था दसवें नंबर पर थी। सितंबर 2022 में हम दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गये। यह कोई आसान नहीं था और इस आगे बढ़ने की प्रक्रिया में हमने अपने पूर्व औपनिवेशक शासक ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया।

पर कुछ लोगों को भारत की महान उपलब्धियों को डाइजेस्ट करने में दर्द होता हैI उनको सोचने की आवश्यकता है, यह वह भारत नहीं है जो पहले था, अब यह वह भारत है जो सदियों पहले था जिसका 5000 साल का इतिहास है। कौन सा देश है जो हमारे जैसी 5000 साल पुरानी सभ्यता होने का दावा कर सकता है और उसपर गर्व कर सकता है? यह हमारी उपलब्धि है और अगले एक दशक के बाद भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा और जब भारत इस पर खुशियां मना रहा होगा, हम हो सकता है नहीं रहें लेकिन आप सब तब 2047 में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे होगे।

आप सभी कहीं न कहीं शीर्ष पदों पर बैठे होंगे, आप सभी देश की वृद्वि में सहायक होंगे। भारत जब 2047 में पहुंचेगा, अपनी आजादी के 100 साल मना रहा होगा, तब हम दुनिया में नंबर एक पर होंगे। दुनिया इसे जानती है दुनिया इसे समझती है। यह समय नहीं है जब भारत को दुनिया को बताने की जरूरत है। समय बदल गया है। पूरी दुनिया आज भारत की तरफ देख रही है और देख रही है कि भारत के प्रधानमंत्री क्या कह रहे हैं, और भारत के प्रधानमंत्री वही कहते हैं जो कि भारत के हित में है। हम भारतवासी वैश्विक शांति, भाईचारा, स्थिरता और विकास चाहते हैं। हम एक अलग तरह का देश है, हमारे जैसे कोई दूसरा देश नहीं है। हम ज्ञान और मानव संसाधन पर काम कर रहे हैं।

मैं जब इस परिसर में पहुंचा और मैंने अपने बांई तरफ की दीवार पर विजन और मिशन के बारे में देखा, यह मिलकर काम करने और ज्ञान के मिश्रण के तौर पर दिखा।

यहां मानव संसाधन फल-फूल और उसमें निखार आ रहा है। मैं आपको बताता हूं, आपको नहीं पता, लेकिन आपके संस्थान का बहुत मान सम्मान है। इसे आप जितना सोचते हैं उससे काफी ऊंची रैंकिंग मिली है, इसकी रैकिंग में लगातार सुधार आ रहा है और मुझे विश्वास है कि यह काफी ऊपर जायेगी।

एक और आंकड़ा मैं आपको बताता हूं, हम भारतीयों का मजबूत डीएनए है। हम एकलव्य हैं, कोई सिखाए या ना सिखाए, गांव का आदमी स्मार्ट फोन से सब सीख जाता है और यही तो कारण है कि भारत में 70 करोड़ इंटरनेट उपयोग करने वाले हैं।

लोग कहते हैं कि इतनी ज्यादा जनसंख्या है इसमें क्या महारत है। मैं बताता हूं महारत क्या है। 2022 में हमारा प्रति व्यक्ति डेटा खपत अमेरिका और चीन दोनों को मिला लो तो उससे ज्यादा था। यह उपलब्धि क्यों हैं, क्योंकि जो भारत का दिमाग है, समर्पित भाव से काम करने की जो क्षमता है ...... हमारे भीतर सातों दिन चैबीस घंटे काम करने की क्षमता है। बाहर आपको ऐसी कार्य संस्कृति नहीं मिलेगी। यही वजह है कि पूरी दुनिया में आपको शीर्ष पर भारतीय दिमाग काम करते हुये मिल जायेंगे। यह देखकर काफी संतोष भी होता है और बधाई की बात है कि इसमें महिलाओं ने ज्यादा बाजी मार रखी है। यहां भी आपकी उपस्थिति संतुलित है।

मेरा आपसे यह कहना है कि जब हम इतने महान देश में रह रहे हैं, जिसकी इतनी बड़ी, उतनी ही बड़ी सभ्‍यता है, हमारी वृद्धि की रफ्तार लगातार जारी है, हमेशा बढ़ने वाली है, आज हम खुली आंख से वह चीजें देख रहे हैं जिसका हम सपना भी नहीं ले सकते थे।

1989 में, मैं लोकसभा सदस्य चुनकर संसद पहुंचा। मेरे पास अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को एक साल में 50 गैस कनेक्शन देने की शक्ति थी। लोग कहते थे कि एमपी की बड़ी पावर है। आज प्रधानमंत्री जी ने 17 करोड़ लोगों को गैस-कनेक्शन फ्री दे दिए जिन्हें इसकी आवश्यकता है। यह क्रांति है कि नहीं है? कितनी बड़ी सोच है एक आदमी की, हम भाग्यशाली हैं कि ऐसा नेता हमारे पास है। जहां दृष्टि होती है, उस पर तुरंत अमल होता है, वहां परिणाम आपके सामने होता है।

उपराष्ट्रपति होने के नाते मैं राज्यसभा का चेयरमैन भी हूं। आपको लगता है कि नये संसद भवन के रूप में सिर्फ एक बहुत बड़ी बिल्डिंग बनकर तैयार हुई है। 30 महीने से भी कम समय में और कोविड के बावजूद, वह सिर्फ एक बिल्डिंग नहीं है, यह अंदर से भी पूरी तरह से तैयार है। सामान्य रूप से केवल भवन की साज-सज्जा में ही 10 साल लग जाते हैं। कितनी चीजें इसमें हुई होंगी और कितना सोच- विचार हुआ होगा। नये संसद भवन में संपूर्ण भारत और भारतीयता की झलक दिखती है। सोचिये यह ढाई साल से भी कम समय में बनकर तैयार हुआ है।

जयपुर से दिल्ली जाना भी अब आसान हो गया और आपको अलग अलग विकल्प भी मिलते हैं। भारत का विकास एक प्लैटो की तरह है, यह सभी मानदंडों में आगे बढ़ रहा है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि आज के दिन जो दिल्ली से आता है उसमें आप एक प्रतिशत की भी कैंची नहीं मार सकते। यह बिना किसी माध्यम, मिडलमैन और संपर्क एजेंट के सीधे आपके पास पहुंचता है। मैं इस मामले में आपको सबसे मुश्किल हस्तांतरण के बारे में बताता हूं जो कि एक गांव में किसान को किया जाता है। 11 करोड़ किसानों को 2.25 लाख करोड़ रूपये सीधे उनके बैंक खाते में प्राप्त हुये हैं।

भारत बदल चुका है और बदलते भारत में कुछ लोगों को चुनौतियां आ गईं हैं, बेतुकी बातें करते हैं। कहते हैं कि भारत जीवंत लोकतंत्र नहीं है, मुझे इससे पीडा होती है। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि चीजों को समझिये और उसी के मुताबिक अपनी बात कहिये क्योंकि भारत दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जहां गांव के स्तर पर, पंचायत के स्तर पर, जिला परिषद के स्तर पर, राज्य विधानसभा और निस्संदेह, संसद के स्तर पर संवैधानिक लोकतंत्र है। ऐसी परिस्थिति में यदि लोग बाहर जाकर यह कहे कि भारत में जीवंत लोकतंत्र नहीं है, भारत के राष्ट्रवाद के साथ बदसलूकी है। बदसलूकी आपके भविष्य के साथ है। इस तरह की बदसलूकी हमारे भविष्य के विकास के उपर अंकुश लगाने का कुप्रयास है। हम ऐसे कुटिल दिमागों द्वारा इस प्रकार की नुकसानदेह बातों को बोलकर हमारे संस्थानों और वृद्धि को गलत और निरर्थक साबित नहीं करने दे सकते हैं।

इसमें युवाओं की बड़ी भूमिका है, आपके पास विविध सोच रखने वाली बुद्धि है। यदि मैं आपके सामने कुछ कहता हूं तो आप उसकी जांच-परख करेंगे कि उप राष्ट्रपति ने जो कुछ कहा क्या वह सही था। इस सभागार में और बाहर जो भी हैं उन्हें यह समझना होगा कि यदि सोच- विचार रखने वाले बुद्धिजीवी इस तरह की ताकतों को नहीं राकेंगी अथवा उन्हें अलग थलग नहीं करेंगे तो हम अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे हैं।

मित्रों, हमें हमेशा अपने देश पर भरोसा करना चाहिये, इसमें कोई विकल्प नहीं है। हमें भारतीय होने पर गर्व क्यों नहीं होना चाहिये? हमें अपनी उपलब्धियों पर गर्व क्यों नहीं होना चाहिये। प्रिंस चार्ल्स तृतीय की ताजपोशी के समय मैं लंदन में था। मुझे वहां छात्रों के साथ बातचीत का अवसर मिला, वे सभी भारत को लेकर काफी उत्साहित थे। मैं यह कहता रहा हूं कि जो भारतीय छात्र बाहर जाते हैं वह काफी प्रतिभाशाली होते हैं, लेकिन वह आपको प्रतिभा में नहीं हरा सकते हैं, इसलिये वह यहां समायोजित नहीं हो पाते हैं और वहां निकल जाते हैं।

मेरी बातों को याद रखिये, यहां हमारे संस्थानों में सबसे बेहतर प्रतिभायें हैं, आपको अपने आपको नहीं बल्कि दुनिया को बदलना है। आप जब बाहर जायेंगे वहां आपको अलग परिवेश मिलेगा, एक के बाद एक सकारात्मक कदमों से आप अपने सपने साकार कर सकते हैं।

जब मैं 1979 में एक वकील था, एक लाइब्रेरी बनाना चाहता था, मुझे 6000 रूपये की जरूरत थी। उस बैंक मैनेजर का चेहरा आज भी मुझे याद है जिसने बिना गारंटी के मुझे पैसा दिया था। आज आपको केवल एक आइडिया चाहिये और फिर आपके लिये पूरा जहां खुला है आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं।

हमारे स्टार्टअप्स और यूनिकार्न युवाओं ने शुरू किये हैं। मैं आप सभी युवकों और युवतियों को यह सचाई बताना चाहता हूं कि आप आज बड़े बड़े उद्योगपतियों के समक्ष चुनौती खड़ी कर रहे हो। अब वो लोग सचेत हो गये हैं कि आज का पढ़ा हुआ युवा क्या करिश्मा दिखा सकता है और धन अर्जन करने में भी हमसे आगे जा सकते हैं और ऐसा देखने को मिल रहा है।

मैं छात्रों के साथ बातचीत करके न केवल अपने आप को उर्जावान, प्रफुल्लित और प्रेरित महसूस करता हूं बल्कि मैं उनसे भी मिलता हूं जो सिविल सेवाओं में जाते हैं। मैं अब कुछ बहुत महत्वपूर्ण बात कहने जा रहा हूं, मैंने सिविल सर्विस दिवस पर भी यह कहा था। जब आप सिविल सविर्सिज में जाते हैं और देश की सेवा करते हैं तो आपको ज्यादा नहीं मिलता है, लोगों को बाहर काफी अधिक मिलता है। लेकिन जो संतुष्टि और चेहरे पर चमक अपने देश की सेवा करने में आती है, वह आपको कहीं नहीं आयेगी।

जो माहौल है उसमें कुछ अलग कीजिये, इसके लिये मेरे कुछ सुझाव हैं:-

-तनाव और दबाव को छोड़ दीजिये, इससे कुछ नहीं होने वाला, इसे भूल जाइये।

-अपने दिमाग में कई तरह के विचारों को पड़ा मत रहने दीजिये, जैसे ही एक विचार आता है उसपर अमल करना शुरू कर दीजिये।

-असफलता से मत डरिये, यह बुराई नहीं है, कोई भी पहले ही प्रयास में चांद पर नहीं पहुंच जाता है। इसके लिये मेहनत की जरूरत होती है लेकिन आपके तेज तर्रार दिमाग में कोई विचार आता है और आप उसपर अमल नहीं करते हैं तो आप मानवता के साथ बड़ा अन्याय कर रहे हैं।

-प्रतिस्पर्धा में मत पड़िये, अपने आप के साथ प्रतिस्पर्धा कीजिये, दूसरों के साथ नहीं, आपको जो ठीक लगता है वह कीजिये।

-दूसरों के प्रभाव और सोच पर मत चलिये। दूसरों को अपने आप को जानने का मौका नहीं दीजिये। मैं इसके पूरी तरह से खिलाफ हूं कि बाहर की संस्थायें भारत को लेकर कोई बात कहें, वे हमें आशंकित करती हैं। वह हमारी खाद्य सुरक्षा पर सवाल उठातीं हैं। लगता है कि उन्हें यह पता नहीं है कि एक अप्रैल 2020 से जहां 80 करोड़ लोगों को मु्फ्त अनाज दिया जा रहा है, उस देश में कैसे कोई खाद्य सुरक्षा नहीं हो सकती है।

गांव के अंदर आज वातावरण बदल गया है, रेल की टिकट, हवाई जहाज की टिकट, गैस बुकिंग, पासपोर्ट के लिये अब किसी को कहना नहीं पड़ता, यह सब हो गया है, तभी तो प्रति व्यक्ति डेटा खपत अमेरिका और चीन से ज्यादा है।

अब अच्छी बात यह है जो हमारे समय नहीं थी कि हमारी वृद्धि सीजेरियन थी, धरती फाड़ कर उपर आना पड़ता था। वंशवाद और उत्तराधिकार चलता था। कुल लोगों के बच्चे हार्वर्ड और आक्सफोर्ड में एडमिशन लेते थे। अब हालात बदल गये हैं सभी के लिये समान अवसर उपलब्ध हैं। आप सौभाग्यशाली हैं जो कि इस समय के भारत में हैं जहां ऐसा परिवेश है जिसमें आपकी प्रतिभा और क्षमता का पूर्ण इस्तेमाल हो सकता है। अवसरों को हाथ से निकलने मत दो। मुझे इसमें कोई शंका नहीं है कि आप आगे बढ़ोगे।

एक नई समस्या है, आज के समय क्या कोई कानून से उपर है? नहीं है ना। यदि कोई कानून से उपर है अथवा किसी को कानून से छूट है तो हम कानून के राज से चलने वाला समाज होने का दावा नहीं कर सकते हैं। कुछ लोगों का भ्रम अब टूट रहा है, और चकनाचूर हो रहा है लेकिन फिर भी कुछ बाकी हैं, कि हमें कानून का नोटिस क्यों मिल गया? और लोग सड़कों पर आ जाते हैं। युवाओं को सवाल करना चाहिये, कि जब आपको नोटिस मिला है तो आप कानून का रास्ता क्यों नहीं अपनाते हैं? न्याय का दरवाजा खटखटाइये लेकिन लोग सड़कों पर उतर जाते हैं। आखिर क्यों? आज कोई भी कानून से उपर नहीं है। मैं राजनीति में नहीं हूं लेकिन मैं कानून के शासन और सामाजिक विकास को लेकर चिंतित हूं।

अगर पब्लिक प्रॉपर्टी को कोई हानि पहुंचाता है, या जला देता है और वीडियो ऑडियो पर वह दिखता है, लेकिन उस पर कोई एक्शन नहीं होता, क्यों? युवा दिमागों को इस पर सवाल उठाना चाहिये और सोशल मीडिया पर सकारात्मक और विकासोन्मुख विचारों के साथ छा जाना चाहिये।

मुझे यह जानकार प्रसन्नता हुई कि आपने कई एमओयू किये हैं। वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद बहुत महत्वपूर्ण संस्था है जो कि भारत के मानव संसाधन को दुनिया के साथ जोड़ती है। उप-राष्ट्रपति होने के नाते मैं उस संस्था का चेयरमैन हूं। मैं घोषणा करता हूं कि इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्‍ड अफेयर का आपके संस्थान के साथ अगले 30 दिन के भीतर एमओयू होगा और एक बहुत वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी, मैडम ठाकुर संस्थान में आयेंगी और निदेशक और छात्रों के साथ विचार विमर्श करेंगी और क्या रास्ते हो सकते हैं इसके बारे में बतायेंगी। मैं, माननीय निदेशक से अपील करूंगा कि जब हम नये संसद भवन में प्रवेश करेंगे तो इस संस्थान से एक प्रतिनिधिमंडल मेरे आतिथ्य के तहत नई संसद को देखने पहुंचेगा।

माननीय प्रधानमंत्री ने आज अपने भाषण में कहा, ‘‘पूरा विश्व आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर उत्साहित है’’ और कहा ‘‘अमेरिका- भारत: दो समकक्ष’’ उनकी यह बात मायने रखती है। इस देश की वृद्धि आज इतिहास के अहम मोड़ पर है। यह भारत को फिर से खोजना नहीं है, हमने इसे पुनः खोज निकाला है, यह भारत को पाना है, हमने इसे प्राप्त किया है।

मेरी टीम यहां काम करेगी और आपके सभी सवाल लेगी, जिनका जवाब मेरे द्वारा वीडियो के जरिये दिया जायेगा। सवाल व्यापक क्षेत्र को कवर करने के साथ चिंताओं को लेकर पूरी सोच विचार वाले होने चाहिये। उनमें वह कई बातें होनी चाहिये जो कि देश में हो रहीं हैं। मैं आपकी सभी शंकाओं को दूर करूंगा और यदि कुछ चीजों को अमल में लाया जाना है तो मैं उसके लिये अपनी तरफ से प्रयास करूंगा।

मैं आप सभी को जीवन में सफलता के लिये बहुत बहुत शुभकामनायें देता हूं।

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एम जी/एमएस/एमएस/वाईबी



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