आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर अभियान के तहत सिटी-रिसाइक्लर कनेक्ट कार्यशाला का आयोजन किया
15,000 से अधिक आरआरआर केन्द्र खोले गये
अब तक 20 लाख से अधिक नागरिकों ने पुरानी पुस्तकें, कपड़े, जूते-चप्पल, खिलौने जैसे अनुपयोगी सामान को फिर से उपयोग अथवा पुनर्चक्रण के लिये दान किया।
Posted On:
02 JUN 2023 5:01PM by PIB Delhi
केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप एस पुरी द्वारा 15 मई 2023 को शुरू किये गये राष्ट्रव्यापी अभियान, ’’मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर’’ को देशभर से उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मिल रही है। अभियान के मूल में रिड्यूस, रियूज, रिसाइकल (आरआरआर) के सिद्धांत निहित हैं। इसका उद्देश्य शहरों में नागरिकों के लिये ऐसे ’आरआरआर’ केन्द्रों की स्थापना करना है जहां वह कपड़े, जूते-चप्पल, पुरानी पुस्तकें, खिलौने और इस्तेमाल किये प्लास्टिक को पुनःउपयोग अथवा पुनर्चक्रण के लिये दे सकते हैं।
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) ने जर्मन डेवलपमेंट कारपोरेशन (जीआईजैड) के साथ मिलकर कचरा मुक्त शहरों के एसबीएम-यू 2.0 दृष्टिकोण पर आगे बढ़ते हुये शहरों को कचरे के प्रभावी पुनर्चक्रण और पुनः प्रयोजन युक्त बनाने तथा उनके आगे संपर्क मजबूत बनाने के लिये 01 जून 2023 को ’सिटी- रिसाइक्लर कनेक्ट’ कार्यशाला का आयोजन किया।
इस कार्यशाला में शहरों, राज्यों और डिजिटल क्षेत्र में काम करने वाली एजेंसियां, पुनर्चक्रण और शहरों से पुनर्चक्रण योग्य सामान संग्रह करने का मजबूत नेटवर्क रखने वाली रिसाइक्लिंग एसोसि सभी को एक साथ ला दिया। ये सभी एजेंसियां और एसोसियेसन प्लास्टिक, ग्लास, रबड़, टायर और कागज रिसाइकलिंग से जुड़ी हैं। कार्यशाला के वक्ताओं में टेरी, जीआईजैड और कबाड़ीवाला कनेक्ट, रिसाइकल जैसे निजी क्षेत्र के अन्य कारोबारी शामिल थे। परिचर्चा पुनर्चक्रण में लगे लोगों के लिये शहरों के साथ जुड़ने की बेहतर परिस्थितियों के ईद-गिर्द केन्द्रित रही, इसके साथ ही शहरों के आरआरआर केन्द्रों और एमआरएफ केन्द्रों से संग्रहीत सामान की प्राप्ति के लिये संपर्क स्थापित करने की कार्ययोजना और संभावित अवसरों पर भी चर्चा की गई।
कार्यशाला के दौरान आवासन एवं शहरी कार्य सचिव, श्री मनोज जोशी ने कहा, ’’हमें रिसाइक्लिंग के लिये बेहतर उपकरणों की जरूरत है, साथ ही रिसाइक्लर्स और संगठित एवं असंगठित रैग पिकर्स दोनों के साथ अधिक संगठित तरीके से जुड़ने की जरूरत है। शहरों से इतना अधिक कूड़ा निकलता है कि कूड़े से धन अर्जित करने के और अवसर पैदा हो सकते हैं। इसलिये हमें आरआरआर की श्रृंखला को पूरा करने में जुट जाना चाहिये।’’
शहरों ने इस अभियान के मूल संदेश को अपनाया है और अब तक 15,000 से अधिक आरआरआर केन्द्र स्थापित हो चुके हैं और यह कार्य जारी हैं। 20 लाख से अधिक नागरिकों ने अभियान में सक्रिय होकर भाग लिया और अपने अनुपयोगी सामान, पुरानी पुस्तकें, कपड़े, जूते, खिलौने आदि स्वेच्छा से केन्द्रों में दान किये हैं। इस सामान को शहरों द्वारा पुनःउपयोग अथवा पुनर्चक्रण के लिये भेजा जायेगा। अब तक शहरों में 188 टन प्लास्टिक, 315 टन वस्त्र और 2,00,000 के करीब पुरानी पुस्तकें संग्रहित हुई हैं।
जर्मनी के दूतावास में वित्तीय मामलों के काउंसलर डा. डोमिनिक वालाउ ने कहा, ’’भारत और जर्मनी आज इस कार्यक्रम से जुड़ कर गौरवान्वित हैं, जिसका उद्देश्य शहरों, निजी क्षेत्र और रिसाइक्लर्स के बीच दूरी को कम करना है ताकि और अधिक कूड़े को प्रभावी ढंग से पुनर्चक्रित किया जा सके और अंततः समुद्री पर्यावरण क्षेत्र में जाने वाले कूड़ा कम हो सके। मुझे आशा है कि आज के इस सत्र में फ्रंट और सेंटर में सर्कुलर, डिजिटल, मेटेरियल का पता करने जैसे शब्द जो बोले गये हैं। आज दुनिया को इसी की जरूरत है जिसमें पुनर्चक्रण की मात्रा बढ़ाई जाये ताकि पर्यावरण में कम से कम कचरा पहुंचे।’’
भारत के शहरों में 1.45 लाख टन ठोस कचरा पैदा होता है जिसमें से लगभग 35 से 40 प्रतिशत सूखा कूड़ा होता है। सूखे कूड़े के बड़े हिस्से को फिर से इस्तेमाल में लाने अथवा पुनः इस्तेमाल लायक बनाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर अध्ययन से पता चलता है कि करीब 60 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे को देश में रिसाइकल किया जाता है। सूखे कूड़े में प्लास्टिक कचरे की मात्रा अधिक होती है। भारत में पुरानी चीजों को फिर से इस्तेमाल में लाने अथवा उसका पुनः चक्रण करने की परंपरा के चलते पुनःचक्रण की दर अन्य देशों के मुकाबले अधिक है। लेकिन, कूड़ा संग्रह के सीमित चैनल होने और उंची परिवहन लागत के चलते सूखे कूड़े की पूर्ण पुनः चक्रण क्षमता को अभी प्राप्त नहीं किया जा सका है। स्वच्छ भारत मिशन - शहर 2.0 (एसबीएम- यू 2.0) के तहत आरआरआर केन्द्रों और रिसाइक्लर्स के जरिये बेकार सामान के पुनः चक्रण को बढ़ाया जा रहा है ताकि पुनः चक्रीय मूल्य श्रृंखला में और सुधार लाया जा सके।
तीन-आर - रिड्यूस, रियूज और रिसाइकल पर बेहतर व्यवहार संबंधी एक दस्तावेज शहरों और राज्यों की मदद के लिये जारी किया गया ताकि वह उपयुक्त रणनीति तैयार कर सकें। यह दस्तावेज आवासन एवं शहरी कार्य, सचिव, श्री मनोज जोशी, तथा मंत्रालय में संयुक्त सचिव, सुश्री रूपा मिश्रा की उपस्थिति में जारी किया गया। कार्यशाला के दौरान शहर और रिसाइकलिंग माकेट कनेक्ट पर एक डिजिटल प्लेटफार्म ’’संसाधन’’ भी प्रदर्शित किया गया ।
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