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भू-चुंबकीय झंझावातों के पुनरावृत्ति चरण में भू-चुंबकीय मौक्तिक दोलनों (पर्ल आसलेशन्स) में वृद्धि होती है

Posted On: 01 MAY 2023 5:05PM by PIB Delhi

शोधकर्ताओं ने भू-चुंबकीय झंझावातों (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्टोर्म्स) के पुनर्प्राप्ति चरण में पृथ्वी की सतह पर भू-चुंबकीय पीसी 1 मौक्तिक दोलनों (पर्ल आसलेशन्स) के नाम से मोती-सदृश  संरचनाओं के साथ विशेष निरंतर दोलनों में बहुत महत्वपूर्ण वृद्धि का पता लगाया है। यह अध्ययन भू-चुंबकीय झंझावातों के दौरान वर्षा कणों की जांच के लिए महत्वपूर्ण है और उपग्रहों एवं अंतरिक्ष यात्रियों को होने वाले विकिरण के खतरे को समझने में हमारी मदद कर सकता है।

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र हमारे चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाता है और इस चुंबकीय क्षेत्र गुहा (कैविटी) में विभिन्न प्लाज्मा तरंगें उत्पन्न होती हैं। हालांकि, भू-चुंबकीय झंझावात / तूफान अक्सर इस सुरक्षा में सेंध लगाते हैं। इन तूफानों के दौरान ऊर्जावान कण या तो त्वरित हो जाते हैं अथवा पृथ्वी की विकिरण पट्टी (बेल्ट) में विलीन हो जाते हैं। यह प्लाज्मा वातावरण में परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है, जिससे ऐसी कम आवृत्ति वाली तरंगों की वृद्धि होती है जिसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक आयन-साइक्लोट्रॉन (एमआईसी) तरंग अस्थिरता कहा जाता है और उसे ऐसे चुंबकीय क्षेत्र दोलन (0.1-5 हर्ट्ज) के रूप में देखा जाता है जिसे पीसी 1 स्पंदन (पल्सेशन) कहा जाता है।

जियोमैग्नेटिक पीसी 1 मौक्तिक (पर्ल दोलन) आयाम-मॉड्यूलेटेड स्ट्रक्चर्ड नैरो-बैंड सिग्नल हैं, जो पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में अनुनादी तरण- कण संक्रिया (रेज़ोनेंट वेव-पार्टिकल इंटरैक्शन)  द्वारा उत्पन्न कम-आवृत्ति वाली इ एमआईसी तरंगों के प्रतीक हैं। इन दोलनों का अवलोकन पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में कण वर्षा की माप के लिए एक अभिलेख (प्रॉक्सी) जैसा है।

इन स्पंदनों (पल्सेशन्स) के प्रमाण मध्य और उच्च अक्षांश क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में हैं। हालांकि, बहुत कम अक्षांश वाले केन्द्रों पर, यह अक्सर नहीं होते हैं। ये तरंगें निकट-पृथ्वी (नियर अर्थ)  के वातावरण में अंतरिक्ष मौसम का एक महत्वपूर्ण घटक हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय भूचुम्बकत्व संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ जिओमैग्नेटिज्म- आईआईजी) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने विभिन्न भारतीय और वैश्विक संगठनों के साथ भारत के अति निम्न अक्षांशीय क्षेत्र में सौर चक्र 20-21 और सौर चक्र 24 के अवरोही चरण (डिसेन्डिंग फेज) के संबंध में इन स्पंदनों की दीर्घकालिक परिवर्तनशीलता की जांच की।

जर्नल ऑफ एटमॉस्फेरिक एंड सोलर-टेरेस्ट्रियल फिजिक्स में प्रकाशित एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पीसी 1 तरंगों की संरचनाओं की जांच करने के लिए कम अक्षांश स्थल देसालपर (डीएसपी, एल = 1.07) से सौर चक्र 24 के अवरोही चरण को कवर करते हुए भूमध्यरेखीय स्थल (इक्वेटोरियल साइट) चौटुप्पल (सीपीएल, एल = 1.03) से सौर चक्र 20-21 को समाहित  करने वाले 13 वर्ष  के संग्रहित रिकॉर्ड और 5 साल के डिजिटल इंडक्शन कॉइल मैग्नेटोमीटर डेटा का उपयोग  किया। शांत और सक्रिय भू- चुंबकीय स्थितियों के दौरान रूपात्मक परिवर्तनों की जांच की गई, और आयनमंडल के माध्यम से उच्च-अक्षांश ईएमआईसी तरंग को निम्न अक्षांश पर लाने में आयनमंडल की भूमिका का मॉडल तैयार किया गया।

दिन की तुलना में रात में पीसी 1 की संख्या में स्पष्ट वृद्धि देखी गई। इसका कारण यह है कि निचले अक्षांशों की ओर आयनमंडलीय वेवगाइड के माध्यम से प्रसार पर पीसी 1 तरंगों का क्षीणन (एटेन्यूएशन) रात के समय अपेक्षाकृत कम होता है। इसी तरह, सौर अधिकतम अवधि के दौरान, भूमध्य रेखा पर पीसी 1 तरंगों की संचरण दर सौर न्यूनतम अवधि की तुलना में कम हो गई थी। पीसी 1 घटना के वार्षिक और मौसमी पैटर्न ने दोनों केन्द्रों (स्टेशनों) पर सौरधब्बों (सनस्पॉट) की संख्या के साथ एक विपरीत संबंध दिखाया। सक्रिय भू-चुंबकीय स्थितियों के साथ इन स्पंदनों के जुड़ाव से पता चलता है कि भू-चुंबकीय झंझावातों / तूफानों के पुनरावृत्ति  चरण में पीसी 1 की घटना में अत्यधिक वृद्धि हुई है।

उपग्रह आधारित संचार प्रणालियों पर अत्यधिक निर्भर वर्तमान युग में इस अध्ययन द्वारा उपग्रहों और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए प्रतिपादित संभावित विकिरण खतरों की समझ होना एक बड़ी आवश्यकता है।

प्रकाशन लिंक : https://doi.org/10.1016/j.jastp.2022.105963

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चित्र 1: 17 मार्च, 2013 को डीएसपी एक्स () घटक में में रिकॉर्ड किए गए पीसी 1 भूचुम्बकीय स्पन्दन (जियोमैग्नेटिक पल्सेशन) के विशिष्ट अशांत कालीन संकेत (डिस्टर्ब टाइम सिग्नेचर)। पैनल (ए) इंडक्शन मैग्नेटोमीटर रिकॉर्ड के स्पेक्ट्रोग्राम दिखाते हैं, पैनल (बी)  भूमध्यरेखीय (इक्वेटोरियल)  एसवाईएम – एच सूचकांक (इंडेक्स)  दिखाता है तथा पैनल (सी) देखी गई घटना के सशक्त वर्णक्रमिक अनुमान  (पावर स्पेक्ट्रल एस्टीमेशन्स) प्रस्तुत करता है।

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