पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए चीतों के नए नाम रखे गए

Posted On: 20 APR 2023 12:23PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर 2022 को अपने मन की बात कार्यक्रम में परियोजना चीता को आम जनता में लोकप्रिय बनाने और उन्हें इस बारे में संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से देश के नागरिकों से नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों के नए नाम सुझाने के बारे में अनुरोध किया था। इस संबंध में, भारत सरकार के प्लेटफॉर्म मायगॉव.इन पर 26 सितंबर से 31 अक्टूबर 2022 तक एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इस प्रतियोगिता में कुल 11,565 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं, जिनमें देश में लाए गए इन चीतों के नए नाम सुझाए गए थे। इन प्राप्त प्रविष्टियों की एक चयन समिति द्वारा जांच की गई और सुझाए गए नामों के संरक्षण और सांस्कृतिक मूल्यों के महत्व और प्रासंगिकता के आधार पर नामीबियाई और दक्षिण अफ़्रीकी चीतों के निम्नलिखित नए नामों का चयन किया गया है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस प्रतियोगिता के विजेताओं को बधाई दी है, जिन्होंने नामीबिया और दक्षिणी अफ़्रीकी चीतों के लिए नए नाम सुझाए हैं।

1) नामीबिया चीते

क्र स.

चीते का पुराना नाम

लिंग

चीते का फोटो

नया नाम

सुझाव देने वाले प्रतियोगी का नाम

1

अशा

मादा

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001KBU8.jpg

आशा

रोजाली सेठी,

अविनाश गजानन राव गेदम,

ओमप्रकाश सिंह

सतीश रेड्डी

एम. एस. कुमारस्वामी

शमोकशीत

2

ओबन

नर

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002XXYR.jpg

पवन

आशवीसिंह,

सर्वेश्वर हरिताश,

कार्थी शास्त्री बी एस,

अरण्य हलदर,

अमनकुमार

 

3

 

सवान्ना

 

मादा

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नाभा

 

अमित राजेंद्र नलवाडे,

नरेंद्र चौधरी,

सुनील पाटिल

4

सियाया

मादा

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ज्वाला

द्वारकाराम,

इशांत जिंदल,

भैया जी

5

एल्टन

(बांया जानवर)

नर

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गौरव

सतीश रेड्डी,

जयंत कोटवड़े,

भूमिका बिष्ट,

शुचिस्मिता सेनगुप्ता

6

फ्रेड्डी

(दांया जानवर)

नर

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शौर्य

अनुज कुमार योगी,

भूमिका बिष्ट

7

तिब्लिसी

मादा

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धात्री

रुशव शतपथी

वार्षिणी भट्ट

 

2) दक्षिणी अफ्रीकी चीते

 

क्र स.

चीते का पुराना नाम

लिंग

चीते का फोटो

नया नाम

सुझाव देने वाले प्रतियोगी का नाम

1

फिंडा

व्यस्क मादा

मादा

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दक्षा

देवानंद

टीनू

2

मापेसू

उप वयस्क मादा

मादा

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निर्वा

साम्राज्ञी अग्रवाल

3

फिंडा

व्यस्क नर1

नर

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image010OM3F.jpg

वायु

सुमित अमित जगताप,

इद्रिशा राज,

राज सखारे,

आशीष शर्मा,

शिवानी ठाकुर,

सतीश कुमार,

अजिंक्यक,

अक्षय शर्मा

4

फिंडा

व्यस्क नर2

नर

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अग्नि

सतीश कुमार

भैया जी

अवस्थी सुरेश

शिवराज स्वामी

एम एस कुमारस्वामी

अभिषेक लातवा

कार्तिक शास्त्री बीएस

बिंदु दानी

अक्षय शर्मा

निधि शर्मा

5

स्वालू

व्यस्क मादा

मादा

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image012O2C0.jpg

गामिनी

कंचन गुप्ता

6

स्वालू

व्यस्क नर

 

नर

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तेजस

इवान लियोन जोसफ,

वर्षा

मंगलम लाल श्रीवास्तव

शुभमसिंह

रोहित दुबे,

भैया जी,

अभिषेक लातवा,

ओम प्रकाश सिंह

7

स्वालू

उप व्यस्क मादा

मादा

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image014EI9F.jpg

वीरा

ओनोरा मुखर्जी

8

स्वालू

उप व्यस्क नर

नर

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सूरज

शिव नंदन मिश्रा

9

वाटरबर्ग बायोस्फीयर वयस्क मादा

मादा

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0164P3Y.jpg

धीरा

सोनू

देवानंद

10

वाटरबर्ग बायोस्फीयर वयस्क नर

नर

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0170N43.jpg

उदय

बिप्रदीप घोषाल

सुचिस्मिता सेनगुप्ता

11

वाटरबर्ग बायोस्फीयर वयस्क नर2

नर

 

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प्रभाष

अक्षय शर्मा

12

वाटरबर्ग बायोस्फीयर वयस्क नर3

नर

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image019WS5A.jpg

 

पावक

प्रिया सोनवाने

 

भारतीय जंगलों में चीतों को 1947 में अंतिम बार देखा गया था, जब छत्तीसगढ़ राज्य के कोडिया जिले के साल (शोरिया रोबस्टा) के जंगलों में तीन चीतों को गोली मार दी गई थी। भारत में चीतों की संख्या में कमी आने के मुख्य कारणों में कर्सिंग (शिकार करवाने के लिए), बाउंटी (उपहार) और स्पोर्ट हंटिंग आदि के लिए चीतों को बड़े पैमाने पर पकड़ना शामिल हैं। इनके आवास स्थल में व्यापक परिवर्तन के साथ-साथ शिकार स्थलों में कमी आना भी इसका मुख्य कारण हैं। वर्ष 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

भारत में चीता परिचय परियोजना का उद्देश्‍य देश में व्यवहार्य रूप से चीतों की मेटापॉपुलेशन स्थापित करना था इससे चीतों को एक शीर्ष शिकारी के रूप में अपनी कार्यात्मक भूमिका निभाने में मदद मिलती है और उनकी अपनी ऐतिहासिक सीमा के भीतर अपने विस्तार के लिए स्थान उपलब्ध होता है जिससे उनके वैश्विक संरक्षण प्रयासों में योगदान प्राप्त होता है।

इस परिचय परियोजना के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं -

  1. इनकी ऐतिहासिक सीमा में सुरक्षित आवासों में चीता की आबादी में विस्तार के लिए प्रजनन स्थापित करना और उनकी एक मेटापोपुलेशन के रूप में प्रबंधन करना।
  2. खुले जंगल और सवाना प्रणालियों को पुनः स्थापित करने के लिए संसाधनों को एकत्र  करने हेतु चीता का एक करिश्माई ध्वजवाहक और अंब्रेला प्रजाति के रूप में उपयोग करना जिससे इन इकोसिस्टम्स से जैव विविधता और इकोसिस्टम सेवाओं को लाभ मिलेगा।
  3. स्थानीय सामुदाय की आजीविका की वृद्धि के लिए इकोसिस्टम विकास और  इकोसिस्टम-पर्यटन के लिए आने वाले अवसर का उपयोग करना।
  4. मुआवजे, जागरूकता और प्रबंधन कार्रवाई के माध्यम से चीता संरक्षण क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों के साथ चीता या अन्य वन्यजीवों द्वारा किसी भी संघर्ष का प्रबंधन करना।

इस संदर्भ में, भारत सरकार ने नामीबिया गणराज्य के साथ जी2जी परामर्श मूलक बैठकें आयोजित कीं, जिसके फलस्वरूप चीता संरक्षण के लिए 20 जुलाई 2022 को दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए। इस एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद, एक पहले ऐतिहासिक जंगल से जंगल अंतरमहाद्वीपीय स्थानान्तरण में, नामीबिया से आठ चीतों को 17 सितंबर, 2022 को भारत लाया गया और जिन्हे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा क्वारंटाइन बोमा में छोड़ा गया।

भारत में चीता परिचय की कार्य योजना के अनुसार, अगले 5 वर्षों के लिए अफ्रीकी देशों से कम से कम 10-12 चीतों को प्रतिवर्ष आयात करने की आवश्यकता है। इस बारे में, भारत सरकार ने चीता संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग के लिए 2021 से दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के साथ द्विपक्षीय बातचीत की शुरूआत की। इन वार्ताओं के फलस्वरूप जनवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने में सफलता मिली।

इस समझौता ज्ञापन के प्रावधानों के तहत, 12 चीतों (7 नर, 5 मादा) का पहला जत्था 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से भारत में लाया गया था। 12 चीतें दक्षिण अफ्रीका से ग्वालियर लाए गए और उसके बाद इन्हें भारतीय वायु सेना द्वारा हेलीकॉप्टरों के माध्यम से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया। चीता विशेषज्ञों, पशु चिकित्सकों और वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण प्रक्रिया के दौरान चीतों के साथ मौजूद रहा।

चीता परिचय के बारे में भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना को आगे बढ़ाने के उदेश्य से 20 फरवरी, 2023 को अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, पशु चिकित्सकों और वन अधिकारियों को शामिल करते हुए एक परामर्श कार्यशाला का कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के निष्कर्ष से बेहतर चीता प्रबंधन का मार्ग प्रशस्त हुआ जो भारत में चीतों की आबादी को सफलतापूर्वक स्थापित करने में सहायता प्रदान करेगा।

 

भारत में स्थानान्तरण के बाद चीतों के बारे में नवीनतम जानकारी-

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