विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
“प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (टीडीबी-डीएसटी) ने मैसर्स एमएलआईटी-18 टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को अपना समर्थन दिया; कंपनी का लक्ष्य विनिर्माण उद्योग में स्वचालन के लिए मशीन विजन और रोबोटिक्स सिस्टम का व्यावसायीकरण करना है”
“भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के ऊष्मायित (इनक्यूबेटेड ) स्टार्टअप को टीडीबी-डीएसटी से वित्त पोषण मिला; टीडीबी ने विनिर्माण उद्योग में स्वचालन (ऑटोमेशन) के लिए मशीन विजन और रोबोटिक्स सिस्टम के व्यावसायीकरण के लिए स्टार्टअप को ₹ 4.12 करोड़ की सहायता दी
Posted On:
10 APR 2023 6:43PM by PIB Delhi
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और रोबोटिक्स को एकजुट करने वाले नवोन्मेषी समाधान अगली पीढ़ी की औद्योगिक क्रांति के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को डिजिटल अर्थव्यवस्था की कुंजी के रूप में केंद्रित करने के लिए "आरएआईएसई – रेज -2020" का आयोजन किया और ''भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विनिर्माण करें और भारत के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विनिर्माण करें (मेक एआई इन इंडिया एंड मेक एआई वर्क फॉर इंडिया)'' की दृष्टि से कई कार्यक्रम शुरू किए। भारत सरकार की इस पहल का समर्थन करने के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने अंत: विषयी साइबर भौतिक प्रणालियों (इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स - एनएम – आईसीपीएस) पर राष्ट्रीय मिशन को लागू किया है, जिसे पूरे भारत में 25 प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्रों के माध्यम से लागू किया गया है।
इसे और सक्षम बनाने के लिए, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने अब "विनिर्माण उद्योग में स्वचालन के लिए मशीन संकल्पना (विजन) और रोबोटिक्स सिस्टम के व्यावसायीकरण" के लिए कंपनी मैसर्स एमएलआईटी-18 टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता किया है। बोर्ड ने ₹5.89 करोड़ की कुल परियोजना लागत में से ₹4.12 करोड़ के समर्थन का वादा किया है। कंपनी का स्टार्ट- अप ऊष्मायन एवं नवोन्मेष केंद्र (इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी), कानपुर में ऊष्मायित (इनक्यूबेटेड) है।
इस कंपनी के पास स्वदेशी रूप से विकसित समाधान हैं जो विनिर्माण उद्योगों और रेलवे में औद्योगिक स्वचालन के लिए गुणवत्ता आश्वासन और निरीक्षण प्रणाली का प्रत्यक्ष विकल्प होंगे। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) समर्थन के अंतर्गत इस परियोजना में कंपनी ने वैगन निरीक्षण, खनन उद्योगों में तापीय जांच, सीव विश्लेषण और वाहन निर्माण उद्योग में निकासी पूर्व निरीक्षण जैसे कई प्रमुख स्वचालन समाधानों के लिए आयात के विकल्प का प्रस्ताव दिया है। अल्ट्राटेक (आदित्य बिड़ला), बिड़ला कॉपर यूनिट, महिंद्रा इगतपुरी आदि जैसे उद्यमों की उपभोक्ताओं साइटों पर इसकी कार्य प्रणाली पहले से ही उपयोग में है। विकसित उत्पाद में संपूर्ण डिजाइन, एल्गोरिदम और असेंबली स्वदेशी है। ऑटोमेशन उद्योग और रेलवे में एआई और रोबोटिक्स सिस्टम के उपयोग के लिए कंपनी का महाराष्ट्र में एक निर्माण स्थल है।
इस अवसर पर बोलते हुए कंपनी के प्रोत्साहनकर्ता (प्रमोटर) श्री मनीष चौधरी और श्री गिरीश नायर ने कहा कि टीडीबी से मिल रहा समर्थन और सहायता कंपनी को भारत में विभिन्न उद्योगों में एआई और रोबोटिक्स क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण के लिए सक्षम बनाएगी और सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल में योगदान देगी।
प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक ने कहा, " टीडीबी में हमारा दृढ़ विश्वास है कि अग्नि और विद्युत के बाद कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) एक ऐसा आविष्कार है जिसका सामान्य नागरिकों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। एआई और रोबोटिक्स प्रणाली पर आधारित परियोजना के अंतर्गत इस प्रौद्योगिकी को विनिर्माण उद्योग, रेलवे प्रणाली, रक्षा, वांतरिक्ष (एयरोस्पेस) और कई अन्य क्षेत्रों में विविध अनुप्रयोगों को क्रियान्वित किया जा सकता है। इसके अलावा, यह माननीय प्रधान मंत्री ' भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विनिर्माण करें और भारत के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विनिर्माण करें (मेक एआई इन इंडिया एंड मेक एआई वर्क फॉर इंडिया)' की परिकल्पना में भी अपना योगदान देगी।"
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