पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपने वन क्षेत्रों और उनके संसाधनों का प्रबंधन संधारणीयता के सिद्धांत पर आधारित वैज्ञानिक तरीके से करता है


भारत स्थानीय लोगों की जानकारियों और पारंपरिक ज्ञान को अत्यधिक महत्व देता है और लैंगिक समानता के साथ वन प्रबंधन में एक सहभागी दृष्टिकोण का पालन करता है: श्री यादव

यमुना नदी का पुनर्जीवन, क्रिया प्रधान दृष्टिकोण का एक उदाहरण: श्री यादव

Posted On: 21 MAR 2023 7:22PM by PIB Delhi

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत स्थानीय लोगों की  जानकारियों और पारंपरिक ज्ञान को बहुत महत्व देता है और लैंगिक समानता के साथ वन प्रबंधन में एक सहभागी दृष्टिकोण का पालन करता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपने वन क्षेत्रों और उनके संसाधनों का प्रबंधन संधारणीयता के सिद्धांत पर आधारित वैज्ञानिक तरीके से करता है।

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 2023 के अवसर पर आज एफएओ मुख्यालय, रोम में "स्वस्थ लोगों के लिए स्वस्थ वन" विषय पर उच्च स्तरीय सत्र को वर्चुअली संबोधित करते हुए श्री यादव ने कहा कि पारंपरिक आयुर्वेदिक प्रणाली, औषधीय पौधों, गैर-काष्ठ वन उत्पादों का दवाओं के स्रोत के रूप में उपयोग और वन आधारित आजीविका भारतीय जीवन शैली में गहराई से शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत में वन अधिकार अधिनियम के माध्यम से आदिवासी और वन आश्रित समुदायों के अधिकारों को मान्यता देने का कानूनी प्रावधान है।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री यादव ने कहा कि वृक्षारोपण गतिविधियों पर बड़े पैमाने पर ध्यान देने के माध्यम से  13 प्रमुख नदियों का पुनर्जीवन कार्यक्रम, शहरों में हरियाली के लिए भारत सरकार के दिशानिर्देश 2014 और प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2015 में शुरू किए गए स्मार्ट सिटीज मिशन का उद्देश्य ऐसे शहरों को बढ़ावा देना है जो जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर स्वच्छ और स्थाई वातावरण और अच्छी गुणवत्ता वाला जीवन प्रदान करते हैं। हरित राजमार्ग (वृक्षारोपण, प्रतिरोपण, सौंदर्यीकरण और रखरखाव) नीति 2015 का उद्देश्य स्थानीय समुदायों की मदद से देश के सभी राजमार्गों के किनारे पेड़ लगाना है, ताकि गर्मी, वायु और ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव को कम किया जा सके और तटबंधी ढलानों पर मिट्टी के कटाव को रोका जा सके।

माननीय मंत्री ने सभा को जानकारी दी कि भारत स्वस्थ जीवन के लिए एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण में दृढ़ता से विश्वास करता है और इंसानों, जानवरों और उनके द्वारा साझा किए गए पर्यावरण के बीच मजबूत संबंध की पूरी तरह से सराहना करता है। उन्होंने कहा कि सतत शहरों, समुदायों के वनों और शहरों की हरियाली को हमारे शहरों और समुदायों की जीवन शैली को संधारणीयता के करीब लाने में एक प्रमुख भूमिका निभानी है, जो संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों में से एक है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने शहर और आस पास के वनों को शहरी नियोजन प्रक्रिया के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता दी है, और इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

श्री यादव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वन क्षेत्र से बाहर लगे वृक्ष (टीओएफ) देश के कुल वन और वृक्षावरण का 36.18 प्रतिशत  है। उन्होंने कहा कि भारत के पास कृषिवानिकी तंत्र, नदी जलग्रहण और शहरों की हरियाली सहित वन क्षेत्र से बाहर लगे वृक्ष (टीओएफ) को बढ़ावा देकर वृक्षावरण का विस्तार करने के लिए एक मजबूत अभियान है। उन्होंने कहा कि भारत के पास पारिस्थितिक सुरक्षा और वन पारिस्थितिकी तंत्र के सतत विकास को मदद करने के लिए आईसीएफआरई (भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद), आईआईएफएम (भारतीय वन प्रबंधन संस्थान), भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ एक मजबूत संस्थागत तंत्र है। उन्होंने एक टिकाऊ जलवायु अनुकूल अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए बदलाव, अनुकूलन और उबरने की क्षमता-निर्माण में प्राकृतिक संसाधनों के अनुसंधान और अनुप्रयोग के लिए राष्ट्रीय संस्थान (निरंतर) की विज्ञान-नीति इंटरफ़ेस के बारे में बात की।

उच्च-स्तरीय सत्र के लिए उद्घाटन भाषण एफएओ के महानिदेशक श्री क्यू दोंग्यू के द्वारा दिया गया, जहां लोगों की भलाई के लिए वनों के महत्व पर प्रकाश डाला गया।

श्री यादव ने यमुना डूब क्षेत्र में स्थित गढ़ी मांडू सिटी फॉरेस्ट के पास सिग्नेचर ब्रिज से युधिष्ठिर सेतु तक रिवरफ्रंट के किनारे आज आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस समारोह में भी भाग लिया। यह कार्यक्रम पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के वन और वन्यजीव विभाग द्वारा आयोजित किया गया था।

माननीय मंत्री ने कहा कि यमुना नदी के पुनर्जीवन के लिए किए गए प्रयास क्रियाप्रधान दृष्टिकोण का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह जल और संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के नियमन में वनों और वनों के परिदृश्य की भूमिका को पहचानने में मदद करता है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी)ने वनों से जुड़ी पहलों की नदियों के पुनर्जीवन के साधन के रूप में कल्पना की है। इसी के अनुसार 'वानिकी पहलों के माध्यम से यमुना का पुनर्जीवन' पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सात राज्यों  उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश, जो यमुना और उसकी सहायक नदियों के बेसिन में स्थित हैं, में कार्यान्वयन के लिए तैयार की गई है।

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाने के लिए, मुख्य अतिथियों, इको-क्लब के छात्रों, नेहरू युवा केंद्र के सदस्यों, पर्यावरण मित्र और वेटलैंड मित्र द्वारा यमुना बाढ़ डूब क्षेत्र में वृक्षारोपण गतिविधियाँ की गईं।

इस कार्यक्रम में दिल्ली के उपराज्यपाल, श्री विनय कुमार सक्सेना; उत्तर पूर्वी दिल्ली से संसद सदस्य श्री मनोज तिवारी; पूर्वी दिल्ली से संसद सदस्य श्री गौतम गंभीर; विधान सभा सदस्य घोंडा श्री अजय महावर और राज्य और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

***

एमजी/एमएस/एआर/एसएस/एजे


(Release ID: 1909360) Visitor Counter : 360


Read this release in: English , Punjabi