विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने उत्तराखंड के देवस्थल में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह की उपस्थिति में एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप का उद्घाटन किया


आज की यह ऐतिहासिक घटना भारत को अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान के रहस्यों का अध्ययन करने एवं  शेष  विश्व  के साथ साझा करने के लिए क्षमताओं के एक अलग और उच्च स्तर पर रखती  है : डॉ. जितेन्द्र सिंह

उन्होंने कहा कि  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नौ वर्ष के प्रशासन के दौरान वैज्ञानिक कार्यों की लंबी सूची में यह एक और ऐतिहासिक कीर्तिमान है

विश्व स्तरीय 4 – मीटर आकार का यह  अंतर्राष्ट्रीय तरल दर्पण दूरदर्शी ( इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप -  आईएमएलटी ) अब गहरे आकाशीय अंतरिक्ष  का पता लगाने के लिए तैयार है

हर रात आकाश की पट्टी को स्कैन करते समय यह  टेलीस्कोप लगभग 10-15 गीगाबाइट डेटा उत्पन्न करेगा और आईएलएमटी द्वारा उत्पन्न डेटा बिग डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस / मशीन  लर्निंग – एआई / एमएल ) एल्गोरिदम के अनुप्रयोग की एल्गोरिदम के अनुप्रयोग की सुविधा देने के साथ ही  आईएमएलटी  के साथ देखी गई वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिए प्रयोग किया जाएगा : डॉ. जितेंद्र सिंह

Posted On: 21 MAR 2023 4:55PM by PIB Delhi

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),  प्रधानमंत्री कार्यालय , कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल ( सेवानिवृत्त ) गुरमीत सिंह की उपस्थिति में उत्तराखंड के देवस्थल में एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप का उद्घाटन किया।

उद्घाटन के बाद अपने सम्बोधन में  डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संरक्षण, प्रचार और प्राथमिकता है जिसने देश की वैज्ञानिक बिरादरी को विज्ञान, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक के बाद एक नई पहलों और नवोन्मेष, जिन्हें विश्व स्तर का दर्जा दिया जा रहा है को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए सक्षम और मजबूत किया है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने न केवल हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है, बल्कि अंतरिक्ष और हिन्द महासागर जैसे अब तक कम खोजे गए क्षेत्रों का पता लगाने की स्वतंत्रता भी दी है, जिसे अब  निजी प्रतिभागियों के लिए खोल दिया गया है और हम  जिनके विशाल संसाधन प्रकट होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

मंत्री महोदय ने कहा कि आज की यह ऐतिहासिक घटना  अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान के रहस्यों का अध्ययन करने और शेष  विश्व  के साथ इसे साझा करने के लिए भारत को क्षमताओं के एक अलग और उच्च स्तर पर रखती है।

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान ( आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज- एआरईईएस ) ने घोषणा की कि विश्व स्तरीय 4-मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप ( आईएमएलटी ) अब सुदूर एवं गहन आकाशीय अंतरिक्ष  का पता लगाने के लिए तैयार है। इसने मई 2022 के दूसरे सप्ताह में अपना पहला प्रकाश प्राप्त किया। यह दूरदर्शी ( टेलीस्कोप )  भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( डीएसटी ) के अंतर्गत  यह  स्वायत्त संस्थान, एआरईईएस उत्तराखंड ( भारत )  के नैनीताल जिले में  देवस्थल स्थित वेधशाला परिसर में 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि आईएमएलटी सहयोग में भारत के  आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान ( आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज- एआरईईएस ), बेल्जियम के  लीज विश्वविद्यालय और बेल्जियम की रॉयल वेधशाला, पोलैंड की पॉज़्नान वेधशाला, उज़्बेक विज्ञान अकादमी के उलुग बेग खगोलीय संस्थान और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय एवं ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, लवल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय, टोरंटो विश्वविद्यालय, यॉर्क विश्वविद्यालय और कनाडा में विक्टोरिया विश्वविद्यालय  के शोधकर्ता शामिल हैं। इस  टेलिस्कोप को एडवांस्ड मैकेनिकल एंड ऑप्टिकल सिस्टम्स ( एएमओएस ) कॉर्पोरेशन और बेल्जियम में सेंटर स्पैटियल डी लीज द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था ।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि  यह आईएलएमटी प्रकाश को एकत्र  एवं  घनीभूत करके केंद्रित करने के लिए तरल पारे की एक पतली परत से बने 4 मीटर व्यास के घूमने वाले दर्पण का उपयोग करता है। उन्होंने कहा कि धात्विक  पारा ( मर्करी )  कमरे के तापमान पर तरल रूप में होता है और साथ ही अत्यधिक परावर्तक भी होता है और इसलिए, यह ऐसा दर्पण बनाने के लिए आदर्श रूप से अनुकूल है। मंत्री महोदय  ने कहा कि आईएलएमटी को हर रात इसके ऊपर से गुजरने वाली आकाश की पट्टी का सर्वेक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे सुपरनोवा, गुरुत्वाकर्षण लेंस, अंतरिक्ष मलबे और क्षुद्रग्रहों जैसी  क्षणिक या परिवर्तनीय आकाशीय वस्तुओं का पता लगाने में  सहायता मिलती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, आईएलएमटी पहला ऐसा  तरल दर्पण टेलीस्कोप है जिसे विशेष रूप से खगोलीय अवलोकन के लिए डिजाइन किया गया है और यह वर्तमान में देश में उपलब्ध सबसे बड़ा एपर्चर टेलीस्कोप है और यह भारत में पहला ऑप्टिकल सर्वेक्षण टेलीस्कोप भी है। हर रात आकाश की पट्टी को स्कैन करते समय यह  टेलीस्कोप लगभग 10-15 गीगाबाइट डेटा उत्पन्न करेगा और जिसे आईएलएमटी द्वारा उत्पन्न डेटा बिग डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस )  / मशीन लर्निंग ( एआई / एमएल ) एल्गोरिदम के अनुप्रयोग की सुविधा  देने के साथ ही  आईएमएलटी  के साथ देखी गई वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिए प्रयोग  किया जाएगा ।

मंत्री महोदय ने बताया कि चर और क्षणिक तारकीय स्रोतों को खोजने और पहचानने के लिए डेटा का तेजी से विश्लेषण किया जाएगा। 3.6 मीटर का डीओटी, परिष्कृत बैक-एंड उपकरणों की उपलब्धता के साथ, आसन्न आईएलएमटी के साथ नवीनतम – गए खोजे  गए क्षणिक स्रोतों के तेजी से अनुवर्ती अवलोकन की अनुमति देगा। साथ ही आईएलएमटी से एकत्र किए गए डेटा, अगले 5 वर्षों के परिचालन समय में  एक गहन फोटोमेट्रिक और एस्ट्रोमेट्रिक परिवर्तनशीलता सर्वेक्षण करने के लिए आदर्श रूप से अनुकूल होंगे।

एक तरल दर्पण टेलीस्कोप में मुख्य रूप से तीन घटक होते हैं: i ) एक परावर्तक तरल धातु ( अनिवार्य रूप से पारा  ) युक्त एक कटोरा सदृश पात्र , ii ) एक एयर बियरिंग  ( अथवा  मोटर ) जिस पर तरल दर्पण स्थापित किया गया  है, और iii ) एक चलन प्रणाली ( ड्राइव सिस्टम )। लिक्विड मिरर टेलिस्कोप इस तथ्य का लाभ उठाते हैं कि एक घूर्णन तरल की सतह स्वाभाविक रूप से एक परवलयिक ( पैराबोलिक )  आकार लेती है और  जो प्रकाश को केंद्रित करने के लिए आदर्श है। माइलर की एक वैज्ञानिक ग्रेड पतली पारदर्शी फिल्म पारे को वायु प्रवाह  से बचाती है। परावर्तित प्रकाश एक परिष्कृत बहु-लेंस ऑप्टिकल सुधारक ( करेक्टर ) के माध्यम से गुजरता है जो दृश्य के विस्तृत क्षेत्र में उत्कृष्ट छवियां उत्पन्न करता है। साथ ही फोकस पर दर्पण के ऊपर स्थित एक 4के 4के सीसीडी  कैमरा, आकाश की 22 आर्कमिनट चौड़ी पट्टियों को रिकॉर्ड करता है।

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चित्र 1 : नैनीताल, उत्तराखंड में एरीज के देवस्थल वेधशाला परिसर का विहंगम दृश्य I

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चित्र 2 : एरीज की देवस्थल वेधशाला में स्थित आएएलएमटी  का ऊपरी ( शीर्ष)  दृश्य एक पतली माइलर फिल्म द्वारा आच्छादित ( कवर किए गए )  तरल पारा दर्पण को दर्शाता है

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चित्र 3 : जी, आर और आई स्लोअन फिल्टर्स के माध्यम से आईएलएमटी के साथ देखे गए आकाश के एक छोटे से भाग  का  एक रंगीन समग्र छवि। एनजीसी  4274 तारामंडल ( गैलेक्सी )  को ऊपरी दाएं कोने में देखा जा सकता है।

 

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