शिक्षा मंत्रालय
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह की शोभा बढ़ाई
Posted On:
10 MAR 2023 7:24PM by PIB Delhi
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (10 मार्च, 2023) नई दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे भारत के विद्यार्थी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि यह विश्वविद्यालय विविधताओं के बीच भारत की सांस्कृतिक एकता का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। कई अन्य देशों के विद्यार्थी भी विश्वविद्यालय में अध्ययन करते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार, सीखने के केंद्र के रूप में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का आकर्षण भारत से बाहर भी बना हुआ है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय अपनी प्रगतिशील प्रथाओं और सामाजिक संवेदनशीलता, समावेशन और महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में समृद्ध योगदान के लिए पहचाना जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने शिक्षा और अनुसंधान, राजनीति, सिविल सेवा, कूटनीति, सामाजिक कार्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, मीडिया, साहित्य, कला और संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावशाली योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय 'नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क' के अंतर्गत देश के विश्वविद्यालयों के बीच वर्ष 2017 से लगातार दूसरे स्थान पर बना हुआ है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के दृष्टिकोण, मिशन और उद्देश्यों को इसके संस्थापक कानून में व्यक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि इन बुनियादी आदर्शों में राष्ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, लोकतांत्रिक जीवन शैली, अंतर्राष्ट्रीय समझ और समाज की समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण शामिल हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय समुदाय से इन मूलभूत सिद्धांतों के पालन में दृढ़ रहने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि चरित्र निर्माण भी शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। उन्होंने कहा कि समय के प्रवाह के साथ चलते हुए चरित्र निर्माण के अमूल्य अवसरों को कभी नहीं गंवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा विद्यार्थियों में जिज्ञासा, प्रश्न पूछने और तर्क के उपयोग की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। इस प्रवृत्ति को हमेशा बढ़ावा देना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि युवा पीढ़ी द्वारा अवैज्ञानिक रूढ़ियों के विरोध को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। विचारों की स्वीकृति या अस्वीकृति बहस और संवाद पर आधारित होनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालय हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों को बनाए रखने, संविधान के मूल्यों को संरक्षित करने और राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रभावी योगदान देंगे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि भारत न केवल दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है, बल्कि यह लोकतंत्र की जननी भी है। उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय इस लोकतंत्र के लिए एक ज्वलंत प्रायोगिक आधार है।
उन्होंने आगे कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय विविधता, संवेदनशीलता, समानता, गुणवत्ता, सामर्थ्य और बहु-विविधता के मामले में किसी भी अन्य विश्वविद्यालय से अलग है। श्री प्रधान ने कहा कि भारत एक प्राचीन सभ्यता है जिसकी पूंजी ज्ञान है। उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय हमारी ज्ञान आधारित सभ्यता को आगे ले जाने के लिए काम कर रहा है।

शिक्षा मंत्री श्री प्रधान ने आज डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विद्यार्थी देश, समाज और मानवता की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए नए मानक स्थापित करेंगे।
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