स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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प्रधानमंत्री ने "स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान" पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और फार्मास्यूटिकल्स विभाग के बजट उपरांत वेबिनार को संबोधित किया


'वन अर्थ, वन हेल्थ' के भारत के विजन, हेल्थकेयर को किफायती बनाने के लिए सरकार के प्रयासों, इनोवेटिव हेल्थकेयर सॉल्यूशंस के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग, नए हेल्थ इकोसिस्टम बनाने और निजी क्षेत्र और शिक्षाजगत के बीच समन्वय की आवश्यकता पर प्रकाश डाला

"हमारी दृष्टि 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' है, जो धरती पर सभी जीवित प्राणियों के लिए समग्र स्वास्थ्य सेवा के महत्व पर जोर देती है"

"हेल्थकेयर को अफोर्डेबल बनाना केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है"

“हमने हेल्थकेयर को सिर्फ हेल्थ मिनिस्ट्री तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि ‘होल ऑफ द गवर्मेंट’ अप्रोच पर बल दिया है”

"पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत क्रिटिकल हेल्थ इंफ्रा को छोटे शहरों और कस्बों तक ले जाया जा रहा है"

“सरकार की दो योजनाओं, आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन औषधि योजना और जन औषधि परियोजना के परिणामस्वरूप हेल्थकेयर पर व्यय के रूप में हाशिए और मध्यम वर्ग के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है”

"स्वास्थ्य क्षेत्र में मानव संसाधन को मजबूत करने पर जोर देते हुए 2014 से स्नातक और स्नातकोत्तर सीटों की संख्या दोगुनी हो गई है। यह देश में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है"

“निजी क्षेत्र और शिक्षाजगत के बीच समन्वय खोजने की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि अगर इस सेक्टर में इन दोनों के बीच हम तालमेल बिठा लेते हैं तो ये सेक्टर 10 लाख करोड़ को भी पार कर सकता है”

‘’भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान "विश्व की फार्मेसी" के रूप में दुनिया का विश्वास और भरोसा हासिल किया है; हमें इस भरोसे को और मजबूत करना होगा तथा यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हमारी साख खराब न हो’’

"प्रीवेंटिव हेल्थ केयर, स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला, जल जीवन मिशन और पोषण अभियान पर हमारी सरकार के प्रयासों के बेहतर परिणाम आज देश के सामने आ रहे हैं"

इस सरकार के लिए केंद्रीय बजट कभी भी महज घोषणा नहीं रहा। यह देश के विकास और विकास नीतियों के लिए एक स्थिर सरकार की प्रतिबद्धता है: डॉ. मनसुख मंडाविया

"सरकार ने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, और यह 'स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र' का एक महत्वपूर्ण और मूलभूत स्तंभ है"

"केंद्रीय बजट सभी हितधारकों के साथ परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से प्रगति और विकास का मार्ग प्रशस्त करने का एक साधन है"

सुव्यवस्थित तरीके से बजट प्रस्तावों के तेजी से कार्यान्वयन पर बल

निजी क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों सहित प्रख्यात वक्ताओं और विशेषज्ञों ने नर्सिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और व्यवसाय में सुधार, आईसीएमआर प्रयोगशालाओं का उपयोग और फार्मा इनोवेशन पर चर्चा में सक्रिय भागीदारी की

Posted On: 06 MAR 2023 4:54PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और फार्मास्यूटिकल्स विभाग के "स्वास्थ्य शिक्षा और चिकित्सा अनुसंधान" पर केंद्रीय बजट उपरांत वेबिनार को संबोधित किया। यह केंद्र सरकार द्वारा आयोजित 12 बजट उपरांत वेबिनार की श्रृंखला में नौवां है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल भी वेबिनार में उपस्थित थे, जो वेबकास्ट था।

वेबिनार का उद्देश्य स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान क्षेत्रों में सरकार की विभिन्न पहलों को आगे बढ़ाने में हितधारकों को शामिल करना था।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि स्वास्थ्य सुविधा को कोविड-पूर्व और कोविड-उपरांत महामारी परिदृश्य में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि "महामारी ने हमें सिखाया है कि जब चिकित्सा आपदा आती है, तो देश का पूरा स्वास्थ्य तंत्र चरमरा सकता है।" उन्होंने कहा किजैसा कि महामारी ने स्वास्थ्य सेवा पर वैश्विक ध्यान केंद्रित किया, भारत एक कदम आगे बढ़ा और कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया। यही कारण है कि हमारी दृष्टि "वन अर्थ, वन हेल्थ" है, जो धरती पर सभी जीवित प्राणियों के लिए समग्र स्वास्थ्य सेवा के महत्व पर जोर देती है।"

प्रधानमंत्री ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी ने हमें ये भी सिखाया है कि आपूर्ति श्रृंखला कितना बड़ा महत्वपूर्ण विषय बन गया है। जब महामारी अपने चरम पर थी तो कुछ देशों के लिए दवाएं, टीके, मेडिकल डिवाइसेस, ऐसी जीवन रक्षक चीजें भी दुर्भाग्य से हथियार बन गई थीं। उन्होंने दोहराते हुए कहा कि बीते वर्षों के बजट में भारत ने इन सभी विषयों पर बहुत ध्यान दिया है। हम ये निरंतर कोशिश कर रहे हैं कि भारत की विदेशों पर निर्भरता कम से कम रहे और इसमें सभी हितधारकों की भूमिका पर बल दिया जाए ताकि आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकें।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आजादी के बाद अनेक दशकों तक भारत में स्वास्थ्य को लेकर एक इंटीग्रेटेड अप्रोच, एक लॉन्ग टर्म विजन की कमी रही। उन्होंने कहा, “हमने हेल्थकेयर को सिर्फ हेल्थ मिनिस्ट्री तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि 'होल ऑफ गवर्नमेंटअप्रोच पर बल दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में इलाज को अफॉर्डेबल बनाना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। उन्होंने कहा, “आयुष्मान भारत के तहत 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज को ये सुविधा देने के पीछे हमारे मन में यही भाव है। इसके तहत अभी तक देश के करोड़ों मरीजों के लगभग 80 हजार करोड़ रुपए जो बीमारी में उपचार के लिए खर्च होने वाले थे वो खर्च होने से बचे हैं।प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “कल देश जन औषधि दिवस मनाने जा रहा है। आज देशभर में करीब 9000 जनऔषधि केंद्र हैं। इन केंद्रों पर बाजार से बहुत सस्ती कीमत पर दवाएं उपलब्ध हैं। इससे भी गरीब और मिडिल क्लास परिवारों को लगभग सिर्फ दवाई खरीद करने में 20 हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का एक प्रमुख फोकस इस बात पर भी है कि लोगों को घर के पास ही टेस्टिंग की सुविधा मिले, उपचार की बेहतर सुविधा हो। उन्होंने कहा, “पूरे भारत में इसके लिए डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तैयार किए गए हैं। इन सेंटर्स में डायबिटीज, कैंसर और हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों की स्क्रीनिंग की सुविधा है। पीएम-आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के माध्यम से, छोटे शहरों और शहरों में महत्वपूर्ण हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया जा रहा है।उन्होंने जोर देकर कहा कि इन पहलों के माध्यम से छोटे शहरों में नए अस्पताल तो बन ही रहे हैं, हेल्थ सेक्टर से जुड़ा एक पूरा इकोसिस्टम विकसित हो रहा है और इसमें भी हेल्थ एंटरप्रेन्योर्स के लिए, इन्वेस्टर्स के लिए, प्रोफेशनल्स के लिए अनेक नए अवसर बन रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में 260 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं, जिससे मेडिकल की ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट सीटों की संख्या 2014 के मुकाबले आज दोगुनी हो चुकी है। इसी प्रकार देश में प्रशिक्षित तकनीशियन की संख्या में वृद्धि के लिए इस वर्ष के बजट में नर्सिंग क्षेत्र के विस्तार पर बल दिया गया है और मेडिकल कॉलेजों के पास ही 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलने पर जोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा, “हेल्थ इंफ्रा के साथ सरकार की प्राथमिकता ह्यूमेन रिसोर्स पर भी है। मेडिकल ह्यूमेन रिसोर्स के लिए बहुत बड़ा कदम है। ये सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया की डिमांड को पूरा करने में भी काम सकता है।

स्वास्थ्य सेवा में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग पर विस्तार से बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा किहम डिजिटल हेल्थ आईडी के माध्यम से हम देशवासियों को समय पर हेल्थकेयर की सुविधा देना चाहते हैं। -संजीवनी जैसे टेलिकंसल्टेशन के प्रयासों से घर बैठे ही 10 करोड़ लोग डॉक्टरों से ऑनलाइन कंसल्टेशन का लाभ ले चुके हैं। अब 5जी टेक्नॉलॉजी की वजह से इस सेक्टर में स्टार्ट अप्स के लिए भी बहुत संभावनाएं बन रही हैं। ड्रोन टेक्नॉलॉजी की वजह से दवाओं की डिलिवरी और टेस्टिंग से जुड़े लॉजिस्टिक्स में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आते दिख रहा है।उन्होंने कहा, “ये यूनिवर्सल हेल्थकेयर के हमारे प्रयासों को बल देगा। ये हमारे एंटरप्रेन्योर्स के लिए भी बहुत बड़ा अवसर है। हमारे एंटरप्रेन्योर्स ये सुनिश्चित करें कि हमें कोई भी टेक्नॉलॉजी अब इंपोर्ट करने से बचना चाहिए।"

प्रधानमंत्री ने बताया कि मेडिकल डिवाइस सेक्टर में पिछले कुछ वर्षो में 12 से 14 परसेंट की रेट से ग्रोथ भी हो रही है। आने वाले 2-3 वर्षों में ये मार्केट, 4 लाख करोड़ तक पहुंचने वाला है। उन्होंने कहा कि भारत ने भविष्य की मेडिकल टेक्नोलॉजी, हाई एंड मैन्युफैक्चरिंग और रिसर्च के लिए स्किल्ड मैनपॉवर पर काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, आईआईटी और दूसरी संस्थाओं में मेडिकल उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग की ट्रेनिंग के लिए, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग या उसके जैसे दूसरे कोर्सेस भी चलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसमें भी प्राइवेट सेक्टर की अधिक भागीदारी कैसे हो, इंडस्ट्री, शिक्षा जगत और सरकार इन सबके बीच अधिक से अधिक तालमेल कैसे हो और इस पर हमें मिलकर के काम करना है।

प्रधानमंत्री ने भारत के फार्मा क्षेत्र की सफलता का लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, "कोविड काल में भारत के फार्मा सेक्टर ने जिस प्रकार पूरी दुनिया का विश्वास हासिल किया है, वह अभूतपूर्व है। इसे हमें कैपिटलाइज करना ही होगा।उन्होंने कहा, “हमारी इस प्रतिष्ठा को, हमारी इस सिद्धि को, हमारे प्रति इस विश्वास पर रत्ती भर आंच नहीं आनी चाहिए, ऊपर से ज्यादा विश्वास बढ़ना चाहिए।उन्होंने बताया कि उत्कृष्टता केंद्रों के माध्यम से फार्मा में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए नया प्रोग्राम लॉन्च किया जा रहा है। इन प्रयासों से अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिलेगी, साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने निजी क्षेत्र और शिक्षा जगत के बीच समन्वय खोजने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आज इस सेक्टर का मार्केट साइज 4 लाख करोड़ का है। अगर इसमें प्राइवेट सेक्टर और शिक्षा जगत के साथ हम तालमेल बिठा लेते हैं तो ये सेक्टर 10 लाख करोड़ को भी पार कर सकता है। इस क्षेत्र में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आईसीएमआर द्वारा अनुसंधान उद्योग के लिए कई नई प्रयोगशालाएं खोली गई हैं।

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प्रधानमंत्री ने प्रीवेंटिव हेल्थ केयर पर स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला, जल जीवन मिशन और पोषण मिशन जैसे सरकार के प्रयासों के बेहतर परिणामों के बारे में बताया। उन्होंने स्वस्थ जीवन-शैली को बढ़ावा देने में मिलेट-श्री अन्न, योग, फिट इंडिया मूवमेंट और आयुर्वेद की भूमिका के बारे में भी बताया। भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्वावधान में पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र की स्थापना को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री ने आयुर्वेद में साक्ष्य-आधारित अनुसंधान के लिए अपने अनुरोध को दोहराया।

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प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का उद्देश्य भारत को दुनिया का सबसे आकर्षक मेडिकल टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाना है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि केवल सबका प्रयास से भारत में एक विकसित हेल्थ एंड वैलनेस इकोसिस्टम बनाया जा सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा, “हमें ठोस रोडमैप के साथ निर्धारित लक्ष्यों के लिए समय सीमा के भीतर बजट प्रावधानों को लागू करने में सक्षम होना चाहिए। अगले बजट से पहले सभी सपनों को धरातल पर साकार करने के लिए सभी हितधारकों को साथ लेकर आपके अनुभव का लाभ उठाने की आवश्यकता होगी।

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अपने समापन भाषण में, डॉ. मनसुख मांडविया ने प्रधानमंत्री की भावनाओं पर जोर देते हुए कहा कि "केंद्रीय बजट इस सरकार के लिए कभी भी केवल एक घोषणा नहीं रहा है। यह देश के विकास और विकास नीतियों के लिए एक स्थिर सरकार की प्रतिबद्धता है। प्रधानमंत्री ने हमें अमृत काल के दौरान देश के विकास की एक स्पष्ट और समग्र दृष्टि दिखाई है, और बजट उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक निर्णयों का प्रतीक है।उन्होंने जोर देकर कहा, “यह पहली बार है कि देश में स्वास्थ्य को विकास से जोड़ा गया है। सरकार ने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, और यहस्वस्थ और समृद्ध राष्ट्रका एक महत्वपूर्ण और मूलभूत स्तंभ है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि "स्वास्थ्य के क्षेत्र में मात्रा से गुणवत्ता आधारित परिणामों के रूप में बदलाव आया है। आज हम चिकित्सा उपकरणों के निर्माण में इनोवेशन, रिसर्च, पेटेंट, गुणवत्ता पर चर्चा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पर फोकस के साथ भारत की अर्थव्यवस्था और विकास के क्षेत्रों में बदलाव आया है, ताकि स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।

उन्होंने जोर देकर कहा, "केंद्रीय बजट सभी हितधारकों के साथ परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से प्रगति और विकास का मार्ग प्रशस्त करने का एक साधन है। हम केवल नए अस्पताल बनाने की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि चिकित्सा पेशेवरों की संख्या भी बढ़ा रहे हैं।

वेबिनार में निम्नलिखित तीन विषयों पर आधारित सत्र आयोजित किए गए:

1. नर्सिंग में गुणात्मक सुधार: इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और व्यवसाय

इस सत्र में केंद्र, राज्य, शिक्षा, उद्योग और नर्सिंग यूनियनों के दो प्रतिभागियों सहित लगभग 400 विशेषज्ञों ने अपनी भागीदारी दर्ज की। वक्ताओं ने विचार-विमर्श किया कि नर्सिंग कॉलेजों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता के संबंध में भारतीय नर्सिंग परिषद के मानदंडों का पालन किया जाना चाहिए। इसके अलावा, पुस्तकालयों को -पुस्तकों से सुसज्जित किया जाना चाहिए, पत्रिकाओं और व्यावहारिक फाइलों को बनाए रखा जाना चाहिए, इसके अलावा कंप्यूटर लैब, प्रयोगशालाएं, इंटरनेट की उपलब्धता के साथ, स्किल लैब और सिमुलेशन लैब की सुविधा भी कायम रहनी चाहिए।

प्रतिभागियों द्वारा योग्यता-आधारित पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन पर अत्यधिक जोर दिया गया, जिसमें भारतीय नर्सिंग परिषद द्वारा निर्धारित मानक पाठ्यक्रम शामिल है। मेडिकल कॉलेजों के और नर्सिंग कॉलेजों के एक ही स्थान पर होने से उपलब्ध संसाधनों, जैसे छात्रों को उनके सीखने के अनुभवों को बढ़ाने के लिए बेडसाइड शिक्षण के अवसर को और मजबूत करेगा। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एक निगरानी समिति सहित नर्सिंग शिक्षा के लिए मूल्यांकन ढांचा विकसित किया जाना चाहिए, जो मानकों के पालन की सुविधा प्रदान करेगी।

नर्सिंग पेशे के लिए कैरियर मार्ग को परिभाषित करने की आवश्यकता के बारे में विचार विमर्श किया गया, जो नर्सिंग पेशेवरों को निर्णय लेने में नेतृत्व की भूमिका के साथ अपने करियर को विकसित करने और विकसित करने में सक्षम बनाएगा। इससे क्षेत्र में नौकरियों के सृजन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे उच्च वेतनमान पर कमाई करने में मदद मिलेगी। भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए एक वैकल्पिक पाठ्यक्रम विकसित करने के बारे में भी बताया गया, जो नर्सिंग स्नातकों के कैरियर के अवसरों के संदर्भ में सुविधा प्रदान करेगा।

सरकार के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए डॉ. वी.के. पॉल ने कहा, “यह देश में सरकारी नर्सिंग शिक्षा क्षमता का सबसे बड़ा विस्तार है और आने वाले लंबे समय तक इसे इसी रूप में देखा जाएगा। 157 नर्सिंग कॉलेजों में 16,000 निजी नर्सिंग सीटें लाना एक अभूतपूर्व विकास है। उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों को "प्रतिष्ठित संस्थानों" के रूप में माना जाना चाहिए, जो हर तरह से शिक्षा के उत्कृष्ट मानकों को बनाए रखने की प्रेरणा को और मजबूत करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पाठ्यक्रम में सॉफ्ट स्किल्स को शामिल करना आवश्यक है, क्योंकि इन पाठ्यक्रमों के स्नातक चिकित्सा क्षेत्र में राष्ट्र के वैश्विक दूत बनेंगे। यह सुझाव दिया गया कि ये उत्कृष्ट संस्थान राज्य के नर्सिंग कॉलेजों के संरक्षक के रूप में कार्य करेंगे।

सत्र के दौरान यह सुझाव दिया कि केवल नर्सिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ाना महत्वपूर्ण है, बल्कि गुणवत्ता पर ध्यान देना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। प्रतिभागियों ने सिफारिश की कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पहले से स्थापित नर्सिंग संस्थानों (संख्या में 5000 से अधिक) में शिक्षा की गुणवत्ता सबसे आगे रहे। यह सुझाव दिया गया कि नर्सिंग छात्रों के प्रशिक्षण को उनकी शिक्षा में एक केंद्रीय भूमिका निभानी चाहिए, जिसमें उनकी शिक्षा का एक बड़ा हिस्सा उन्हें उनके पेशे के व्यावहारिक पहलू पर आवश्यक कौशल से लैस करने में निवेश किया जाता है, जिससे कुल मिलाकर नर्सिंग पेशे की गुणवत्ता में सुधार होता है।

2. चिकित्सा अनुसंधान के लिए सुविधाप्रदाता के रूप में आईसीएमआर प्रयोगशालाओं का सार्वजनिक और निजी क्षेत्र द्वारा इस्तेमाल

देश में अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा किए गए आह्वान के बाद, बजट में अन्वेषकों और अनुसंधानकर्ताओं के लिए आईसीएमआर सुविधाओं को खोलने के बारे में घोषणाएं शामिल की गईं। "चिकित्सा अनुसंधान के लिए सूत्रधार के रूप में आईसीएमआर प्रयोगशालाओं के सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उपयोग" पर ब्रेकआउट सत्र में उद्योग, शिक्षा और सरकार के लगभग 500 विशेषज्ञों ने भाग लिया, जहां उन्होंने इस नीति को कुशलतापूर्वक क्रियान्वित करने के तरीकों पर चर्चा की।

विचार-मंथन सत्र में महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए जैसे कि एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से आवश्यक निदान और उपकरण तैयार करना, उत्पाद जीवनचक्र के शुरू से अंत तक एकल खिड़की प्रणाली के तहत हितधारकों को लाना, संस्थानों और उद्योग भागीदारों द्वारा एक एकीकृत सूची बनाना या विशेषज्ञता के क्षेत्रों का एकल डिजिटल पोर्टल पर ध्यान केंद्रित करना, इस सुविधा साझा करने की नीति की स्थिरता का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन, क्षेत्रीय संस्थानों, उद्योग निकायों, स्टार्टअप्स के लिए हैंड होल्डिंग और मार्गदर्शन के लिए नोडल क्षेत्रीय केंद्र बनाकर विकेंद्रीकरण, क्लस्टर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना, जहां हितधारक एक छत के नीचे काम कर सकते हैं, चिकित्सकों के लिए अनुसंधान हेतु अधिक समय, मजबूत दिशानिर्देशों और सुव्यवस्थित नियामक प्रक्रियाओं के माध्यम से लंबी अनुमोदन प्रक्रियाओं को कम करना आदि। सत्र के दौरान निजी और सार्वजनिक संस्थागत वित्तपोषण के बीच की खाई को पाटना, पेटेंट मानकों पर ध्यान देना, बौद्धिक संपदा अधिकार आदि, नैदानिक परीक्षण नेटवर्क बनाना आदि जैसे अन्य सुझाव भी दिए गए।

बजट घोषणाओं का स्वागत करते हुए, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ. राजीव बहल ने कहा कि "एक देश तभी विकसित हो सकता है जब उसके पास मजबूत अनुसंधान और विकास का इकोसिस्टम हो। इस बजट घोषणा के माध्यम से हमारा सहयोग बढ़ने जा रहा है और भविष्य की तैयारी के लिए क्षमताओं को मजबूत करेगा। नवोन्मेषकों के लिए आईसीएमआर सुविधाएं खोलने से केवल स्वदेशी समाधानों को गति प्रदान करके हमारी आयात निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि संसाधनों और कुशल जनशक्ति के कुशल उपयोग के माध्यम से भारत को वैश्विक नेता बनने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने दो सी यानी कोलैबोरेशन (सहयोग) और कॉन्फिडेंस (विश्वास) पर ध्यान केंद्रित किया, जो कि कोविड महामारी के दौरान देखा गया था। उस समय को हमारे देश ने एक अवसर के रूप में लिया और उधेड़बुन में काम करने के बजाय, टीम इंडिया के रूप में काम किया और डायग्नोस्टिक्स और परीक्षण किट जैसे अपने उत्पादों को विकसित किया।

प्रतिभागियों ने इस साहसिक कदम को उठाने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया, जो केवल अनुसंधान में तेजी लाएगा, बल्कि विमर्श से बाजार तक एक विचार को और अधिक कुशलता से ले जाएगा। यह देश की भलाई के लिए सच्ची जन-भागीदारी का एक उपयुक्त उदाहरण होगा।

3. चिकित्सा उपकरणों के लिए फार्मा नवाचार और बहु-विषयक पाठ्यक्रम

"फार्मा मेडटेक क्षेत्र और अनुसंधान नवाचार को बढ़ावा देना और चिकित्सा उपकरणों के लिए पाठ्यक्रम हेतु समर्थन" पर ब्रेकआउट सत्र प्रमुख अवसरों पर केंद्रित था, जिसे भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए तलाशना चाहता है। चर्चाओं का फोकस अनुसंधान के लिए वित्तपोषण और वित्तपोषण को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र को शामिल करने पर केंद्रित था। इस बात पर प्रकाश डाला गया कि अनुसंधान में अधिक निवेश से ही मूल्य संवर्धन संभव होगा। निष्कर्ष के रूप में यह बताया गया कि सार्वजनिक और निजी अनुसंधान के बीच गहन सहयोग और उधेड़बुन में किए गए प्रयासों के बजाय दो राष्ट्रीय सहयोगात्मक प्रयासों के रूप में परिणत करना होगा, तभी भारत अनुसंधान में ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा।

समय के साथ तालमेल बिठाने के लिए, हितधारकों ने उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) के माध्यम से फार्मास्यूटिकल्स में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना, उद्योग उन्मुख पाठ्यक्रम पाठ्यक्रम विकसित करना, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पर वैकल्पिक पाठ्यक्रम, उद्योग की स्थापना के लिए जनशक्ति का प्रदर्शन जहां वे अपने कौशल को सुधार सकते हैं, स्थानीय अभिनव समाधान तैयार करना आदि जैसे सुझाव दिए। इस तरह के कौशल से केवल नागरिकों बल्कि दुनिया के लिए किफायती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बनाने में मदद मिलेगी।

फार्मास्यूटिकल्स में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना दो मुख्य घटकों पर केंद्रित है- () उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना और (बी) छह मूनशॉट क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देना। सीओई की स्थापना एआई/एमएल आधारित प्रौद्योगिकियों और विशेष रूप से एमएसएमई के लिए समर्पित आरएंडडी क्लस्टर जैसी उन्नत तकनीकों को शामिल करने की आवश्यकता पर केंद्रित है। यह भी सुझाव दिया गया कि उत्कृष्टता केंद्रों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को लाने के लिए एनआईपीईआर में अंतरराष्ट्रीय चेयर स्थापित करनी चाहिए। दूसरे घटक के तहत, उद्योग-अकादमिक सहयोग के सफल मॉडलों को दोहराने की आवश्यकता पर चर्चा की गई। फार्मा मेडटेक क्षेत्र में आरएंडडी को कारगर बनाने और लाभदायक सहयोग के लिए उद्योग और शिक्षा के बीच विश्वास और साझेदारी बनाने के लिए सरकार के भीतर अंतर-विभागीय सहयोग बढ़ाने की भी सिफारिश की गई। उद्योग की सुविधा के लिए शिक्षा क्षेत्र में साक्ष्य सृजन सुविधाओं को विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।

यह बताया गया कि एक जीवंत अनुसंधान इकोसिस्टम और कुशल समन्वय के लिए, हितधारकों के बीच निरंतर फीडबैक प्रणाली की आवश्यकता है। इस तरह के गहन सहयोग से विचारों का आदान-प्रदान करना आसान होगा, एक राष्ट्रीय पहचान बनेगी और हितधारक को उधेड़बुन में काम करने से रोका जा सकेगा, निजी और सार्वजनिक अनुसंधान संस्थानों के बीच धन का सामंजस्य होगा, जिससे बहुत आवश्यक मूल्यवर्धन होगा। अन्य महत्वपूर्ण सुझावों जैसे प्रयोगशाला अनुसंधान को नियामक प्रोटोकॉल से छूट, नियामक प्रक्रियाओं को आसान बनाना, उद्योग प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना, व्यवसायीकरण, नैदानिक परीक्षणों पर स्पष्ट दिशानिर्देश, टैरिफ और वित्तीय सहायता, सरकार के भीतर विभागों में समन्वय पर चर्चा की गई। यह भी बताया गया कि भारत को कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, ताकि भारत इन उन्नत प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भर बन सके।

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पृष्ठभूमि:

सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई बजटीय सुधार किए हैं। केंद्रीय बजट की तारीख और पहले करते हुए 1 फरवरी निर्धारित की गई, ताकि मानसून की शुरुआत से पहले मंत्रालयों और विभागों को जमीनी स्तर पर धन के उपयोग के लिए पर्याप्त समय मिल सके। बजट कार्यान्वयन में सुधार लाने की दिशा में एक और कदम बजट उपरांत वेबिनार का नया विचार था। इस विचार की परिकल्पना माननीय प्रधानमंत्री द्वारा सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों, शिक्षा जगत, उद्योग और क्षेत्र के चिकित्सकों को एक मंच पर एक साथ लाने और क्षेत्रों में कार्यान्वयन रणनीतियों पर सहयोगात्मक रूप से काम करने के लिए की गई थी। ये वेबिनार 2021 में जनभागीदारी की भावना से शुरू किए गए थे और बजट घोषणाओं के प्रभावी, त्वरित और निर्बाध कार्यान्वयन में सभी संबंधित हितधारकों की भागीदारी और स्वामित्व को प्रोत्साहित करते हैं।

वेबिनार विभिन्न मंत्रियों और विभागों और सभी संबंधित हितधारकों के प्रयासों को त्रैमासिक लक्ष्यों के साथ कार्य-योजनाओं की तैयारी के लिए समन्वित करने पर केंद्रित हैं, ताकि कार्यान्वयन को सुचारू तरीके से पूरा किया जा सके और समय पर अपेक्षित परिणाम प्राप्त हो सके। व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें वर्चुअल तौर पर आयोजित किया जा रहा है। इनमें संबंधित केंद्रीय मंत्री, सरकारी विभागों के प्रमुख हितधारक, नियामक, शिक्षाविद, व्यापार और उद्योग संघ आदि भाग ले रहे हैं।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री राजेश भूषण, औषधि विभाग सचिव श्रीमती एस. अपर्णा, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ. राजीव बहल, आयुष सचिव वैद्य श्री राजेश कोटेचा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव श्री अतुल तिवारी, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश एस. गोखले, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल, सीईओ (एनएमसी) डॉ. एस. सी. शर्मा, भारतीय नर्सिंग परिषद के अध्यक्ष डॉ. टी. दिलीप कुमार, एनआईबी नोएडा के निदेशक डॉ. अनूप अन्विकार, संयुक्त सचिव (एमई) डॉ. सचिन मित्तल, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री अनु नागर, एनपीपीए अध्यक्ष श्री कमलेश पंत, राज्यों के प्रधान सचिव और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, फार्मास्यूटिकल्स विभाग, आईसीएमआर, एनएचएम, नीति आयोग, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी), भारतीय नर्सिंग परिषद के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के स्वास्थ्य पेशेवरों जैसे डॉ. एन. के. अरोड़ा, प्रोफेसर विजय राघवन, डॉ. देवी शेट्टी, डॉ. नरेश त्रेहान और पैरा-मेडिक्स, नर्सिंग, स्वास्थ्य प्रबंधन, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के क्षेत्रों से जुड़े पेशेवरों ने वेबिनार में भाग लिया।

माननीय प्रधानमंत्री का संबोधन इस लिंक पर देखें: https://www.youtube.com/watch?v=s90J8zIsNuk

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